Archive | झांसी

चिमनी गिरने के मामले में उर्जा मन्त्री व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमें के लिए कोर्ट की शरण

Posted on 04 June 2010 by admin

विगत रोज पारीछा थर्मल पावर प्लांट में चिमनी गिरने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी तथा शासन को करोडों रूपयें की हानि हुई थी। इस प्रकरण में उ,प्र, कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव भानु सहाय ने प्रदेश के उर्जा मन्त्री समेत अन्य विद्युत अधिकारियों के विरूद्व कार्यवाही किए जाने की मांग को लेकर न्यायालय की शरण ली है।
कांग्रेसी नेता भानु सहाय ने जुडिशियल मजिस्ट़ेट कक्ष संख्या-12 के न्यायालय में धारा 156 - 3 के तहत दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि चिमनी गिरने के बाद शासन की ओर से मात्र निर्माण कम्पनी के विरूद्व एफ,आई,आर दर्ज कराई गई है। जबकि प्रदेश के उर्जा मन्त्री समेत अन्य विद्युत अधिकारियों के विरूद्व कोई कार्यवाही नही की गई। प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि चिमनी गिरने से शासन को न केवल करोडों रूपयें की हानि हुई, बल्कि उक्त विद्युत परियोजना कई वर्ष पीछे अधर में लटक गई है। प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि वादी ने प्रदेश के उर्जा मन्त्री समेत अन्य के विरूद्व कार्यवाही के सम्बन्ध में झांसी के एसएसपी को प्रार्थना पत्र दिया था, किन्तु कोई कार्यवाही नही की गई। इस पर वादी ने न्यायालय की शरण ली। प्रार्थना पत्र में उसने प्रदेश के उर्जा मन्त्री रामवीर उपाध्याय समेत अधिशाशी अभियन्ता जीपी श्रीवास्तव, सहायक अभियन्ता ओमप्रकाश भाटिया, हेमचन्द्र जैन, अवर अभियन्ता भीमसेन शुक्ल , आर,एस, गुप्ता व आरपी चौपडा के विरूद्व धारा 304ए,227,337,336 ता,हि, व धारा-7 प्रेवेन्शन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 धारा-3, प्रेवेन्शन ऑफ डेमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट के तहत एफआईआर कराए जाने की मांग की है। न्यायालय ने वादी के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद पुन: सुनवाई के लिए 8जून की तिथि नियत की है।

Vikas Sharma
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कलैक्टेट में आत्मदाह का प्रयास

Posted on 04 June 2010 by admin

मकान मालिक के उत्पीड़न से त्रस्त होकर एक व्यक्ति ने आज अपने परिजनों समेत कलैक्टेट में पहुंच कर आत्मदाह करने का प्रयास किया। किन्तु ऐन वक्त पर मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे दबोच लिया तथा उसके  आत्मदाह के प्रयास को विफल कर दिया। बताते है कि सदर थाना क्षेत्र के ग्राम सिमराहा निवासी महेन्द्र कोरी का अपने मकान मालिक से  किसी बात को लेकर विवाद हो गया। आरोप लगाया गया है कि इस पर मकान मालिक ने उसके घर में घुसकर सामान की तोड़-फोड़ कर दी, तथा उसका सामान घर के बाहर फेंक दिया। इससे क्षुब्ध होकर महेन्द्र अपनी पत्नी विद्या व बच्चों के संग कलैक्ट़ेट पहुंचा और अपने उपर मिटटी का तेल छिडक कर आत्मदाह करने का प्रयास किया। सूचना पाकर में मौके पर पुलिस पहुंची और उसे दबोच कर उसके प्रयास को विफल कर दिया।

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मायाबती के राज में झाँसी की कानून व्यवस्ता चोपट: पीडब्ल्यूडी इंजीनियर की हत्या

Posted on 01 June 2010 by admin

मायाबती जहा प्रदेश में कानून व्यवस्ता को सुधरने में और जनता को भय मुक्त शासन का भरोसा दिलाने की कोशिस कर रही है वही झाँसी में कानून व्यवस्ता चोपट होती नजर आरही है सोमबार की रात लगभग १०:३० बजे    मेडिकल कॉलेज के पास रहने वाले लखनऊ में तैनात  एक पीडब्ल्यूडी इंजीनियर की रंजिश के चलते आज रात कुछ लोगों ने चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी।

नवाबाद थाना क्षेत्र स्थित ग्राम कोछाभांवर निवासी गोविन्द सिंह यादव पुत्र रामसेवक मेडिकल कॉलेज के पास अपना घर बनाकर रहने लगा था। कृष्णा भवन के नाम से बने इस मकान के निचले हिस्से में किराएदार रहते है और ऊपरी हिस्से में गोविन्द का परिवार। बताया गया कि गोविन्द का बड़ागाँव थाना क्षेत्र के ग्राम डिमरौनी में एक क्रशर है। उसके पास ही शिवाजी नगर में रहने वाले एक यादव परिवार का भी क्रशर है। प्रतिस्पर्धा के चलते दोनों क्रशर संचालकों में आए दिन विवाद होता था और मामला पुलिस तक भी पहुँच जाता था। पिछले दिनों भी झगड़ा हुआ था और मामला थाने पहुँचा तो दोनों पक्षों में पंचायत के बाद राजीनामा करा दिया गया। आज रात लगभग पौने ग्यारह बजे गोविन्द व उसका परिवार घर में था। बिजली आ नहीं रही थी। इसी दौरान किसी ने घर के दरवाजे खटखटाए। गोविन्द के पुत्र शशांक ने आकर दरवाजे खोले तो सामने कुछ लोग हाथों में धारदार हथियार लेकर खड़े थे। शशांक ने उनके बारे में पूछा तो हथियार बन्द लोगों ने उसका मुंह दबा दिया और एक बाथरूम में उसे बन्द कर दिया। इसके बाद सभी मकान के ऊपरी हिस्से में चले गए और गोविन्द को पकड़ कर उस पर लगातार चाकु व अन्य धारदार हथियार के कई वार किए। इससे लहूलुहान होकर वह गिर पड़ा और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। घटना की सूचना लगते ही एसपी सिटी जगदीश सिंह, सीओ सिटी दिनेश सिंह, नवाबाद व कोतवाली पुलिस मौके पर पहुँच गई। देर रात तक हत्यारों की तलाश की गई, मगर सफलता नहीं मिली। पुलिस न शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

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मॉडल प्रकाशक व लेखक पर मुकदमा चलाए जाने की मांग

Posted on 29 March 2010 by admin

झांसी - बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के इतिहास विषय के एक प्रश्न.पत्र पुस्तिका में पूछे गए प्रश्न के अन्तर्गत अमर शहीद वीरांगना झलकारी बाई को एक नर्तकी की श्रेणी में रखे जाने की चौतरफा निन्दा की गई। मॉडल प्रकाशक व लेखक पर मुकदमा चलाए जाने की मांग की गई।

केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमन्त्री प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि देश के अमर शहीदों का सम्मान सर्वोपरि है। महान शहीदों का अपमान राष्ट्र का अपमान है, जिसे हरगि़ज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजों की फौज के खिलाफ वीरांगना लक्ष्मीबाई के साथ कन्धे से कन्धे मिलाकर लोहा लेने वाली वीरांगना झलकारी बाई को नर्तकी की श्रेणी में रखे जाने को राष्ट्र का अपमान बताते हुए मॉडल प्रकाशक व लेखक के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि वीरांगना झलकारी बाई की प्रतिमा को लोकसभा में स्थापित किए जाने की उन्होंने मांग की थी, जिसे मन्जूरी मिल गई है। निकट भविष्य में उनकी प्रतिमा लोकसभा में स्थापित की जाएगी।


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इण्डो-सिंगापुर सैनिको का सयुक्त युद्ध अभ्यास

Posted on 27 March 2010 by admin

झांसी - झांसी  के बबीना कैंट में इन दिनों सिंगापुर के सैनिक प्रशिक्षण ले रहे है। बबीना कैंट के फायरिंग रैंज में ये बिशेश प्रशिक्षण 1 मार्च से चल रहा है। सिंगापुर के सैनिक भारतीय सैनिको से युद्ध अभ्यास की तकनिकी सीख रहे है। कई चरणों में चलने वाले इस प्रशिक्षण में 6 सौ से अधिक सिंगापुर के जवानों और अधिकारियों ने भाग लिया है। 27 मार्च को दोनो देशों की सेनाऐं सयुक्त युद्ध अभ्यास करेगी। इस सयुक्त युद्धाभ्यास को बोल्ड कुरूक्षेत्र का नाम दिया गया है।

singapur2jpg01 मार्च से चल रहे इस प्रशिक्षण में सिंगापुर के सैनिकों को युद्ध कौशल और दुश्मनो पर हमला करने की तकनीकी भारतीय  सेनिक और अधिकारी सिखा रहे है। ये प्रशिक्षण में भारतीय सेना के  ज् .27 टैंक और सिंगापुर के वायोनेक्स टैंक का प्रर्दशन किया जा रहा है। सयुक्त युद्धाभ्यास के दिन सिंगापुर के रक्षा राज्यमन्त्री, उच्चायुक्त और सिंगापुर की पार्लियामैंट के कई सदस्य मौजूद रहेगे। भारतीय सेना के उच्च अधिकारी और जवान भी इस सयुक्त युद्धाभ्यास के अवसर पर मौजूद रहेगे।


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पानी रे पानी तेरा रंग कैसा तुझे पाने कितना खर्च करना होगा पैसा

Posted on 19 March 2010 by admin

ललितपुर - जिले की अभी भी सैकड़ों एकड़ भूमि असिंचित है,सात बांधों के निर्माण के पश्चात भी जमीन की प्यास बाकी रह गई। शासन द्वारा पांच बाधों का निर्माण कराने की दिशा में प्रक्रिया चल रही है। इसके बावजूद कई एकड़ भूमि फिर भी प्यासी बनी रहेगी। जिले में कितने बाध बनेंगे इसका अन्दाजा लगा पाना अभी मुश्किल होगा। एक तरफ जहां आजादी के दौरन  चिन्हित किये गये स्थानों पर तो बांध नहीं बनाये गये, वहीं नये स्तर से कई बांधों के भराव क्षेत्र में ही बाध बनाना शुरू कर दिये गये है। कुछ बाध ऐसे भी है जो उत्तर प्रदेश के लिए कम मध्यप्रदेश के लिए ज्यादा मुफीद साबित होंगे। जिले में बांधों को लेकर किसान तबके में चर्चा गरमायी हुई है।

अपेक्षित राजनैतिक पैरवी के अभाव में जनपदवासी आज तक राजघाट बाध से उत्पादित बिजली का उपभोग नहीं कर पा रहे है। बिजली मध्यप्रदेश ले रहा है। पानी के लिए भी उत्तर प्रदेश के किसान तरसते रहते है, जहां पिछले वर्ष मध्यप्रदेश के किसानों को पानी आसानी से मिल गया था वहीं इस क्षेत्र के लोगों को पुन: आन्दोलन करने के पश्चात कुछ भी हासिल नही हुआ था। इसी तरह अन्य बांधों से भी टेल तक पानी नहीं मिल पाता है।

विभागीय आकड़े भले ही कुछ भी पुष्टि करते हो लेकिन हकीकत कागजी कार्यवाही से जुदा होती है। किसी भी राजनेता ने कागजी व हकीकत की कार्यवाही को मिलान करवाने की जहमत नहीं उठायी। यही वजह है कि एक पर एक क्षेत्र के साथ नाइसाफी हो रही है। चर्चा पांच बाधों के निर्माण को लेकर है। सरकार द्वारा अकेली तहसील महरौनी में ही पांच बांध बनाने का प्रस्ताव दिया गया है।

उन्होंने जिलाधिकारी पंचायत के पदाधिकारी खासतौर से किसानों के साथ हो ही ज्यादती पर मोर्चा सम्भाले हुए है। उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर जनपदवासियों के हित को प्राथमिकता देने की मांग उठायी। बताया गया कि भोंरट बाध, कचनोन्दा, उटारी, क्योलारी, लोअर रोहिणी पांच बांध बनाये जाने है। इनके डूब क्षेत्र में आने वाले किसानों का शोशण हो रहा है।

जनपद में पानी उपलब्ध कराने की योजनाओं में ईमानदारी के अभाव से ज्यों -ज्यों दवा दी गई मर्ज बढ़ता गया। अब भी सारा दारोमदार वर्षा जल पर आश्रित है। गर्मी शुरू होते ही यहा पेयजल की मारा मारी शुरू हो गई है। गांव देहता तो दूर मुख्यालय में भी हाहाकार है। कारण यह है कि किसी जन प्रतिनिधि ने इस दिशा में ठोस व कारगर प्रयास की भी जरूरत नहीं समझी। सारी जन सेवा चहेतों के घर के पास है येाजना हैण्डपम्प लगवाने तक सीमित रह गई।

बीते साल जनपद के लिये भारी जलसंकट के रहे। हालत यह थी कि मुख्याल सहित विभिन्न स्थानां की जलापूर्ति टैंकरों द्वारा करनी पड़ी। शासन व प्रशासन की सक्रियता से प्यास से मौते तो नहीं हुई पर बाकी सारी दुर्दशा हुई। बावजूद इसके जन प्रतिनिधियों ने जनजीवन से जुड़ी इस अहम समस्या को खास जरजीह नहीं दी। उनकी सारी जनसेवा अपने चहेतों के घर के पास हैन्डपम्प लगवाने तक सिमट कर रह गई। निधि में कमीशन के खेल के चलते इसमें भी भारी कंजूसी हुई। सीसी सड़क व अन्य निर्माण की तुलना में पानी के मद में एक चौथाई पैसा भी जनप्रतिनिधि नहीं दे सके। जल प्रबंधन से जुड़े विभागीय अधिकारी भी स्थायी विकास की जगह कमाई की योजनायें बनाने को ज्यादा तहरीर देते है। 27 करोड़ की महोबा पुनर्गठित पेयजल योजना इसका नमूना है। इस बांध के पहले ही नदी के मध्यप्रदेश क्षेत्र में एक दर्जन से ज्यादा बड़े चेकडेम बन चुके है इससे पर्याप्त वर्षा होने पर ही यहांपानी आयेगा। गत वर्ष सूखे के दौरान सभी ने स्वीकार किया था कि उर्मिल बांध का विकल्प मान इसकी बड़ी योजना का कोई औचित्य तर्क दे इसे भविश्य में केन बेतवा गठजोड़ व  के लिये लाभ दायक साबित हो सकता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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जमींदोज होती पुरातात्विक धरोहर

Posted on 18 March 2010 by admin

ललितपुरं जनपद वैविध्यपूर्ण सांस्कृतिक स्थलों, विशिष्ट पुरातात्विक धरोहरों की नगरी होने के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार के  पुरातत्व विभाग के अड़ियाल और उदासीन रूख के कारण अपनी विरासत को जमीदोज होते देख रहा है। सतयुग से लेकर कलयुग तक के इतिहास का साक्षी दुघई ललितपुर मुख्यालय से 35 किमी. की दूरी पर घनघोर जंगल में अपने अतीत का गौरव गान करा रहा है।

दसवीं शताब्दी में दुधी (दुधई) नगर की स्थापना कृष्णय ने की थी। धंगदेव के राज्यकालीन शिलालेख के अनुसार ब्रह्या, विष्णु और महादेव के मिन्दर मुख्य मण्डप के अन्त:भाग में निर्मित किये गये थे। राज्य की मुख्य राजनीतिक और धार्मिक गतिविधियों के केन्द्र दुघई के सन्दर्भ में अरब के विद्वान अलबिरूनी ने अपने ग्रन्थ में ग्यारहवी शताब्दी के महत्वपूर्ण एवं समृद्धशाली नगर के रूप में इसका उल्लेख किया है। किसी समय कला और सौन्दर्य के पुजारी ब्रह्या, विष्ण, महादेव मिन्दरों के पाषाण खण्डों पर मोम की तरह छैनी-हथौड़ों के माध्यम से लिखी गई पत्थर पर शिल्प की कविता को देखकर हतप्रभ रह जाते थे किन्तु विभागीय लापरवाही के कारण इन मिन्दरों के स्विर्णम सौन्दर्भ को अब काल रूपी ग्रहण ने ग्रस लिया है।

मंदिरो के आसपास इमारती पत्थरों की खदान होने से स्थानीय लोगों के मन में यह भ्रान्ति भर गई है कि प्राचीन अवशेषों के नीचे भारी खजाना छिपा है। इस खजाने की प्राप्ति के लिए आये दिन स्थानीय लोगों के साथ मूर्ति तस्कर इस ऐतिहासिक धरोहर के भाग्य का सूर्य समय से पूर्व अस्त करने में जुट गये है। पुरातत्व विभाग ने इन्हें बचाने का प्रयास करने की बजाय अपना नीला बोर्ड लगाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है। दुधई 15वीं शताब्दी तक अपने गौरवशाली अतीत की हिफाजत करती रही। बुन्देला शासक राम चन्द्र के समय दुधई महाल में 3,652 बीघा खेती थी तथा लगान की राशि 2,06,000 दाम थी। राजपूत और गोण्ड जाति के लोगों की आबादी वाले इस महल में 700 सैनिक थे। सत्ररहवीं शताब्दी में बुन्देलाओं के आपसी युद्धों के चलते दुधई महाल के पतन की गाथा शुरू हो गई और धीमे-धीमे दुधई एक छोटे से गांव के रूप में परिवर्तित हो गई। प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सेण्ड स्टोन पर गुप्तकालीन और चन्देलकालीन स्थापत्य कला की परम्परा को यहां के पत्थरों पर उकेरा गया है। मिन्दर और महल के द्वार पर छोटी-छोटी जालियों पर की गई नक्काशी देखती ही बनती है। 1975 में गणेश की विशालकाय प्रतिमा चोरी हो गई थी। रास्ते में पकड़े जाने बाद पुलिस विभाग द्वारा जनपद मुख्यालय पर स्थित पुरानी कोतवाली में इस मूर्ति को स्थापित करा दिया गया था। इा मिूर्त की आभा देखती ही बनती है दुघई का मुख्य मिन्दर, चारों किनारों की छोटी-छोटी गठिया, मण्डप, अर्धमण्डप व प्रशिक्षण पथ और अनगिनत पाषाण प्रतिमाओं को देखकर कविवर हरिजी की पंक्तियां याद आ जाती हैं-

किस सुर शिल्पी ने अपना शिल्प दिखाया, किस पुण्यवान ने पत्थर मोम बनाया।

जिसने भी देखा मन में संशय आया,               यह नर रचना है या सुरों की माया

दुघई में वास्तव में गुप्तकाल एवं उसके परवर्ती गुर्जर, प्रतिहार, चन्देलकालीन शिप्ल सौन्दर्य का अदृभुत संगम है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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बच्चों का निबाला छीनने वाले प्रधानों पर प्रशासन का शिकंजा

Posted on 17 March 2010 by admin

ललितपुर - बच्चों के पेट का निबाला छीनने वाले नौ ग्राम पंचायत के प्रधानों पर प्रशासन का शिकंजा कसता जा रहा है। नौ में से एक ग्राम पंचायत पर एफआईआर दर्ज करवाकर प्रशासन ने जता दिया कि शासन की योजना से खिलवाड़ करना अब आसान नहीं होगा। इस कार्यवाही के बाद अब शे आठ ग्राम पंचायतों पर कार्यवाही होना शे है।

जिलाधिकारी के तेवरों को देखते हुये लग रहा है कि उन पर भी जल्द ही गाज गिरने वाली है। एफआईआर के डर से कुछ प्रधान तो अपने आकाओं की शरण में पहुंच गये तो कुछ लखनऊ जाकर साठगाठ बिठाने में मशगूल हो गये, लेकिन इस बार लगता नहीं कि वे कार्यवाही से बच पायेंगे। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इस माह के अन्त तक सभी दोशी ग्राम प्रधानों पर एफआईआर की कर्यवाही हो जायेगी।

उल्लेखनीय है कि परिदीय विद्यालयों के बच्चों को कुपोण और उनका विद्यालय में अधिक से अधिक ठहराव हो, इसलिये सरकार द्वारा मध्यान्ह भोजन योजना लागू की गई । योजना का लाभ बच्चों को अपने कब्जे में कर लिया। बच्चों के हिस्से का निबाला छीनकर खाने वाले ग्राम प्रधानों की करतूतों की जानकारी जब जिलाधिकारी रणवीर प्रसाद को हुई तो उन्होनें इस मामले को गम्भीरता से लिया और ऐसी ग्राम पंचायतों की सूची मागी, जहा पर मध्यान्ह भोजन योजना में भारी गड़बड़ी हुई। शिक्षा विभाग द्वारा ऐसी नौ ग्राम पंचायतों की सूची जिलाधिकारी को उपलब्ध करा दी, जिन पर मध्यान्ह भोजन योजना का लाखों रूपया बकाया था। जिलाधिकारी ने इस मामले को जिला पंचायत राज अधिकारी को सौपते हुये जांच के पश्चात दोषी ग्राम प्रधानों के खिलाफ कठोर कार्यवाही के निर्देश दिये।

जिलाधिकारी से निर्देश मिलने के लगभग एक पखवाड़े तक जिला पंचायत राज अधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एक - दूसरे को जानकारियों का आदान-प्रदान किया गया। इस बीच कुछ क्षण ऐसे भी आये जब दोनों अधिकारियों के बीच आपसी सामंजस्य नहीं बैठा, लेकिन तमाम जांच करने के बाद जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा मड़ावरा ब्लाक की कारीटोरन ग्राम पंचायत की महिला प्रधान को मध्यान्ह भोजन योजना में दोषी ठहराया और पुलिस थाने में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। इस पंचायत के 2 विद्यालयों पर 1 लाख 6 हजार 162 रूपया बकाया होने के बावजूद मध्यान्ह भोजन नहीं बनाया जा रहा था। प्रधान के खिलाफ हुई इस कार्यवाही से हड़कम्प मच गया है। इससे एक ओर जहां अनेक विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन की स्थिति में मामूली सुधार आया है, वहीं अन्य दोशी ग्राम प्रधान अपने आकाओं से नजदीकिया बढ़ाने में जुट ये है। देखना दिलचस्प होगा कि शे आठ ग्राम प्रधानों के खिलाफ क्या कार्यवाही होती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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इच्छाधारी सन्त उर्फ शिवा का इतिहास खंगालने आई दिल्ली पुलिस टीम

Posted on 05 March 2010 by admin

मानिकपुर(चित्रकूट) -  साधु वेष में सेक्स स्कैण्डल चला  कर रुपये बटोरने वाले इच्छाधारी उर्फ भीमानन्द उर्फ शिवमूरत द्विवेदी उर्फ शिवा की गिरफ्तारी के बाद उसका आपराधिक इतिहास खंगालने में दिल्ली पुलिस जीजान से जुटी हुई है। इसी के तहत बुधवार को दिल्ली के साकेत थाने के इंस्पेक्टर के नेतृत्व में आए पांच सदस्यीय दल ने मानिकपुर थाने में साधू व उसके पारिवारिकों का आपराधिक इतिहास खंगाला। साथ ही चमरौहां गांव पहुंच वहां बन रहे गगनचुंबी  साईं मन्दिर व दूसरे मन्दिरों के अलावा उसकी जमीन जायदाद की  भी जानकारी उसके पारिवारिक लोगों व ग्रामीणों से विस्तार पूर्वक ली।3ckt8

गौर तलब है कि बीते दिनों दिल्ली में चित्रकूट जनपद का रहने वाला साधु वेष की आड़ में सेक्स स्कैण्डल चलाने वाले इच्छाधारी उर्फ भीमानन्द उर्फ शिवा अपने एक मन्दिर से सेक्स स्कैण्डल सरगना के रूप में गिरफ्तार हुआ था। इस दौरान कई एयर होस्टेस और स्कूली छात्राएं भी उसके साथ पुलिस की गिरफ्त में आई थीं। दिल्ली पुलिस के खुलासे के बाद जब इच्छाधारी सन्त भीमानन्द के इस आचरण की जहां साधुसन्त व उसके गांव के लोग भी निन्दा करने लगे थे। वहीं मामले के तार काफी लंबे व चित्रकूट से जुड़े होने पर जांच के लिए दिल्ली के साकेत थाने की पुलिस बुधवार को रीवांचल एक्सप्रेस से मानिकपुर स्टेशन पहुंची। टीम के इंचार्ज इंस्पेक्टर धर्मदेव ने अपने अधीनस्थों के साथ मानिकपुर थाने पहुंच इच्छाधारी उर्फ शिवा द्विवेदी का आपाराधिक इतिहास खंगलाना शुरू किया। जिसमें शिवा के ऊपर एक सौ सात/सोलह का एक मुकदमा दर्ज मिला। वही उसके पिता बच्चा द्विवेदी के खिलाफ दस्यु संरक्षण अधिनियम 216 का मामला दर्ज पाया गया। पिता बच्चा को काफी समय पूर्व दस्यु ददुआ को संरक्षण देने के आरोप में जेल भेजा गया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस की टीम मानिकपुर थाने से पुलिस बल ले चमरौहां गांव पहुंची जहां टीम के साथ आए सब इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार, हेड कांस्टेबिल कुलदीप, कांस्टेबिल सुरेन्दर व सोदान ने टीम लीडर धर्मदेव के साथ मिल गांव में बन रहे गगनचुंबी साईं मन्दिर समेत दूसरे अर्धनिर्मित मन्दिरों में पहुंचे जहां सन्नाटा पसरा हुआ था। इस दौरान पुलिस की टीम ने मन्दिर परिसर की फोटो व वीडीयो ग्राफी भी करवाई। इसके बाद वे लोग इच्छाधारी उर्फ शिवा के घर पहुंचे जहां पिता बच्चा द्विवेदी ने बताया कि साईंधाम में बन रहे मन्दिर व प्रस्तावित कार्य उनकी पुश्तैनी जमीन में बनाए जा रहे हैं। वहीं पुत्रा शिवा की जमीन के विषय मे कहा कि उसके नाम से यहां पर कोई जमीन नहीं है। जबकि परिवार के विषय में बताया कि बड़ा पुत्र राममूरत मध्यप्रदेश के सतना जिले में प्राइवेट चिकित्सालय चला रहा है। उससे छोटा कृष्णमूरत गांव में ही किराने की दुकान चला रहा है। तीसरे नंबर का शिवमूरत उर्फ शिवा इस समय इच्छाधारी के नाम से विख्यात है। वहीं सबसे छोटा लड़का संजय घर में रहता है। 3ckt10पिता बच्चा ने  तीन पुत्रियां होने की भी जानकारी टीम को दी। टीम के लोगों ने इच्छाधारी उर्फ शिवा के पिता से कड़ाई से पूछताछ करते हुए अन्य दूसरी अघोषित संपति के बारे में जानकारी ली। लेकिन उसके द्वारा पारिवारिक जमीन की रजिस्ट्री व किसान बही आदि भी दिखा पुश्तैनी जमीन होने की बात कहते हुए बताया कि अभी तक उन्होंने पारिवारिक बटवारा भी नहीं किया है। इसके बाद टीम ने शिवा के बारे में ग्रामीणों से भी पूछताछ की। जिसमें ग्रामीणों ने बताया कि बीते साल अक्टूबर माह में आयोजित पांच दिवसीय वृहद भण्डारे के दौरान शिवा ने जमकर काफी धन खर्च किया था। इस समारोह में दिल्ली, मुम्बई से कई कलाकार भी आए थे। जिनमें दर्जनों लड़कियां भी शामिल थीं।

शस्त्र निरस्ती करण की प्रक्रिया भी पुलिस ने शुरू की

इच्छाधारी सन्त उर्फ भीमानन्द उर्फ शिवमूरत की गिरफ्तारी के बाद उसके द्वारा तथ्यों को छुपाकर बनवाए गए शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त करने के लिए पुलिस ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है।

पुलिस अधीक्षक वीर बहादुर सिंह ने बताया कि मानिकपुर थाना के चमरौहां गांव निवासी भीमानन्द उर्फ शिवमूरत उर्फ शिवा ने तथ्यों को छिपाकर बीते अक्टूबर 09 में रायफल का शस्त्र लाइसेंस हासिल किया था। दिल्ली पुलिस द्वारा सेक्स स्कैण्डल के आरोप में उसको गिरफ्तार करने के बाद उन्होंने लाइसेंस की जांच करने के आदेश पुलिस को दिए थे। जांच के दौरान पता चला कि लाइसेंस बनवाने के लिए शिवा ने फर्जी कागजात लगाए थे। उन्होंने कहा कि इसके आधार पर शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। और रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी गई है।

श्री गोपाल

09839075109

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जन भागीदारी से कोशो दूर झांसी महोत्सव

Posted on 03 February 2010 by admin

झांसी - झांसी महोत्सव  को इस बार देख कर लगता है की “झांसी महोत्सव  समिति “के सदस्य नाम के ही है वरना इस महोत्सव को सुन्दर ढण्ड से किया जा सकता था सूत्रों की  माने तो जो चन्दा महोत्सव के लिए हुआ है उस की फिगर में कई शून्य(0) है। मगर जिलाधिकारी  राजशेखर ने बताया की  झांसी महोत्सव में जनता की भागीदारी के लिए सभी प्रयास किए जा रहे है। बताया कि प्रदेश शासन के संस्कृति मन्त्रालय से 3 लाख तथा भारत सरकार के वस्त्र मन्त्रालय से 13 लाख रुपए आवंटित हुए है। महोत्सव के खर्च के लिए यह धनराशि कम है। इसीलिए विभिन्न कम्पनियांए बैंक व दूसरे निजी संस्थान कार्यक्रमों के प्रायोजक बनाए गये है। साथ ही शिल्प मेले में दुकानों से भी होने वाली आय से कुछ सहयोग मिल रहा है। महोत्सव के लिए धनराशि की कमी नहीं है। हालांकि महोत्सव के कुल खर्च को लेकर स्थिति महोत्सव के बाद ही सामने आ पाएगी। महोत्सव को गरिमामय बनाने के लिए देश के ख्यातिनाम कलाकारों को बुलाया गया है।dmjhansi

जिलाधिकारी ने कहा कि झांसी की पहचान रानी झांसी के साथ हाकी के जादूगर ध्यानचन्द से भी है। यहां लोगों में वीरता के साथ हाकी को लेकर भी जुनून है। इसीलिए पहली बार अखिल भारतीय महिला हाकी प्रतियोगिता होने जा रही है। प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों की आठ टीमें हिस्सा ले रही है। प्रतियोगिता लीग कम नॉक आउट के आधार पर खेली जाएगी। इसका उद्घाटन 3 फरवरी को अपराह्न 3 बजे प्रदेश सरकार के अम्बेडकर ग्राम राज्यमन्त्री रतन लाल अहिरवार करेगे, जबकि समापन पर 8 फरवरी को केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमन्त्री प्रदीप जैन आदित्य पुरस्कार वितरण करेगे। विजेता टीम को 20 हजार रुपए नकद दिए जाएंगे। हाकी प्रतियोगिता का प्रायोजक कालेज ऑफ साइन्स एण्ड इंजीनियरिंग है।
जिलाधिकारी ने कहा कि झांसी महोत्सव में 9 फरवरी तक प्रतिदिन मुक्ताकाशी मंच के साथ दीनदयाल सभागारए मेला ग्राउण्ड व बुन्देली मंच पर कार्यक्रम चलेंगे। मुक्ताकाशी मंच पर होने वाली सांस्कृतिक संध्या में प्रतिदिन अलग-अलग अतिथियों को आमन्त्रित किया गया है।


Vikas Sharma
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