अंग्रेज विद्वान वैदिक ज्ञान को कमतर बताकर भारतीय संस्कृति नष्ट करना चाहते थे

Posted on 03 September 2012 by admin

हजारों वर्ष प्राचीन वैदिक काल के समाज, ज्ञान-विज्ञान और दर्शन पर पत्रकार विधान परिषद सदस्य हृदयनारायण दीक्षित की किताब ‘मधुविद्या’का विमोचन उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में पूर्व केन्द्रीय मंत्री, संसद की लोकलेखा समिति के सभापति डाॅ0 मुरली मनोहर जोशी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उ0प्र0 विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने की।
madhuvidya-7 डाॅ0 जोशी ने कहा कि अंग्रेज विद्वान वैदिक ज्ञान को कमतर बताकर भारतीय संस्कृति नष्ट करना चाहते थे। मैक्समूलर ने अपनी पत्नी को लिखे पत्र में भारतीय संस्कृति और दर्शन को नष्ट करने की बात कही थी। लेकिन दयानंद, सायण, सातवलेकर आदि विद्वानों ने ऋग्वेद और वैदिक साहित्य के भाष्य किये। वेदों में विश्व को मधुमय बनाने की स्तुतियां हैं। श्री दीक्षित ने सरल, सुबोध भाषा में वेदों की मधुविद्या को पुस्तक रूप में तैयार किया है। उन्होंने दीक्षित की किताब ‘मधुविद्या’ को पढ़े जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्राचीन ज्ञान विज्ञान के सनातन प्रवाह के कारण ही भारत की प्रतिष्ठा है।
अध्यक्षीय भाषण में विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि श्री दीक्षित पहले लड़ाकू विधायक थे। तमाम विषय उठाते थे। अब भारतीय संस्कृति व ज्ञान विज्ञान पर निरंतर लिख रहे हैं। ‘मधुविद्या’ के वैदिक ज्ञान को उन्होंने व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत किया है। उम्मीद है कि यह पुस्तक खूब लोकप्रिय होगी और वे इसी प्रकार लगातार लिखते रहेंगे।
मुख्य वक्ता वेद विद्वान लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय ने ऋग्वेद से लेकर उपनिषद् काल तक विस्तृत समाज को मधुमय प्रीतिमय बनाने का इतिहास बताया और कहा कि वैदिक मधुज्ञान, मधुगान को सरल शब्दों में लिख श्री दीक्षित ने बड़ा काम किया है।
लेखक हृदयनारायण दीक्षित ने बताया कि वैदिक समाज मधुप्रेमी था। मधुप्रिय था। मधुवाणी बोलता था। भारत मधुमय था। लेकिन आधुनिक समाज मधुहीन सुगर फ्री हो रहा है। समाज में प्रीति प्रेम और मधुमय एकात्मकता नहीं है। वैदिक ऋषि विश्व को मधुमय बनाने की हजारों गतिविधियां बता गए हैं। इसी का नाम मधुविद्या है और यह नाम ऋग्वेद में आया है। पुस्तक में दैनिक जीवन से जुड़े, विवाह, काम-सेक्स, राजनीति, पर्यावरण, समाज संगठन आदि विषयों पर 36 निबंध हैं। पुस्तक का उद्देश्य समाज को रागद्वैषविहीन मधुमय बनाना है।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रधर्म प्रकाशन के प्रबंधक पवन पुत्र बादल ने किया। प्रकाशन वी0एल0 मीडिया सोल्यूशन्स नई दिल्ली के प्रोपराइटर नित्यानंद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर सदस्य विधान परिषद डाॅ0 महेन्द्र सिंह, रामू द्विवेदी, पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह, भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन राकेश जैन, दयाशंकर सिंह, विजय पाठक, राजेन्द्र तिवारी, दिलीप श्रीवास्तव, मनीष दीक्षित, बार काउंसिल आॅफ यू0पी0 के सदस्य अखिलेश अवस्थी एडवोकेट, समाजसेवी जयपाल सिंह, रामप्रताप सिंह एडवोकेट, रामप्रताप सिंह चैहान एडवोकेट, प्रेमशंकर बाजपेयी एडवोकेट, अतुलेश सिंह एडवोकेट, प्रेमशंकर त्रिवेदी एडवोकेट, डाॅ0 उदयवीर सिंह एडवोकेट, सौरभ लवानिया एडवोकेट, संदीप दुबे आदि मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

March 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
25262728293031
-->









 Type in