बुन्देलखण्ड के चन्देल कालीन तीन ऐतिहासिक स्थलों खजुराहों कालींजर और बान्दा का यदि योजनाबद्ध पर्यटन विकास किया जाय और यहां के शासकों के कलात्मक निर्माण अवशेश व ऐतिहासिक घटनाक्रम को रोचक शैली में प्रस्तुत किया जाय तो देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्शित कर बड़े पैमाने पर पर्यटन आय बढ़ाई जा सकती है किन्तु पर्यटकों को आकर्शित करने के लिये रेल, सड़क यातायात व पर्यटन सुविधायें सर्वोच्च प्राथमिकता के अनुसार सुधारनी होगी।
खजुराहो कालींजर और महोबा आवागमन के लिये, सड़क यातायात सुधारने व पर्यटन विकास के लिये उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के उप निदेशक िशवप्रसाद भारती (स्वराज कालोनी बान्दा निवासी) ने रेलवे बोर्ड, पर्यटन मन्त्रालय और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के पर्यटन महानिदेशकों को लिखा है कि बुन्देलखण्ड के चन्देल कालीन ये तीनों स्थान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा में होते हुये आपस में जुड़े हैं तथा निकटवर्ती अलग-अलग जिलों में स्थित है। खजुराहों मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले, कालींजर उ0प्र0 के बान्दा जिले और महोबा इसी नाम के उ0प्र0 के जिले के अधीन स्थित है। इन तीनों स्थलों को सबसे पहले आपस में रेलवे लाइन तथा सड़क मार्ग से जोड़ने व पर्यटन सुविधायें बढ़ाने की आवश्यकता है।
खजुराहों को देश की राजधानी दिल्ली और धार्मिक राजधानी वाराणसी से जोड़ने के लिये श्री भारती ने रेलवे मन्त्रलाय को धन्यवाद प्रेशित करते हुये लिखा है कि महोबा पहले से दिल्ली-झांसी-इलाहाबाद रेल मार्ग से जुड़ा है। महोबा से ही एक नयी लाइन बिछाकर खजुराहो को रेलवे से जोड़ा गया है जिससे महोबा के साथ-साथ खजुराहो में देशी विदेशी पर्यटक पहले की अपेक्षा अधिक मात्रा में आने लगे है। अब केवल बुन्देलखण्ड का सबसे महत्वपूर्ण स्थान कालींजर का किला जहां भगवान िशव ने गरल पीने के बाद विश्राम किया था और गुफानुमा जल कुण्ड में आज भी विराजमान है को रेल लाइन से जोड़ना बाकी रह गया है।
खजुराहोे अपनी ऐतिहासिकता एवं मिन्दरों में उकेरी गई कामुक मूर्तियों के कारण देश विदेश के पर्यटकों के लिये आकशZण का केन्द्र अवश्य है किन्तु रेलवे लाइन से न जुड़ा होने के कारण पर्यटकों का आने जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था। इसी प्रकार कालींजर भी रेलवे लाइन से नही जुड़ा, केवल महोबा ही एक ऐसा स्थान है जो रेल लाइन से जुड़ा है। खजुराहों की लोकप्रियता के कारण रेल मन्त्रालय ने उसे महोबा, ललितपुर और सतना से तीन लाइनों से जोड़ने का निश्चय किया। इस योजना को तीन चरणों में पूरा होना था। प्रथम चरण में खजुराहों को महोबा से जोड़कर मानिकपुर झांसी रेल लाइन से जोड़ना था, जो 2009 में पूरी हो गई है और अब खजुराहों आने वाले पर्यटक देश की राजधानी दिल्ली और सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी से सीधे खजुराहों पहुंचने लगे है।
योजना के दूसरे चरण में ललितपुर से वाया टीकमगढ़, छतरपुर होते हुए खजुराहों को जोड़ना था और तीसरे चरण में खजुराहों को सतना से जोड़ना था। यह कार्य उत्तर मध्य रेलवे तथा पिश्चम मध्य रेलवे को मिलकर करना था। उत्तर मध्य रेलवे ने द्वितीय चरण में ललितपुर से भवई तक 65 कि0मी0 का कार्य करीब करीब पूर्ण कर लिया है शेश 102 कि0मी0 का कार्य पिश्चम मध्य रेलवे को करना है जो एक साल से बन्द पड़ा है जिसे शीघ्र पूरा कराये जाने की आवश्यकता है। तीसरे चरण में खजुराहों से सतना रेल लाइन के बीच पन्ना राश्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र आने से वन एवं पर्यावरण मन्त्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र न मिलने के कारण दिक्कत आ रही है। इस सम्बन्ध में पिश्चय मध्य रेलवे के जनसम्पर्क अधिकारी का कहना है कि तीसरे चरण के लिये अब दुबारा सर्वे हो रहा है जो अजयगढ़ घाटी से होकर निकालने का प्रस्ताव है।
श्री भारती ने लिखा है कि तीसरे चरण में भले ही विलम्ब हो रहा है किन्तु यह विलम्ब अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है। खजुराहों से सतना प्रस्तावित रेल लाइन के बगल मे ही बुन्देलखण्ड का सबसे बड़ा किला कालींजर स्थित है। खजुराहो सतना रेल लाइन दुबारा सर्वे में कालींजर को भी सम्मिलित कर लिया जाय तो बुन्देलखण्ड के चन्देल काल के तीनों महत्वपूर्ण स्थलों का पर्यटक भ्रमण कर सकते है। ज्ञातव्य है कि चन्देल राजाअों का शासन मुख्य रूप से तीन स्थानों में बटा था, खजुराहों उनका धार्मिक स्थल था जहां वे पूजा अर्चना करते थे। कालींजर उनका सैन्य स्थल था जहां अभेद्य किला होने के कारण सेना रहती थी और शासकोें के आदेश पर निकलती थी। महोबा प्रााशसनिक स्थल था जहां से राज काज संचालित होता था। कालींजर के रेलवे लाइन से जुड़ जाने से देश विदेश के पर्यटक चन्देल काल के तीनों स्थानां का एक साथ भ्रमण कर सकेगें।
उन्होंने बान्दा, महोबा, हमीरपुर, खजुराहों, पन्ना, छतपुर, टीकमगढ़ तथा सतना के सांसदों को भी प्रस्ताव की प्रति भेजते हुए अपनी अपनी संस्तुति भेजने का अनुरोध किया है। बान्दा जिलेे के नरैनी क्षेत्र के विधायक पुरुशोत्तम नरेश द्विवेदी से भी अनुरोध किया गया है जिनके विधानसभा क्षेत्र में विश्व की ऐतिहासिक धरोहर कालींजर स्थित है।