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बुंदेलखण्ड में त्राहि-त्राहि मची हुई है

Posted on 22 May 2011 by admin

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र ने कहा कि बुन्देलखण्ड में पेयजल एवं सिंचाई का अभाव है जिससे बुंदेलखण्ड में त्राहि-त्राहि मची हुई है। किसान आत्महत्या के लिये मजबूर है। अंतर्राष्ट्रीय जगत में बुंदेलखण्ड अलग स्थान रखता है। झांसी की रानी, तात्या तोपे हिन्दुस्तान की आजादी एवं कांग्रेसी हुकूमत से छुटकारा बुंदेलखण्ड ने ही दिलाया। आल्हा-ऊदल की कहानी भी बुंदेलखण्ड से ही सम्बन्धित है। केन्द्र एवं बसपा सरकार बुंदेलखण्ड के साथ विश्वासघात कर रही है। केन्द्र सरकार के कोरे आश्वासनों से किसान दुखी हैं।

श्री मिश्र आज चित्रकूट में विशाल जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान राम यहां आये और राक्षसों का विनाश किया और कहा कि यहीं रहूंगा। बुंदेलखण्ड की आर्थिक स्थिति खराब है। छोटी जोत के किसान ज्यादा हैं। खेतिहर मजदूर भी ज्यादा हैं। यहां पर खनिज सम्पदा भी है। यदि बुंदेलखण्ड में किसान को सुविधा प्रदान की जाये तो वह पूरे प्रदेश को खनिज दे सकता है। केन्द्र एवं प्रदेश सरकार ने लगातार किसानों का शोषण किया है। इस शोषण के लिये केन्द्र व प्रदेश दोनो सरकारें जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि बुंदेलखण्ड में पैकेज और हिसाब मांगने की सियासत कर रही कांग्रेस और बसपा के ढोंग से आहत होकर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। केन्द्र सरकार 7266 करोड़ रूपये भेजने की बात कहती है। मायावती कहती हैं कि केन्द्र सरकार झूठ बोल रही है। लेकिन प्रधानमंत्री कहते हैं कि मैंने राज्य सरकार को रूपये दिये हैं और मैं कहता हूं कि दोनो मिलकर रूपये खा गये हैं। केवल 400 करोड़ रूपये पूरे प्रदेश में राज्य सरकार ने आवंटित किये हैं।

श्री मिश्र ने कहा भाजपा सरकार ही बुंदेलखण्ड का विकास करेगी। भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने में बुंदेलखण्ड का बड़ा योगदान रहा है। भाजपा के सत्ता में आने पर यहां विकास हुआ। भाजपा ने बुंदेलखण्ड का विकास प्राथमिकता के आधार पर किया। श्री मिश्र बांदा जनपद के ग्राम पोस्ट भदौसा के आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या कर चुके किसान प्रमोद तिवारी के आवास पर गये और परिजनों से मिले।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जनसुनवाई - अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वननिवासी(वनाधिकारों की मान्यता)कानून-2006

Posted on 03 April 2011 by admin

100_2690राजधानी में आदिवासियों के हितों के प्रति सरकार का ध्यान आक्रसित करने हेतु सहकारिता भवन में आयोजित जन सुनवाई कार्यक्रम वनाधिकार से वंचित उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के वन गूजरों से लेकर बुन्देलखण्ड के चित्रकूट, ललितपुर के शहरिया तथा कोल आदिवासियों के साथ साथ वनटंगिया तथा थारू आदिवासियों के साथ सरकारी मशीनरी द्वारा लगातार किये जा रहे उत्पीड़न के दर्दनाक किस्से जब महिलाओं ने मंच पर आकर सुनाये तो सारा वातावरण करूणा मय बन गया। वनों पर आश्रित समुदायों के वनाधिकारों को मान्यता देने वाला कानून ‘‘अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वननिवासी(वनाधिकारों की मान्यता)कानून-2006‘‘ को 1 जनवरी 2008 से देशभर में लागू  किया जा चुका है। उŸार प्रदेश में भी सरकार द्वारा इसे लागू कराने के लिये हमारे संगठन राष्ट्रीय वन-जन श्रमजीवी मंच के साथ लगातार वार्तारत रहते हुये सकारात्मक दिशा में कई तरह के प्रयास व जिलास्तर पर प्रशासन तथा वनविभाग के लिये कई तरह के आदेश व निर्देश जारी किये हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर वनविभाग व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा राज्य सरकार के निर्देशों का अनुसरण न करके लगातार इस केन्द्रीय विशिष्ट कानून के क्रियान्वयन की प्रक्रिया को बाधित करने का काम किया जा रहा है। वनाधिकार कानून के तहत वनसमुदायों को मान्यता प्राप्त अधिकार सौंपने की बजाय लोगों को जंगलक्षेत्रों से बेदख़ली के आदेश जारी किये जा रहे हैं, समुदायों द्वारा प्रस्तुत किये गये दावों को निरस्त करने का अधिकार न होने के बावज़ूद बड़ी संख्या में निरस्त किया जा रहा है, सामुदायिक अधिकारों की बात पर एकदम चुप्पी है, लोगों को लघुवनोपज के अधिकार से वंचित किया जा रहा है और जंगल में अपनी ज़रूरतों का सामान लेने गये लोगों को लकड़ी काटने व शिकार आदि के मुकदमों में अंग्रेजी काल के कानूनों का सहारा लेकर झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है। वनविभाग व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा ऐसा करके वन समुदायों को एक बार फिर उन्हीं ऐतिहासिक अन्यायों की भट्ठी में झोंकने का काम खुले आम किया जा रहा है, जिन्हें स्वीकार करते हुये देश कीे संसद ने यह कानून पारित किया है। सरकार भी इन सब कारनामों को देखते जानते हुये सिर्फ अधिकारियों को चेतावनी देने के अलावा इनके खिलाफ कोई बहुत ठोस कदम नहीं उठा रही है।

100_2701इस कार्यक्रम में वनाधिकार कानून के सफल क्रियान्वयन के रास्ते में आने वाली रुकावटों व वनाश्रित समुदायों के विभिन्न तरह से किये जाने वाले उत्पीड़न से सम्बंधित मामलों का व वनाश्रित समुदायों के ऊपर ब्रिटिश काल में बनाये गये भारतीय वन अधिनियम-1927 के तहत लगाये गये झूटे मुकदमों का प्रस्तुतिकरण किया जा रहा है। चूंकि वनविभाग द्वारा वनाधिकार कानून के आ जाने के बाद भी लोगों पर इन मुकदमों को लादा जाना बन्द नहीं किया गया है, जो कि वनाधिकार कानून का सीधा उलंघन है व जिससे देश के तमाम वनक्षेत्रों में एक संवैधानिक संकट पैदा हो रहा है। प्रदेश की बसपा सरकार ने अक्टूबर 2010 में जनपद सोनभद्र में 7000 मुकदमों को वापिस लेने की घोषणा की थी। लेकिन स्थानीय स्तर पर वनविभाग व प्रशासन द्वारा इन सब मामलों में लोकअदालत लगा कर आदिवासियों व अन्य परम्परागत समुदाय पैसा लेकर अपराध स्वीकार कराया जा रहा है व उनका आपराधिक इतिहास बनाया जा रहा है जिससे कि वनाधिकार कानून की प्रस्तावना में दिये गये ऐतिहासिक अन्याय की पुर्नावृति की जा रही है।

इस जनसुनवाई में ऐसे कई गंभीर मामले जूरी सदस्यों के समक्ष प्रस्तुत किये गये हैं, जिसमेंः-
उ0प्र0 के जनपद सोनभद्र, चंदौली व मिर्जापुर पर वनविभाग व पुलिस विभाग द्वारा आदिवासीयों को माओवादी बना कर झूठी कार्यवाही करने के केस शामिल है।ं।
इन्हीं जनपदों से वनाश्रित समुदाय के ऊपर लदे करीब 10000 फर्जी केसों की सूची भी जूरी सदस्यों के समक्ष रखी जायेगी। इन मुकदमों में 80 फीसदी संख्या महिलाओं की है।
प्रदेश के सात जनपदों के टांगिया गांवों की समस्या के भी केस शामिल हैं। यह गांव आज भी वनविभाग के अधीन है जिन्हें अंग्रेजी शासन काल में वनों को लगाने के लिये बंधुआ मज़दूरों की तरह इस्तेमाल किया गया था। यह गांव अभी तक अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित है व देश के नागरिक तक कहलाने के लिये मोहताज हैं। इन्हें अभी तक वोट देने का भी अधिकार नहीं है। इन गांवों को राजस्व ग्रामों का दर्जा देने के लिये मुख्य सचिव के आदेश के बाद भी वनविभाग द्वारा अड़ंगा लगाया जा रहा है।
वनाधिकार कानून के तहत सामुदायिक अधिकारों को बहाल न कियेे जाने के सम्बन्ध में केस प्रस्तुत किया गया।
प्रदेश में शिवालिक की पहाड़ियों पर रहने वाले घुमन्तु जनजातीय समुदाय के वनगुजर के गंभीर मामले शामिल होगें जिन्हें कानून के लागू होने के चार साल बाद भी कानून के दायरे से बाहर रखा गया है। अभी तक इनके अधिकारों को मान्यता नहीं दी जा रही बल्कि इन परिवारों को वनविभाग द्वारा बेदख़ल करने की पूरी योजना बनाई जा रही है। राजा जी नेशनल पार्क के निदेशक द्वारा वनगुजरों के साथ साम्प्रदायिक व्यवहार किया जा रहा है जिसके बारे में कुछ खास केसों को इस जनसुनवाई में प्रस्तुत किया गया।
जनपद खीरी में जंगलों में रहने वाले कई थारू आदिवासीयों पर वन्य जन्तुओं के शिकार के अनेकों झूठे मामले दर्ज किये गये है जिसमें आदिवासीयों को झूठी कार्यवाही कर जेल तक भेजा जा चुका है, लेकिन असली शिकारियों की जो कि वनविभाग की मिली भगत से शिकार कर रहे हैं उनके उपर कोई भी जांच नहीं की गयी है।
इसी तरह खीरी जनपद के ही मोहम्मदी तहसील के दिलावर नगर में सरकार द्वारा ही बसाये गये बाढ़ से उजड़े परिवारों को वनाधिकार कानून लागू होने के बाद वनविभाग ने बड़ी बर्बरता के साथ उनके घरों को आग लगा दी, लोगों की पिटाई की व महिलाओं के साथ बदतमीज़ी की। यह तब किया गया जब इन परिवारों के पास हाई कोर्ट का आदेश था कि इन परिवारों को उजाड़ा न जाये।
इसी तरह पलिया तहसील, खीरी के नेपाल सीमा से जुड़े फिक्सड डिमांड होल्डिंग गांव गौरी फंटा को उजाड़ने के लिये वनविभाग द्वारा पूरा माहौल बनाया जा रहा है जबकि यह गांव वनाधिकार कानून के तहत बसाये जाने चाहिये।
मिर्जापुर, चित्रकूट, बांदा में भी वनाधिकार कानून को लागू करने की प्रक्रिया न के बराबर है। सबसे बड़ी समस्या इन क्षेत्रों में बसे आदिवासी कोल समुदाय के अनुसूचित जनजाति का दर्जा न मिलना है। जिसकी वजह से वनाधिकार कानून के अनुरूप उन्हें 75 वर्ष का प्रमाण देने के लिये बाध्य किया जा रहा है। हांलाकि प्रदेश सरकार ने 50 साल तक के साक्ष्य को आधार मानते हुये मालिकाना हक़  देने की बात कही है लेकिन वनविभाग व जिलाधिकारी स्तर पर इस कानून को लागू करने की कोई भी राजनैतिक इच्छा नहीं है।
यह जनसुनवाई केवल उ0प्र0 तक सीमित नहीं है इस जनसुनवाई में उत्तराखंड, बिहार, मध्यप्रदेश, झाड़खंड़ के भी वनाधिकार से सम्बन्धित कई मामलों की प्रस्तुति।

ban-gujar-jan-sunyai-me-apni-samasyai-batate-huyeजनसुनवाई में प्रस्तुत किये जाने वाले केसों की सूची
1.    दिलावर नगर, मोहम्मदी तहसील, खीरी में वनविभाग द्वारा सन् 2007 में घरों को जलाने व फसलों को जलाने के सम्बन्ध में
2.    पल्हनापुर टांगीयां ग्राम, खीरी में वनाधिकार कानून की कार्यवाही को  लम्बित करना
3.    खीरी के थाना पलिया, ग्रा0 बसही व थाना चन्दन चैकी सीमा क्षेत्र में वन्य जीव-जन्तु संरक्षण अधि0 की आड़ लेकर आदिवासियों का उत्पीड़न का मामला
4.    गौरी फंटा, फीक्सड डीमांड होल्डिंग ग्राम को वनविभाग द्वारा बेदखली के नोटिस ज़ारी करना
5.    ग्राम ढकिया, जनपद पीलीभीत में वनविभाग द्वारा बेदखली का मामला
6.    जनपद सहारनपुर,गोरखपुर,महराजगंज,खीरी के टांगीयां गांव को वनाधिकार कानून के तहत राजस्व ग्राम का दर्जा न देने का मामला
7.    गोंडा जनपद में पांच टांगीयां ग्रामों में वनविभाग द्वारा वनाधिकार कानून लागू होने के बाद भी ग्रामीणों के खेतों में गडडे खोदे जाने व बंधुआ मज़दूरी प्रथा को ज़ारी रखने का मामला
8.    उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड़ के शिवालिक पहाड़ीयों में घुमन्तु जनजाति समुदाय वनगुजरों के वनाधिकार कानून के दायरे से बाहर रखने का मामला
9.    जनपद चन्दौली में गोंड़ व अन्य आदिवासीयों को अनुसूचित जनजाति के दर्जे में शामिल न करने का मामला
10.    मगरदह टोला, ग्राम सत्तद्वारी जनपद सोनभद्र में वनविभाग व सांमतों द्वारा आदिवासीयों के घरों व फसलों को जलाने व महिलाओं के साथ बदसलूकी का मामला
11.    राष्ट्रीय वन-जन श्रमजीवी मंच के कार्यकर्ता रामशकल गोंड़ को माओवादी बना कर जेल में ठूसने का मामला
12.    भैसइया नाला, ग्राम पनिकप, सोनभद्र में वनविभाग व सांमती तत्वों द्वारा ग्रामीणों के घर व फसल जलाने का मामला
13.    जनपद चित्रकूट में डबल एंट्री का मामला
14.    जनपद सोनभद्र में वनविभाग व पुलिस विभाग द्वारा आदिवासी, अन्य परम्परागत समुदाय व सामाजिक कार्यकर्ताओं पर करीब 10000 फर्जी मुकदमें लादने का मामला

उक्त के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, तथा मध्य प्रदेश से अन्य वनविभाग द्वारा वनाधिकार अधिनियम के उल्लघंन के मामले जूरी के सामने रखने के लिये तकरीबन हजारों लोग अपने-अपने दमन, शोषण व अत्याचारों के मामलों को जूरी के सामने रखा।

इस जनसुनवाई में ज़ूरी मैम्बर हैंः- श्री मन्नूलाल मरकाम (रिटायर्ड न्यायाधीश जबलपुर, सदस्य राष्ट्रीय वनाधिकार संयुक्त समीक्षा समिति), श्री रवि किरण जैन (वरिष्ठ अधिवक्ता इलाहाबाद उच्च न्यायालय), सुश्री स्मिता गुप्ता (सदस्य वनाधिकार कानून ड्राफ्टिंग कमेटी) एवं सुश्री मणिमाला (निदेशक गाॅधी स्मृति दर्शन-नई दिल्ली)

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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पर्यटन विकास के लिये योजना बनाने का आग्रह

Posted on 24 February 2011 by admin

बुन्देलखण्ड के लेखक बुद्धिजीवियों तथा सांस्कृतिक कर्मियों तथा पत्रकारों के एक दल ने बुन्देलखण्ड के पर्यटन विकास हेतु केन्द्रीय पर्यटन मत्री सुबोध कान्त सहाय से मुलाकात करके यहां के पर्यटन स्थलों से अवगत कराते हुये बताया कि खजुराहों के अलावा ओरछा, देवगढ़, चांदपुर, जहाजपुर, जेराखों की गुफा, रणछोरजी, आल्हा उदल की बैठकी, चदेंरी का किला, कटी घाटी, मर्दन सिंह का किला, रानी लक्ष्मीबाई का किला, बरूवा सागर का जल प्रपात, कालिंजर का किला, महोबा का सूर्य मिन्दर, कालपी की मीनारे, चरखारी का आगाहश्र कश्मीरी द्वारा स्थापित कराया गया नाट्य मण्डल, दशावतार मिन्दर जैसे अनेक स्थल होने के बावजूद इस क्षेत्र का राश्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर न होने से विदेशी तथा देशी पर्यटकों का आभाव बना रहता है। जबकि यह क्षेत्र रंगीले राजस्थान से किसी भी मायने में कम नहीं है। सांस्कृतिक विरासत को सजोकर यहां के पर्यटन विकास के लिये योजना बनाने का आग्रह केन्द्र मन्त्री से प्रतिनिधि मण्डल ने किया। प्रतिनिधि मण्डल में राजा बुन्देला, सुरेन्द्र अग्निहोत्री,राकेश मोहन, अजीत निगम आदि प्रमुख थे।

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बुन्देलखण्ड के लेखक, बुद्धिजीवियों सांस्कृतिक कर्मियों तथा पत्रकार का दल ने केन्द्रीय पर्यटन मन्त्री सुबोध कान्त सहाय से मुलाकात करते हुये राजा बुन्देला, सुरेन्द्र अग्निहोत्री, राकेश मोहन, अजीत निगम आदि

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मण्डल की बैठक में 20 अक्टूबर को मशाल जलूस निकालने का निर्णय लिया गया।

Posted on 19 October 2010 by admin

उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मण्डल की बैठक में 20 अक्टूबर को मशाल जलूस निकालने का निर्णय लिया गया। व्यापार मण्डल के पदाधिकारियो ने कहा कि प्रदेश सरकार की मनमानी नीतियों के कारण वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी, कर्मचारी व्यापारियों को परेशान कर रहे है। वह इसकी आड़ में अपनी इच्छा पूर्ति भी कर रहे है, इसे व्यापारी बर्दाश्त नहीं करेगे। उन्होंने निर्णय लिया कि आन्दोलन में जिले के सभी व्यापारी एकजुट रहेगे।

प्रदेशीय आºवान पर आयोजित हो रहे आन्दोलन के क्रम में कहा गया कि केन्द्र एवं प्रदेश सरकार उत्पीड़न पर उतारू बनी हुई है। व्यापारी अपना ठीक से कारोबार भी नहीं कर पा रहे, जहां एक तरफ उनका कारोबार संचालित कर पाना प्रक्रियाओ के कारण मुश्किल होता जा रहा है वहीं सुविधायें रचमात्र भी नहीं दी जा रहीं। प्रदेश में जगह-जगह व्यापारियों के साथ वारदातें हो रही है, लेकिन इनका खुलासा नहीं हो पाता। इस वजह से आपराधिक किस्म के लोगों का मनोबल बढ़ा हुआ है और वह व्यापारी को आसानी से निशाना बना रहे है। कानून व्यवस्था के कारण ही लूट, डकैती, अपहरण, भ्रष्टाचार जैसे नये उद्योग अस्तित्व में आने लगे है। वाणिज्य कर के अलावा आयकर, आबकारी विभाग अपनी सीमायें लाघने में लगे हुए है। इन विभागों में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी अपने हिसाब से विभाग को चलाने का कार्य कर रहे है, जिसका सीधा मकसद व्यापारियों का दोहन करना है। उन्होंने पिछले आन्दोलनों में प्राणपन से सहयोग करने वाले व्यापारियों के उत्साह को सराहा। कहा गया कि अब मशाल जलूस के माध्यम से व्यापारियों के हितों के प्रति नज़रअन्दाज करने वाली सरकारों को रोशनी दिखाने का कार्य किया जायेगा। उन्होंने आगामी समय में आयोजित होने वाले आन्दोलनों में इसी तरह की ताकत एवं एकता का प्रदर्शन करने की अपील की।

व्यापारी अपनी समस्याओ को पुरजोर ढग से उठाते हुए 20 अक्टूबर को सायं 7 बजे जगदीश मार्केट में एकत्रित होंगे। वहां से मशालों मं अगिन् प्रज्ज्वलित कर आन्दोलन आगे बढ़ेगा। युवा व्यापार मण्डल ने सभी व्यापारियों से बड़ी तादाद में आन्दोलन में सम्मिलित होने की अपेक्षा की। इस अवसर पर महेन्द्र मयूर, संजय रसिया, सतीश बजाज, प्रदीप त्रिपाठी, नरेन्द्र कड़ंकी, लखन अग्रवाल, पंकज मिश्रा, रामेश्वर सड़ैया, जिनेन्द्र पंसारी, मज्जाू सोनी, राजेन्द्र सोनी, सुनील, अभिषेक, अमित, सोनू, राजीव जैन, विनय जैन, अंकित जैन, उत्तम चन्द, अजय जैन, अविनाश सिंघई, अंशुल बड़कुल, विकास, वीरेन्द्र, पंकज, दीपक सोनी, सौरभ मिठया, अनुराग आदि उपस्थित थे। संचालन राजीव सुडेले ने किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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देश में तेजी से बढ़ रहे हृदय रोग को अर्जुन की मदद से रोका जा सकता है।

Posted on 30 September 2010 by admin

देश में तेजी से बढ़ रहे हृदय रोग को अर्जुन की मदद से रोका जा सकता है। भारत में बहुतायत में मिलने वाले अर्जुन के पेड़ में विद्यमान तत्व हृदय को रोग से बचाने के लिए कारगर हैं। आयुर्वेद में इस पेड़ की छाल के साथ अन्य औषधियां को मिलाकर तैयार किए गए एक योग पर शोध के दौरान उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय हण्डिया में चल रहे इस शोध से जुडे़ आयुर्वेदाचार्योकी मानें तो औषधियों का यह योग हृदय के लिए हानिकारक वसा को नियन्त्रित करने में सक्षम है। शोध से जुडे़ आयुर्वेदाचार्य ड‚. जीएस तोमर इस योग के बारे में बताते हैं, हृदय रोग से बचाव के लिए अर्जुन की छाल को आयुर्वेद में काफी उपयोगी बताया गया है। इस छाल के चूर्ण के साथ कुछ औषधियां पुष्कर मूल, शंखपुष्पी, बिडंग,ब्राह्मी, वचा, गुगलू, ज्योित्षमती, पुनर्नवा, सर्पगंधा मिला देने के बाद तैयार औषधीय योग हृदय रोग के लिए जिम्मेदार हानिकारक वसा को कम करने में कारगर है। हृदय रोगियों पर इसके इस्तेमाल के दौरान 75 प्रतिशत रोगियों में सफल परिणाम देखने को मिले हैं। रोगियों पर अध्ययन के दौरान देखने को मिला कि इस औषधीय योग से उनके कोलेस्ट्राल, एलडीएल और टीजी काफी कम हुआ व हृदय के लिए लाभकारी वसा एचडीएल बढ़ा पाया गया। शोध के दौरान यह भी पता चला कि यह औषधि एचडीएल और एलडीएल (हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटीन व लो डेंसिटी लाइपोप्रोटीन फैट) के अनुपात को सही रखने का काम करती है। ड‚. तोमर के मुताबिक अधिकांश हृदय रोगियों में कोलेस्ट्राल व अन्य हानिकारक वसा की बढ़ी हुई मात्रा रक्तचाप की वृद्धि करके हृदय रोग उत्पन्न करने में उत्तरदायी होती है। यह औषधि उच्च रक्तचाप व मोटापे की अवस्था में और लिवर में जमा वसा को दूर करने का भी कार्य भी करती है। हृदय रोग होने की अवस्था में भी यह औषधि का प्रयोग अन्य दवाओं के साथ करने में महत्वपूर्ण लाभ होता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मोहल्ला सरदारपुरा में जिला सरस साहित्य संगम की बैठक में संस्था का रजत जयन्ती समारोह माह नवम्बर में मनाये जाने का निर्णय लिया गया।

Posted on 30 September 2010 by admin

मोहल्ला सरदारपुरा में जिला सरस साहित्य संगम की बैठक में संस्था का रजत जयन्ती समारोह माह नवम्बर में मनाये जाने का निर्णय लिया गया। इस मौके पर बुन्देली काव्य कलस के सम्बन्ध में रचनाओं का सम्पादन एवं प्रकाशन आदि विषय पर भी चर्चा हुई। वरिष्ठ साहित्यकारों ने नई पीढ़ी को समाज के लिए अग्रसर करने वाले तथा व्यवस्था को लताड़ने वाले शब्दों का इस्तेमाल कर श्रेष्ठ साहित्य का सृजन करने की अपील की।

कार्यक्रम में वरिष्ठ कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नव साहित्यकारों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वह अपने आपको कम न समझें। कवि के मुंह से निकलने वाला एक-एक शब्द सुधार की चिंगारी बन कर निकलता है। युगों-युगों से काव्य प्रतिभाएं समाज का मार्ग निर्देशन करतीं चली आ रहीं हैं और आगे भी इस परम्परा को बनाये रखने की जरूरत है। कार्यक्रम में हिन्दी प्रवक्ता लाल चन्द्र सलज ने श्पूरब नहीं अब पूरब और पश्चिम भी नहीं रहा पश्चिम, दोनों को ही किसी बिन्दू पर करना एकाकार हमेंश् के माध्यम से विचारों की एकता का सन्देश दिया। वहीं वरिष्ठ कवि विजय नारायण रावत ने भी सच्चाई को बया करते हुए कहा कि श्सच कहना अगर गुनाह है मैं गुनाहगार हूं, कवि हूं शायर हूं सच कहने वाला खाकसार हूं ।श् इस दौरान बुन्देली कवि एम.एल.भटनागर ने अनेक रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को रसरक्त किया। उनके द्वारा प्रस्तुत श्गेंवरे कोयल कूक लगावे, मोए मन नेक न भावेश् रचना विशेष रूप से सराही गई। इसके पश्चात वरिष्ठ कवि शिखर चन्द्र मुफलिस द्वारा प्रस्तुत चौके-छक्के कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाते रहे। उन्होंने समसामयिक चौके में कहा श्कांग्रेस वट वृक्ष है या पीपल का पेड़, बूढे़ नर नारी जहां लटके कई अधेड़, लटके कई अधेड़ हमारा जिला ललितपुर खैरा और बुन्देला खुलकर बोले बेसुर।श् कार्यक्रम का संचालन कर रहे डा. गुलाब चन्द्र साहू सारग ने अपनी रचना के द्वारा नेता व जनता के सम्बन्ध में बेबाक टिप्पणी करते हुए कहा श्रक्षक भक्षक हो गए कर चोरों से प्रेम, बेबस जनता लुट रही नेता खेलें गेमश्।

इस अवसर पर यह भी जानकारी दी गई कि बुन्देली काव्य कलस प्रकाशित होने वाली —ति में जिले की बुन्देली व खड़ी बोली के कवियों की रचनाओं का चयन किया जाएगा। रचनाएं प्रकाशन के लिए समिति के पास 15 अक्टूबर तक प्राप्त हो जाना चाहिए। इस मौके पर सम्पादक मण्डल का गठन भी किया गया। इसमें कन्हैयालाल शास्त्री, लाल चन्द्र सलज, ड‚. हुकुम चन्द्र पवैया आदि के अलावा अन्य लोगों को सम्मिलित किया गया। प्रारम्भ में सरस्वती वन्दना तथा ईश वन्दना, बाल कवि अर्पित जैन व पूनम जैन द्वारा प्रस्तुत की गई। इस मौके पर शील चन्द्र मोदी, रूप सिंह ठाकुर, सुदेश सोनी, महेश नामदेव, गोकुल चन्द्र सरोज, अशोक क्रान्तिकारी, रमेश पाठक, राम—ष्ण कुशवाहा, वीरेन्द्र विद्रोही, अम्ब्रीस जैन आदि उपस्थित थे।किन्नरों को महिला आरक्षण का लाभ नहीं

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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ग्यारह वर्ष पूर्व घटित युका नेता अरुण कुमार सिंह उर्फ मज्जाू सिंह की हत्या के बहुचर्चित मामले में……….

Posted on 25 September 2010 by admin

ग्यारह वर्ष पूर्व घटित युका नेता अरुण कुमार सिंह उर्फ मज्जाू सिंह की हत्या के बहुचर्चित मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (दस्यु प्रभावित क्षेत्र) गुरू शरण श्रीवास्तव ने दोषी एक अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। साथ ही 26 हजार रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया। जुर्माना न देने पर उसे अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। बताते चलें कि इसमें नामजद दूसरे अभियुक्त पूर्व मन्त्री के पुत्र की कुछ वषोZ पूर्व हत्या हो गई थी।

इस बहुचर्चित हत्याकाण्ड की जानकारी देते हुए अपर जिला शासकीय अधिवक्ता खुशीलाल लोधी ने बताया कि 11 वर्ष पूर्व 16 नवम्बर 1999 की रात 9.30 बजे युवक काग्रेस के प्रातीय महासचिव अरुण कुमार सिंह उर्फ मज्जाू सिविल लाइन स्थित मकान पर अपने साथी संजय सिंह बुन्देला व जगपाल सिंह सिसोदिया के साथ आरमाडा जीप संख्या यू.पी.94-ए- 3777 से मुहल्ला रामनगर वाले मकान पर गए। जहां सभी ने पार्टी मनायी। इस दौरान मज्जाू से दोनों का विवाद हो गया। जिस पर मज्जाू की दूसरी पत्नी —ष्णा राजा ने हस्तक्षेप के बाद मामला शान्त कराया।

बाद में सभी वहां से चले गए। इसके बाद मज्जाू की पहली पत्नी सीमा सिंह व उसके भाइयों ने उसकी काफी खोजबीन की लेकिन उसका कोई पता नहीं चला था। बाद में सीमा सिंह के मुनीम की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने संजय सिंह व जगपाल सिसौदिया के खिलाफ धारा 342 के तहत मामला पंजी—त कर छानबीन शुरू कर दी थी। 17 नवम्बर 1999 को उक्त आरमाडा जीप मध्य प्रदेश के शिवपुरी में गुना रोड पर शिवहरे फार्म हाउस के पास पड़ी मिली थी। जिसमें मज्जाू की लाश पड़ी हुई थी। जिस पर 5 गोलियां मारे जाने के घाव थे।

इस घटना में परसू उर्फ पुरुषोत्तम परिहार पुत्र विन्द्रावन निवासी बंशीपुरा का नाम भी प्रकाश में आने पर पुलिस ने संजय सिंह, परसू व जगपाल सिसौदिया के खिलाफ धारा 364, 302, 392 व 201 के तहत मामला पंजी—त कर लिया था। बाद में पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

इस मामले की सुनवायी के दौरान 14 गवाह न्यायालय में पेश हुए थे। मामले की सुनवायी के दौरान अपर सत्र न्यायाधीश ने संजय सिंह व जगपाल को दोषी माना था। जबकि साक्ष्यों के अभाव में परसू को दोष मुक्त कर बरी कर दिया था। चूंकि संजय सिंह की कुछ वर्ष पूर्व हत्या हो गई थी। इसलिए शेष अभियुक्त जगपाल सिसौदिया को सजा सुनाने के लिए शुक्रवार का दिन निर्धारित कर लिया गया था।

आज न्यायाधीश ने जगपाल सिसौदिया को दोषी मानते हुए धारा 364 में 10 वर्ष की सजा व 2 हजार रुपये जुर्मा, 302 में आजीवन कारावास व 20 हजार रुपये जुर्माना, धारा 392 में 7 वर्ष की सजा व 1 हजार रुपये जुर्माना, धारा 201 में 7 वर्ष व 2 हजार जुर्माना तथा धारा 25 में 3 वर्ष की सजा व 1 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। इस प्रकार कुल 26 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना न देने पर कुल 21 माह की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। उपरोक्त सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

 

 

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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पुलिस क्षेत्राधिकारी अयोध्या राकेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि हर अयोध्या वासी को सुरक्षा प्रदान करना हमारा कर्तव्य है।

Posted on 23 September 2010 by admin

पुलिस क्षेत्राधिकारी अयोध्या राकेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि हर अयोध्या वासी को सुरक्षा प्रदान करना हमारा कर्तव्य है। इस –ष्टि से अयोध्या की सुरक्षा में करीब 20 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये हैं।

विकास खण्ड जखौरा अन्तर्गत ग्राम पंचायत बांसी के रोजगार सेवक को पुलिस ने गिर तार कर जेल भेज दिया है। उसने जिलाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर कर खण्ड विकास अधिकारी से मानदेय निर्गत कराने का प्रयास किया था। खण्ड विकास अधिकारी की सूचना पर पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला पंजी—त कर विवेचना शुरू कर दी है।

ग्राम बांसी निवासी दीपक त्रिपाठी पुत्र जगदीश प्रसाद ग्राम पंचायत में मनरेगा की देखरेख के लिए रोजगार सेवक के पद पर तैनात किया गया था। पिछले कई माह से उसका मानदेय नहीं मिला था, जिससे परेशान होकर उसने नयी तरकीब सोची जिसकी साधारण व्यक्ति कल्पना भी नहीं कर सकता। वैसे भी इस समय जिलाधिकारी की कार्यप्रणाली से जिले के हर अधिकारी में खौफ है और लीक से हटकर काम करने के लिए वह कई बार सोचते जरूर है। रोजगार सेवक ने कुछ दिन पहले जिलाधिकारी के नाम से एक प्रार्थना पत्र तैयार किया, जिसमें उसने मानदेय दिलाने की गुहार लगाई थी। इस प्रार्थना पत्र को उसने जिलाधिकारी को देने की बजाय उनके ही नाम से खण्ड विकास अधिकारी के लिए निर्देश लिखकर उनके हस्ताक्षर कर दिए, लेकिन वह एक जगह चूक कर गया। उसने खण्ड विकास अधिकारी के नाम के

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खजुराहो, कालींजर, महोबा रच सकते है बुन्देलखण्ड में पर्यटन का नया इतिहास

Posted on 19 September 2010 by admin

बुन्देलखण्ड के चन्देल कालीन तीन ऐतिहासिक स्थलों खजुराहों कालींजर और बान्दा का यदि योजनाबद्ध पर्यटन विकास किया जाय और यहां के शासकों के कलात्मक निर्माण अवशेश व ऐतिहासिक घटनाक्रम को रोचक शैली में प्रस्तुत किया जाय तो देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्शित कर बड़े पैमाने पर पर्यटन आय बढ़ाई जा सकती है किन्तु पर्यटकों को आकर्शित करने के लिये रेल, सड़क यातायात व पर्यटन सुविधायें सर्वोच्च प्राथमिकता के अनुसार सुधारनी होगी।
खजुराहो कालींजर और महोबा आवागमन के लिये, सड़क यातायात सुधारने व पर्यटन विकास के लिये उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के उप निदेशक िशवप्रसाद भारती (स्वराज कालोनी बान्दा निवासी) ने रेलवे बोर्ड, पर्यटन मन्त्रालय और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के पर्यटन महानिदेशकों को लिखा है कि बुन्देलखण्ड के चन्देल कालीन ये तीनों स्थान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा में होते हुये आपस में जुड़े हैं तथा निकटवर्ती अलग-अलग जिलों में स्थित है। खजुराहों मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले, कालींजर उ0प्र0 के बान्दा जिले और महोबा इसी नाम के उ0प्र0 के जिले के अधीन स्थित है। इन तीनों स्थलों को सबसे पहले आपस में रेलवे लाइन तथा सड़क मार्ग से जोड़ने व पर्यटन सुविधायें बढ़ाने की आवश्यकता है।

खजुराहों को देश की राजधानी दिल्ली और धार्मिक राजधानी वाराणसी से जोड़ने के लिये श्री भारती ने रेलवे मन्त्रलाय को धन्यवाद प्रेशित करते हुये लिखा है कि महोबा पहले से दिल्ली-झांसी-इलाहाबाद रेल मार्ग से जुड़ा है। महोबा से ही एक नयी लाइन बिछाकर खजुराहो को रेलवे से जोड़ा गया है जिससे महोबा के साथ-साथ खजुराहो में देशी विदेशी पर्यटक पहले की अपेक्षा अधिक मात्रा में आने लगे है। अब केवल बुन्देलखण्ड का सबसे महत्वपूर्ण स्थान कालींजर का किला जहां भगवान िशव ने गरल पीने के बाद विश्राम किया था और गुफानुमा जल कुण्ड में आज भी विराजमान है को रेल लाइन से जोड़ना बाकी रह गया है।
खजुराहोे अपनी ऐतिहासिकता एवं मिन्दरों में उकेरी गई कामुक मूर्तियों के कारण देश विदेश के पर्यटकों के लिये आकशZण का केन्द्र अवश्य है किन्तु रेलवे लाइन से न जुड़ा होने के कारण पर्यटकों का आने जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था। इसी प्रकार कालींजर भी रेलवे लाइन से नही जुड़ा, केवल महोबा ही एक ऐसा स्थान है जो रेल लाइन से जुड़ा है। खजुराहों की लोकप्रियता के कारण रेल मन्त्रालय ने उसे महोबा, ललितपुर और सतना से तीन लाइनों से जोड़ने का निश्चय किया। इस योजना को तीन चरणों में पूरा होना था। प्रथम चरण में खजुराहों को महोबा से जोड़कर मानिकपुर झांसी रेल लाइन से जोड़ना था, जो 2009 में पूरी हो गई है और अब खजुराहों आने वाले पर्यटक देश की राजधानी दिल्ली और सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी से सीधे खजुराहों पहुंचने लगे है।
योजना के दूसरे चरण में ललितपुर से वाया टीकमगढ़, छतरपुर होते हुए खजुराहों को जोड़ना था और तीसरे चरण में खजुराहों को सतना से जोड़ना था। यह कार्य उत्तर मध्य रेलवे तथा पिश्चम मध्य रेलवे को मिलकर करना था। उत्तर मध्य रेलवे ने द्वितीय चरण में ललितपुर से भवई तक 65 कि0मी0 का कार्य करीब करीब पूर्ण कर लिया है शेश 102 कि0मी0 का कार्य पिश्चम मध्य रेलवे को करना है जो एक साल से बन्द पड़ा है जिसे शीघ्र पूरा कराये जाने की आवश्यकता है। तीसरे चरण में खजुराहों से सतना रेल लाइन के बीच पन्ना राश्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र आने से वन एवं पर्यावरण मन्त्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र न मिलने के कारण दिक्कत आ रही है। इस सम्बन्ध में पिश्चय मध्य रेलवे के जनसम्पर्क अधिकारी का कहना है कि तीसरे चरण के लिये अब दुबारा सर्वे हो रहा है जो अजयगढ़ घाटी से होकर निकालने का प्रस्ताव है।
श्री भारती ने लिखा है कि तीसरे चरण में भले ही विलम्ब हो रहा है किन्तु यह विलम्ब अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है। खजुराहों से सतना प्रस्तावित रेल लाइन के बगल मे ही बुन्देलखण्ड का सबसे बड़ा किला कालींजर स्थित है। खजुराहो सतना रेल लाइन दुबारा सर्वे में कालींजर को भी सम्मिलित कर लिया जाय तो बुन्देलखण्ड के चन्देल काल के तीनों महत्वपूर्ण स्थलों का पर्यटक भ्रमण कर सकते है। ज्ञातव्य है कि चन्देल राजाअों का शासन मुख्य रूप से तीन स्थानों में बटा था, खजुराहों उनका धार्मिक स्थल था जहां वे पूजा अर्चना करते थे। कालींजर उनका सैन्य स्थल था जहां अभेद्य किला होने के कारण सेना रहती थी और शासकोें के आदेश पर निकलती थी। महोबा प्रााशसनिक स्थल था जहां से राज काज संचालित होता था। कालींजर के रेलवे लाइन से जुड़ जाने से देश विदेश के पर्यटक चन्देल काल के तीनों स्थानां का एक साथ भ्रमण कर सकेगें।

उन्होंने बान्दा, महोबा, हमीरपुर, खजुराहों, पन्ना, छतपुर, टीकमगढ़ तथा सतना के सांसदों को भी प्रस्ताव की प्रति भेजते हुए अपनी अपनी संस्तुति भेजने का अनुरोध किया है। बान्दा जिलेे के नरैनी क्षेत्र के विधायक पुरुशोत्तम नरेश द्विवेदी से भी अनुरोध किया गया है जिनके विधानसभा क्षेत्र में विश्व की ऐतिहासिक धरोहर कालींजर स्थित है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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