श्री क्रष्ण जन्माष्टमी समूचे उत्तर प्रदेश श्रद्धा के साथ मनार्इ जा रही है। सभी भक्त कान्हा के भकित में लीन होकर उसके आने का इंतजार कर रहे हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा, इलाहाबाद, वाराणसी, अयोध्या समेत राज्य के हर हिस्से में मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। पुलिस के थाने और जेलखाने भी नटवरलाल के आगमन के स्वागत में सज चुके हंै। शासन व प्रशासन की तरफ से पूरे सूबे में सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबन्द कर दिया गया है।
प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जन्माष्टमी के अवसर पर प्रदेश वासियों को हार्दिक बधार्इ एवं शुभकामनाएं दीं हैं। गुरूवार को ही यहां जारी बधार्इ संदेश में राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने कहा है कि योगेश्वर श्रीकृष्ण का व्यकितत्व पूरी मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत है। श्रीकृष्ण ने भगवदगीता के माध्यम से ज्ञान, कर्म एवं भकित योग का जो संदेश दिया, वह युगों-युगों तक मानवता के कल्याण के लिए प्रकाश पुंज की तरह कार्य करता रहेगा।
कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर वहां का नजारा कुछ अलग ही है। जन्मभूमि मंदिर से लेकर वृंदावन, गोकुल, गोबर्धन, बरसाना सहित पूरा ब्रज क्षेत्र इस समय कान्हामय हो गया है। श्रद्धालु जगह-जगह झांकी सजाकर नंदलाल के आगमन के इंतजार में भावविâवल होकर नृत्य कर रहे हैं।
जिला प्रशासन ने मथुरा में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये हैं। जन्मभूमि तक पहुंचने के लिए भीड़ और वाहनों को 47 चक्रव्यूह भेदने पड़ेंगे। भीड़ व वाहनों को नियंत्रित करने के लिए शहर में 47 स्थानों पर बैरियर लगाए जाएंगे। जन्मस्थान परिसर के आसपास सात वाच टावर बनेंगे, ताकि संदिग्धों पर नजर रखी जा सके।
इलाहाबाद में जन्माष्टमी के अवसर पर सोने के सिक्के की धूम मची है तो कानपुर में मुसलमानों द्वारा सांप्रदायिक सदभाव का अनोखा उदाहरण पेश किया जा रहा है। उधर महादेव की नगरी वाराणसी भी जन्माष्टमी के मौके पर कन्हैयामय हो गर्इ है।
इस बार कृष्ण कन्हैया रोहिणी नक्षत्र में जन्म नहीं लेंगे। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म समय भादों महीने में कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। लेकिन इस साल दस अगस्त की रात्रि में —तिका नक्षत्र गोचर करेगा। सन 1995 में भी —तिका नक्षत्र की जन्माष्टमी थी, जो इस बार 10 अगस्त को भी होगी। इस रात्रि बारह बजे जब भगवान श्री —ष्ण का 5238 वा जन्म होगा, उस समय —तिका नक्षत्र गोचर में होगा।
नौ अगस्त को स्मार्त लोगों ने जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जबकि वैष्णव जन अगले दिन यानि दस अगस्त को श्री—ष्ण जन्माष्टमी मना रहे हैं। इन दोनों दिन ही रोहिणी नक्षत्र का योग नहीं है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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