प्रदेश में आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिये जिंक मैगनीज कार्बामेट 2.0 से 2.5 कि0ग्रा0 अथवा काॅपर आक्सीक्लोराइड 2.5 से 3.0 कि0ग्रा0 को 800-1000 ली0 पानी में किसी एक रसायन को घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से पहला छिड़काव बुवाई के 30-45 दिन बाद तथा दूसरा छिड़काव 10-15 दिन के बाद अवश्य किया जाये।
यह जानकारी देते हुये उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, निदेशक श्री ओ0एन0 सिंह ने बताया कि प्रदेश में आलू की फसल का व्यावसायिक एवं गुणात्मक उत्पादन सुनिश्चित करने हेतु फसल को रोगों से बचाने के लिये रक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू के अच्छे उत्पादन हेतु कीट/व्याधियों का उचित समय पर नियंत्रण किया जाये, क्योंकि आलू की फसल झुलसा रोग के प्रति अत्यन्त संवेदनशील होती है। उन्होंने बताया कि प्रतिकूल मौसम में जैसे कि बदलीयुक्त बूंदा-बांदी एवं नम वातावरण में इस रोग का प्रकोप बहुत बढ़ जाता है तथा आलू की फसल को भारी क्षति पहुॅचाता है।
किसानों को सलाह देते हुये उन्होंने कहा कि झुलसा रोग फसल की निचली पत्तियों से प्रारम्भ होता है, जिसके कारण गहरे भूरे/काले रंग के कुण्डलाकार छल्लेनुमा धब्बे बनते हैं जो बाद में सूख कर टूट जाते हैं। इस रोग के प्रकोप से पत्तियां सिर से झुलसना प्रारम्भ होती हैं और इनकी निचली सतह पर रूई की तरह फफूॅद दिखायी देती हैं। उन्होंने बताया कि झुलसा रोग का प्रकोप बदलीयुक्त आर्द्र वातावरण एवं कम तापमान पर बहुत तेजी से होता है और दो से चार दिन के अंदर ही सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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