Posted on 21 December 2012 by admin
भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार के चावल छतिग्रस्तता गुणवत्ता मानक प्रतिशत बढ़ाये जाने के अनुरोध को स्वीकार करते हुए तात्कालिक प्रभाव से इसे 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया है। यह छूट केवल खरीफ विपणन वर्ष 2012-13 के लिए ही अनुमन्य होगी।
प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री श्री रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भइया’ ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मानक प्रतिशत बढ़ाये जाने के फलस्वरूप अब सी0एम0आर0 तथा लेवी चावल का सम्प्रदान आसानी से भारतीय खाद्य निगम को किया जा सकेगा। इस छूट के अन्तर्गत खरीदा गया चावल केवल उत्तर प्रदेश में ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं में वितरित किया जायेगा। इसके लिए एफ0सी0आई0 तथा राज्य सरकार द्वारा अलग खाता रखा जायेगा।
भारत सरकार द्वारा दिये गये निर्देश में कहा गया है कि स्वीकृत मानक के तहत आगामी वर्षों में चावल की सुगमतापूर्वक डिलवरी सुनिश्चित कराने के लिए राज्य सरकार चावल मिलों के आधुनिकीकरण एवं सार्टेक्स मशीनों की स्थापना सुनिश्चित कराने के लिए केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत प्राप्त छूट व सहायता का प्रयोग कर सकती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 19 December 2012 by admin
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक श्री ओम नारायण सिंह ने प्रदेश के आलू उत्पादकों को आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने हेतु सलाह दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू के व्यवसायिक एवं गुणात्मक उत्पादन हेतु किसान सम-सामयिक महत्व के कीट एवं व्याधियों का उचित समय पर नियंत्रण करें, क्योंकि आलू की फसल अगेती/पिछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यन्त संवेदनशील होती है तथा प्रतिकूल मौसम में विशेषकर बदलीयुक्त बूंदा-बांदी एवं नम वातावरण में झुलसा रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है जिससे फसल को नुकसान होने की सम्भावना बनी रहती है।
श्री सिंह ने कहा कि आलू की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने हेतु किसानों द्वारा रक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिये। आलू में अगेती झुलसा रोग का प्रकोप निचली पत्तियों से प्रारम्भ होता है, जिसके फलस्वरूप गहरे भूरे/काले रंग के कुण्डलाकार छल्लेनुमा धब्बे बनते है, जो बाद में सूख कर गिर जाती हैं। उन्होंने बताया कि पिछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारम्भ होती हैं जो तीव्रगति से फैलता हैं पत्तियों पर भूरे/काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं तथा पत्तियों के निचली सतह पर रूई की तरह फफूंद दिखाई देती है। उन्होंने बताया कि बदलीयुक्त 80 प्रतिशत से अधिक आर्द्र वातावरण एवं 10 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम पर इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता हैैं और 2 से 4 दिनों के अन्दर ही सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है।
उद्यान निदेशक ने कहा कि बदलीयुक्त मौसम में आलू की फसल को अगेती एवं पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिये आलू उत्पादक जिंग मैगनीज कार्बामेट 2.0 से 2.5 कि0ग्रा0 को 800 से 1000 ली0 पानी में घोलकर (प्रति हेक्टेयर की दर से) पहला रक्षात्मक छिड़काव बुवाई के 30 से 45 दिन बाद अवश्य करे, तथा आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन के अन्तराल पर दूसरा छिड़काव काॅपर आक्सीक्लोराइड 2.5 से 3.0 कि0ग्रा0 अथवा जिंक मैगजीन कार्बामेट 2.0 से 3.0 कि0ग्रा0 में से किसी एक रसायन का चयन कर 800 से 1000 ली0 पानी में घोल कर (प्रति हेक्टेयर की दर से) करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 December 2012 by admin
प्रदेश के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने आज यहां बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मण्डल के महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया एवं कुशीनगर जनपदों की लगभग 92000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने वाली गण्डक नहर को बिहार सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश की सहमति एवं पूर्व सूचना के बन्द कर दिए जाने से रबी फसल का संकट उत्पन्न हो गया था। उक्त नहर बन्द रहने के कारण लगभग 2.25 लाख कास्तकार प्रभावित हो रहे थे इससे कास्तकारों/जनता में असंतोष व्याप्त था उन्होंने बताया कि बिहार सरकार की उक्त एकतरफा कार्यवाही की सूचना मिलते ही तत्काल बिहार सरकार एवं भारत सरकार से वार्ता की गई।
मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव सिंचाई द्वारा इस संबंध मे भारत सरकार एवं बिहार सरकार से वार्ता तथा पत्रों के माध्यम से तत्काल बैठक कर समस्या का समाधान कराने का अनुरोध किया गया जिसके फलस्वरुप इस विषय पर भारत सरकार के सचिव जल संसाधन के स्तर पर दिनांक 13.12.2012 को दोनो प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई । प्रदेश की ओर से प्रमुख सचिव, सिंचाई एवं बिहार सरकार की ओर से प्रमुख सचिव, जल संसाधन एवं प्रमुख अभियंता, जल संसाधन द्वारा भाग लिया गया।
प्रदेश के प्रमुख सचिव सिंचाई द्वारा प्रदेश का पक्ष प्रस्तुत किया गया। बिहार के अधिकारियों द्वारा भी कतिपय कठिनाइयां बतायी गई जिसे दूर करने में उत्तर प्रदेश द्वारा हर सम्भव सहयोग किए जाने का आश्वासन दिया गया। प्रदेश के किसानों की उक्त समस्या के समाधान हेतु सचिव, जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार ने बिहार सरकार को यह निर्देश दिए गये हंै कि गण्डक नहर में सम्पूर्ण रबी सीजन अर्थात् 25 दिसम्बर, 2012 से मार्च 2013 तक अनवरत रुप से जलापूर्ति सुनिश्चित की जाए।
बिहार सरकार द्वारा भारत सरकार को उक्त निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया गया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मण्डल के जनपदों को सिंचित करने वाली पश्चिमी गण्डक नहर के दिनांक 25 दिसम्बर 2012 से अनवरत रुप से चलने से उक्त क्षेत्र के कृषकों को रबी- 1420 की फसल के दौरान सिंचाई की समस्या का सामना नही करना पडे़गा। यह प्रदेेश सरकार की एक बड़ी सफलता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 14 December 2012 by admin
उ0प्र0 सरकार द्वारा धान के क्रय हेतु अभी तक कोई दिशा-निर्देश तय नहीं होने से किसानों की स्थिति बहुत ही खराब हो रही है। किसान बिचैलियों के माध्यम से अपनी उपज बेंचने को मजबूर हो रहे हैं। अपने को किसानों की हितैषी कहने वाली समाजवादी पार्टी सरकार में किसानों का चारों तरफ से शोषण हो रहा है।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने आज यहां जारी बयान में कहा कि एक तरफ जहां किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है वहीं दूसरी तरफ गेहूं की बुआई के साथ रासायनिक खाद एवं उन्नतशील बीज भी उपलब्ध नहीं हैं। नहरों की मरम्मत के नाम पर गेहूं की पहली सिंचाई एवं परती पड़े खेतों का पलेवा भी किसानों का नहीं हो पा रहा है। ऐसे में किसान पूरी तरीके से प्रताडि़त हो रहा है और उसका शोषण स्थानीय बिचैलियों के द्वारा किया जा रहा है।
प्रवक्ता श्री सिंह ने उ0प्र0 सरकार से मांग की है कि तत्काल धान क्रय केन्द्रों के संचालन हेतु आदेश दे और क्रय केन्द्रों पर धान खरीद हेतु पर्याप्त बोरा एवं पर्याप्त धन की व्यवस्था सुनिश्चित करे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 12 December 2012 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने निर्देश दिये हैं कि प्रदेश में धान खरीद में आ रही समस्याओं के निस्तारण के लिए चावल के डैमेज प्रतिशत मानक 03 प्रतिशत को बढ़ाकर 4.5 करने एवं पुनः 01 प्रतिशत तक डैमेज को वैल्यू कट के आधार पर प्राप्त करने की स्वीकृति हेतु भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय के सचिव को मेरी ओर से तथा मुख्यमंत्री जी की ओर से प्रधान मंत्री जी को पुनः पत्र तत्काल भेजे जायें ताकि प्रदेश के किसानों का किसी प्रकार नुकसान न होने पाये। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद द्वारा भारत सरकार को धान खरीद में आने वाली समस्या के समाधान हेतु पत्र भेजे गये थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2012-13 में अब तक धान खरीद योजनान्तर्गत 4.35 लाख मी0टन धान खरीदकर किसानों को कुल 540 करोड़ रूपये का भुगतान कराया गया है जिससे 70249 किसान लाभान्वित हुए हैं। इसमें से 3.35 लाख मी0टन धान चावल मिलों को भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि राइस मिलों के आधुनिकीकरण हेतु एक नीति बनायी जाय ताकि डैमेज रेट कम हो सके ।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में धान खरीद व भण्डारण सम्बन्धित समस्याओ के संबंध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होने कहा कि लखनऊ, फैजाबाद, कानपुर, देवीपाटन, गोरखपुर, बस्ती, मिर्जापुर एवं इलाहाबाद मण्डलों में भण्डारण की लगभग 06 लाख मी0टन की आने वाली समस्या को समय से व्यवस्था सुनिश्चित कराने हेतु जनवरी के अन्त तक कार्ययोजना बना कर आवश्यक कार्यवाही तत्काल प्रारम्भ कर दें। उन्होने कहा कि प्रदेश में कुल भण्डारण क्षमता 55.5 लाख मी0टन के सापेक्ष पी0डी0एस0 में गेहॅू व चावल के उठान से लगभग 30 लाख मी0टन भण्डारण क्षमता उपलब्ध हो जायेगी। उन्होने कहा कि भारतीय खाद्य निगम में भण्डारण सम्बन्धी समस्याओं के कारण 2.01 लाख मी0टन कस्टम चावल डिलीवरी हेतु अवशेष हैं जिसका सम्प्रेषण कराये जाने हेतु भारत सरकार से निरंतर अनुरोध किया जाय। उन्होने कहा कि धान खरीद हेतु 1917 करोड़ रूपये की धनराशि उपलब्ध है, क्रय संस्थाओं को उनकी माग के अनुरूप अग्रिम धनराशि अवश्य उपलब्ध करा दी जाय।
प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद श्री दीपक त्रिवेदी ने बताया कि धान खरीद लक्ष्य 25 लाख मी0टन के सापेक्ष पर्याप्त संख्या में बोरे उपलब्ध हैं। प्रदेश में उपलब्ध कुल 1,71,107 गाॅंठ बोरों में से विगत 11 दिसम्बर तक धान खरीद में कुल 21777 गाॅंठ बोरो के प्रयुक्त होने के पश्चात अभी कुल 1,49,330 गाॅंठ बोरे अवशेष हैं जो 29.86 लाख मी0टन धान खरीद के लिए प्रर्याप्त बोरे हैं। उन्होने बताया कि विगत 11 फरवरी तक 4.35 लाख मी0टन खरीद धान के सापेक्ष 3.35 लाख मी0टन चावल मिलों को सम्प्रेषित किया जा चुका है जिसके विस्द्ध 2.25 लाख मी0टन0 सी0एम0आर0 बनता है जिसमें अभी तक भारतीय खाद्य निगम द्वारा मात्र 0.23 लाख मी0टन सी0एम0आर0 की डिलीवरी ली गयी है जबकि विगत वर्ष इसी तिथि तक 7.29 लाख मी0टन धान की खरीद के विरूद्ध 1.67 लाख मी0टन सी0एम0आर0 भारतीय खाद्य निगम को डिलीवर किया जा चुका था । इस प्रकार गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 2.84 लाख मी0टन धान की कम खरीद एवं 1.44 लाख मी0टन सी0एम0आर0 की कम खरीद हुई है।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन, खाद्य आयुक्त श्रीमती अर्चना अग्रवाल, सचिव वित्त श्री एम0देवराज, सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 11 December 2012 by admin
प्रदेश के मौनपालक किसानों को मधु उत्पादन को बढ़ाने हेतु सलाह दी जाती है कि वे मौमी पतिंगे की गिडारों से रोकथाम तथा मौनवंशों में किसी भी प्रकार की बीमारी सम्बन्धी विभिन्न तकनीकी जानकारी मौन विशेषज्ञ (मुख्यालय)/संयुक्त निदेशक (उद्यान) से सम्पर्क करके प्राप्त कर उसे दूर करें। साथ ही माइट/गिडारांे के प्रकोप से मौनवंशों को बचाने हेतु दिसम्बर व जनवरी माह में विशेष उपाय करें।
यह सुझाव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक श्री ओम नारायण सिंह ने दिया है। उन्होंने सलाह दी कि मौनवंशों को सुदृढ़/सशक्त बनायें तथा मौनगृहों की दरारों को बंद रखें। मौनपालक खाली छत्तों को मौनगृहों से निकाल कर पाॅलीथीन में ढक कर रखें तथा खाली छत्तों को हवारोधी ड्रम में रखकर ईडीसीटी मिश्रण से धूमित करें। उन्होंने बताया कि मौनपालक वैसीलिस थ्यूरिनजेंसिस (बीटी पाउडर) की 0.5 ग्राम दवा प्रति फ्रेम की दर से 1 लीटर पानी में घोलकर छत्तों पर छिड़काव करें तथा प्रभावित छत्तों को धूप में रख कर गिडारों को हाथ से मारंेे।
श्री सिंह ने कहा कि मौनवंशों को परजीवी अष्टपदी माइट के प्रकोप से बचाव हेतु विशेष सावधानियां बरतें। बैरोवा एवं ट्रोपीलीलेप्स क्लेरी माइट मौनवंशों के लारवा, प्यूपा एवं वयस्क मौनों के शरीर से खून को चूसते हैं, जिससे लारवा, प्यूपा एवं वयस्क मौन मर जाती हैं। बैरोवा माइट से प्रभावित मौन विकलांग एवं अविकसित रह जाती है, जो अवतारक पट (बाटम बोर्ड) के नीचे गिरी हुई मिलती है। उन्होंने कहा कि ट्रोपीलीलेप्स क्लेरी माइट से प्रभावित मौनों के पंख, पैर अविकसित एवं शरीर कमजोर हो जाता है तथा वे मौनगृह से गिर कर दूर रंेग कर जाती हुयी दिखाई देती है। एकरैपिस बुडाई (एकरीन रोग) रोग एक प्रकार का सूक्ष्य आन्तरिक परजीवी एकरैपिस (उडी रैनी) के कारण होता है जो कमेरी एवं रानी मधु मक्खी की श्वांस नली में धुस कर शरीर से खून चूस कर अपना भोजन लेती है। एकरीन रोग से प्रभावित मौने मौनगृह के द्वारा पर रेंगती हुई चलती है तथा मौनों के पंख अंग्रेजी के K अक्षर के आकार में दिखाई देती है। रोगी मौनों को पेचिश होने लगती है तथा मल के पीले पीले धब्बे मौनगृह के अन्दर तथा बाहर छिटके हुये दिखाई देते हैं।
उन्होंने बताया कि माइट से बचाव हेतु रोगग्रस्त क्षेत्रों में मौनवंशों का माइग्रेशन न करें तथा रोगी मौनवंशों के अण्डे एवं लारवा वाले छत्ते स्वस्थ मौनवंशों को न दें। मौनपालक को शक्तिशाली बनाये रखें तथा मौनालय में लूट एवं लड़ाई न होने दें। इसके साथ साथ रोगी मौन वंशों को स्वस्थ मौनवंशों से न मिलायें। उन्होंने कहा कि बैरोवा एवं ट्रोपीलीलप्स क्लेरी माइट से प्रभावित मौनवंशों में सल्फर पाउडर 200 मि0ली0 ग्राम प्रति फ्रेम की दर से साप्ताहिक अन्तराल पर चार बार बुरकाव करें तथा फारमिक एसिड 85 प्रतिशत की 3-5 मि0ली0 मात्रा को एक दिन के अन्तराल पर एक शीशी में लेकर रुई की बत्ती बनाकर मौनगृह के तलपट में शाम के समय रखें और यह उपचार 5 बार किया जाये तथा प्रत्येक दिन दवा को बदलते रहेें। 2-3 ग्राम तम्बाकू की पत्ती का धुआं सप्ताह में दो बार करें तथा नीम का सूखा छिलका नीम की सूखी पत्ती को किसी टिन के बर्तन में रखकर मौनगृह के तल पट पर धुआं करें।
श्री सिंह ने एकरीन रोग से प्रभावित मौनवंशों के उपचार के लिए बताया कि फारमिक एसिड 85 प्रतिशत की 3-5 मि0ली0 दवा प्रति मौनवंश की दर से एक दिन के अन्तराल पर 5 बार फ्यूमीगेशन करें। मिथाइल सैलीसिलेट दवा में सोखता कागज को भिगोकर शाम के समय गेट के अन्दर डाल देना चाहिये तथा सुबह इसे निकाल दें। यह उपचार एक सप्ताह तक लगातार करें और आक्जैलिक एसिड 3 प्रतिशत 5 मि0ली0 प्रति ब्रूड चैम्बर की दर से 8 दिन के अन्तराल पर तीन छिड़काव करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 09 December 2012 by admin
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने चालू पेराई सत्र के लिए गन्ना मूल्य घोषित कर प्रदेश के किसानों को उनकी फसल का उचित एवं लाभप्रद मूल्य दिलाने का वायदा पूरा किया है। गन्ने का यह राज्य परामर्शी मूल्य पिछले पेराई सत्र की तुलना में प्रति क्विंटल 40 रूपए ज्यादा है। अब सामान्य प्रजाति की कीमत 280 अनुपयुक्त प्रजाति की 275 रूपए तथा अगैती प्रजाति के गन्ने के लिए 290 रूपए प्रति कुंतल घोषित की गई है। समाजवादी सरकार का यह स्वागत योग्य कदम है।
समाजवादी पार्टी की सरकार ने किसानों के हितों की प्रतिबद्धता को अमली जामा पहनाने का सराहनीय काम किया है। 50 हजार तक कर्ज माफी, बंधक जमीन की नीलामी पर रोक, सिंचाई की मुफ्त सुविधा, फसल बीमा, आपदाग्रस्त किसान परिवारों को मदद, बृद्ध सीमांत कृषकों को पेंशन तथा खाद बीज की उपलब्धता ये सारी व्यवस्थाएं की जा चुकी हंै। खाद के अग्रिम भंडारण हेतु वर्ष 2012-13 के बजट में 100Û00 करोड़ रूपए का प्राविधान किया गया है और ग्रामीण अंचलों में जिला सहकारी बैंक द्वारा 2440 करोड़ रूपए फसली ऋण वितरित किया गया है।
मुख्यमंत्री जी किसानों की आर्थिक समृद्धि, कृषि उत्पादकता में वृद्धि और कृषि सुधारों को मजबूती देने के लिए शपथग्रहण के पहले दिन से ही प्रयत्नशील हैं। इस तरह श्री अखिलेश यादव ने श्री मुलायम सिंह यादव की नीतियों को आगे बढ़ाया है। श्री मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में मिलों से गन्ने की कीमत एक हफ्ते में दिलाने के साथ गन्ना किसानों का 1700 करोड़ रूपए बकाया भी अदा कराया गया था।
जिन विपक्षी नेताओं को आज समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा गन्ना किसानों के हित में घोषित समर्थन मूल्य पर एतराज है उन्हें पहले अपने रिकार्ड पर भी निगाह डाल लेनी चाहिए। पिछली बसपा सरकार में गन्ना किसानों को अपना गन्ना खेतों में जलाना पड़ गया था। उचित मूल्य और मुआवजे की मांग पर किसानों को गोलियां और जेल मिली। जो अब गन्ना किसानों को कम समर्थन मूल्य मिलने का अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं उन्होने पिछली सरकार में किसानों को ढाई सौ रूपए समर्थन मूल्य ही दिया था। बसपा राज में खाद मांगने पर किसानों पर लाठियां बरसी थी। जिन्होने अपने कार्यकाल में हर तरह से किसानों को बर्बाद किया था आज वे ही किसानों के नकली पैरोकार बन रहे हैं।
समाजवादी पार्टी की सरकार के फैसले से प्रदेश के गन्ना किसानों को 21,500 करोड़ रूपए मूल्य का भुगतान किया जाएगा। गन्ना किसानों को इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में वर्तमान वित्तीय वर्ष में लगभग 3300 करोड़ रूपए गन्ना मूल्य के रूप में अधिक प्राप्त होगें। स्पष्ट है कि सरकार ने अपेक्षा से ज्यादा गन्ना किसानों को लाभ पहुॅचाया है। पिछली बसपा सरकार ने अंतिम बजट में मूल्य बढ़ाया था जबकि समाजवादी पार्टी सरकार ने पहले ही बजट में 290 रूपए प्रति कुंतल मूल्य घोषित कर दिया है। मुख्यमंत्री स्वयं कृषक परिवार से होने के नाते खेती और किसान की समस्याओं को भली भांति समझते हैं। उन्होने किसानों को तमाम सहूलियतें देकर अपनी इस कथनी को करनी में बदल दिया है कि किसान की खुशहाली से ही प्रदेश खुशहाल हो सकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 08 December 2012 by admin
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चैहान ने सरकार द्वारा की गयी गन्ने के मूल्य की घोषणा को किसानों के साथ किया गया एक और धोखा बताया जबकि प्रदेश में किसान खाद, बिजली, पानी व डीजल की मंहगाई से जूझ ही रहा था वहीं सरकार ने लागत मूल्य से कम मूल्य की घोषणा करके किसानों का मजाक उड़ाया है।
राष्ट्रीय लोकदल ने सड़क से लेकर सदन तक गन्ने के लाभकारी मूल्य के लिए सरकार पर दबाव बनाया था कि केन्द्र द्वारा घोषित गन्ने का मूल्य और लागत मूल्य को जोड़कर लगभग 350 रू प्रति कु0 की मांग की थी लेकिन इस घोषणा से सरकार ने किसानों की अनदेखी की वहीं सरकार मिल मालिकों के दबाव में आकर गन्ना किसानों के साथ वादा खिलाफी व धोखा किया जबकि सरकार ने घोषणा पत्र में वादा किया था कि केन्द्र द्वारा घोषित मूल्य में 50 प्रतिशत जोड़कर किसानों को भुगतान किया जायेगा।
राष्ट्रीय लोकदल सरकार की घोर निन्दा करता है कि यह मूल्य किसानों के लिए ऊँट के मुँह में जीरा है। सरकार जब तक किसानों के हित की अनदेखी करेगी तब तक यह प्रदेश खुशहाल नहीं बनेगा। स्व0 चै0 चरण सिंह ने कहा था कि “देश की खुशहाली का रास्ता खेत और खलिहानों से होकर गुजरता है।” प्रदेश की गूँगी बहरी सरकार ने जो किसानों के साथ धोखा किया है उसका मुहतोड़ जवाब आगामी लोकसभा चुनाव मंे प्रदेश का किसान देगा।
श्री सिंह ने बताया कि प्रदेश की आधी से ज्यादा चीनी मिले ठप पड़ी हैै किसानों के बकाया धनराशि के भुगतान के लिए भी सरकार के ऊपर जूँ भी नहीं रेंग रही है जिससे किसानो में भारी असंतोष व्याप्त है।
राष्ट्रीय लोकदल सरकार से मांग करता है कि प्रदेश के सभी चीनी मिलों में पेराई तत्काल शुरू करें तथा किसानों के बकाया धनराशि का भुगतान भी करने का निर्देश जारी करे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 08 December 2012 by admin
गन्ना किसानों की ज्वलन्त समस्याओं के निराकरण और उनकी खुशहाली के प्रति कांग्रेस पार्टी सदैव से प्रयत्नशील रही है। गन्ना हमारे प्रदेश की एक प्रमुख फसल है। जिस पर किसानों के परिवार से सम्बन्धित भविष्य की योजनाएं निर्भर करती हैं परन्तु गन्ना किसानों को समय पर बकाये का भुगतान न हेा पाना, गन्ने की पैदावार की लागत की तुलना में वाजिब मूल्य न मिलना तथा राज्य सरकार द्वारा लगभग डेढ़ माह देर से लगभग लागत के बराबर ही समर्थन मूल्य की घोषणा करना प्रदेश के किसानों के प्रति उदासीनता दर्शाता है।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डाॅ0 निर्मल खत्री ने आज यहां जारी बयान में कहा कि गत वर्ष पेराई सत्र में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य 240 रूपये प्रति कुंतल घोषित किया था, जो कि नाकाफी था। जिससे किसानों को नुकसान में अपने गन्ने को मिलों में बेंचना पड़ा था और आज तक उनके भुगतान लम्बित हैं। किसानों के भुगतान को लेकर पूरे प्रदेश में कंाग्रेसजनों द्वारा आन्दोलन भी किया गया था। उन्होने कहा कि इस वर्ष किसानों को गन्ने की उपज में काफी अधिक लागत आयी है, इसलिए राज्य सरकार को कम से कम 325 रूपये प्रति कुंतल समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए था, जबकि राज्य सरकार ने 290 रूपये प्रति कुंतल किया है जेा किसानों की मजदूरी और उसकी लागत से भी कम है।
डाॅ0 खत्री ने एक बार पुनः उ0प्र0 के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी से गन्ने का समर्थन मूल्य कम से कम 325 रूपये किये जाने तथा खाण्डसारी व्यवसाय को बचाने की मांग की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 04 December 2012 by admin
प्रदेश में आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिये जिंक मैगनीज कार्बामेट 2.0 से 2.5 कि0ग्रा0 अथवा काॅपर आक्सीक्लोराइड 2.5 से 3.0 कि0ग्रा0 को 800-1000 ली0 पानी में किसी एक रसायन को घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से पहला छिड़काव बुवाई के 30-45 दिन बाद तथा दूसरा छिड़काव 10-15 दिन के बाद अवश्य किया जाये।
यह जानकारी देते हुये उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, निदेशक श्री ओ0एन0 सिंह ने बताया कि प्रदेश में आलू की फसल का व्यावसायिक एवं गुणात्मक उत्पादन सुनिश्चित करने हेतु फसल को रोगों से बचाने के लिये रक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू के अच्छे उत्पादन हेतु कीट/व्याधियों का उचित समय पर नियंत्रण किया जाये, क्योंकि आलू की फसल झुलसा रोग के प्रति अत्यन्त संवेदनशील होती है। उन्होंने बताया कि प्रतिकूल मौसम में जैसे कि बदलीयुक्त बूंदा-बांदी एवं नम वातावरण में इस रोग का प्रकोप बहुत बढ़ जाता है तथा आलू की फसल को भारी क्षति पहुॅचाता है।
किसानों को सलाह देते हुये उन्होंने कहा कि झुलसा रोग फसल की निचली पत्तियों से प्रारम्भ होता है, जिसके कारण गहरे भूरे/काले रंग के कुण्डलाकार छल्लेनुमा धब्बे बनते हैं जो बाद में सूख कर टूट जाते हैं। इस रोग के प्रकोप से पत्तियां सिर से झुलसना प्रारम्भ होती हैं और इनकी निचली सतह पर रूई की तरह फफूॅद दिखायी देती हैं। उन्होंने बताया कि झुलसा रोग का प्रकोप बदलीयुक्त आर्द्र वातावरण एवं कम तापमान पर बहुत तेजी से होता है और दो से चार दिन के अंदर ही सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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