आॅसू से आनन्द तक की यात्रा है कविता। कविता प्रयास से आती है व्याकरण से नहीं। कविता से कोई न कोई संदेश लोगों तक अवश्य पहुॅचना चाहिये। यह उद्गार श्री उदय प्रताप सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने सुप्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की पावन स्मृति को समर्पित कविता लेखन पर केन्द्रित दो दिवसीय कार्यशाला एवं महाप्राण निराला की पावन स्मृति को समर्पित काव्य गोष्ठी के समापन सत्र के दौरान निराला साहित्य केन्द्र एवं सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में व्यक्त किये।
कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि अपने भावनाओं का उदात्तीकरण करने का भाव है कविता। दुनिया में कविता पहले शुरू हुई व्याकरण बाद में।
इस अवसर पर वाराणसी से पधारे श्री श्रीकृष्ण तिवारी ने कहा कि काव्य लेखन एक चक्रव्यूह है। तुक काव्य का काव्यात्मक पक्ष है। उन्होंने तुक व मात्रा तथा कविता की बारीकियों के बारे में विस्तार से बताया।
समापन सत्र के दौरान श्री कुंवर बेचैन ने कहा कि शब्दों को भावपूर्ण ढंग से कहा जाये वही कविता है। उन्होंने कविता लिखने के ढंग को बेहद सरल शब्दों में बताया तथा कविता लेखन को प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर डा0 बुद्धिनाथ मिश्रा ने भी कविता लेखन पर अपने विचार प्रस्तुत किये। समापन सत्र के दौरान प्रतिभागियों को संस्थान द्वारा प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया।
समापन सत्र के तृतीय सत्र में महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला को समर्पित कविता पाठ किया गया। इस अवसर पर श्री आत्म प्रकाश शुक्ल, कानपुर, डा0 कुंवर बेचैन गाजियाबाद, श्री श्रीकृष्ण तिवारी, वाराणसी, डा0 बुद्धिनाथ मिश्र, देहरादून, श्री रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी, आगरा, श्री सतीश आर्य, गोण्डा, डा0 मधुरिमा सिंह, श्री रमेश रंजन, श्री देवल आशीष (लखनऊ) आदि कवियों द्वारा कविता पाठ किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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