Archive | साहित्य

राजधानी लखनऊ में 5 अप्रैल को सोन चिरैया बसंती चैती बयार कार्यक्रम का आयोजन - मालिनी अवस्थी

Posted on 04 April 2013 by admin

edited-malini-awasthiलोक साहित्य के साथ लोकगायकी के उत्थान के लिऐ ढाई वर्ष पूर्व सोन चिरैया संस्था की स्थापना कर लोक से महानगरों को परचित कराने तथा विलुप्त होने की ओर पहुच रही लोकविधा के संरक्षण में लगी सुप्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने बताया कि राजधानी लखनऊ में 5 अप्रैल को सोन चिरैया बसंती चैती बयार कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक आकादमी परिसर के खुले मंच पर आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल बीएल जोशी तथा विशिष्ट अतिथि सुधीर दुबे मुख्यमहाप्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक होगें। कार्यक्रम का शुभारम्भ सर्व मंगला देवी सुमिरन के पचरा गीतों से होगा। वीरों के मन में उमंग जगाने वाले वीर काव्य आल्हा का गायन केन्द्रीय विद्यालय लखनऊ के 150 बच्चों द्वारा किया जायेगा। इस कार्यक्रम का सयोजन अवधी आल्हा गायक फौजदार सिंह के द्वारा किया जायेगा। राजधानी की कामकाजी गृहणियों को उनके हुनर को मंच पर दिखाने का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से दादी और नानी के साथ बालिकाओं को मिलाकर 50 महिलाओं का एक ग्रुप बनाया गया। इस ग्रुप को लोकगायिका मालनी अवस्थी ने होली और चैती गीतों को गाने का ढंग सिखाया। उनके माध्यम से घर आंगन 50 महिलायें सामूहिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगी। प्रहलाद कुर्मी के नेतृत्व में बुन्देलखंड से आये लोक कलाकारों द्वारा बुन्देली राई नृत्व तथा ईसुरी की फांगे गायी जायेगी। थारू जनजाति के लोक नृत्य तथा ब्रज होरंगा दाऊजी की आरती तथा महाआरती के साथ-साथ गाजीपुर के मोहन राठौर द्वारा कचरा गायन तथा शीलू सिंह राजपूत नये प्रयोग के साथ पुरूष गायकी को चुनौती देती हुई वीर रस की महाकाव्य आल्हा गायन प्रस्तुत करेगी। इस अवसर पर लोक साहित्यकार  डा0 सूर्यप्रसाद दीक्षित-अवधी , डा0 अर्जन दास केसरी-सोनांचली, अयोध्या प्रसाद कुमुद-बुन्देली को सम्मानित किया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव 22 मार्च, 2013 को हिन्दी संस्थान, लखनऊ में सम्मानित किए गए साहित्यकारों के साथ।

Posted on 22 March 2013 by admin

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव 22 मार्च, 2013 को हिन्दी संस्थान, लखनऊ में साहित्यकार डाॅ0 महीप सिंह को भारत-भारती सम्मान प्रदान करते हुए।

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रचनाधर्मी राज्य कर्मचारी पुरस्कृत उर्दू के भी दो कलमकार सम्मानित

Posted on 10 March 2013 by admin

संस्थान की पत्रिका सहित कई पुस्तकों का विमोचन
राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान का पुरस्कार एवं सम्मान समारोह आयोजित
राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित पुरस्कार एवं सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी साहित्यकारों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसा समझा जाता है कि सरकारी कार्य करने वाले लोग साहित्य के बारे में उतनी समझ नहीं रखते जितनी कि आम साहित्यकार रखते हैं। लेकिन इस समय यहाॅं पर कई ऐसे साहित्यकार मौजूद हैं जो राज्य कर्मचारी भी हैं और उनमें असीमित सृजन क्षमता भी है।
श्री आलोक रंजन आज यहाॅं हिन्दी संस्थान के यशपाल सभागार में राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में रचनाधर्मी राज्य कर्मचारियों को पुरस्कृत एवं सम्मानित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों में भी साहित्य लेखन की क्षमता होती है और उन्होंने भी उत्कृष्ट रचनाऐं पेश की हैं। उन्होंने राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के महामंत्री डा0 दिनेश चन्द्र अवस्थी की प्रशंसा करते हुए कहा कि डा0 अवस्थी हर माह हिन्दी साहित्य एवं विकास के लिए रचनात्मक माहौल बनाते हैं और हर प्रकार की बाधाओं को पार कर सकारात्मक कार्य करके हिन्दी साहित्य के उत्थान का प्रयास करते है।
इस अवसर पर कृषि आयुक्त ने श्री अनन्त प्रकाश तिवारी, श्री विनय कुमार बाजपेयी, श्री सी0एल0 सोनकर, श्री पवन कुमार, श्री राम नरेश पाल, श्री हरि प्रकाश हरि, श्री सुहेल वहीद तथा श्री मनीष शुक्ल को 51,000 रूपये की धनराशि, प्रशस्ति पत्र एवं शाल भेंटकर उन्हें सम्मानित किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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उत्तर प्रदेष सरकार और रुमी फाउण्डेशन, फिल्म निर्माता-चित्रकार मुजफ्फर अली की जहान-ए-खुसरो की लखनऊ के दिलकुशा पैलेस के खण्डहरों में गूँज

Posted on 08 March 2013 by admin

उत्तर प्रदेष के मुख्यमंत्री द्वारा हू-द सुफिज आॅफ अवध के पाँचवें संस्करण का विमोचन होगा।
आशा दीक्षित (दिल्ली), चाँद निजामी और साथी (दिल्ली), मर्कन डेडे (इस्तांबुल) और सफकत अली खान के साथ मालिनी अवस्थी की नजीर अकबराबाड़ी की प्रस्तुति

edited-img_3451 7 मार्च, 2013

जहान-ए-खुसरो का 12वाँ पर्व हजरत निजामुद्दीन औलिया के 709वीं उर्स के मौके पर दिल्ली में 1, 2, और 3 मार्च को मनाया गया तथा लखनऊ में 8 और 9 मार्च को मनाया जायेगा जो यहाँ की दूसरी पर्व होगी। उत्तर प्रदेश सरकार और रुमि फाउण्डेशन द्वारा प्रस्तुत, फिल्म निर्माता-चित्रकार मुजफ्फर अली के जहान-ए-खुसरो की गूँज एक बार फिर दिलकुश पैलेस के खण्डहरों में सुनाई पड़ेगी। यह पर्व रहस्यवाद की कविताओं में आत्मिक संगीत व ईश्वरीय नृत्य की शैली में प्रस्तुत किया जायेगा।
समारोह में रहस्यवादी संगीत की मधुरता और वर्तमान पीढ़ी के बीच लगातार चल रहे संवाद की भी झलक दिखायी देगी। इस वर्ष जहान-ए-खुसरो में भाग ले रहे कलाकार एक नये रूप में रहस्यवाद की प्रस्तुती करेंगे।
मालिनी अवस्थी (लखनऊ), आशा दीक्षित (दिल्ली), चाँद निजामी और साथी (दिल्ली), मर्कन डेडे (इस्तांबुल) और सफकत अली खान (लाहौर) के साथ नजीर अकबराबाड़ी पेश करेंगी।
जहान-ए-खुसरो में हर वर्ष सूफी रहस्यवाद के गीत एक नये रूप में पेश किए जाते हैं। पिछले वर्षों में जहान-ए-खुसरो दिल्ली, लन्दन, बाॅस्टन, जयपुर, श्रीनगर और लखनऊ में आयोजित किया गया जिसमें दुनिया के अलग-अलग शहरों जैसे-दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, हैदराबाद, अजमेर, लाहौर, कराची, ढाका, ताशकन्द, तेहरान, जेरूसलम, राबात, ट्यूनिश, इस्तांबुल, रोम, खारतुम, कैरो, एथेन्स, बर्लिन, टोक्यो, न्यूयाॅर्क और टोरन्टो में सूफी गायकों, नृत्यकों तथा संगीतकारों ने अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस पर्व में शुभा मुदगल, शफकत अली खान, ईला अरूण, सुखविन्दर सिंह, मालविका सर्रूकाई, शुजात हुसैन खान और आबिदा परवीन जैसे महान कलाकारों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं।
फिल्म निर्देशक मुजफ्फर अली जो उत्सव के रचनात्मक निदेशक हैं के अनुसार, ‘‘इस उत्सव के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्षों में एक पूर्व एवं पश्चिम के बीच की खाई को पाटना और उपस्थित समुदाय को इसकी सर्वव्यापकता व लोकप्रियता की अनुभूति कराना है। साथ ही उत्सव में भाग लेने वालों, पर्यटकों, निगमित संगठनों तथा स्थानीय निवासियों को सूफी संगीत के माध्यम से आकर्षित करना है।’’
जहान-ए-खुसरो के इस मौके पर रुमि फाउण्डेशन ने प्रेम और समर्पण के संदेश से ओत-प्रोत कविताओं का एक प्रकाशन ’’हू-दी सूफी वे’’ भी जारी किया। यह प्रकाशन विश्व में अपनी तरह का अकेला है और इसमें एक आत्मा और सहअस्त्वि के विश्वव्यापी संदेश की विश्व में प्रशंसा की गई है।
अब तक के संस्करण:
पहला संस्करण भारत में बहु-संस्कृति अथवा अनेकता की पहचान कराने वाले महान सूफी कवि - संत हजरत अमीर खुसरो की याद में जारी किया गया। दूसरा संस्करण मेवलाना जलालुद्दीन रुमि की 800वीं जन्मतिथि के अवसर पर जारी हुआ। जलालुद्दीन रुमि विश्व के महानतम रहस्यवाद लेखक रहे हैं। यह प्रकाशन कश्मीर के सूफियों और ऋषियों के उन सूफी कवियों को समर्पित है जिन्होंने आपसी मेलजोल वाले समाज के लिए महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि तैयार की। पंजाब के सूफियों से संबंधित प्रकाशन अपने पूर्व वैभव और विभाजन से पूर्व पाँच नदियों की पुण्यभूमि प्रस्तुत करती है। इस प्रकाशन में दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों पर प्रकाश डाला गया है।
उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री ’’हू-दी सुफीज आॅफ अवध’’ के पाँचवें संस्करण का विमोचन जहान-ए-खुसरो के दौरान 8 मार्च 2013 को करेंगे।
जहान-ए-खुसरोः
यह अन्तर्राष्ट्रीय वार्षिक सूफी संगीत समारोह ’’हृदय के साम्राज्य में’’ के तौर पर नई दिल्ली में 2001 में प्रारम्भ किया गया। रुमि फाउण्डेशन द्वारा प्रस्तुत और फिल्म निर्माता-चित्रकार मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित और डिजायन किया गया जहान-ए-खुसरो देश के सांस्कृतिक कार्यक्रमों नियमित रूप से आयोजित किया जाता है। उत्सव में विश्व भर से सूफी परंपरा के विख्यात कलाकार भाग लेते रहे हैं। यह उभरते गायकों सुफियाना संगीत सहित क्लासिकल और माॅडर्न डान्स कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता रहा है। जहान-ए-खुसरो विश्व भर के संगीतप्रेमियों को संगीत से मंत्रमुग्ध करने में अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
निमंत्रण उपलब्ध हैं: यूनिवर्सल बुक डिपो, हजरतगंज और गोमती नगर
रुमि फाउण्डेशन ने डाॅ. मंसूर हसन के संयोजन में एक कार्यदल गठित किया है जिसे मुमताज अली खान, जयन्त कृष्णा, डाॅ. कमर रहमान, परवीन ताल्हा, मालिनी अवस्थी, ज्योति सिन्हा और तारीक खान जैसे योग्य और कर्मठ व्यक्तियों का समर्थन प्राप्त है। दो वर्ष पूर्व गठन के पश्चात इन्होंने जश्न-ए-बेदम, जश्न-ए-वारिस, बाज-ए-दिलबारान और मार्च 2012 में लखनऊ में जश्न-ए-खुसरो के प्रथम उत्सव का आयोजन किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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वसन्तोत्सव में विद्वानों ने किया संस्कृत भाषा को पढ़ने का आहवान

Posted on 16 February 2013 by admin

‘‘संस्कृत भाषा संस्कार, नैतिकता, प्रेम और सदाचार की भाषा है। संस्कृत का अध्ययन करने वाला व्यक्ति भविष्य में जीविका का साधन तो प्राप्त कर ही लेगा साथ ही उसे सुख एवं शान्ति भी प्राप्त होगी।
लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 ओम प्रकाश पाण्डेय ने ये विचार उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा वसन्त पंचती के अवसर पर आयोजित समारोह में व्यक्ति किये। इस अवसर पर विद्यान्त डिग्री कालेज के डा0 विजय कर्ण ने कहा कि प्राचीनतम होते हुए भी संस्कृत में आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के मूल सूत्र विद्यमान हैं। कानपुर से आई डा0 नवलता वर्मा ने कहा कि संस्कृत की लिपि देवनागरी है, इसमें शब्दों को जैसा लिखते हैं वैसा ही बोलते भी हैं। संस्थान के निदेशक श्री डी0 एस0 श्रीवास्तव ने भी संस्कृत भाषा के महत्व के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर कक्षा 6 से इण्टर अथवा समकक्ष तक के छात्र/छात्राओं की बालकथा कौमुदी पुस्तक से संस्कृत वाचन तथा बी0 ए0 एवं एम0 ए0/समकक्ष छात्र/छात्राओं की शिवराज विजय एंव कादम्बरी के शुकनाशोपदेश से संस्कृत श्रुत लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। शाम्भवी कर्ण को प्रथम, आदर्श विद्यामन्दिर  की छात्रा जया सिंह को द्वितीय तथा आदर्श विद्या मन्दिर के ही छात्र अविरल सिंह को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। सैट डोमनिक के उत्कर्ष सिंह को सान्त्वना पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार स्वरूप क्रमशः 1000 रूपये, 800 रूपये, 500 रूप्ये तथा 300 रूपये की धनराशि के साथ प्रमाण पत्र एवं संस्थान द्वारा प्रकाशित बाल साहित्य की चार-चार पुस्तकें संस्थान के निदेशक श्री डी0 एस0 श्रीवास्तव द्वारा पुरस्कृत छात्रों को प्रदान की गई।
इस अवसर पर संस्थान के अधिकारियों सहित प्रो0 ओम प्रकाश पाण्डेय, डा0 नवलता वर्मा, डा0 ब्रज भूषण ओझा तथा डा0 अशोक शतपथी उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जबसे पतवारों ने मेरी नाव को धोखा दिया मुझे भंवर में तैरने का हौसला आ गया-उदय प्रताप सिंह

Posted on 09 February 2013 by admin

आॅसू से आनन्द तक की यात्रा है कविता। कविता प्रयास से आती है व्याकरण से नहीं। कविता से कोई न कोई संदेश लोगों तक अवश्य पहुॅचना चाहिये। यह उद्गार श्री उदय प्रताप सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने सुप्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की पावन स्मृति को समर्पित कविता लेखन पर केन्द्रित दो दिवसीय कार्यशाला एवं महाप्राण निराला की पावन स्मृति को समर्पित काव्य गोष्ठी के समापन सत्र के दौरान निराला साहित्य केन्द्र एवं सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में व्यक्त किये।
कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि अपने भावनाओं का उदात्तीकरण करने का भाव है कविता। दुनिया में कविता पहले शुरू हुई व्याकरण बाद में।
इस अवसर पर वाराणसी से पधारे श्री श्रीकृष्ण तिवारी ने कहा कि काव्य लेखन एक चक्रव्यूह है। तुक काव्य का काव्यात्मक पक्ष है। उन्होंने तुक व मात्रा तथा कविता की बारीकियों के बारे में विस्तार से बताया।
समापन सत्र के दौरान श्री कुंवर बेचैन ने कहा कि शब्दों को भावपूर्ण ढंग से कहा जाये वही कविता है। उन्होंने कविता लिखने के ढंग को बेहद सरल शब्दों में बताया तथा कविता लेखन को प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर डा0 बुद्धिनाथ मिश्रा ने भी कविता लेखन पर अपने विचार प्रस्तुत किये। समापन सत्र के दौरान प्रतिभागियों को संस्थान द्वारा प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया।
समापन सत्र के तृतीय सत्र में महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला को समर्पित कविता पाठ किया गया। इस अवसर पर श्री आत्म प्रकाश शुक्ल, कानपुर, डा0 कुंवर बेचैन गाजियाबाद, श्री श्रीकृष्ण तिवारी, वाराणसी, डा0 बुद्धिनाथ मिश्र, देहरादून, श्री रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी, आगरा, श्री सतीश आर्य, गोण्डा, डा0 मधुरिमा सिंह, श्री रमेश रंजन, श्री देवल आशीष (लखनऊ) आदि कवियों द्वारा कविता पाठ किया गया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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कविता लेखन एवं काव्य गोष्ठी पर कार्यशाला 07 व 08 फरवरी को

Posted on 07 February 2013 by admin

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्वावधान में जयशंकर प्रसाद एवं सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की पावन स्मृति को समर्पित कविता लेखन एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन आगामी 07 व 08 फरवरी को निराला साहित्य केन्द्र एवं सभागार हिन्दी भवन में किया जायेगा। इसकी अध्यक्षता हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष, उदय प्रताप सिंह करेंगे।
यह जानकारी हिन्दी संस्थान के निदेशक डा0 सुधाकर अदीब ने दी है। उन्होंने बताया कि कविता लेखन विषय पर केन्द्रित कार्यशाला चार सत्रों में होगी। 07 फरवरी को पूर्वाह्न 11ः30 बजे आयोजित उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि डा0 कुॅवर बेचैन, होंगे। बीज वक्तव्य श्री मूलचन्द्र गौतम का होगा।
डा0 अदीब ने बताया कि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की स्मृति को समर्पित कार्यशाला के 08 फरवरी को आयोजित तृतीय सत्र में देश के प्रख्यात कवियों द्वारा कविता पाठ किया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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अंग्रेज विद्वान वैदिक ज्ञान को कमतर बताकर भारतीय संस्कृति नष्ट करना चाहते थे

Posted on 03 September 2012 by admin

हजारों वर्ष प्राचीन वैदिक काल के समाज, ज्ञान-विज्ञान और दर्शन पर पत्रकार विधान परिषद सदस्य हृदयनारायण दीक्षित की किताब ‘मधुविद्या’का विमोचन उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में पूर्व केन्द्रीय मंत्री, संसद की लोकलेखा समिति के सभापति डाॅ0 मुरली मनोहर जोशी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उ0प्र0 विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने की।
madhuvidya-7 डाॅ0 जोशी ने कहा कि अंग्रेज विद्वान वैदिक ज्ञान को कमतर बताकर भारतीय संस्कृति नष्ट करना चाहते थे। मैक्समूलर ने अपनी पत्नी को लिखे पत्र में भारतीय संस्कृति और दर्शन को नष्ट करने की बात कही थी। लेकिन दयानंद, सायण, सातवलेकर आदि विद्वानों ने ऋग्वेद और वैदिक साहित्य के भाष्य किये। वेदों में विश्व को मधुमय बनाने की स्तुतियां हैं। श्री दीक्षित ने सरल, सुबोध भाषा में वेदों की मधुविद्या को पुस्तक रूप में तैयार किया है। उन्होंने दीक्षित की किताब ‘मधुविद्या’ को पढ़े जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्राचीन ज्ञान विज्ञान के सनातन प्रवाह के कारण ही भारत की प्रतिष्ठा है।
अध्यक्षीय भाषण में विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि श्री दीक्षित पहले लड़ाकू विधायक थे। तमाम विषय उठाते थे। अब भारतीय संस्कृति व ज्ञान विज्ञान पर निरंतर लिख रहे हैं। ‘मधुविद्या’ के वैदिक ज्ञान को उन्होंने व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत किया है। उम्मीद है कि यह पुस्तक खूब लोकप्रिय होगी और वे इसी प्रकार लगातार लिखते रहेंगे।
मुख्य वक्ता वेद विद्वान लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय ने ऋग्वेद से लेकर उपनिषद् काल तक विस्तृत समाज को मधुमय प्रीतिमय बनाने का इतिहास बताया और कहा कि वैदिक मधुज्ञान, मधुगान को सरल शब्दों में लिख श्री दीक्षित ने बड़ा काम किया है।
लेखक हृदयनारायण दीक्षित ने बताया कि वैदिक समाज मधुप्रेमी था। मधुप्रिय था। मधुवाणी बोलता था। भारत मधुमय था। लेकिन आधुनिक समाज मधुहीन सुगर फ्री हो रहा है। समाज में प्रीति प्रेम और मधुमय एकात्मकता नहीं है। वैदिक ऋषि विश्व को मधुमय बनाने की हजारों गतिविधियां बता गए हैं। इसी का नाम मधुविद्या है और यह नाम ऋग्वेद में आया है। पुस्तक में दैनिक जीवन से जुड़े, विवाह, काम-सेक्स, राजनीति, पर्यावरण, समाज संगठन आदि विषयों पर 36 निबंध हैं। पुस्तक का उद्देश्य समाज को रागद्वैषविहीन मधुमय बनाना है।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रधर्म प्रकाशन के प्रबंधक पवन पुत्र बादल ने किया। प्रकाशन वी0एल0 मीडिया सोल्यूशन्स नई दिल्ली के प्रोपराइटर नित्यानंद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर सदस्य विधान परिषद डाॅ0 महेन्द्र सिंह, रामू द्विवेदी, पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह, भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन राकेश जैन, दयाशंकर सिंह, विजय पाठक, राजेन्द्र तिवारी, दिलीप श्रीवास्तव, मनीष दीक्षित, बार काउंसिल आॅफ यू0पी0 के सदस्य अखिलेश अवस्थी एडवोकेट, समाजसेवी जयपाल सिंह, रामप्रताप सिंह एडवोकेट, रामप्रताप सिंह चैहान एडवोकेट, प्रेमशंकर बाजपेयी एडवोकेट, अतुलेश सिंह एडवोकेट, प्रेमशंकर त्रिवेदी एडवोकेट, डाॅ0 उदयवीर सिंह एडवोकेट, सौरभ लवानिया एडवोकेट, संदीप दुबे आदि मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जो जन-गण के मन बसे का भव्य लोकार्पण यूपी प्रेस क्लब के प्रांगण में हुआ

Posted on 15 April 2012 by admin

वरिष्ठ पत्रकार के.विक्रम राव रचित पुस्तक ‘जो जन-गण के मन बसे’ का भव्य लोकार्पण यूपी प्रेस क्लब के प्रांगण में हुआ। पुस्तक का लोकार्पण लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा एवं विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने संयुक्त रूप से किया। लोकार्पण समारोह में लेखक के विक्रम राव के साथ ही नगर के तमाम वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखकों की उपस्थिती रही। के.विक्रम राव द्वारा लिखित इस पुस्तक में आधुनिक परिवेश में शिव, कृष्ण, गणेश, राम और हनुमान पर विश्लेषणात्मक लेख है। कांची पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरू जयेन्द्र सरस्वती ने इस पुस्तक की भूमिका में लिखा हैं कि ‘‘इन अवतारों पर विशिष्ट ज्ञान प्राप्त करना अपने आप में ही विशिष्टता है। राज्यपाल बनवारीलाल जोशी ने अपनी टिप्पणी में लिखा कि सभी महापुरूषों का जीवन प्रसंग प्रेरणास्पद है। पुस्तक की समीक्षा महेश चन्द्र द्विवेदी, डा. उषा सिन्हा, डा. योगेश मिश्र, श्री देवकीनन्दन शान्त आदि ने की है। साहित्यकार देवकी नन्दन शांत ने पुस्तक की काव्यात्मक समीक्षा करते हुये जो गन गण के मन बसे है वे हैं, भोलेनाथ, पांच देव रक्षा करे, रहते सबके साथ जैसी पंक्तियों को लोकार्पण समारोह में प्रस्तुत कर पुस्तक की महत्वता से पाठकों को परिचित कराने का सफल प्रयास किया।

पुस्तक के लेखों के विषय में पुस्तक का सम्पादन करने वाले आनन्द मिश्र ने कहा कि इन ललित लेखों की मनोहरता और हृदयग्राहिता के कारण किसी भी पाठक का मन इन्हें पढ़ते-पढ़ते ही प्रमुदिम उठे बिना न रहेगा। लेखक ऐसी रसमयी, विलक्षण तथा चुटीली शैली है कि पढ़ने में चाव आता है। इसकी रोचकता दर्शकों को सम्मोहित करने में समर्थ है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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विधि एवं विधायन क्षेत्र में हिन्दी का और प्रयोग किया जाय - प्रमुख सचिव न्याय

Posted on 14 September 2010 by admin

लखनऊ- उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव सचिव न्याय एवं विधायी श्री के0 के0 शर्मा के कक्ष में आज यहॉं “हिन्दी दिवस´´ के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर श्री वर्मा ने कहा कि विधि एवं विधायन के क्षेत्र में हिन्दी का प्रयोग बढ़ा है, इसको और बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि न्याय क्षेत्र में न्यायालयों में हिन्दी का प्रयोग बढ़ा है।

कार्यक्रम का संचालन विशेष सचिव विधायी श्री अलख नारायण ने करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में विधि एवं विधायन में पहले से ज्यादा हिन्दी का प्रयोग हो रहा है इसमें और तेजी की आवश्यकता है।

इस अवसर पर विशेष सचिव न्याय एवं विधायी सर्वश्री एन0 एस0 रावल, महबूब अली एवं रंग नाथ पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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