देश में तेजी से बढ़ रहे हृदय रोग को अर्जुन की मदद से रोका जा सकता है। भारत में बहुतायत में मिलने वाले अर्जुन के पेड़ में विद्यमान तत्व हृदय को रोग से बचाने के लिए कारगर हैं। आयुर्वेद में इस पेड़ की छाल के साथ अन्य औषधियां को मिलाकर तैयार किए गए एक योग पर शोध के दौरान उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय हण्डिया में चल रहे इस शोध से जुडे़ आयुर्वेदाचार्योकी मानें तो औषधियों का यह योग हृदय के लिए हानिकारक वसा को नियन्त्रित करने में सक्षम है। शोध से जुडे़ आयुर्वेदाचार्य ड‚. जीएस तोमर इस योग के बारे में बताते हैं, हृदय रोग से बचाव के लिए अर्जुन की छाल को आयुर्वेद में काफी उपयोगी बताया गया है। इस छाल के चूर्ण के साथ कुछ औषधियां पुष्कर मूल, शंखपुष्पी, बिडंग,ब्राह्मी, वचा, गुगलू, ज्योित्षमती, पुनर्नवा, सर्पगंधा मिला देने के बाद तैयार औषधीय योग हृदय रोग के लिए जिम्मेदार हानिकारक वसा को कम करने में कारगर है। हृदय रोगियों पर इसके इस्तेमाल के दौरान 75 प्रतिशत रोगियों में सफल परिणाम देखने को मिले हैं। रोगियों पर अध्ययन के दौरान देखने को मिला कि इस औषधीय योग से उनके कोलेस्ट्राल, एलडीएल और टीजी काफी कम हुआ व हृदय के लिए लाभकारी वसा एचडीएल बढ़ा पाया गया। शोध के दौरान यह भी पता चला कि यह औषधि एचडीएल और एलडीएल (हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटीन व लो डेंसिटी लाइपोप्रोटीन फैट) के अनुपात को सही रखने का काम करती है। ड‚. तोमर के मुताबिक अधिकांश हृदय रोगियों में कोलेस्ट्राल व अन्य हानिकारक वसा की बढ़ी हुई मात्रा रक्तचाप की वृद्धि करके हृदय रोग उत्पन्न करने में उत्तरदायी होती है। यह औषधि उच्च रक्तचाप व मोटापे की अवस्था में और लिवर में जमा वसा को दूर करने का भी कार्य भी करती है। हृदय रोग होने की अवस्था में भी यह औषधि का प्रयोग अन्य दवाओं के साथ करने में महत्वपूर्ण लाभ होता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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