मोहल्ला सरदारपुरा में जिला सरस साहित्य संगम की बैठक में संस्था का रजत जयन्ती समारोह माह नवम्बर में मनाये जाने का निर्णय लिया गया। इस मौके पर बुन्देली काव्य कलस के सम्बन्ध में रचनाओं का सम्पादन एवं प्रकाशन आदि विषय पर भी चर्चा हुई। वरिष्ठ साहित्यकारों ने नई पीढ़ी को समाज के लिए अग्रसर करने वाले तथा व्यवस्था को लताड़ने वाले शब्दों का इस्तेमाल कर श्रेष्ठ साहित्य का सृजन करने की अपील की।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नव साहित्यकारों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वह अपने आपको कम न समझें। कवि के मुंह से निकलने वाला एक-एक शब्द सुधार की चिंगारी बन कर निकलता है। युगों-युगों से काव्य प्रतिभाएं समाज का मार्ग निर्देशन करतीं चली आ रहीं हैं और आगे भी इस परम्परा को बनाये रखने की जरूरत है। कार्यक्रम में हिन्दी प्रवक्ता लाल चन्द्र सलज ने श्पूरब नहीं अब पूरब और पश्चिम भी नहीं रहा पश्चिम, दोनों को ही किसी बिन्दू पर करना एकाकार हमेंश् के माध्यम से विचारों की एकता का सन्देश दिया। वहीं वरिष्ठ कवि विजय नारायण रावत ने भी सच्चाई को बया करते हुए कहा कि श्सच कहना अगर गुनाह है मैं गुनाहगार हूं, कवि हूं शायर हूं सच कहने वाला खाकसार हूं ।श् इस दौरान बुन्देली कवि एम.एल.भटनागर ने अनेक रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को रसरक्त किया। उनके द्वारा प्रस्तुत श्गेंवरे कोयल कूक लगावे, मोए मन नेक न भावेश् रचना विशेष रूप से सराही गई। इसके पश्चात वरिष्ठ कवि शिखर चन्द्र मुफलिस द्वारा प्रस्तुत चौके-छक्के कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाते रहे। उन्होंने समसामयिक चौके में कहा श्कांग्रेस वट वृक्ष है या पीपल का पेड़, बूढे़ नर नारी जहां लटके कई अधेड़, लटके कई अधेड़ हमारा जिला ललितपुर खैरा और बुन्देला खुलकर बोले बेसुर।श् कार्यक्रम का संचालन कर रहे डा. गुलाब चन्द्र साहू सारग ने अपनी रचना के द्वारा नेता व जनता के सम्बन्ध में बेबाक टिप्पणी करते हुए कहा श्रक्षक भक्षक हो गए कर चोरों से प्रेम, बेबस जनता लुट रही नेता खेलें गेमश्।
इस अवसर पर यह भी जानकारी दी गई कि बुन्देली काव्य कलस प्रकाशित होने वाली —ति में जिले की बुन्देली व खड़ी बोली के कवियों की रचनाओं का चयन किया जाएगा। रचनाएं प्रकाशन के लिए समिति के पास 15 अक्टूबर तक प्राप्त हो जाना चाहिए। इस मौके पर सम्पादक मण्डल का गठन भी किया गया। इसमें कन्हैयालाल शास्त्री, लाल चन्द्र सलज, ड‚. हुकुम चन्द्र पवैया आदि के अलावा अन्य लोगों को सम्मिलित किया गया। प्रारम्भ में सरस्वती वन्दना तथा ईश वन्दना, बाल कवि अर्पित जैन व पूनम जैन द्वारा प्रस्तुत की गई। इस मौके पर शील चन्द्र मोदी, रूप सिंह ठाकुर, सुदेश सोनी, महेश नामदेव, गोकुल चन्द्र सरोज, अशोक क्रान्तिकारी, रमेश पाठक, राम—ष्ण कुशवाहा, वीरेन्द्र विद्रोही, अम्ब्रीस जैन आदि उपस्थित थे।किन्नरों को महिला आरक्षण का लाभ नहीं
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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