Archive | June 23rd, 2014

संयुक्त राष्ट्र संघ का भारत में पहला ‘आफिसियल एन.जी.ओ.’ बना सी.एम.एस. विश्व एकता का अग्रदूत बना सी.एम.एस.

Posted on 23 June 2014 by admin

सिटी मोन्टेसरी स्कूल ने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ‘आॅफिसियल एन.जी.ओ.’ का दर्जा हासिल कर एक बार फिर विश्व पटल पर अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है। सी.एम.एस. देश का पहला ऐसा विद्यालय है जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘आॅफिसियल एन.जी.ओ.’ घोषित किया है। अब सी.एम.एस. संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न कार्यक्रमों, सम्मेलनों आदि  में प्रतिभाग करेगा एवं विश्व के दो अरब से अधिक बच्चों के सुरक्षित भविष्य हेतु विश्व एकता व विश्व शान्ति के विचारों को और अधिक प्रभावी तरीके से विश्व के समक्ष रखने में कामयाब होगा। उक्त जानकारी आज यहाँ आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने दी। इस अवसर पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डा. गाँधी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सी.एम.एस. को ‘आॅफिसियल एन.जी.ओ.’ घोषित किया जाना विद्यालय के सामाजिक जागरूकता के प्रयासों का प्रमाण है, जिसका सम्पूर्ण श्रेय सी.एम.एस. के 50,000 छात्रों, 3000 शिक्षकों व कार्यकार्यताओं को जाता है जिनके अथक प्रयासों की बदौलत यह उपलब्धि सी.एम.एस. को प्राप्त हुई है। डा. गाँधी ने आगे कहा कि यह सारे देश के लिए एवं खासकर लखनऊ के लिए एक अभूतपूर्व अवसर है कि लखनऊ के किसी विद्यालय ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर विश्व पटल पर लखनऊ का नाम रोशन किया है।
प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों से बातचीत करते हुए डा. गाँधी ने कहा कि महात्मा गाँधी व विनोबा भावे के आदर्शों पर चलते हुए विगत 55 वर्षों से सी.एम.एस. लगातार विश्व के दो अरब से अधिक बच्चों के सुरक्षित भविष्य हेतु विश्व एकता व विश्व शान्ति का बिगुल बजा रहा है परन्तु यू.एन.ओ. के आॅफिसियल एन.जी.ओ. का दर्जा मिलने के बाद विश्व पटल पर इसकी प्रतिध्वनि और जोरदार ढंग से सुनाई देगी एवं ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना चहुँओर प्रचारित-प्रसारित होगी। डा. गाँधी ने बताया कि विश्व एकता व विश्व शान्ति के प्रयासों के तहत ही सी.एम.एस. विगत 14 वर्षों से लगातार प्रतिवर्ष ‘मुख्य न्यायाधीशों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ आयोजित करता है जिसमें अभी तक दुनिया के दो-तिहाई से अधिक देशों की भागीदारी हो चुकी है। इसके अलावा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले 30 अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक समारोह के माध्यम से भी सी.एम.एस. विश्व के बच्चों को एक मंच पर एकत्रित होकर एकता व शान्ति का संदेश देता है। इसके अलावा विभिन्न सामाजिक जागरूकता के कार्यक्रमों जैसे पर्यावरण, बालिकाओं की शिक्षा, किशोरों व युवाओं के चारित्रिक उत्थान आदि अनेकानेक ज्वलन्त मुद्दों पर पुरजोर ढंग से अपनी आवाज उठाता रहा है।
डा. गाँधी ने जोर देते हुए कहा कि सी.एम.एस. की सम्पूर्ण शिक्षा पद्धति का मूल यही है कि भावी पीढ़ी को सम्पूर्ण मानव जाति की सेवा के लिए तैयार किया जा सके और सी.एम.एस. शिक्षा के माध्यम से दुनियाँ भर की वर्तमान पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करने तथा आगे जन्म लेने वाली पीढि़यों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए प्रयासरत् हंै। डा. गाँधी ने कहा कि सी.एम.एस. छात्रों को न सिर्फ किताबी ज्ञान प्रदान करता है अपितु उनमें जीवन मूल्यों, चारित्रिक गुणों, आध्यात्मिक व नैतिक आदर्शों की ऐसी आधारशिला रखता है जो जीवन पर्यन्त उनका मार्गदर्शन कर उन्हें ‘समाज का प्रकाश‘ बनाती है। यही कारण है कि यह सन् 1959 में पाँच बच्चों से प्रारम्भ सिटी मोन्टेसरी स्कूल आज 50 हजार छात्रों को मानवता का पुजारी बना रहा है जो कि विश्व में एक रिकार्ड है।
प्रेस कान्फ्रेन्स में उपस्थित सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. परिवार के लिये यह एक गर्व का क्षण है जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने सी.एम.एस. को आफिसियल एन.जी.ओ. घोषित किया है। उन्होंने कहा कि अपनी स्थापना के 55 वर्षों में सी.एम.एस. विश्व एकता का अग्रदूत बन चुका है जिसका सम्पूर्ण श्रेय डा. जगदीश गाँधी व डा. (श्रीमती) भारती गाँधी के त्याग, तपस्या व बलिदान को जाता है। डा. गाँधी के ही अथक प्रयासों का प्रतिफल है कि विश्वविख्यात सिटी मोन्टेसरी स्कूल ने गिनीज़ बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया है एवं वर्ष 2002 में सी.एम.एस. को यूनेस्को द्वारा ‘शांति शिक्षा पुरस्कार’ से नवाजा गया है और अब संयुक्त राष्ट्र संघ ने सी.एम.एस. को आफिसियल एन.जी.ओ. घोषित करके विश्व समाज की सेवा हेतु सी.एम.एस. के प्रयासों को और अधिक मान्यता प्रदान कर दी है।
श्री शर्मा ने बताया कि एक आदर्श विश्व व्यवस्था की स्थापना के अतुलनीय प्रयासों हेतु सी.एम.एस. आज  विश्व मानवता का अग्रदूत बन चुका है एवं देश-विदेश में सी.एम.एस. के प्रयासों को सराहा जा रहा है। इन्हीं प्रयासों के तहत सी.एम.एस. को विभिन्न पुरस्कारों से पुरष्कृत कर सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें वर्ष 2002 में यूनेस्को द्वारा शांति शिक्षा पुरस्कार, डेरोजियो अवार्ड, वर्डलाॅन एक्सीलेन्स अवार्ड, आइसलैण्ड, वल्र्ड चिल्ड्रेन्स प्राइज फाॅर द राइट्स आॅफ द चाइल्ड, स्वीडन, लाइफ लिंक कैम्पेन रिकगनीशन, स्वीडन, पीसफुल स्कूल्स इण्टरनेशनल रिकगनीशन, कनाडा, न्यूक्लियर फ्री फ्यूचर अवार्ड-2004, भारत, अशोका चेन्जमेकर्स इनोवेशन अवार्ड, राजीव गाँधी एक्सीलेन्स अवार्ड आदि विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। श्री शर्मा ने कहा कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल की शिक्षा पद्धति का केन्द्र बिन्दु जय जगत’ व ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की विचारधारा है, यही कारण है सर्वधर्म समभाव, विश्व मानवता की सेवा, विश्व बन्धुत्व व विश्व एकता के सद्प्रयास इस विद्यालय को एक अनूठा रंग प्रदान करते हैं जिसकी मिसाल शायद ही विश्व में कहीं और मिल सके।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने सी.पी.एम.टी. पेपर लीक होने के प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए जांच कराने के निर्देश दिए हैं।

Posted on 23 June 2014 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने सी.पी.एम.टी. पेपर लीक होने के प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए जांच कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन को उच्चस्तरीय समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं।
यह जानकारी देते हुए शासन के प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि मुख्यमंत्री ने सी.पी.एम.टी. पेपर लीक होने के प्रकरण को गम्भीरता से लिया है। मुख्यमंत्री ने परीक्षाओं की पवित्रता बनाए रखने के निर्देश देते हुए कहा है कि छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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उत्तर प्रदेष हिन्दी संस्थान-विष्णु प्रभाकर जयन्ती समारोह उदात्तीकरण साहित्य का पर्याय है। -उदय प्रताप सिंह

Posted on 23 June 2014 by admin

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्वावधान में विष्णु प्रभाकर जयन्ती समारोह का आयोजन मा0 श्री उदय प्रताप सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में निराला साहित्य केन्द्र एवं सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में किया गया। दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा एवं विष्णु प्रभाकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि के अनन्तर प्रारम्भ हुई संगोष्ठी में वाणी वन्दना की संगीतमय प्रस्तुति सुश्री पूनम श्रीवास्तव द्वारा की गयी। मंचासीन अतिथियों का उत्तरीय द्वारा स्वागत    डाॅ0 सुधाकर अदीब, निदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।
अभ्यागतों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन करते हुए डाॅ0 सुधाकर अदीब, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने कहा - विष्णु प्रभाकर जी ने अपनी लेखनी से ऐसे साहित्य को रचा जिसने साहित्य जगत को समृद्ध किया। ‘आवारा मसीहा‘, ‘अर्धनारीश्वर‘ आदि जैसे जीवनीपरक उपन्यासों से उन्हें प्रसिद्धि मिली। हिन्दी साहित्य में उपन्यासों की रचना करना एक कठिन साधना है। इसमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस क्षेत्र में खुला आकाश नहीं मिलता। पाठकांे की आलोचनाओं एवं उनकी मनोदशा का ध्यान रखना पड़ता है। यह तो धरती पर रेंगने जैसा कार्य है। उनमें उपन्यासों में देशकाल, पर्यावरण, भौगोलिक परिवेश का प्रभाव भी उनकी रचनाओं में दिखता है। वे साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर थे।
हिन्दी में जीवनीपरक उपन्यास और ‘आवारा मसीहा‘ विषय पर व्याख्यान देतेे हुए अगरतला से पधारे डाॅ0 जयकौषल जी ने कहा - यह जीवनीपरक उपन्यास होते हुए भी एक रोचक उपन्यास है। मेरी राय में यह उपन्यासपरक जीवनी है। ऐसे अन्य उपन्यास भी लिखे गये जिनमें मानस का हंस, खंजन नयन आदि उपन्यास भी जीवनीपरक उपन्यास की श्रेणी में हैं। बांग्ला भाषा में भी जीवनीपरक उपन्यास उपलब्ध हैं। रामविलास शर्मा ने ‘निराला की साहित्य साधना‘ में निराला के जीवन से पर आधारित है। बांग्ला में विष्णु चन्द्र शर्मा की ‘अग्नि सेतु‘ भी जीवनीपरक उपन्यास है। जीवनीपरक उपन्यास जीवनी से अधिक किसी लेखक के जीवन संघर्ष की यात्रा माना जा सकता है। इन उपन्यासों में पक्षतापूर्ण लेखन के आरोप की संभावना रहती है।

हिन्दी में जीवनीपरक उपन्यास और ‘आवारा मसीहा‘ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए नोएडा से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार श्री विभूति नारायण राय जी ने कहा - जीवनी, आत्मकथा व जीवनीपरक उपन्यासों को लिखने की एक लम्बी परम्परा रही है। इन उपन्यासों में नायक की प्रधानता व श्रेष्ठता को दर्शाने की भी परम्परा है। जीवनी लिखते समय हम केवल नायक के जीवन-मृत्यु के वर्णन तक सीमित नहीं रहते हैं बल्कि इसमें सामाजिक परिस्थियों का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं। विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखित ‘आवारा मसीहा‘ की भाँति ही इलाचन्द्र जोशी ने भी शरतचन्द्र के जीवन का भी वैज्ञानिक विश्लेषण किया। राय जी ने कहा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘बाणभट्ट की कथा‘ व ‘कबीर‘ में भी जीवनीपरक उपन्यासों के तत्व मौजूद हैं। जीवनीपरक उपन्यासों पर विचारधाराओं का भी प्रभाव पड़ता है।
अध्यक्षीय सम्बोधन देते हुए संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष, मा0 उदय प्रताप सिंह ने कहा - विष्णु प्रभाकर जी बडे़ संवेदनशील व्यक्ति थे वे गांधी जी की साकार मूर्ति थे। विष्णुप्रभाकर द्वारा लिखित ‘आवारा मसीहा‘ जीवनीपरक उपन्यास शरतचन्द्र के जीवन पर आधारित है। शरतचन्द्र कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे। विष्णुप्रभाकर व शरतचन्द्र के जीवन के प्रारम्भिक दिन एक जैसे थे। इन दोंनो साहित्यकारों ने बिन्दु से सिन्धु तक की यात्रा की। उदात्तीकरण साहित्य का पर्याय है। शरत की कहानियों पर लगभग 50 से अधिक फिल्में बन चुकीं हैं लेकिन ऐसा होता है कि कहानी के लेखक का नाम बहुत छोटे अक्षरों में लिखा जाता है। विष्णुप्रभाकर ने ‘आवारा मसीहा‘ की रचना करके शरतचन्द्र को साहित्य में महत्वपूर्ण सम्मान प्रदान किया। डाॅ0 सुधाकर अदीब द्वारा लिखित ‘शाने तारीख‘ उपन्यास को भी जीवनीपरक उपन्यासों की श्रेणी में रखा जा सकता है। साहित्य का अर्थ ही है सबका हित हो।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 अमिता दुबे, प्रकाशन अधिकारी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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