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कैलाश-मानसरोवर की यात्रा से लौटे प्रदेश के मूल निवासियों को सम्मानित किया

Posted on 09 April 2013 by admin

press-1उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर कैलाश-मानसरोवर की यात्रा से लौटे प्रदेश के मूल निवासियों को सम्मानित किया और उन्हें क्रमशः 25 हजार रुपए का चेक अनुदान के रूप में प्रदान किया। कैलाश-मानसरोवर के यात्रियों को पहली बार दिए गए अनुदान को राज्य सरकार की तरफ से एक छोटा सहयोग बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की पहल से अन्य नागरिकों को इस दुर्गम यात्रा के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने तथा जाने की प्रेरणा मिलेगी।
श्री यादव ने कहा कि डाॅ0 राम मनोहर लोहिया कैलाश-मानसरोवर के महत्व को समझते हुए ही इससे सम्बन्धित प्रकरण को पहली बार संसद में उठाया था। कैलाश-मानसरोवर को एक भव्य धार्मिक स्थल बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति ने यहां पहुंचने के रास्ते को अत्यन्त दुर्गम एवं कठिन बनाया है। उन्होंने कहा कि यात्री यहां अपनी अदम्य इच्छा शक्ति तथा श्रद्धा की भावना से ही पहुंच पाते हंै। उन्होंने कहा कि जो लोग यहां की यात्रा कर आए हैं, वास्तव में वे साहसी एवं प्रकृति प्रेमी हैं।
मुख्यमंत्री ने धर्मार्थ कार्य विभाग के इस कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि कैलाश-मानसरोवर जैसी जगह कदाचित पृथ्वी पर और कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थान की यात्रा के लिए यात्रियों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। उन्हांेने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अनुदान देने से अन्य लोग भी उत्साहित होकर यात्रा के लिए प्रेरित होंगे।
press-3इस मौके पर मानसरोवर निष्काम सेवा समिति के अध्यक्ष श्री उदय कौशिक ने राज्य सरकार के इस निर्णय को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश उन चन्द राज्यों की सूची में शामिल हो गया है, जो मानसरोवर यात्रा के लिए आर्थिक मदद प्रदान करते हैं। कार्यक्रम में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, चेन्नई तथा आन्ध्र प्रदेश से आए कैलाश-मानसरोवर के यात्रियों ने मुख्यमंत्री का परम्परागत ढंग से स्वागत एवं अभिनन्दन किया।
इससे पूर्व, धर्मार्थ कार्य मंत्री श्री आनन्द सिंह ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा विगत एक वर्ष में प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कैलाश-मानसरोवर की यात्रा पर गए प्रदेश के 31 मूल निवासियों को क्रमशः 25 हजार रुपए का चेक देकर पहली बार सम्मानित किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम में मंत्रिमण्डल के सहयोगियों के अलावा प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री राकेश गर्ग, प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य श्री नवनीत सहगल, अन्य अधिकारी तथा कैलाश-मानसरोवर के यात्री भी मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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कथा ब्यास श्री पवन नन्दन जी दवारा श्रीमदभागवत कथा का महात्म्य श्रवण

Posted on 05 March 2013 by admin

edited-d_7176-copyजीवन में मां का स्थान सर्वोपरि होता है । श्री मद भागवत कथा सुनने व सुनाने दोनो से इच्छित फल की प्राप्ति होती है । यह बातें अलीगंज बाजार के निकट लंगड़ी गांव मे आयोजित श्रीमदभागवत कथा के दौरान कही ।
अलीगंज के लंगड़ी गांव में आयोजित ७ दिवसीय संगीतमय कथा के प्रथम दिन कथा ब्यास श्री पवन नन्दन जी ने कथा का महात्म्य श्रवण कराया जिसमें धुंधकारी और गोकर्ण दोनो भाइयो के चरित्र पर प्रकाश डाला ।
कथा ब्यास ने बताया कि श्रीमदभागवत कथा सुनने व सुनाने दोनो से फल की प्राप्ति होती है कहा कि धुंधकारी ऐसे भाई को गोकर्ण जैसे भाई ने श्रीमदभागवत की कथा सुनाकर प्रेत योनि से मुक्ति दिला दिया । आगे कहते हुए आचार्य जी ने बताया कि माता पिता का सर्वोपरि स्थान है । उन्होने कहा कि एक मां अपने पुत्र को चोट लगने पर अपनी एक आंख पुत्र को देकर कुरुपवती हो गयी जिससे पुत्र अपनी मां को जीवन भर कुरुप मानता रहा और माता की मृत्यु के पश्श्चात जब उसे यह बात मां द्वारा लिखे पत्र के माध्यम से जानकारी मिली तो उसने बहुत प्रायश्श्च्ति किया ।
कथा के पश्श्चात उपस्थित लोगो ने भगवान की आरती उतारी और प्रसाद ग्रहण किया ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मेले में ऐसी प्रर्दर्शनियां लगें, जिनसे कम पढ़े-लिखे तथा अशिक्षित व्यक्तियों को भी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी मिले: मुख्य सचिव

Posted on 26 October 2012 by admin

  • कुम्भ मेला में प्रचार-प्रसार कन्टेन्ट के लिए खुली प्रतियोगिता आयोजित हो: जावेद उस्मानी
  • आठ स्थानों से अनवरत निःशुल्क मीडिया कवरेज, पत्रकारों के लिए अत्याधुनिक मीडिया सेन्टर और फूड कोर्ट
  • कुम्भ मेला के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु रणनीति बनाने के निर्देश

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने निर्देश दिए है कि कुम्भ मेला-2013 के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु एक कार्य योजना बना ली जाए। इलाहाबाद कुम्भ में इस बार मुख्य घाटों पर स्थापित आठ एच0डी0 कैमरों के माध्यम से मेला अवधि में प्रतिदिन की गतिविधियों का स्ट्रीमिंग कवरेज टेलीविजन चैनलों को तथा हाई रिजोल्यूशन के फोटोग्राफ निःशुल्क उपलब्ध कराने का प्रावधान कराया जाए। कुम्भ मीडिया सेन्टर में इस बार अन्तर्राष्ट्रीय/राष्ट्रीय मीडिया हेतु निःशुल्क और सःशुल्क दो तरह की आवासीय व्यवस्थाएं की जाए। मीडिया सेन्टर में आने वाले पत्रकारों की व्यवस्था इस प्रकार से की जाएगी कि प्रतिदिन 24 घण्टे मीडिया को सुविधाएं उपलब्ध रहें।
मुख्य सचिव अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में कुम्भ मेला के प्रचार-प्रसार कार्य की समीक्षा गुरुवार को देर शाम कर रहे थे। उन्होंने सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग को कुम्भ मेला-2013 के शासकीय प्रचार-प्रसार और आगन्तुक अन्तर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय मीडिया प्रबन्धन व्यवस्था हेतु उत्तरदायी बनाते हुए मीडियाकर्मियों के लिए पूर्णतः शाकाहारी फूड कोर्ट के निर्माण के आदेश देते हुए कहा कि टी0वी0 चैनलों पर जारी किये जाने वाले विज्ञापनों की अवधि एक मिनट से अधिक न रखी जाए और उनका अनुमोदन मुख्यमंत्री स्तर से होने के बाद ही प्रसारण हेतु जारी किया जाए। उन्होंने कुम्भ मेला के दौरान इस्तेमाल किये जाने वाले प्रचार नारों (स्लोगन), पोस्टरों, डाक्यूमेन्टरी फिल्मों तथा अन्य सामग्री तैयार करने के लिए प्रतियोगिता आयोजित करने के निर्देश भी दिए।
श्री उस्मानी ने निर्देश दिये कि विभागों द्वारा लगाई जाने वाली प्रदर्शनियों का आयोजन इस प्रकार से किया जाए कि उनमें कम पढ़े-लिखे और अशिक्षित व्यक्तियों को भी शासकीय योजनाओं की जानकारी और उनसे लाभ पाने के अवसर प्राप्त हो सकें। उन्होंने कहा कि मेला अधिकारी कुम्भ मेला में आयोजित विभिन्न विभागों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के पण्डाल अलग-अलग सेक्टरों में लगवाएं। कैमरामैन और फोटोग्राफरों के लिए स्थापित किये जाने वाले वाच टावरों की मजबूती का विशेष ध्यान रखा जाए। कुम्भ मेला में 25 ओ0बी0 वैन की व्यवस्था इस प्रकार से की जाए कि स्नान करने वालों को असुविधा का सामना न करना पड़े।
बैठक में प्रमुख सचिव सूचना श्री संजीव मित्तल, प्रमुख सचिव नगर विकास श्री प्रवीर कुमार मण्डलायुक्त इलाहाबाद श्री देवेश चतुर्वेदी, निदेशक सूचना श्री प्रभात मित्तल, कुम्भ मेला अधिकारी श्री मणि प्रसाद मिश्रा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Great joy and rejoicing marks birth anniversary of Prophet Bab

Posted on 20 October 2012 by admin

The 193rd birth anniversary of Prophet Bab, Founder Prophet of Baha’i Faith, was celebrated with great joy and rejoicing by the Area Baha’i Teaching Committee, Alambagh, Lucknow at CMS Kanpur Road auditorium. On this occasion, a huge gathering of Baha’is offered their prayers to Prophet Bab and filled the auditorium with spiritual light. Several events such as reading of Holy Writings, hymns and prayers dedicated to Prophet Bab marked the function and cultural events like music and dance were also orgnaized. Eminent Baha’i followers were present on this occasion.
Baha’i follower and renowned educationist, Dr Bharti Gandhi, Founder-Director of City Montessori School, while addressing the gathering on the occasion, said that Baha’i Faith stands on the foundation of unity and love. The Faith is fully focussed on the establishment of a peaceful world by ending all wars and is working to knit the whole world with the thread of unity, love and spiritualism. She further said that golden era of human history will dawn when feelings of hatred, jealousy and greed are removed from human hearts and brotherhood, love and understanding prevail. For this, a firm determination and an iron will were needed. Strong world visionaries are destined to play an important role in bringing peace, order and unity in the world. The other Baha’i speakers who came on the stage said that Baha’i means to be ready to love the entire humanity and to serve it whenever required. They unanimously said that human development has been obstructed by wars, exploitations, injustice and prejudices but instead of getting affected by these we must move ahead towards progress with our mutual maturity.
Some of the main teachings of the Baha’is are - God is One, all religions are one and the whole humanity is one, all false beliefs and prejudices should be removed, man should search for the truth himself, a universal language should be developed, man and woman are equal, education should be universal and compulsory, religion and science should go hand in hand, excessive wealth disparity should be abolished, a world government should be formed and the diversity in cultures should be maintained. The main idea of the Baha’i faith is to unite mankind into a single global unit taking actions as removal of prejudices, broadening the outlook, establishing a new world order and creating a world government which would ensure that all the citizens of the world receive food, clothing, shelter, water and make provisions for the comfort of all humankind residing on this planet. The whole world will thus be rid of poverty, hunger and starvation. A new world society will flourish in a peaceful and harmonious atmosphere.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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यूपी में जन्माष्टमी की धूम, कान्हा की भकित में भक्त हुए लीन

Posted on 10 August 2012 by admin

श्री क्रष्ण जन्माष्टमी समूचे उत्तर प्रदेश श्रद्धा के साथ मनार्इ जा रही है। सभी भक्त कान्हा के भकित में लीन होकर उसके आने का इंतजार कर रहे हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा, इलाहाबाद, वाराणसी, अयोध्या समेत राज्य के हर हिस्से में मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। पुलिस के थाने और जेलखाने भी नटवरलाल के आगमन के स्वागत में सज चुके हंै। शासन व प्रशासन की तरफ से पूरे सूबे में सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबन्द कर दिया गया है।
प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जन्माष्टमी के अवसर पर प्रदेश वासियों को हार्दिक बधार्इ एवं शुभकामनाएं दीं हैं। गुरूवार को ही यहां जारी बधार्इ संदेश में राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने कहा है कि योगेश्वर श्रीकृष्ण का व्यकितत्व पूरी मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत है। श्रीकृष्ण ने भगवदगीता के माध्यम से ज्ञान, कर्म एवं भकित योग का जो संदेश दिया, वह युगों-युगों तक मानवता के कल्याण के लिए प्रकाश पुंज की तरह कार्य करता रहेगा।
कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर वहां का नजारा कुछ अलग ही है। जन्मभूमि मंदिर से लेकर वृंदावन, गोकुल, गोबर्धन, बरसाना सहित पूरा ब्रज क्षेत्र इस समय कान्हामय हो गया है। श्रद्धालु जगह-जगह झांकी सजाकर नंदलाल के आगमन के इंतजार में भावविâवल होकर नृत्य कर रहे हैं।
जिला प्रशासन ने मथुरा में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये हैं। जन्मभूमि तक पहुंचने के लिए भीड़ और वाहनों को 47 चक्रव्यूह भेदने पड़ेंगे। भीड़ व वाहनों को नियंत्रित करने के लिए शहर में 47 स्थानों पर बैरियर लगाए जाएंगे। जन्मस्थान परिसर के आसपास सात वाच टावर बनेंगे, ताकि संदिग्धों पर नजर रखी जा सके।
इलाहाबाद में जन्माष्टमी के अवसर पर सोने के सिक्के की धूम मची है तो कानपुर में मुसलमानों द्वारा सांप्रदायिक सदभाव का अनोखा उदाहरण पेश किया जा रहा है। उधर महादेव की नगरी वाराणसी भी जन्माष्टमी के मौके पर कन्हैयामय हो गर्इ है।
इस बार कृष्ण कन्हैया रोहिणी नक्षत्र में जन्म नहीं लेंगे। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म समय भादों महीने में कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। लेकिन इस साल दस अगस्त की रात्रि में —तिका नक्षत्र गोचर करेगा। सन 1995 में भी —तिका नक्षत्र की जन्माष्टमी थी, जो इस बार 10 अगस्त को भी होगी। इस रात्रि बारह बजे जब भगवान श्री —ष्ण का 5238 वा जन्म होगा, उस समय —तिका नक्षत्र गोचर में होगा।
नौ अगस्त को स्मार्त लोगों ने जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जबकि वैष्णव जन अगले दिन यानि दस अगस्त को श्री—ष्ण जन्माष्टमी मना रहे हैं। इन दोनों दिन ही रोहिणी नक्षत्र का योग नहीं है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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रामलीला ग्राउण्ड ऐशबाग में कथा व्यास संत विजय कौशल जी महाराज के श्रीमुख से श्री रामकथा ज्ञान महोत्सव

Posted on 14 April 2011 by admin

लक्ष्मणपुरी सेवा संस्थान के तत्वावधान में पूज्य संत प्रवर विजय कौशल जी महाराज ने श्रीरामकथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के अन्तर्गत आज  चैथे दिन रामलीला ग्राउण्ड में हनुमान चालीसा के अर्थ का अमृतपान कराते हुए भारत की माताओं के त्याग व तपस्या को विस्तार से बताया। संतश्री विजय कौशल जी ने कहा कि गुजरीबाई जीजाबाई, अंजनि, सुमित्रा, उर्मिला, सीता सहित कई महान माताओं ने इस मातृभूमि में जन्म लिया जिससे यह देश धन्य हो गया। ये सभी त्याग, धैर्य व वीरता की मूर्ति हैं। इसलिये नारियों का देश में सम्मान होना चाहिए। वे कहते हैं कि माताओं का धर्म देखना है तो अम्बाला के पास स्थित सरहिन्द के द्वार पर जायें, जहाँ आज भी गुरू गोविन्द सिंह की माँ गुजरीबाई के त्याग व बलिदान की कहानी उन दीवारों में छिपी है। जिसमें उनके सामने गुरूगोविन्द जी के बेटों को चुनवा दिया था और उन बच्चों के सामने दादी गुजरीबाई को कत्ल कर दिया गया था। मगर गुजरीबाई ने धर्म परिवर्तन की बात को नहीं स्वीकार किया था।  चैतन्य महाप्रभु की माँ शचि ने भी बिना किसी स्वार्थ के अपने नवविवाहित बेटे चैतन्य को सन्यासी बनने के लिए गुरू के साथ भेज दिया।

लक्ष्मण की माता सुमित्रा ने वनवास जाने की आज्ञा मांगने पर अपने को लक्ष्मण की माँ होने से ही मना कर दिया था और कहा था कि तात तुम्हारि मातु वैदेही। पिता राम सब भाँति सनेही॥ अवध वहहिे जहाँ राम निवासू । तहहिं दिवस जहाँ भासनु प्रकासू॥ अर्थात सुमित्रा ने लक्ष्मण ने कहा कि लक्ष्मण मुझेे आज के बाद कभी माँ नहीं कहना तुम्हारी माँ वैदेही है और पिता राम हैं। राम तुम्हारे ही कारण वन जा रहे हैं क्योंकि तुम शेषनाग के अवतार हो।
तेरे सिर का भार उतारने के लिए ही वे वन जा रहे हैं। इसके बाद लक्ष्मण जी उर्मिला के पास जाने में संकोच कर रहे हैं। मगर उर्मिला तो उससे भी बड़े त्याग की मूर्ति है जो पहले से ही आरती का थाल लेकर लक्ष्मण क ो विदा करने के लिए खड़ी है। संतश्री कहते हैं कि लक्ष्मण जी मानव की भाषा में धर्म हैं। पत्नी वह है जो सभी प्रकार के संकोच को पति के मन से निकाल दे।

वे कहते हैं कि पत्नी के पति से पांच सम्बन्ध होते हैं। सखा, स्वामी, सहायक, पिता व माता। विवाहित होने पर सखा होते हैं। बच्चा होने पर सहायक हो जाते हंै। इसके बाद पिता  की भूमिका, इसके उपरान्त रक्षक हो जाती है और साठ वर्ष की आयु आते ही माता के समान व्यवहार करने लगती है। इसी लिए उर्मिला लक्ष्मण के सामने कई भूमिकाओं में खड़ी है। संतश्री विजय कौशल जी कहते हैं जो पति का कभी पतन या गिरने न होने दे, उसे पत्नी कहते हैं। उर्मिला का व्यवहार देखकर लक्ष्मण जी के रोने की कथा को बताते हुए विजय कौशल जी कहते हैं कि लक्ष्मण जी जीवन में तीन बार रोये हैं। एक बार उर्मिला द्वारा विदा किये जाते समय, दूसरी बार माता-सीता जी की अग्नि परीक्षा के समय तथा तीसरी बार माता सीता का राम के द्वारा परित्याग करते समय। संतश्री क हते हैं कि अयोध्या में राम राज्य सूर्यवंश के कारण नहीं, राजा जनक की पुत्रियों के कारण आया क्योंकि जनक के परिवार की बेटियों ने त्याग व धर्म का निर्वहन किया। संतश्री श्री निद्रा को लक्ष्मण जी द्वारा जीतने क ा प्रसंग बताते हुए कहते हैं कि निद्रा को जब लक्ष्मण जी ने जीत लिया तो वे उनके पास वरदान देने के लिए गयी। लक्ष्मण ने निद्रा को उर्मिला के पास भेज दिया। उर्मिला से निद्रा ने जब काफी अनुनय विनय की तो उर्मिला ने निद्रा से 14 वर्ष तक अपने द्वारा जलाये गये दीपक के जलते रहने का वरदान मांगा और कहा कि जब तक लक्ष्मण जी वापस नहीं आते, तब तक यह दीपक यूँ ही जलता रहे। तब क उनको अपनी उपासना में वासना की गंध ने आये अर्थात मेरी याद न आये। वीर और महावीर के  महत्व को बताते हुए संतश्री कहते हैं कि जो अपने अहंकार को तोड़ दे वह वीर व जो अपने अभिमान को छोड़ दे वह महावीर है। महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी। अर्थात श्री हनुमान जी महावीर हैं। राम रघुवीर हैं। लक्ष्मण, भीष्म, अर्जुन,लवकुश वीर हैंै। वे कहते है कि वीर के पांच लक्षण होते हैं। जो दानवीर, धर्मवीर,विद्यावीर,ज्ञानवीर,दयावीर हैं और महावीर वे होते हैं जो पांच लक्षणों से युक्त वीर को अपने वश में कर ले, ऐसे महावीर हनुमान हैं।

श्री विजय कौशल जी ने हनुमान जी के बल का वर्णन करते हुए बताया कि 60 हजार हाथियों में जितना बल होता है, उतना दिगपाल। 60 हजार दिगपाल में जितना बल होता है उतना इन्द्र के ऐरावत में बल होता है, जितना बल 60 हजार ऐरावत में होता है उतना बल इन्द्र की दाहिनी भुजा में , 60 हजार इन्द्र की भुजाओं जितना बल हनुमान जी के कनिष्का उगली में होता है। लेकिन सुरसा के बढने पर हनुमान ने अपने आप को सबसे छोटा बना दिया और सुरसा के मुख में प्रवेश कर गये। उन्होंने अपने बल पर अहंकार नहीं किया। संतश्री कहते हैं कि अहंकारी कभी किसी की प्रशंसा नहीं करता। मगर हनुमान जी के बल की प्रशंसा रावण ने की।  श्री विजय कौशल जी ने बताया कि विक्रम वह होता है जिनकी बुद्घि, कौशल पर कोई अतिक्रमण न कर पाये। जिसको किसी भी प्रकार से कोइ उत्तेजित न कर पाये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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शिव पूजा हर सुख देती है

Posted on 09 August 2010 by admin

सावन सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की शास्त्रों में बताई विशेष विधि से पूजा शीघ्र फल देने वाली मानी गई है। जानते हैं क्या है सावन के सोमवार को शिव पूजा की यह विधि -

- श्रावण सोमवार को सूर्योदय के पहले जागें।
- घर का साफ-सफाई कर शरीर शुद्धि के लिए स्नान करें। सफेद वस्त्र पहनकर पूजा स्थल पर बैठें।
- स्नान के बाद गंगा जल, पवित्र नदी या जल स्त्रोत के जल से पूरे घर को पवित्र करें।
- घर में देवस्थान पर भगवान शिव-पार्वती और गणेश की मूर्ति पूजा के लिए स्थापित करें। - इसके बाद सबसे पहले व्रत संकल्प लें। मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्या

भिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये।
- इसके बाद प्रथम पूज्य देवता भगवान श्री गणेश का ध्यान और पूजा करें।
- श्री गणेश ध्यान और पूजा के बाद भगवान शिव ध्यान करने के लिए मंत्र का मन ही मन उच्चारण करें
- ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैव्र्याघ्रकृत्तिं वसानं
विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम॥
- ध्यान के बाद शिव के पंचाक्षरी या षडाक्षरी मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ से शिवजी का तथा ‘ऊँ नम: शिवायै’ से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।
- षोडशोपचार में सोलह प्रकार और सामग्रियों से देव आराधना की जाती है।
- शिव आराधना में विशेष रुप से बेल पत्र, भांग, धतूराए जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, जनेऊ , चंदन, रोली, धूप, दीप और दक्षिणा को शामिल कर पूजा की जाती है।
- शिव-पार्वती पूजा के बाद सोमवार व्रत कथा का पाठ या श्रवण करना चाहिए।
- अंत में पूरी भक्ति और आस्था के साथ शिव आरती करें। प्रसाद वितरण करें। पूजा के दौरान हुए दोष के लिए क्षमा मांगे। अपनी कामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
- सायंकाल प्रदोषकाल में भी शिव पूजा करें और रात्रि में भोजन करें। यथा संभव उपवास करें।
Vikas Sharma
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Ph-09415060119

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शिव की तीन आंखें क्यों हैं?

Posted on 09 August 2010 by admin

शिव अनोखेपन और विचित्रताओं का भंडार हैं। शिव की तीसरी आंख भी ऐसी ही है। धर्म शास्त्रों के अनुसार सभी देवताओं की दो आंखें हैं पर शिव की तीन आंखें हैं।
भगवान शिव अपने कर्मों से तो अद्भुत हैं ही; अपने स्वरूप से भी रहस्यमय हैं। भक्त से प्रसन्न हो जाएं तो अप111ना धाम उसे दे दें और यदि गुस्सा हो जाएं तो उससे उसका धाम छीन लें।
दरअसल शिव की तीसरी आंख प्रतीकात्मक नेत्र है। आंखों का काम होता है रास्ता दिखाना और रास्ते में पढऩे वाली मुसीबतों से सावधान करना।जीवन में कई बार ऐसे संकट भी आ जाते हैं; जिन्हें हम अपनी दोनों आंखों से भी नहीं देख पाते। ऐसे समय में विवेक और धैर्य ही एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में हमें सही-गलत की पहचान कराता है। यह विवेक अत:प्रेरणा के रूप में हमारे अंदर ही रहता है। बस जरुरत है उसे जगाने की।

भगवान शिव का तीसरा नेत्र आज्ञाचक्र का स्थान है। यह आज्ञाचक्र ही विवेकबुद्धि का स्रोत है।

Vikas Sharma
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शिव का अभिषेक क्यों करते हैं?

Posted on 04 August 2010 by admin

4अभिषेक शब्द का अर्थ है स्नान करना या कराना। यह स्नान भगवान मृत्युंजय शिव को कराया जाता है। अभिषेक को आजकल रुद्राभिषेक के रुप में ही ज्यादातर पहचाना जाता है। अभिषेक के कई प्रकार तथा रुप होते हैं। किंतु आजकल विशेष रूप से रुद्राभिषेक ही कराया जाता है। रुद्राभिषेक का मतलब है भगवान रुद्र का अभिषेक यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। शास्त्रों में भगवान शिव को जलधाराप्रिय:, माना जाता है। भगवान रुद्र से सम्बंधित मंत्रों का वर्णन बहुत ही पुराने समय से मिलता है। रुद्रमंत्रों का विधान ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में दिये गए मंत्रों से किया जाता है। रुद्राष्टाध्यायी में अन्य मंत्रों के साथ इस मंत्र का भी उल्लेख मिलता है।


अभिषेक में उपयोगी वस्तुएं:
अभिषेक साधारण रूप से तो जल से ही होता है। विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों में गोदुग्ध या अन्य दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।


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मथुरा, वृन्दावन तथा वाराणसी को आदर्ष पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित करें-मुख्यमन्त्री

Posted on 20 July 2010 by admin

उत्तर प्रदेष की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने मथुरा, वृन्दावन तथा वाराणसी नगरों में बुनियादी नागरिक सुविधाओं के विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा कराए जा रहे विभिन्न कार्याें को पूरी गुणवत्ता के साथ निर्धारित समय-सीमा में पूरा कराने के कड़े निर्देष दिये हैं। उन्होंने मथुरा, वृन्दावन तथा वाराणसी को आदर्ष पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित करने के निर्देष देते हुए कहा है कि इन नगरों में पेयजल, विद्युत, सीवर, सड़क, लाई ओवरों, पािर्कंग आदि की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों एवं इन नगरों के वासियों को कोई असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि विकास कार्याें के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को बर्दाष्त नहीं किया जायेगा और इस सम्बन्ध में षिकायत मिलने पर दोशी अधिकारी के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जायेगी।

मुख्यमन्त्री ने यह निर्देष उस समय दिये जब उ0प्र0 राज्य सलाहकार  परिशद के अध्यक्ष श्री सतीष चन्द्र मिश्र ने आज एनेक्सी सभाकक्ष में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में मथुरा, वृन्दावन तथा वाराणसी में चल रही विभिन्न परियोजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करने के बाद बैठक के निश्कशोंZ से उन्हें अवगत कराया।

मुख्यमन्त्री ने मथुरा तथा वृन्दावन के समग्र विकास हेतु विभिन्न विकास कार्यों की प्रगति का जायजा लेते हुए कहा कि जिन निर्मित सड़कों की गुणवत्ता निरीक्षण में ठीक नहीं पायी गई है, उनको तत्काल ठीक कराया जाये। उन्होंने कहा कि मथुरा तथा वृन्दावन में सीवर लाइन, पेयजल, प्याऊ, प्रकाष व्यवस्था, परिक्रमा मागोंZ के सुदृढ़ीकरण एवं चौड़ीकरण का जो कार्य अपने अन्तिम चरण में है उसे यथाषीघ्र पूरा करा कर, पर्यटकों एवं नागरिकों को सुविधा पहुंचाने का प्रयास किया जाये। उन्होंने कहा कि वृन्दावन में निर्माणाधीन 100 बिस्तर के अस्पताल के निर्माण का कार्य षीघ्र पूरा करने के साथ समय से स्टाफ व उपकरणों की व्यवस्था का कार्य भी पूरा कर लिया जाये।

मुख्यमन्त्री ने वृन्दावन में निर्मित हो चुके वृद्धा आश्रम को षीघ्र संचालित करने के निर्देष दिये। उन्होंने कहा कि आश्रम में आवासित होने वाली जरूरतमन्द एवं गरीब निराश्रित महिलाओं के लिए दक्षता विकास के कार्यक्रम भी संचालित किये जायें। उन्होंने राधाकुण्ड एवं ष्याम कुण्ड के पुनरोद्धार योजना का कार्य पूर्ण हो जाने पर इसके सौन्दयीZकरण के लिए फाउण्टेन आदि लगाने के भी निर्देष दिये। उन्होंने सम्पूर्ण ब्रज क्षेत्र के टूरिज्म डेवलपमेंट हेतु प्लान बनाकर मथुरा-वृन्दावन, गोवर्धन, बरसाना एवं नन्दगांव को इसके दायरे में लाने को कहा। उन्होंने मथुरा में यमुना नदी के किनारे थीम पार्क व वृन्दावन में रोप-वे विकसित करने के भी निर्देष दिये।

मुख्यमन्त्री ने वाराणसी जनपद में सड़कों के चौड़ीकरण, पेयजल, सीवर, घाट निर्माण, लाई ओवरों, सीवेज ट्रीटमेण्ट प्लांट, ठोस कूड़ा प्रबन्धन, विद्युतीकरण आदि विभिन्न कायोंZ को निर्धारित समय सीमा के अन्दर पूरा करने के कड़े निर्देष दिये। उन्होंने कहा कि वाराणसी षहर के आबादी क्षेत्र में संकरी सड़कों एवं गलियों को देखते हुए सीवर व पेयजल योजना हेतु पाइप डालने के कार्य को सुव्यवस्थित ढंग से तेजी के साथ किया जाये, जिससे पर्यटकों एवं नागरिकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो तथा आवष्यकता पड़ने पर रात के समय भी कार्य किया जाये। उन्होंने कहा कि पाण्डेपुर लाईओवर का निर्माण कार्य दिसम्बर, 2010 तक तथा चौकाघाट पुल के निर्माण का कार्य दिसम्बर 2011 तक प्रत्येक दषा में पूर्ण कर लिया जाये।

मुख्यमन्त्री ने वाराणसी के एस0टी0पी0, ठोस कूड़ा प्रबन्धन योजना, बहुमंजली पािर्कंग के निर्माण का कार्य भी तेज गति से क्रियािन्वत करने के निर्देष दिये। उन्होंने नगर के विकास के लिए प्रस्तावित 58 किलोमीटर लम्बी रिंग रोड तथा घाटों के निर्माण एवं सौन्दयीZकरण के कायोंZ को भी तेजी से क्रियािन्वत करने को कहा। उन्होंने वाराणसी में बड़ी संख्या में आने वाले देषी-विदेषी पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए वाराणसी-सारनाथ-रामनगर पर्यटन विकास परियोजना तैयार कर क्रियािन्वत करने के निर्देष दिये।

मुख्यमन्त्री ने प्रदेष के षहरी क्षेत्र के नागरिकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु नगर निकायों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए षत-प्रतिषत भवनों को आच्छादित करने के निर्देष दिये। उन्होंने कहा कि इसके लिए जी0आई0एस0 सर्वे का सहारा लिया जाये। उन्होंने कहा कि नगर निकायों के आर्थिक रूप से सषक्त होने पर वे नागरिकों को बेहतर सुविधायें मुहैया कराने में समर्थ होगी। उन्होंने कहा कि नगर निकायों के गृहकर समेत विविध करों के आनलाइन भुगतान की व्यवस्था का विस्तार कर सुदृढ़ बनाया जाये तथा समय से करों का भुगतान करने वाले नागरिकों को छूट प्रदान करने तथा विलम्ब से भुगतान करने वालों पर अर्थदण्ड भी लगाया जाये। उन्होंने इण्टरनेट के माध्यम से गृह कर के भुगतान के सम्बन्ध में नागरिकों को जागरूक करने के भी निर्देष दिये।

बैठक में मुख्य सचिव श्री अतुल कुमार गुप्ता, प्रमुख सचिव वित्त श्री अनूप मिश्र, प्रमुख सचिव नगर विकास श्री आलोक रंजन, प्रमुख सचिव आवास श्री जे0एन0 चेम्बर, प्रमुख सचिव मुख्यमन्त्री श्री आर0पी0 सिंह व श्री दुगाZषंकर मिश्रा व अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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