कृषक दलहनी फसलों में चना, मसूर, मटर एवं अरहर की खेती में कीट/रोगों का नियन्त्रण शीघ्र करें। विलम्ब से बोये गये चने में आवश्यकतानुसार एक निराई करें, जिससे जड़ों की गाठों का अच्छा विकास हो सकेगा। चने एवं मसूर में फूल आने से पूर्व सिंचाई करें।
फसल सतर्कता समूह के वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार मटर में फूल आने के समय आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। बुकनी रोग के नियन्त्रण के लिए घुलनशील गन्धक 3 कि0 ग्रा0 या डायनोकेप 48 ई0सी0 600 मि0ली0 या काबाZन्डाजिम 500 ग्राम या ट्राइडोमार्फ 86 ई0सी0 500 मि0ली0 दवा को 600-800 लीटर पानी में घोल कर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करें।
अरहर की खेती में पत्तीलपेटक कीट की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 ई0सी0 800 मि0ली0 प्रति हे0 या इन्डोसल्फान 35 ई0सी0 125 लीटर प्रति हे0 की दर से घोल तैयार करें। फलीबेधक के लिए मोनोफ्रोटोफास या इन्डोसल्फान का संस्तुति के अनुसार प्रयोग करें। इसके अतिरिक्त निबोली 6 प्रतिशत में 1 प्रतिशत साबुन का घोल मिलाकर उसका छिड़काव करें। अरहर में फली मक्खी के लिए मोनोक्रोटोफास 36 ई0सी0 या डायमेथोएट 30 ई0सी0 एक लीटर प्रति हे0 की दर से प्रभावित फसल पर छिड़काव करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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