ग्यारह वर्ष पूर्व घटित युका नेता अरुण कुमार सिंह उर्फ मज्जाू सिंह की हत्या के बहुचर्चित मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (दस्यु प्रभावित क्षेत्र) गुरू शरण श्रीवास्तव ने दोषी एक अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। साथ ही 26 हजार रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया। जुर्माना न देने पर उसे अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। बताते चलें कि इसमें नामजद दूसरे अभियुक्त पूर्व मन्त्री के पुत्र की कुछ वषोZ पूर्व हत्या हो गई थी।
इस बहुचर्चित हत्याकाण्ड की जानकारी देते हुए अपर जिला शासकीय अधिवक्ता खुशीलाल लोधी ने बताया कि 11 वर्ष पूर्व 16 नवम्बर 1999 की रात 9.30 बजे युवक काग्रेस के प्रातीय महासचिव अरुण कुमार सिंह उर्फ मज्जाू सिविल लाइन स्थित मकान पर अपने साथी संजय सिंह बुन्देला व जगपाल सिंह सिसोदिया के साथ आरमाडा जीप संख्या यू.पी.94-ए- 3777 से मुहल्ला रामनगर वाले मकान पर गए। जहां सभी ने पार्टी मनायी। इस दौरान मज्जाू से दोनों का विवाद हो गया। जिस पर मज्जाू की दूसरी पत्नी —ष्णा राजा ने हस्तक्षेप के बाद मामला शान्त कराया।
बाद में सभी वहां से चले गए। इसके बाद मज्जाू की पहली पत्नी सीमा सिंह व उसके भाइयों ने उसकी काफी खोजबीन की लेकिन उसका कोई पता नहीं चला था। बाद में सीमा सिंह के मुनीम की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने संजय सिंह व जगपाल सिसौदिया के खिलाफ धारा 342 के तहत मामला पंजी—त कर छानबीन शुरू कर दी थी। 17 नवम्बर 1999 को उक्त आरमाडा जीप मध्य प्रदेश के शिवपुरी में गुना रोड पर शिवहरे फार्म हाउस के पास पड़ी मिली थी। जिसमें मज्जाू की लाश पड़ी हुई थी। जिस पर 5 गोलियां मारे जाने के घाव थे।
इस घटना में परसू उर्फ पुरुषोत्तम परिहार पुत्र विन्द्रावन निवासी बंशीपुरा का नाम भी प्रकाश में आने पर पुलिस ने संजय सिंह, परसू व जगपाल सिसौदिया के खिलाफ धारा 364, 302, 392 व 201 के तहत मामला पंजी—त कर लिया था। बाद में पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
इस मामले की सुनवायी के दौरान 14 गवाह न्यायालय में पेश हुए थे। मामले की सुनवायी के दौरान अपर सत्र न्यायाधीश ने संजय सिंह व जगपाल को दोषी माना था। जबकि साक्ष्यों के अभाव में परसू को दोष मुक्त कर बरी कर दिया था। चूंकि संजय सिंह की कुछ वर्ष पूर्व हत्या हो गई थी। इसलिए शेष अभियुक्त जगपाल सिसौदिया को सजा सुनाने के लिए शुक्रवार का दिन निर्धारित कर लिया गया था।
आज न्यायाधीश ने जगपाल सिसौदिया को दोषी मानते हुए धारा 364 में 10 वर्ष की सजा व 2 हजार रुपये जुर्मा, 302 में आजीवन कारावास व 20 हजार रुपये जुर्माना, धारा 392 में 7 वर्ष की सजा व 1 हजार रुपये जुर्माना, धारा 201 में 7 वर्ष व 2 हजार जुर्माना तथा धारा 25 में 3 वर्ष की सजा व 1 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। इस प्रकार कुल 26 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना न देने पर कुल 21 माह की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। उपरोक्त सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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