बसन्त कालीन मूंग एवं उर्द की बुआई करें
उत्तर प्रदेश के कृषक दलहनी खेती के कीट रोगों को बचाने के लिए शीघ्र प्रयास करें। मटर में फली बेधक से 05 प्रतिशत फलियां प्रभावित होने पर बेसिलस यूरिजेंसिस 01 किग्रा0 या इन्डोसल्फान 35 ई0सी0 1.25 लीटर या फेनबेलरेट 750 मि0ली0या मोनोक्रोटोफास 01 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। अरहर में फलीबेधक की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफॉस (36 ई0सी0) या 1000 मि0ली0 प्रति हेक्टेयर या इन्डोसल्फान (35 ई0सी0) 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या निबोली 06 प्रतिशत तथा 01 प्रतिशत साबुन के घोल के साथ छिड़काव करना चाहिए।
फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार चने में फली छेदक एवं सेमी लूपर कीट की रोकथाम के लिए 250 मृत सूडियों का रस 200 से 300 लीटर पानी में मिला कर 0.5 प्रतिशत गुड के साथ प्रति सूड़ी 10 पौधे दिखाई देने पर छिड़काव करें अथवा उपचार के लिए 50 ई0सी0 2.00 लीटर मैलाथियान या क्यूनालफास 25 ई0सी0 का 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 700 से 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
कृषक इसके साथ ही बसन्त कालीन मूंग की प्रजातियों तथा नरेन्द्र मूंग-1 मालवीय जागृति, मूंग जनप्रिया, पन्त मूंग, सम्राट, मालवीय ज्योति, मालवीय जनचेतना आदि की बुआई फरवरी से करें। उर्द की प्रजातियों में यथा टा-9, नरेन्द्र उर्द-1, आजाद उर्द-1 उत्तरा, आजाद उर्द-2 तथा शेखर-2 की बुआई फरवरी से आरम्भ करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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