Posted on 25 July 2012 by admin
वन विभाग के अन्तर्गत विभिन्न वनस्पतियों के उच्च कोटि के बीजों का उत्पादन, क्लोनल पौध की तैयारी हेतु, वृक्ष संवर्धन योजना (नाबार्ड पोषित) संचालित हो रही हैं। इसके लिए चालू वित्तीय वर्ष में 166.40 लाख के व्यय की स्वीकृति प्रदान की गई हैं।
प्राप्त सूचना के अनुसार वृक्ष संवर्धन योजना के अन्तर्गत प्रदेष के दस जनपदों में उच्च कोटि के बीजों का उत्पादन, पौध की तैयारी तथा भावी आवष्यकताओं के दृष्टिगत बिजौला बीज, क्लोनल बीज उद्यानों की स्थापना व रख-रखाव किया जायेगा। इससे वर्तमान एवं भविष्य में होने वाले वृक्षारोपण के लिए उच्च गुणवत्ता की रोपण सामग्री निर्वाध रूप से उपलब्ध हो सकेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 24 July 2012 by admin
उर्द, मंूग, मूंगफली एवं तिल की बुआई के लिए यह समय उपयुक्त है। उर्द की उन्नतषील प्रजातियों में उत्तरा, पंत यू-35, नरेन्द्र उर्द, पंत यू0-30, आजाद उर्द-2 शेखर-3 आजाद उर्द-3, डब्लू, पी0 पी0 यू0-108, शेखर-2 पंत उर्द-31 की बुआई शीघ्र करें।
फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों की विगत बैठक की सलाह के अनुसार मूंग की बुआई के लिए भी यह मौसम अनुकूल है। अतः शीघ्र पकने वाली प्रजातियों में मूंग-1, पंत मूंग-3, नरेन्द्र मंूग-1, पी0 डी0 एम-54, पंत मंूग-4, पी0 डी0 एम0-11, मालवीय ज्योति, सम्राट, मालवीय, मालवीय-जनचेतना, जनकल्याणी, जनप्रिया, जागृति, आषा, मेहा, एम0 एच0 2-15, तथा टी0 एम0 9937 आदि की बुआई करें।
मंूगफली की प्रजातियों में चन्द्रा, चित्रा, कौषल, प्रकाष, अम्बर-टी0जी0-37 ए, एम-13 व सी0 जी0 एम0 जी0 8847 की बुआई करें।
तिल की संस्तुत प्रजातियों में यथा टा-4, टा-13 टा-78 शेखर, प्रगति एवं तरूण आदि को बुआई की जाये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 17 May 2012 by admin
ग्राम नौपुरा और बहेरा में टीकाकरण पर जनता से चर्चा
बच्चों के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में मीडिया द्वारा रचनात्मक सहयोग पर यूनिसेफ द्वारा यहां आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन मीडिया प्रतिनिधियों ने आज विकास खण्ड बरौली अहीर के दो ग्रामों -नौपुरा और बहेटा का दौेरा कर स्थिति का मौके पर जायजा लिया और ग्रामवासियों व लाभार्थी महिलाओं से उनकी समस्याओं और सुझावों पर चर्चा की। मीडिया प्रतिनिधियों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं को देखा और पोलियो वैक्सीन के रख रखाव हेतु कोल्ड चेन प्रबन्धन का अवलोकन किया।
यूनिसेफ तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ मीडिया के दो समूहों में से एक ने ग्राम बहेटा और दूसरे ग्रुप ने नौपुरा का दौरा किया। उपकेन्द्र बहेटा पर हर महीने तीसरे बुधवार को टीकाकरण किया जाता है जिसकी जानकारी सभी ग्राम वासियों को रहती है। यहां डयुटी पर तैनात ए.एन.एम.-भू देवी ने बताया कि ग्राम में एक वर्ष तक की आयु के 40 बच्चे टीकाकरण हेतु दर्ज है जिनके कार्ड बने है। टीकाकरण दिवस पर आशा तथा आगनबाडी कार्यकत्री बुलावा टीम के रूप में सहयोग करती है।
ग्राम वासियों ने टीकाकरण तथा अन्य कार्यक्रमों की जानकारी उप केन्द्र पर भी लिखवाने तथा ग्राम स्तर पर गठित ग्राम स्वच्छता समिति को सक्रिय किये जाने की जरूरत बताई। चिकित्सा अधीक्षक डा0 संजीव बर्मन ने अवगत कराया कि ग्राम में शीघ्र ही चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जायेगा। डा0 बर्मन ने बताया कि उनके सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अन्तर्गत स्वीकृत 28 ए.एन.एम. में से 23 कार्यरत है इसलिए कुछ स्थानों पर ए.एन.एम. को उपकेन्द्र का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है।
इसी प्रकार ग्राम बहेटा के स्वास्थ्य केन्द्र पर कार्यरत ए.एन.एम. सुश्री थामस ने ग्राम में नवजात शिशुओं तथा गर्भवती महिलाओं को दिये जा रहे टीकाकरण के मामलों पर मीडिया समूह को अवगत कराते हुए उनकी जिज्ञासाओं का भी समाधान किया ।
संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डा0 श्री राम ने जनपद में संचालित स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी दी । जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा0 अनुपम भास्कर ने बताया कि जनपद में 394 स्वास्थ्य उप केन्द्र है जिनमें से 294 पर ए.एन.एम. कार्यरत है। अन्य स्थानों पर भर्ती हेतु कार्यवाही की जा रही है।
अन्त में यूनीसेफ की ओर से न्यू कन्सेप्ट इन्फोरमेशन की ऊषा राय, अश्वनी भट्नागर तथा अतुल ने प्रतिभागियों से फीड बैक प्राप्त कर भविष्य के आयोजनों तथा टीकाकरण के लिए जन जागरूकता हेतु बेहतर कार्यवाही किये जाने का विश्वास दिलाया ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 18 October 2011 by admin
मलेरिया रोधी दवा के स्रोत आर्टीमिसिया की खेती पर एक दिससीय कृषक संगोष्ठी आज दिनांक 17 सितम्बर, 2011 को सीमैप में मलेरिया रोधी औषधीय पौधा आर्टीमिसिया की अनुबंधित खेती पर एक दिवसीय कृषक उद्यमी वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से लगभग 100 कृषकों ने भाग लिया इस संगोष्ठी का आयोजन सीमैप और इपका लैब्स लिमिटेड कम्पनी रतलाम (मध्य प्रदेश) के सह-आयोजन से किया गया था। इपका लैब्स लिमिटेड कम्पनी द्वारा विगत् कई वर्षों से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड, राज्यों में इस पौधे की खेती करायी जा रही है जिससे परम्परागत् फसलों की तुलना में बेहतर लाभ कृषकों को मिल रहा है। इस पौधे की खेती के लिए नवम्बर-दिसम्बर माह में नर्सरी डाली जाती है तथा रोपण हेतु नर्सरी लगभग 45 दिनों में तैयार हो जाती है रोपण जनवरी-फरवरी माह में की जा सकती है। फसल की रोपण हेतु जनवरी-फरवरी का समय सबसे उपयुक्त होता है। एक एकड़ आर्टीमिसिया की खेती में कुल लागत लगभग 8-10 हजार रूपये आता है और शुद्ध लाभ लगभग 25-30 हजार रूपये लगभग 100-110 दिनों में इस फसल से किसान भाई आसानी से पा सकते है इस खेती के साथ सबसे मुख्य बात यह है कि बिक्री की कोई समस्या नही है कम्पनी 3300 रूपये प्रति कुन्तल की दर से सूखी पत्ती खरीद रही है । इस पौधे की खेती सीतापुर जनपद के श्री रवीन्द्र सिंह बारबंकी के श्री राकेश कुमार लखनऊ के प्रगतिशील कृषक श्री रामसिंह इत्यादि विगत कई वर्षों से खेती कर रहे है। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश व निकटवर्ती क्षेत्रों में लगभग 3000-5000 एकड़ क्षेत्रफल में इस पौधे की खेती की सम्भावना है। इपका के प्रतिनिधि सुश्री अल्का के अनुसार कम्पनी इस वर्ष 4000-5000 एकड़ खेती का लक्ष्य रखा गया है तथा कम्पनी को लगभग 50 टन आर्टीमिसनिन की जरूरत होती है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपदों जैसे गोरखपुर, कुशीनगर के लगभग 20 कृषकों के खेतों पर लगभग 60 एकड़ क्षेत्रफल में खेती की योजना कम्पनी द्वारा ग्राम इटहिया पो. गुलरिहा विकास खण्ड-चरगांवा जनपद गोरखपुर के प्रगतिशील कृषक श्री भगवान दास द्वारा करायी जा रही है। ये पिछले कई वर्षों से इस पौधे की खेती व अन्य लाभकारी फसलों की खेती कर रहे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 29 September 2011 by admin
पशु पालन कम होने और अधिकाधिक कृषि उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल होने के कारण मृदा स्वास्थ्य में गिरावट आयी है। खेती मंे प्रयोग होने वाले रासायनिक उर्वरकों का मात्र 25 प्रतिशत ही हमारी फसलें दोहन कर पा रही है शेष 75 प्रतिशत धरती में पड़ा हुआ है। धरती के भीतर पटे पड़े इस तत्व को जैव उर्वरकों के इस्तेमाल से सक्रिय कर कृषि उपज भी बढ़ाई जा सकती है और उर्वरकों पर खर्च होने वाले व्यय को कम भी किया जा सकता है। अतः खेती में जैव उर्वरकांे को बढ़ावा देना अब अनिवार्य हो गया है। वरना भविष्य भयावह हो सकता है।
उक्त विचार सहकारिता भवन में आयोजित कृषि एवं सहकारिता विकास संगोष्ठी में इफ्को के प्रबन्ध निदेशक डाॅ. उदय शंकर अवस्थी ने व्यक्त किया।
गोष्ठी के प्रमुख सचिव (कृषि) सुशील कुमार, प्रमुख सचिव (सहकारिता) संजय अग्रवाल, कृषि निदेशक-मुकेश गौतम, पीसीएफ अध्यक्ष एवं इफ्कों निदेशक-राम चन्द्र प्रधान, निदेशक इफ्को चै. शीश पाल तसंह, राजकुमार त्रिपाठी, वीर प्रताप सिंह, इफ्कों के संयुक्त महाप्रबन्धक बलबीर सिंह, राज्य विपणन प्रबन्धक योगेन्द्र कुमार भी प्रबन्ध निदेशक पीसीएफ रामबोध मौर्य, आईएफएफडी सी.के. चेयरमैन गुरु प्रसाद त्रिपाठी व इफ्कों के तमाम अधिकारियों एवं भारी मात्रा में किसानों ने भाग लिया। अपने उद्धोधन में डाॅ. अवस्थी ने किसानों को बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों के दाम मेें निरन्तर बढ़ोत्तरी भी हो रही है तथा मिट्टी की सेहत भी खराब होती जा रही है। अतः किसान अपनी मिट्टी के जीर्णोद्वार के लिए सजग हो जाये। रसायनिक उर्वरकों के साथ-साथ यह अत्यन्त आवश्यक है कि जैब उर्वरक, वर्मी कम्पोस्ट तथा ग्रीन मैन्योरिंग का प्रयोग किया जाये। डाॅ. अवस्थी ने प्रदेश के प्रमुख सचिव सहकारिता संजय अग्रवाल व प्रमुख सचिव कृषि सुशील कुमार की मांग पर उत्तर प्रदेश को पर्याप्त एवं वरीयता के आधार पर उर्वरक उपलब्ध कराने का आश्वासन देते हुए प्रदेश में सहकारिता आन्दोलन को बहुआयामी एवं अधिक सक्रिय करने तथा जैविक खेती को बढ़ा देने की नसीहत भी दी।
प्रमुख सचिव (कृषि) ने अवगत कराया कि प्रदेश में धान की अच्छी फसल होने की पूरी सम्भावना है। आने वाली रबी हेतु प्रदेश को 32.5 लाख टन यूरिया तथा 1.15 टन डीएपी एवं 6 लाख टन एनपीके का आवंटन प्राप्त हुआ है जिसकी और अधिक बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लगभग दो हजार सहकारी समितियों एवं 42,000 निजी उर्वरक बिक्री केन्द्रों के जरिये किसानों तक भरपूर उर्वरक पहंुचाने का वादा किया। उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए इफ्को से पर्याप्त मात्रा में पीएसपी कल्चर मुहैया कराने की मांग की। उन्होंने बताया कि प्रदेश को 67 लाख मी. टन खाद की जरूरत होगी जिसके लिए मुख्यमंत्री ने प्रधान मंत्री को पत्र लिखा है।
इफ्कों प्रबन्ध निदेशक डाॅ. उदय शंकर अवस्थी ने प्रदेश के प्रमुख सचिव सहकारिता संजय अग्रवाल की मांग पर समितियों को आपूर्ति की जाने वाली डीएपी एनपीके व यूरिया खादों पर मार्जिन मनी बढ़ाये जाने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि वे ही सहकारी समितियां इफ्कों का सदस्य रह पायेंगी जो कि साल में कम से कम 100 टन खाद की बिक्री करेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 23 June 2011 by admin
उत्तर प्रदेश में खरीफ की फसल में धान का प्रमुख स्थान है प्रदेश में 22 जुलाई तक 60 प्रतिशत से अधिक धान की नर्सरी पड़ चुकी है। कृषकों को जून में धान की नर्सरी को डालने का कार्य पूरा कर लेना चाहिए। नर्सरी में खैरा रोग लगने पर जिंक सल्फेट तथा यूरिया का छिड़काव करें एवं सफेदा रोग के लिए फेरस सल्फेट तथा यूरिया का छिड़काव किया जाये।
कृषि निदेशक डा0 मुकेश गौतम से प्राप्त जानकारी के अनुसार धान की रोपाई के समय संस्तुति उर्वरक का प्रयोग एवं रोपाई के एक सप्ताह के अन्दर ब्यूटा क्लोर से खरपतवार का नियंत्रण करें।
जुलाई के माह में धान की रोपाई प्रत्येक हिल पर 2-3 पौधे लगाने एवं ब्लूटा क्लोर से खरपतवार नियंत्रण किया जाये। ऊसर क्षेत्र के लिए ऊसर धान-1, ऊसर धान-2, जया, तथा साकेत-4 की रोपाई करें। 35-40 दिन की पौधे लाई जानी चाहिए। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेमी0 एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी0 तथा एवं एक स्थान पर 4-5 पौधे लगाना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 30 April 2011 by admin
अन्ना हजारे का वास्तविक नाम किसन बाबूराव हजारे है। 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना हजारे का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे, दादा फौज में थे। दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी अन्ना के पुश्तैनी गांव अहमद नगर जिले में स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। अन्ना के 6 भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुम्बई ले गईं। वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रुपये की पगार में काम करने लगेण् इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया। छठे दशक के आसपास वह फौज में शामिल हो गए। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में हुई। यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बचे थेण् इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक पुस्तक श्कॉल टु दि यूथ फॉर नेशनश् खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी। उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ाण् 1970 में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया। मुम्बई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते.जाते रहे। जम्मू पोस्टिंग के दौरान 15 साल फौज में पूरे होने पर 1975 में उन्होंने वीआरएस ले लिया और गांव में आकर डट गए।उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल दी। उन्होंने अपनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी। आज उनकी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास में खर्च होता है। वह गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। आज गांव का हर शख्स आत्मनिर्भर है।आस.पड़ोस के गांवों के लिए भी यहां से चाराए दूध आदि जाता है। गांव में एक तरह का रामराज है। गांव में तो उन्होंने रामराज स्थापित कर दिया है। अब वह अपने दल.बल के साथ देश में रामराज की स्थापना की मुहिम में निकले हैं। आज अन्ना हजारे जिस जन लोकपाल बिल के लिए भूख हड़ताल पर हैंए उसे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस संतोष हेगड़े, वक़ील प्रशांत भूषण और आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने मिलकर तैयार किया है। इस बिल में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोकायुक्तों की नियुक्ति का प्रस्ताव है। इनके कामकाज में सरकार और अफसरों का कोई दखल नहीं होगाण् . भ्रष्टाचार की कोई शिकायत मिलने पर लोकपाल और लोकायुक्तों को साल भर में जांच पूरी करनी होगीण् . अगले एक साल में आरोपियों के ख़िलाफ़ केस चलाकर क़ानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी और दोषियों को सज़ा मिलेगीण् . यही नहीं भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने वालों से नुकसान की भरपाई भी कराई जाएगी। अगर कोई भी अफसर वक्त पर काम नहीं करता जैसे राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनाता तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। 11 सदस्यों की एक कमेटी लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति करेगी। लोकपाल और लोकायुक्तों के खिलाफ आरोप लगने पर भी फौरन जांच होगी। जन लोकपाल विधेयक में सीवीसी और सीबीआई के एंटी करप्शन डिपार्टमेंट को आपस में मिलाने का प्रस्ताव है। साथ ही जन लोकपाल विधेयक में उन लोगों को सुरक्षा देने का प्रस्ताव है जो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएंगे ।
Vikas कुमार sharma
Jhansi U.P
9415060119
Posted on 25 February 2011 by admin
बसन्त कालीन मूंग एवं उर्द की बुआई करें
उत्तर प्रदेश के कृषक दलहनी खेती के कीट रोगों को बचाने के लिए शीघ्र प्रयास करें। मटर में फली बेधक से 05 प्रतिशत फलियां प्रभावित होने पर बेसिलस यूरिजेंसिस 01 किग्रा0 या इन्डोसल्फान 35 ई0सी0 1.25 लीटर या फेनबेलरेट 750 मि0ली0या मोनोक्रोटोफास 01 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। अरहर में फलीबेधक की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफॉस (36 ई0सी0) या 1000 मि0ली0 प्रति हेक्टेयर या इन्डोसल्फान (35 ई0सी0) 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या निबोली 06 प्रतिशत तथा 01 प्रतिशत साबुन के घोल के साथ छिड़काव करना चाहिए।
फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार चने में फली छेदक एवं सेमी लूपर कीट की रोकथाम के लिए 250 मृत सूडियों का रस 200 से 300 लीटर पानी में मिला कर 0.5 प्रतिशत गुड के साथ प्रति सूड़ी 10 पौधे दिखाई देने पर छिड़काव करें अथवा उपचार के लिए 50 ई0सी0 2.00 लीटर मैलाथियान या क्यूनालफास 25 ई0सी0 का 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
कृषक इसके साथ ही बसन्त कालीन मूंग की प्रजातियों तथा नरेन्द्र मूंग-1 मालवीय जागृति, मूंग जनप्रिया, पन्त मूंग, सम्राट, मालवीय ज्योति, मालवीय जनचेतना आदि की बुआई फरवरी से करें। उर्द की प्रजातियों में यथा टा-9, नरेन्द्र उर्द-1, आजाद उर्द-1 उत्तरा, आजाद उर्द-2 तथा शेखर-2 की बुआई फरवरी से आरम्भ करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 12 January 2011 by admin
उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि से अवैध कब्जेदारों को हटाकर वास्तविक पट्टेदारों को कब्जा दिलाये जाने की योजना के तहत माह दिसम्बर तक 8242 अवैध कब्जे हटाकर वास्तविक पट्टेदारों को कब्जा दिलाया गया। अनुसूचित जाति/जनजाति के पट्टेदारों को 99.82 प्रतिशत कब्जा दिलाया गया।
राजस्व विभाग से प्राप्त सूचनानुसार अलीगढ़ मण्डल में 748, आगरा मण्डल में 422, आजमगढ़ मण्डल में 53, इलाहाबाद मण्डल में 219, कानपुर मण्डल में 386, गोरखपुर मण्डल में 54, चित्रकूट मण्डल में 130, झांसी मण्डल में 51, देवीपाटन मण्डल में 159, फैजाबाद मण्डल में 853, बरेली मण्डल में 339, बस्ती मण्डल में 19, मेरठ मण्डल में 393, मुरादाबाद मण्डल में 208, विंध्याचल मण्डल में 435, लखनऊ मण्डल में 2373, वाराणसी मण्डल में 994, एवं सहारनपुर मण्डल में 146 पट्टाधारकों को कब्जा दिलाया गया।
इसके अतिरिक्त 654 दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध एक0 आई0आर0 दर्ज कराई गई और 661 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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Posted on 12 January 2011 by admin
कृषक दलहनी फसलों में चना, मसूर, मटर एवं अरहर की खेती में कीट/रोगों का नियन्त्रण शीघ्र करें। विलम्ब से बोये गये चने में आवश्यकतानुसार एक निराई करें, जिससे जड़ों की गाठों का अच्छा विकास हो सकेगा। चने एवं मसूर में फूल आने से पूर्व सिंचाई करें।
फसल सतर्कता समूह के वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार मटर में फूल आने के समय आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। बुकनी रोग के नियन्त्रण के लिए घुलनशील गन्धक 3 कि0 ग्रा0 या डायनोकेप 48 ई0सी0 600 मि0ली0 या काबाZन्डाजिम 500 ग्राम या ट्राइडोमार्फ 86 ई0सी0 500 मि0ली0 दवा को 600-800 लीटर पानी में घोल कर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करें।
अरहर की खेती में पत्तीलपेटक कीट की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 ई0सी0 800 मि0ली0 प्रति हे0 या इन्डोसल्फान 35 ई0सी0 125 लीटर प्रति हे0 की दर से घोल तैयार करें। फलीबेधक के लिए मोनोफ्रोटोफास या इन्डोसल्फान का संस्तुति के अनुसार प्रयोग करें। इसके अतिरिक्त निबोली 6 प्रतिशत में 1 प्रतिशत साबुन का घोल मिलाकर उसका छिड़काव करें। अरहर में फली मक्खी के लिए मोनोक्रोटोफास 36 ई0सी0 या डायमेथोएट 30 ई0सी0 एक लीटर प्रति हे0 की दर से प्रभावित फसल पर छिड़काव करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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