Posted on 10 October 2012 by admin
- वर्तमान वित्तीय वर्ष में आगामी 28 फरवरी तक धान क्रय का 25 लाख मी0टन कार्यकारी लक्ष्य निर्धारित: आलोक रंजन
- धान क्रय केन्द्रों पर किसानों से सीधे क्रय कर उनकी उपज के मूल्य का भुगतान क्रय एजेन्सियों द्वारा एकाउन्ट पेयी चेक के माध्यम से कराना सुनिश्चित हो: मुख्य सचिव
- धान क्रय केन्द्रों के निरीक्षण हेतु शासन में तैनात विशेष सचिव के अधिकारियों को भी जनपदवार नामित करें: आलोक रंजन
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में धान क्रय हेतु निर्धारित 25 लाख मी0टन कार्यकारी लक्ष्य के अनुसार आगामी 28 फरवरी तक धान की खरीद किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि गत वर्ष की अपेक्षा 232 अधिक धान क्रय केन्द्रों अर्थात कुल 3250 धान क्रय केन्द्रों द्वारा सम्बन्धित 09 क्रय एजेन्सियों द्वारा सीधे किसानों से धान खरीदा जायेगा। धान खरीद केन्द्रों पर किसानों से सीधे क्रय कर उनकी उपज के मूल्य का भुगतान क्रय एजेन्सियों द्वारा एकाउन्ट पेयी चेक के माध्यम से कराना सुनिश्चित किया जायेगा। धान खरीद हेतु जनपदवार जिला खरीद अधिकारियों की नियुक्ति सम्बन्धित जिलाधिकारियों द्वारा तत्काल कर दी जाए तथा आयुक्त, खाद्य एवं रसद मुख्यालय पर नियंत्रण कक्ष स्थापित कर जनपदवार नियंत्रण का कार्य प्रारम्भ कर दिया जाए।
मुख्य सचिव ने आज सचिवालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में धान खरीद की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि धान क्रय केन्द्रों के निरीक्षण हेतु शासन में तैनात विशेष सचिव के अधिकारियों को भी जनपदवार नामित कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि स्टाफ की कमी हो तो अवकाश प्राप्त बगैर दागी कर्मचारियों को कार्मिक विभाग से परामर्श प्राप्त कर धान खरीद अवधि तक के लिए नियुक्त करने पर विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों को धान के विक्रय का वास्तविक मूल्य प्रत्येक दशा में मिलना सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने कहा कि यदि किसानों का किसी भी स्तर पर शोषण किया गया तो सम्बन्धित कर्मियों को चिन्हित कर सख्त से सख्त कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाए।
श्री रंजन ने निदेशक मण्डी परिषद को निर्देश दिए कि धान क्रय केन्द्रों पर धान क्रय से सम्बन्धित आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराना सुनिश्चित कराने के साथ-साथ किसानों की सुख-सुविधा की व्यवस्था भी सुनिश्चित करायें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक क्रय केन्द्रों पर दो काटों की व्यवस्था अवश्य रूप से सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने धान खरीद से सम्बन्धित प्रचार-प्रसार सामग्री-बैनर आदि मण्डी परिषद द्वारा तत्काल उपलब्ध करा दी जाए। उन्होंने एस0डब्ल्यू0सी0, सी0डब्ल्यू0सी0 एवं भारतीय खाद्य निगम को चावल के भण्डारण हेतु आवश्यक बल्ली एवं डनेज मैटेरियल की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के निर्देश भी दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रत्येक क्रय केन्द्र पर 05 गांठ बोरा आपातकालीन व्यवस्था के अन्तर्गत बफर के रूप में रखा जाए, ताकि किसी भी स्तर पर बोरों की समस्या कतई न होने पाए। उन्हांेने कहा कि विगत रबी खरीद के अवशेष जूट गांठ बोरे एवं पी0पी0 बैग्स को धान खरीद में प्रयोग करने हेतु भारत सरकार को भेजे गये प्रस्ताव के क्रम में स्मरण पत्र पुनः भेज दिया जाए। उन्होंने समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि जनपदवार भण्डारण योजना तैयार कर आगामी 20 अक्टूबर तक अवश्य उपलब्ध करा दी जाए।
प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद श्री दीपक त्रिवेदी ने बैठक में बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में स्वीकृत 3250 धान क्रय केन्द्रों में से खाद्य विभाग 700 क्रय केन्द्र, प्रादेशिक सहकारी संघ 1500 क्रय केन्द्र, यू0पी0 एग्रो 225 क्रय केन्द्र, उपभोक्ता सहकारी संघ 350 क्रय केन्द्र, आवश्यक वस्तु निगम 150 क्रय केन्द्र, नेफेड 85 क्रय केन्द्र, कर्मचारी कल्याण निगम 150 क्रय केन्द्रों, एन0सी0सी0एफ0 40 क्रय केन्द्रों तथा भारतीय खाद्य निगम 50 क्रय केन्द्रों द्वारा किसानांे से सीधे धान की खरीद सुनिश्चित करेगा। उन्होंने बताया कि किसानों को धान विक्रय का तत्काल भुगतान सुनिश्चित कराने हेतु सम्बन्धित क्रय एजेन्सियों को 150 करोड़ रूपये की अग्रिम धनराशि स्वीकृति हेतु वित्त विभाग को प्रस्ताव भेज दिया गया है।
बैठक में आयुक्त खाद्य एवं रसद श्रीमती अर्चना अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 10 October 2012 by admin
लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल विभाग दोनों के ही कार्यक्रम एक साथ चल रहे हैं। धरती का पानी किस स्थिति में है, उसकी शुद्धता को कैसे अक्षुण्ण बनाये रखा जाय, जो कमियां हैं उन्हें कैसे दूर किया जाय और कहां तक कैसी बोरिंग कराई जाय। इन सब बातों के लिये यह जरूरी है कि भूगर्भ जल विभाग के अभियन्ताओं के साथ मिलकर ही बोरिंग की योजनायें बनाई जायें। भारत सरकार द्वारा प्रदेश के जो 108 विकास खण्ड अतिदोहित और क्रिटकल घोषित किये गये हैं उनका पुनः सर्वेक्षण करा लिया जाय ताकि यह पता चल सके कि वर्तमान में भूजल स्तर की स्थिति क्या है।
यह उद्गार लघु सिंचाई एवं पशुधन मंत्री श्री पारस नाथ यादव ने आज यहां बापू भवन में लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल विभाग की समीक्षा बैठक में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि लघु सिंचाई की योजनाएं मूल रूप से लघु एवं सीमान्त किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की योजनाएं हैं इसलिए उनका कार्यान्वयन भी परिणामपरक होना चाहिए। स्थानीय कृषकों एवं वहां की भूगर्भ जल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही निःशुल्क बोरिंग, निशुल्क बोरिंग पर पम्पसेट की स्थापना, गहरी बोरिंग, मध्यम गहरी बोरिंग (जिला योजना) आदि का कार्य प्रारम्भ करवाया जाय।
श्री यादव ने बैठक में जिला योजना के अन्तर्गत निर्माणाधीन ग्राउण्ड वाटर रिचार्जिंग/चेकडैम, सतही पम्पसेट, ब्लास्टवेल, सामुदायिक ब्लास्ट कूपों के निर्माण एवं जीर्णोद्धार, बुन्देलखण्ड पैकेज, द्वितीय हरित क्रांति की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने कहा कि भूगर्भ जल की समस्या केवल प्रदेश ही नहीं पूरे देश की समस्या है। यही कारण है कि यह विभाग मुख्यमंत्री की शीर्षस्थ प्राथमिकता वाला विभाग है। इसी के दृष्टिगत विभाग ़को 2000 करोड़ रुपये की योजनाओं के प्रस्ताव दिये गये हैं।
श्री यादव ने कहा कि सभी विकास खण्डों की डाटा कलेक्शन में तेजी लाई जाये तथा डाटा बिल्कुल सही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश से डाटा एक साथ एकत्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अप्रशिक्षित लोग बोरिंग कर रहे हैं। उन्हें भूगर्भ जल की स्थिति एवं जमीन के संबंध में सही जानकारी नहीं होती है। इसलिए सघन सर्वे कराकर अति दोहित विकास खण्डों की रिपोर्ट देखें कि किस आधार पर उन्हें अति दोहित घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि कार्य के महत्व को समझते हुए पूरी निष्ठा एवं पारदर्शिता के साथ बोरिंग की योजनाओं को कार्यान्वित करें। बैठक में प्रमुख सचिव, लघु सिचाई श्री संजीव दुबे, विशेष सचिव श्री एस0के0द्विवेदी, मुख्य अभियन्ता एवं सभी विभागीय अधीक्षक एवं अधिशासी अभियन्ता उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 08 October 2012 by admin
Posted on 06 October 2012 by admin
खुदरा व्यापार मे केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गई एफ.डी.आई. के विरोध में भाजपा किसान मोर्चा द्वारा विधान सभा के सामने धरना स्थल पर प्रदेश भर से आए किसानों व किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेई ने कहा कि किसान हितैषी सरकार का दम भरने वाली प्रदेश की सपा सरकार आज तक कृषि मूल्य आयोग की घोषणा नही कर सकी। डा. बाजपेई ने कहा कि समाजवादी पार्टी की अपने घोषणापत्र मे किसानों को कृषि लागत का दोगुना मूल्य देने की घोषणा महज कोरी घोषणा है।सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिर्पोट तक लागू नही कर सकी जिसमें कृषि उत्पाद पर 50 फीसदी लाभ देने की बात कही गई है। डा. बाजपेई ने कहा कि सपा ने नए कोल्ड स्टोरेज खोलने, कोल्ड स्टोरेज पर सबसीड़ी दिए जाने, आलू व लहसुन का लाभकारी मूल्य, किसानों को दिए जाने का वायदा दिया था। लेकिन सब्सिडी मूल्य देने की बात तो दूर रही आज तक एक भी नए कोल्ड स्टोरेज का अनुमति पत्र सरकार द्वारा नही जारी किया गया।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि खुदरा व्यापार में एफ.डी.आई. लागू कर किसानों के हित की बात करना कोरी कल्पना है। उन्होंने कहा कि 2 किलो आलू खरीद कर 200 किलो अंकल चिप्स बेचने वाली कम्पनी ने किस आलू किसानांे को आज तक लाभ दिया? भाजपा अध्यक्ष ने प्रदेश सरकार के मुखिया की दोहरी बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री उ0प्र0 में एफ.डी.आई. के विरोध की बात करते है और दिल्ली मंे फिक्की आडीटोरियम के वातानुकूलित हाल में उद्योगपतियों के बीच वायदा करते है कि एफ.डी.आई. यदि किसानों के हित में हुई तो वह प्रदेश मे एफ.डी.आई. लागू करेगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश की वर्तमान सरकार के ऐजेण्डे में किसान नही है तथा बेरोजगारी भत्ता व कन्याविद्याधन महज छलावा है। डा0 बाजपेई ने कहा कि सैफई में विद्याधन के लिए आयोजित कार्यक्रम का खर्च वितरित किए गये धन से कही अधिक है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र में सत्ता में आते ही भाजपा एफ.डी.आई. को तुरन्त वापस करेगी तथा किसानों को उनकी उपज लागत का दोगुना कृषि उत्पाद मूल्य देने की घोषणा करेगी। उन्होंने कहा कि श्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने किसानों के लिए किसान क्रेडि़ट कार्ड, 7 प्रतिशत व्याज पर ऋण जैसे अनेक कार्यक्रम लागू किए थे व कर्नाटक व मध्यप्रदेश की भाजपा सरकारों ने किसानों के 0 प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण उपलब्ध कराया है। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आवाहन करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में भाजपा किसान मोर्चा के नेतृत्व में केन्द्र व प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक बड़ा जनआन्दोलन चलाया जायेंग।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री व किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी सत्यपाल मलिक धरने को सम्बोधित करते हुए कहा कि वह 1974 में विधायक होकर लखनऊ आए थे तब से लेकर आज तक किसानों की हालात मे कोई परिवर्तन नही हो सका। उन्होंने कहा कि किसानों की हालात यह है कि वह अपना उत्पाद सस्ते में बेचता है व बाजार से मंहगे दामों में खरीदता है। श्री मलिक ने केन्द्र सरकार की नीतियों पर चुटीला व्यंग्य करते हुए कहा कि पूरे प्रदेश की सिचाई परियोजनाओं का सालाना बजट 1100 करोड़ व काॅमनवेल्थ गेम का बजट 17000 करोड़ था। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि सरकारें किसानों के हितों की हत्या कर देती है व किसान को पता भी नही चलता। श्री मलिक ने कहा कि आज भारतीय किसानों की उत्पादन क्षमता इसलिए कम है क्योकि उन्हें समय पर खाद, बीज, पानी कुछ भी नही मिल पाता ।
भाजपा महामंत्री पंकज सिंह ने धरने को सम्बोधित करते हुए कहा कि केन्द्र की यूपीए सरकार प्रदेश की सपा व बासपा के साथ मिल कर किसानों का गला घोटती है। श्री सिंह ने केन्द्र सरकार पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि 7780/- प्रति थाल के दर से अपने मंत्रियों व सहयोगी दल के नेताओं को भोजन कराने वाले प्रधानमंत्री व यूपीए अध्यक्ष सोनियां गाँधी भारत के आम लोगों को 26/- में सपरिवार भोजन करने की बात कहते है। श्री सिंह ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार अपनी नाकामयाबी का बोझ देश व प्रदेश के किसानों पर डालना चाहते है। उन्होंने भाजपा शासन काल के किसान हितैषी नीतियों की चर्चा करते हुए कार्यकर्ताओं से जनता को जोड़ने का आवाहन किया ।
किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील शाक्य ने धरने मे आये किसानो कार्यकर्ताओं व नेताओं का स्वागत करते हुए प्रदेश व केन्द्र की किसान विरोधी एफ.डी.आई. लागू किए जाने के र्निणय की कटु आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार ने किसानों से भूमि अधिग्रहण बिल पास कराने का वायदा 1.5 वर्ष पूर्व किया था जो आज तक लम्बित है । श्री शाक्य ने कहा कि इसी तरह पेस्टीसाइड बिल भी लम्बित है जब कि खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश लागू करने का र्निणय लागू भी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से किसान निरंतर गरीब होता जा रहा है किसानों की शान पगड़ी आज गिरवी है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में प्रतिबंधित जानलेवा पेस्टीसादड के भारत में उपयोग की अनुमति के लिए भारत सरकार दोषी है। उन्होंने कहा कि भारत में उत्पादित 25000 टन चावल अस्टेªलिया से इसलिए वापस कर दिया गया क्योंकि उसमें पेस्टीसाइड की मात्रा बहुत अधिक थी। श्री शाक्य ने कहा कि सरकार को इसकी चिन्ता नही बल्कि खुदर व्यापार में विदेशी कम्पनियो को छूट दिये जाने की जल्दबाजी थी। उन्होंने कहा कि आम आदमी का हित केवल भाजपा के हाथ में सुरक्षित है।
धरने में आये किसानों को भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष परशुराम कुशवाहा तथा मेरठ के विधायक रवीन्द्र भड़ाना के अतिरिक्त भाजपा किसान मोर्चा के अनेक पदाधिकारियों ने सम्बोधित किया। धरने मे प्रमुख रूप से प्रदेश महामंत्री विन्ध्यवासिनी कुमार, महामंत्री संगठन राकेश जैन, मोर्चा के महामंत्री दिनेश दूबे, मीडिया प्रभारी हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव, किसान मोर्चा के प्रदेशमंत्री विवेक कुमार श्रीवास्तव, मोर्चे के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश सिंह, सुजीत सिंह टीका, भास्कर दत्त द्विवेदी, सत्यपाल यादव, उर्मिला तिवारी, अनुपमा जायसवाल, गोपाल जी श्रीवास्तव सहित अनेको नेतागण उपस्थित रहें।
धरने की समाप्ति के पश्चात प्रधानमंत्री को संबोधित कृषि के सर्मथन मूल्य पर बोनस फसलों के लाभकारी मूल्य के फार्मूलों को स्वीकार कियो जाने तथा मिश्रित खाद के दामांे की बढ़ोत्तरी वापस लिए जाने के सम्बन्ध में 60 बिन्दुओं का एक ज्ञापन राज्यपाल महोदय को सौंपा गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 05 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिये आलू बीज की विक्रय दरें निर्धारित कर दी हैं।
सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री राजन शुक्ला ने यह जानकारी देते हुये बताया कि इस वर्ष ’आधारित प्रथम’ श्रेणी के आलू बीज का प्रस्तावित विक्रय मूल्य 1559 रूपये प्रति कुन्तल, ’आधारित द्वितीय’ श्रेणी आलू बीज का विक्रय मूल्य 1472 रूपये प्रति कुन्तल ’ओवर साइज आधारित प्रथम श्रेणी’ बीज का विक्रय मूल्य 1298 रूपये प्रति कुन्तल तथा सीड साइज ट्रुथफुल श्रेणी बीज का विक्रय मूल्य 1249 रूपये प्रति कुन्तल निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि सफेद एवं लाल आलू बीज की प्रजातियों की विक्रय दरें एक समान रहेंगी।
श्री शुक्ला ने बताया कि निदेशक, उद्यान द्वारा नियमित अनुश्रवण करते हुये यह सुनिश्चित किया जायेगा कि आलू बीज विक्रय/वितरण की कार्यवाही निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही की जायेगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में राजकीय शीतगृह अलीगंज, लखनऊ एवं मोदीपुरम् मेरठ से आलू बीज निकासी एवं जनपदों तक ढुलान व्यवस्था के अनुश्रवण, नियंत्रण एवं आलू बीज के सूखने, संकुचन/सड़न के निर्धारण एवं नियंत्रण हेतु मण्डलीय उप निदेशक उद्यान की अध्यक्षता में समिति का गठन कर दिया गया हैै। यह समिति आलू बीज की छटाई, बिनाई एवं सुखाई के उपरांत आलू बीज वितरण एवं निकासी के कार्यों हेतु उत्तरदायी होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 05 October 2012 by admin
डा0 राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2012-13 हेतु ग्रामों का चयन यथाषीघ्र करते हुए ग्रामों की सूची संबंधित जनपद के जिलाधिकारी को शीघ्र उपलब्ध करायी जाय जिससे योजना के क्रियान्वयन को मूर्तरूप दिया जा सके।
यह निर्देंष प्रदेष के मुख्यमंत्री श्री अखिलेष यादव ने समस्त प्रभारी मंत्रियों को कल भेजे गये पत्र में दिये हैं। उन्होंने कहा है कि डा0 राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना प्रदेष सरकार की महत्पूर्ण एवं प्राथमिकता प्राप्त योजना है जिसका क्रियान्वयन शीघ्र ही सुनिष्चित किया जाना है।
श्री अखिलेष यादव ने पत्र में कहा है कि प्रदेष में विगत 17 मई 2012 द्वारा ‘‘डा0 राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना’’ लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेष के समस्त जनपदों में चयनित राजस्व ग्रामों में 22 विभागों के 36 कार्यक्रमों को संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है। चयन प्रक्रिया में आंषिक संषोधन करते हुए अब जनपद स्तर पर ग्रामों के चयन का अधिकार जनपद के प्रभारी मंत्री को प्रदान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि अब इस योजना में उन्हीं राजस्व ग्रामों का चयन किया जायेगा, जिनकी समस्त बसावटों की कुल जनसंख्या वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार 500 या अधिक है। जिलाधिकारी द्वारा जनपद के सर्वेक्षण के पष्चात तैयार तालिका-1 से जनपद के 500 या उससे अधिक जनसंख्या वाले ग्रामों को प्राप्त अंकों के आरोही क्रम में व्यवस्थित कर जनपद को आवंटित संख्या के तीन गुना ग्रामों की सूची तैयार की गई है। उन्होंने उपलब्ध कराई गई सूची में से योजना के अंतर्गत पांच वर्षों हेतु ग्रामों के चयन के निर्देंष प्रभारी मंत्रियों को दिये हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 04 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिये आलू बीज की विक्रय दरें निर्धारित कर दी हैं।
सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री राजन शुक्ला ने यह जानकारी देते हुये बताया कि इस वर्ष ’आधारित प्रथम’ श्रेणी के आलू बीज का प्रस्तावित विक्रय मूल्य 1559 रूपये प्रति कुन्तल, ’आधारित द्वितीय’ श्रेणी आलू बीज का विक्रय मूल्य 1472 रूपये प्रति कुन्तल ’ओवर साइज आधारित प्रथम श्रेणी’ बीज का विक्रय मूल्य 1298 रूपये प्रति कुन्तल तथा सीड साइज ट्रुथफुल श्रेणी बीज का विक्रय मूल्य 1249 रूपये प्रति कुन्तल निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि सफेद एवं लाल आलू बीज की प्रजातियों की विक्रय दरें एक समान रहेंगी।
श्री शुक्ला ने बताया कि निदेशक, उद्यान द्वारा नियमित अनुश्रवण करते हुये यह सुनिश्चित किया जायेगा कि आलू बीज विक्रय/वितरण की कार्यवाही निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही की जायेगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में राजकीय शीतगृह अलीगंज, लखनऊ एवं मोदीपुरम् मेरठ से आलू बीज निकासी एवं जनपदों तक ढुलान व्यवस्था के अनुश्रवण, नियंत्रण एवं आलू बीज के सूखने, संकुचन/सड़न के निर्धारण एवं नियंत्रण हेतु मण्डलीय उप निदेशक उद्यान की अध्यक्षता में समिति का गठन कर दिया गया हैै। यह समिति आलू बीज की छटाई, बिनाई एवं सुखाई के उपरांत आलू बीज वितरण एवं निकासी के कार्यों हेतु उत्तरदायी होगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 04 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने केन्द्रीकृत उद्ग्रहण (लेवी) प्रणाली के अंतर्गत खरीफ क्रय वर्ष 2012-13 में लेवी चावल का उद्ग्रहण करने हेतु अधिसूचना जारी कर दी है। इस वर्ष लेवी चावल का कार्यकारी लक्ष्य 15.00 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है। लेवी चावल की खरीद का कार्य अक्टूबर से प्रारम्भ हो गया है तथा चावल मिलों द्वारा 31 मार्च, 2013 तक क्रय किये गये धान से तैयार चावल पर 30 सितम्बर, 2013 तक केन्द्रीय पूल में लेवी चावल की डिलीवरी ली जायेगी।
प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री श्री रघुराज प्रताप सिंह ’राजा भइया’ ने यह जानकारी देते हुये बताया कि लेवी चावल की खरीद का कार्य खाद्य तथा रसद विभाग द्वारा किया जायेगा। उन्होंने बताया कि केवल कस्टम मिलिंग (सी.एम.आर.) का कार्य करने वाली चावल मिलों से लेवी स्वीकार की जायेगी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा निर्यात प्रोत्साहन हेतु बासमती चावल एवं पूसा बासमती (1) चावल को लेवी से मुक्त रखा गया है। चावल मिलों द्वारा क्रय किये गये कामन एवं ग्रेड-ए धान से तैयार चावल पर सभी चावल मिलों से 60 प्रतिशत की दर से लेवी ली जायेगी। भारत सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर लेवी चावल की खरीद की जायेगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की चावल मिलों द्वारा क्रय किये गये धान से उत्पादित चावल पर निर्धारित मात्रा में लेवी चावल का क्रय किया जायेगा तथा क्रय किये गये चावल का भण्डारण केन्द्रीय पूल हेतु भारतीय खाद्य निगम द्वारा किया जायेगा।
खाद्य मंत्री ने बताया कि वाणिज्य कर विभाग में पंजीकृत तथा मण्डी समिति की वैध लाइसेंसधारी चावल मिलों से ही लेवी चावल की खरीद की जायेगी। खरीदे गये चावल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु केवल उन्हीं चावल मिलों से लेवी चावल की खरीद की जायेगी, जिनकी न्यूनतम कुटाई क्षमता 5 कुन्तल प्रति घंटा हो एवं जिनमें पैडी क्लीनर, रबर रोल सेलर या सेन्ट्री फ्यूगल डिहस्कर, पैडी सेपरेटर तथा पालिशर मशीनरी स्थापित हो। उन्होंने बताया कि जिन मिलों पर किसी भी विगत वर्ष का सी.एम.आर. बकाया है, उन चावल मिलों से पहले सम्पूर्ण पिछला बकाया सी.एम.आर. सम्प्रदानित (डिलीवरी) कराया जायेगा, उसके पश्चात ही किसी भी वर्ष की लेवी ली जायेगी। ऐसे मिल/मिलर्स जो बकाया सी.एम.आर. की डिलीवरी न करें, जिसके कस्टम चावल की गुणवत्ता अधोमानक हो, शासन को क्षति पहुॅचाये या अनियमित कृत्य करें, उनके विरूद्ध आवश्यक दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने बताया कि यदि किसी चावल मिल पर गत वर्षों की अवशेष लेवी देय है तो मिल पहले उन वर्षों की अवशेष लेवी चावल की मात्रा का केन्द्रीयपूल में सम्प्रदान करेगी, उसके बाद ही वर्तमान वर्ष की लेवी का सम्प्रदान कराया जायेगा। भारत सरकार के निर्देशानुसार लेवी चावल के उद्ग्रहण हेतु समस्त श्रेणी के धान से निर्मित अरवा चावल की रिकवरी 67 प्रतिशत निर्धारित रहेगी।
श्री ’राजा भइया’ ने बताया कि बी.आई.एस. मानक के 50 किलोग्राम भर्ती वाले बोरों में लेवी चावल की खरीद की जायेगी तथा लेवी चावल के क्रय हेतु खाली बोरों की व्यवस्था चावल मिलों द्वारा स्वयं की जायेगी। लेवी चावल के रूप में केवल अरवा चावल ही स्वीकार किया जायेगा। सेला चावल लेवी के रूप में स्वीकार नहीं किया जायेगा। उन्होंने बताया लेवी देने के बाद निर्धारित रिलीज़ प्रमाण पत्र के आधार पर, चावल मिलर द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर अवमुक्त व्यापारी भाग के चावल का संचरण (ट्रांसपोर्टेशन) अनुमन्य किया जायेगा। उन्होंने बताया कि लेवी चावल की खरीद से संबंधित जारी की गयी अधिसूचना के क्रियान्वयन में कोई कठिनाई आ रही है तो इसके लिये खाद्य आयुक्त निर्णय लेने के लिये अधिकृत होंगे। उन्होंने बताया कि चावल मिल से भारतीय खाद्य निगम के डिपो तक लेवी चावल का परिवहन संबंधित आपूर्तिकर्ता/चावल मिलर द्वारा किया जायेगा। चावल के परिवहन व्यय का भुगतान, संबंधित जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित परिवहन दर तथा भारतीय खाद्य निगम द्वारा निर्धारित दर में से जो भी कम हो, पर किया जायेगा।
खाद्य मंत्री ने बताया कि भारतीय खाद्य निगम के डिपो पर चावल डिलीवरी हेतु आने वाले ट्रक की भारतीय खाद्य निगम के डिपो के गेट इंट्री रजिस्टर में अनिवार्य रूप से प्रविष्टि की जायेगी। गेट इंट्री रजिस्टर में प्रविष्टि तथा बिना वजन लिये भारतीय खाद्य निगम डिपो द्वारा कोई भी ट्रक वापस नहीं किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 04 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012-13 मेें शरद कालीन एवं बसंत कालीन गन्ने के साथ अन्तः फसली के रूप मंे उर्द/मूंग अथवा सरसों की बुवाई को प्रोत्साहन देेते हुए 1 लाख हे0 के क्षेत्रफल में कार्यक्रम चलाया जायेगा, जिसे वर्ष 2016-17 तक 3 लाख हे0 तक किया जायेगा। गन्ने के साथ उर्द/मंूग की बुवाई 15 जनवरी तक की जानी चाहिये। इस प्रकार की खेती से दलहन/तिलहन के आच्छादन के क्षेत्रफल में वृद्धि से किसानों को अतिरिक्त उत्पादन का लाभ मिलेगा, मृदा की उर्वरता में आशातीत वृद्धि जीवांश, कार्वन के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी वृद्धि होगी जिससे कृषकों को लाभ मिलेगा।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार चयनित विकास खण्डों में 500 हे0 के कलस्टर के रूप में लिये गये क्षेत्रफल में यह कार्यक्रम संचालित किया जायेगा। प्रत्येक कलस्टर मंे योजना का दायित्व कृषि विभाग के एक चिन्हित तकनीकी कर्मचारी को दिया गया है। गन्ने के साथ दलहन/तिलहन की अन्तः फसली खेती के लिए समस्त कृषक अनुदान के लिए पात्र होंगे।
योजना के अन्तर्गत उर्द/मूंग एवं सरसों की उन्नतशील प्रजातियों पर कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। इसमें जैव उर्वरक एवं जैव एजेण्ट/जैव पेस्टीसाइड तथा खरपतवार नाशी रसायन पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा से 50 प्रतिशत एवं 25 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार कृषकों कुल 75 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा।
गन्ने के साथ दलहनी/तिलहनी अन्तः फसली ख्ेाती करने पर रेज्ड वेड प्लांटर एवं मल्टी क्राप प्लांटर की खरीद पर कृषकों को 50 प्रतिशत का अनुदान जिसकी प्रति इकाई अधिकतम सीमा 32 हजार रुपये तक होगी। इस यंत्र से (कूड़ों) का निर्माण तथा रेज्ड वेड प्लांटर से दलहन/तिलहन की बुवाई की जायेगी। यदि कोई कृषक किराये पर मल्टी क्राप प्लांटर लेता है तो उसे 200 प्रति हे0 की दर किराये की धनराशि की प्रतिपूर्ति की जायेगी। इस योजना में कलस्टर इन्चार्ज को दो दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण एवं चयनित कृषक को विकास खण्ड स्तर पर प्रशिक्षण दिया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 02 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2012-13 के लिए धान खरीद नीति घोषित कर दी है। इसके तहत कामन श्रेणी के धान का मूल्य 1250 रुपये प्रति कुन्तल तथा ग्रेड ए श्रेणी के धान का मूल्य 1280 रुपये प्रति कुन्टल निर्धारित किया गया है। धान की खरीद एक अक्टूबर से 28 फरवरी 2013 तक होगी। इस वर्ष 25 लाख मी0 टन धान क्रय का न्यूनतम कार्यकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री श्री रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भइया’ ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 28 फरवरी 2013 तक क्रय केन्द्रों पर किसानों द्वारा लाई जाने वाली धान की समस्त मात्रा का क्रय किया जायेगा। इसके लिए 3250 केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। इसके लिए 9 क्रय एजेन्सियों को नामित किया गया है, जिसमें खाद्य विभाग, उ0प्र0 सहकारी संघ,यू0पी0एग्रो, उ0प्र0 उपभोक्ता सहकारी संघ, उ0प्र0 राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम, नैफेड, राज्य कर्मचारी कल्याण निगम, भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एन.सी.सी.एफ.) तथा भारतीय खाद्य निगम शामिल हैं। उन्होंने बताया कि धान की खरीद सीधे केवल किसानों से की जायेगी तथा किसानों का मोबाइल नम्बर/फोन नम्बर भी धान क्रय पंजिका पर अंकित किया जायेगा। वास्तविक किसान की पहचान हेतु फोटोयुक्त पहचान पत्र के आधार पर ही धान खरीद किये जाने की व्यवस्था रहेगी। इसके लिए किसानों को जोतबही, खतौनी तथा चकबन्दी अन्तर्गत ग्रामों में चकबन्दी संबंधी संगत भूलेख लाये जाने की अनिवार्यता होगी। उन्होंने बताया कि क्रय केन्द्रों पर सुचारू रूप से व्यवस्था बनी रहे इसके लिए ‘‘प्रथम आवक प्रथम खरीद’’ आधार पर खरीद की जायेगी।
खाद्य मंत्री ने बताया कि धान के मूल्य का भुगतान खाद्य विभाग के जिन क्रय केन्द्रों तथा कृषकों के खाते सहकारी बैंकों अथवा ग्रामीण बैंकों में हों, उन क्रय केन्द्रों को छोड़कर शेष समस्त केन्द्रों पर धान बिक्रेता कृषक के खाते में आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से धान मूल्य का सीधा एवं त्वरित भुगतान की व्यवस्था की जायेगी। इसके अलावा ‘‘पेइज एकाउण्ट चेक’’ से भुगतान प्राप्त करने का विकल्प भी किसान के पास रहेगा। उन्हांेने बताया कि ऐसे खरीद केन्द्रों पर जहां आर0टी0जी0एस0 से भुगतान की सुविधा उपलब्ध न हो, वहां खाद्य विभाग के क्रय केन्द्र प्रभारी द्वारा 2,00,000 रुपये (दो लाख रुपये) की सीमा तक ‘‘पेइज एकाउण्ट चेक’’ के माध्यम से किया जायेगा।
खाद्य मंत्री ने बताया कि समर्थन मूल्य योजना के अन्तर्गत क्रय किये गये कामन एवं ग्रेड-ए की धान से चावल की रिकवरी भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार अरवा चावल के लिए 67 प्रतिशत मानकर सी0एम0आर0 की डिलवरी की जायेगी। क्रय एजेन्सियों द्वारा खरीदे गये धान की कुटाई करायी जायेगी तथा उत्पादित कस्टम चावल का सम्प्रदान (डिलीवरी) केन्द्रीय मूल्य हेतु भारतीय खाद्य निगम के डिपो पर किया जायेगा। धान खरीद हेतु नामित सभी संस्थायें खरीदे गये धान से उत्पादित कस्टम चावल के मूल्य का बिल तैयार कर भारतीय खाद्य निगम से भुगतान प्राप्त करेंगी।
खाद्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश स्तर पर धान खरीद का अनुश्रवण विशेष सचिव खाद्य श्री सुभाष चन्द्र त्रिवेदी, संयुक्त आयुक्त खाद्य श्री अनिल कुमार दमेले तथा मुख्य विपणन अधिकारी द्वारा किया जायेगा। उन्हांेने बताया कि धान खरीद की स्थिति के निरन्तर अनुश्रवण हेतु खाद्य आयुक्त कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जो एक अक्टूबर से प्रातः 8 बजे से सायं 7 बजे तक कार्यशील रहेगा। नियंत्रण कक्ष का टेलीफोन/फैक्स नं0-2286046 तथा 2286044 है। क्रय एजेन्सियों को बोरों की व्यवस्था खाद्य विभाग द्वारा की जायेगी। कृषकों की सुविधा की दृष्टि से धान क्रय केन्द्रों पर धान का मूल्य, गुणवत्ता के मानक, संबंधित बैंक का नाम जहां भुगतान होना है, सम्बद्ध गांव की सूची आदि को क्रय केन्द्रों पर प्रदर्शित किया जायेगा। इसके अलावा क्रय केन्द्रों पर टोल फ्री नं0-18001800150 का प्रदर्शन किया जायेगा ताकि इस नम्बर पर खरीद संबंधी शिकायतों को दर्ज कराया जा सके।
खाद्य मंत्री ने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक गांव को निकटतम दूरी के धान क्रय केन्द्र से सम्बद्ध किया जायेगा। गांवों का क्रय केन्द्रों से सम्बद्धीकरण इस तरह किया जायेगा, कि किसानों को धान बेचने के लिए 7 कि0मी0 से अधिक दूरी तय न करना पड़े। धान क्रय केन्द्र कार्य दिवसांे में प्रातः 9 बजे से सायं 5 बजे तक खुले रहेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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