Archive | समाज

तलाक के बाद पत्नी की शादी तक खर्च उठाए पति

Posted on 15 August 2010 by admin

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी तलाकशुदा पत्नी और नाबालिग बच्चे का भरण-पोषण करने के लिए तब तक बाध्य है जब तक कि वह दूसरी शादी नहीं कर लेती। अदालत ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत पति सिर्फ इद्दत की अवधि तक पत्नी का भरण पोष्ाण करने के लिए बाध्य है। इद्दत की अवधि तलाक के बाद करीब तीन महीने होती है।

लेकिन सीआरपीसी के तहत पत्नी दोबारा शादी करने तक भरण-पोष्ाण की हकदार है। अदालत ने कहा, यह बिल्कुल साफ है कि एक मुस्लिम तलाकशुदा महिला अपने मुस्लिम पति से गुजारा भत्ता मांगने की तब तक हकदार होगी जब तक कि वह दूसरी शादी नहीं कर लेती। यह लाभकारी कानून है इसलिए मुस्लिम तलाकशुदा महिला को अवश्य लाभ मिलना चाहिए।

Vikas Sharma
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जबावदेह कौन दैहिक शोषण का?

Posted on 10 August 2010 by admin

(विकास कुमार शर्मा )भारतीय राजनीति में महिला सशक्तिकरण का दौर दिन प्रतिदिन जोर पकड़ता जा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों के दिग्गजों के विरोध के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक न केवल चर्चा के विषय तक सीमित रहा है, बल्कि हर जगह महिलाओं में इसकी झलक भी दिखायी देने लगी हैं। समाज में महिलाओं के शोषण की बात भी कोई नयी बात नहीं है और यदि शोषण को मिटाना है तो महिलाओं को सशक्त करना भी अत्यंत आवश्यक हो जाता है।

भारत पूर्व में जहां पुरूष प्रधान देशों की श्रेणी में आता था, वहीं भारत वर्तमान समय में नारी प्रधान देशों की श्रेणी में आकर खड़ा हो गया है। वर्तमान समय को नारी युग का दर्जा दिया जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर महिलाओं के दैहिक शोषण के लिए जबावदेह कौन है? महिलाओं को बेसक उनके अधिकारों से संपन्न किया जाना चाहिए। इसमें कोई दोराय वाली बात नहीं है, पर महिलाओं के दैहिक शोषण को लेकर केवल पुरूषों पर दोषारोपड़ करना कहां तक उचित है ? कहीं न कहीं इसमंे महिलाओं और जिनके साथ देैहिक शोषण की घटनाएं घटी हैं, वे भी इसमें बराबर की जिम्मेदार हैं।
अकेले एक प्रदेश की बात करें तेा दर्जनों ऐसे जिले हैं जहां कई महिलाओं ने ही किशेरी आदिवासी बालाओं को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से उठवा कर खुद व उन आदिवासी युवतियों का दैहिक शोषण कराने कंसल्टेंसी कंपनियों और रईस घरानों में भेजती है। इस धंधे में लिप्त महिलाएं और युवतियां अपनी ही सद्वुद्धि तथा करनी का फल भोग रही हैं, हालात यहां तक बन गयें हैं कि अब इस धंधे में लिप्त महिलाएं व युवती लोकलाज के चलते पैसों के कारण इससे बाहर ही आना नहीं चाहती। इसका सबसे अच्छा एक उदाहरण  छत्तीसगढ़  का ही जशपुर जिला है। जहां से सैकड़ों की तादाद में युवतियों को चंद नोटों के लिए बेच दिया जाता है।
बात जब शिक्षित नहीं होने की आती है तो एक बच्चा जब मां की कोख से जन्म लेकर जैसे ही धरती पर अवतरित हेाता है तब उसके दूध के दांत निकलने से पहले ही उसे वह ज्ञान हो जाता है, जिसकी शायद कल्पना भी नहीं की जा सकती। अपनी आबरू को बचाकर रखना शिक्षित होने से कहीं ज्यादा आप पर निर्भर करता है। जैसे संस्कार बच्चे को मां से और घर परिवार के बड़े बुजुर्गों से मिलती हैं, वह वैसा ही पाता है।
पाश्चात्य संस्कृति की विचारधाराओं से प्ररित होकर और अर्द्धनग्न फिल्मों से प्रेरणा लेकर जिस तरह महिलाओं और नवयुवतियों ने अपनी वेशभूशा में परिवर्तन किया है और हमारे भारतीय परिधानों को धारण न कर दरकिनार कर दिया है, क्या यह किसी भी स्तर पर भारतीय संस्कार, सभ्यता और परिवेश में पली-बढ़ी महिला और शिक्षित महिलाओं के लिए शोभनीय है।
देशों और समाजों में जिस प्रकार नारियों के अनेकों रूप देखने को मिलते हैं ठीक उसी तरह पुरूष वर्ग में भी अनेकों रूप मिल जाते हैं। एक नारी वह होती है जो परिवार से मिले संस्कार को आधार बनाकर देश, समाज और अपना नाम रोशन करती है, वहीं दूसरी तरफ एक नारी वह भी होती है जो समाज, देश और अपने संस्कारों का वलिदान देकर उसे कलंकित करने का कार्य करती है। ठीक उसी तरह पुरूष भी। वहीं कुछ ऐसी महिलाएं और नवयुवतियां भी होती हैं जो मिले अधिकारों का इस्तेमाल सिर्फ गलत कार्यों में ही करती हैं, इसका मतलब यह नहीं कि पुरूष पूरी तरह से दोषी हो।
महिला आरक्षण का मुद्दा जोरशोर से उठाने वाली सोनिया गांधी भी तो एक महिला ही हैं और राहुल गांधी उनके पुत्र हैं, जो मां और पिता से मिले संस्कारों का सदुपयोग पर युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। यदि उन्हें कुसंस्कार मिले होते तो वे उन मां के कपूतों की भूमिका निभा रहे होते, जो वर्तमान में मधुकोड़ा, बीएल अग्रवाल और रूचिका का हत्यारा राठोर अदा कर रहे हैं। इनकी जननी इन्हें कोशती होंगी कि इन्हें किन  महूरत में  जना था। जिन्होने परिवार, देश और समाज में उनका सिर शर्म से झुका दिया।
माता-पिता अपने बच्चों से यही अपेक्षा करते हैं कि बच्चे उनका नाम अच्छे कर्मों से रोशन करें, मगर यह बिडंबना ही है कि उसमें से बहुत कम ही ऐसे होते हैं, जो उनके सपनों को साकार करते हैं। कोई अपने बच्चों को महिलाओं और युवतियों के दैहिक शोषण करने के संस्कार नहीं देता। हां इतना है कि समाज और देश में कुछ अपवाद जरूर होते हैं जिन्हें ऐसे संस्कार विरासत से मिले होते हैं। राजनीति और संतों में दर्जनों ऐसे घिनौने चेहरे हैं जिसमें एक सफेद बस्त्र धारण करता है और दूसरा गेरूआ वस्त्र पहनकर महिलाओं व युवतियों के साथ रासलीला रचाता है। प्रदेश में भी कुछ ऐसे नेता मंत्री हैं जो चमड़ी के दीवाने हैं, पर समाज उन लोगों की पूजा करता है।
क़ानूनी ढांचे में कुछ इस तरह संशोधन होना चाहिए कि इससे महिलाओं का शोषण बंद हो और उन्हें इस काम के लिए मजबूर न किया जा सके. इससे भी अधिक जरूरी है कि भारत की सामाजिक संरचना को नुक़सान न पहुंचे.
देश की तरक्की और विकास के लिए इस मानसिकता को बदलना होगा और हर स्तर पर इसके लिए संघर्ष करना होगा, तभी महिलाओं का दैहिक शोषण थम सकता है।


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ग्राम सभाओं में स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति की बैठक आयोजित करें प्रत्येक ग्राम सभा को 10 हजार रूपये स्वीकृृत

Posted on 20 July 2010 by admin

जिलाधिकारी अमृत अभिजात ने कहा है कि राश्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिषन के अन्तर्गत संचालित गतिविधयों को सेवा भावना के साथ निश्ठा पूर्वक चलायें। जनपद के नागरिको विषेशत: निर्धन वर्ग तथा स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित वर्ग को गुणवत्ता परक तथा विष्वनीय स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराने के लिए राश्ट्रीय ग्रामीण  स्वास्थ्य मिषन का गठन किया गया है। इसके अन्तर्गZत जननी सुरक्षा योजना, टीकाकरण, पोलियो उन्मूलन, क्षयरोग, अन्धता तथा कुश्ठ निवारण कार्यक्रम, परिवार कल्याण एवं जन्म मृत्यु पंजीकरण आदि कार्यक्रम चलाएं जा रहे है।

उन्होंने निर्देष दिये है कि ग्राम सभा स्तर पर स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति की बैठकें सुनििष्चत करायें और सफाई, कीटनाषकों के छिडकाव/ फौकिंग आदि कार्य करायें। ग्राम सभा स्तर पर ग्राम प्रधान एवं ए.एन.एम. के संयुक्त खाते में प्रतिवर्श दस हजार रूपये की धनराषि दी जाती है।

उन्होंने निर्देष दिये कि “सलोनी स्वास्थ्य किषोरी योजना“ तथा “विद्यालय स्वास्थ्य परीक्षण कार्यक्रम“ में प्रा0 स्वा0 केन्द्र के चिकित्सक अपने क्षेत्र के विद्यालयो में माह में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण अवष्य कराये। उन्हानें कहा जननी सुरक्षा योजना, सौभाग्यवती योजना तथा परिवार कल्याण कार्यक्रमों का प्रचार प्रसार कराकर लोगों को लाभािन्वत करें।

उन्होंने बताया कि षिषु मृत्युदर एवं मातृ मृत्यु दर को वर्श 2012 तक वर्तमान स्तर से 50 प्रतिषत घटाने का लक्ष्य है। इसके लिए प्रत्येक चिकित्सा इकाई पर 24 घन्टे प्रसव सेवा उपलब्ध कराये।

जिलाधिकारी ने जज्चा बच्चा सुरक्षा अभियान को पूरी तैयारियों के साथ चलाने के लिए कहा है। जिला परियोजना अधिकारी डा0 वी. के. श्रीवास्तव ने बताया कि इस अभियान में प्रत्येक गर्भवती महिला एवं बच्चे के लिए मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड वनाया जायेगा। प्रत्येक गर्भवती महिला को पूरी प्रसव पूर्व जॉच, टीकाकरण तथा संस्थागत प्रसव सुनििष्चत किया जाना है। प्रत्येक षिषु को पूर्ण टीकाकरण भी सुनििष्चत किया जायेगा।

मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 रामरतन ने बताया है कि जनपद में कुल 2095 आगनवाडी कार्यकत्री कार्यरत है सभी आषाओं ने 7 दिवसीय तथा 12 दिवसीय प्रषिक्षण प्राप्त कर लिया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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ताजमहल की षासकीय वेबसाइट का उद्घाटन 22 जुलाई को

Posted on 20 July 2010 by admin

राश्ट्र मण्डल खेलों के आयोजन के क्रम में आगरा में पर्यटन जागरूकता प्रषिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। सहायक निदेषक पर्यटन अनूप कुमार श्रीवास्तव ने बताया है कि महा निदेषक एवं सचिव पर्यटन विभाग उ0प्र0 श्री अवनीष कुमार अवस्थी 22 जुलाई को प्रात: 11 बजे पर्यटन जागरूकता प्रषिक्षण कार्यक्रम तथा ताजमहल के षासकीय वेबसाइट का उद्घाटन करेगें। यह कार्यक्रम नूरजहॉ प्रेक्षागृह, षिल्पग्राम पर सम्पन्न होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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लेनोवो का स्टोर खुला

Posted on 20 July 2010 by admin

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लेनावो इण्डिया कानपुर रोड स्थित फोनिक्स यूनाईटेड मॉल में अपना नया आधुनियक विशेशीकृत स्टोर खोला। कंपनी का राजधानी में यह चौथा स्टोर है। कंपनी के वाइस प्रेसीडेण्ड (होम एण्ड एप्लाइसेंज) एलेक्स ली ने बताया कि इस स्टोर में ग्राहकों के लिए लेनोवो की नोट बुक्स, नेटबुक्स, डेस्कटॉप और एसेसरीज की पूरी रेज उपलब्ध होगी कंपनी का यूपी में यह 15वॉ स्टोर है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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जैवलिन थ्रो में एस0डी0एम0 सचान को गोल्ड मेडल

Posted on 20 July 2010 by admin

सिविल सर्विस एसो0 की गोरखपुर में आयोजित खेल प्रतियोगिता में उप जिलाधिकारी एत्मादपुर धीरेन्द्र सिंह सचान ने जैवलिन थे्रा में स्वर्ण मेडल प्राप्त किया है। श्री सचान ने स्पोर्ट मीट से लौटकर बताया कि जनपद आगरा से दो प्रतियोगी सम्मिलित हुए थे। कालीचरण ने 800 मी0 दौड में भाग लिया। श्री सचान ने सर्वश्रेश्ठ प्रदर्षन किया और गोल्ड मेडल प्राप्त किया। श्री सचान माह नवम्बर में होने वाले नेषनल गेम्स त्रिवेन्द्रम में सम्मिलित होगे।

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अल्प संख्यक समुदाय के छात्रों को राजकीय दरों पर प्रवेष षुल्क प्रतिपूर्ति

Posted on 20 July 2010 by admin

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने जनपद में संचालित समस्त इण्टर कालेजों/महाविद्यालयों/विष्वविद्यालय एवं तकनीकी एवं व्यवसायिक संस्थान के प्रधानाचार्य/प्राचार्य/कुल सचिव/निदेषक को सूचित किया है कि षासनादेष व्दारा अल्पसंख्यक वर्ग के पात्र छात्र/छात्राओं को निर्धारित वार्शिक आय सीमा के अन्तर्गत पिछडा वर्ग कल्याण विभाग एवं समाज कल्याण विभाग व्दारा सामान्य वर्ग हेतु संचालित उक्त योजना के अनुरूप अल्पसंख्यक समुदाय के पात्र छात्र/छात्राओं के लिए प्रवेष षुल्क की प्रतिपूर्ति की राजकीय दरों पर किये जाने कीे व्यवस्था लागू करते हुए तदानुसार कार्यवाही करने के निर्देष दिये गये हैं। अत: प्रधानाचार्य/प्राचार्य/कुल सचिव/निदेषक अल्प संख्यक समुदाय के छात्र/छात्राओं षुल्क प्रतिपूर्ति के आवेदन पत्र में राजकीय दरों को ही अंकित करावायें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मत्स्य पालन हेतु पोखरों का आवंटन 22 जुलाई को

Posted on 20 July 2010 by admin

उप जिलाधिकारी किरावली ने बताया है कि ग्राम छ: पोखर, अभैदापुरा, अरदाया, बरनामई, हसैला, नगला बहरावती तथा मुवारिकपुर आदि ग्रामों में निहित पोखरों को मत्स्य पालन हेतु 10 वशीZय पट्टे पर उठाने हेतु षिविर 22 जुलाई को तहसील किरावली मुख्यालय पर प्रात: 11 बजे से किया जायेगा। इनके अतिरिक्त जिन गांवों में पोखर खाली हैं या 10 वर्श पूर्ण हो गये हैं, और आदर्ष तालाब योजना, सम्पूर्ण ग्रामीण योजना/मनरेगा के अन्तर्गत सुधारे गये तालाबों का भी आवंटन इस षिविर के माध्यम से किया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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नौनिहालों के कंधों पर बस्ते का वजन

Posted on 02 July 2010 by admin

शासन के अनुसार नौनिहालों के कंधों पर बस्ते का कम से कम वजन होना चाहिए, लेकिन अधिकतर स्कूलों में पीने का पानी उपलब्ध न होने से एक से किलो की बोतल का अतिरिक्त वजन सहन करना पड़ रहा है।

भीषण गर्मी और उमस के बीच गुरुवार से शासकीय स्कूलों में नियमित कक्षाएं लगाने का क्रम शुरू हो जाएगा। लेकिन हैरानी इस बात की है कि जिले के अधिक शासकीय स्कूलों में बच्चों को प्यास बुझाने के लिए कोई इन्तजाम नहीं है।
एक ओर शासन अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून पारित कर शतप्रतिशत बच्चों को स्कूलों तक लाने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है तो दूसरी ओर मानव विकास संसाधन विभाग बच्चों के बस्तों को बोझ कम करने का। लेकिन हो ठीक विपरीत रहा है। स्कूल पहुंचे बच्चे स्कूलों में प्यास बुझाने का इन्तजाम न होने के कारण पानी पीने के बहाने घर भाग लेते है तो जो पढऩा चाहते है, वह एक से डेढ़ किलो बोझ अतिरिक्त ले जाने के लिए मजबूर है।

एक सैकड़ा स्कूलों के पास नहीं पानी का कोई इन्तजामरू शासकीय स्कूलों में पीने के पानी के इन्तजाम की बात करें तो जिले के एक सैकड़ा से अधिक स्कूल ऐसे है, जहां पर पीने के पानी का कोई इन्तजाम नहीं है। यानि ऐसे स्कूलों को आसपास भी पानी की सुविधा नहीं है। ऐसे में इन स्कूलों में शिक्षक भी पानी आस-पड़ोस से मंगवाने के लिए मजबूर होते है।

ग्रामीण क्षेत्र हो या फिर शहरी स्कूलों में शिक्षक अपनी प्यास बुझाने के लिए मटकों का इन्तजाम तो कर लेते हैए लेकिन इन्हें भरने का काम बच्चों को करना होता है। स्कूल के पास लगे हैण्डपंप या फिर कुएं से पानी लाने की जिम्मेदारी बच्चों के कंधों पर होती है। इस पर भी बच्चों की प्यास बुझाने के लिए स्कूलों में कोई इन्तजाम नहीं किए जाते।

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उत्तम सन्तान प्राप्ति के लिए

Posted on 02 July 2010 by admin

किसी भी देश का भविष्य बालकों पर निर्भर करता है | जो दम्पति सुविचारी, सदाचारी एवं पवित्रात्मा हैं तथा शास्त्रोक्त नियमों के पालन में तत्पर हैं ऐसे दम्पति के घर में दिव्य आत्माएं जन्म लेती हैं | ऐसी सन्तानों में बचपन से ही सुसंस्कार, सदगुणों के प्रति आकर्षण एवं दिव्यता देखी जाती है |वर्त्तमान में देश के सामने बालकों में संस्कारों की कमी यह एक प्रमुख समस्या है, जिससे उबरने ले हेतु सन्तानप्राप्ति के इच्छुक दम्पति को ब्रह्मज्ञानी सन्तों-महापुरुषों के दर्शन-सत्संग का लाभ लेकर स्वयं सुविचारी, सदाचारी बनना चाहिए, साथ ही उत्तम सन्तानप्राप्ति के नियमों को भी जान लेना चाहिए|

वास्तव में पत्थर, पानी, खनिज देश की सच्ची सम्पत्ति नहीं हैं अपितु ॠषि-परम्परा के पवित्र संस्कारों से सम्पन्न तेजस्वी बालक ही देश की सच्ची सम्पत्ति हैं लेकिन मनुष्य धन-सम्पत्ति बढ़ाने में जितना ध्यान देता है उतना सन्तान पैदा करने में नहीं देता | यदि शास्त्रोक्त रीति से शुभ मुहूर्त में गर्भाधान कर सन्तानप्राप्ति की जाय तो वह परिवार व देश का नाम रोशन करनेवाली सिद्ध होगी |

उत्त्म सन्तानप्राप्ति के लिए सर्वप्रथम पत-पत्नी का तन-मन स्वस्थ होना चाहिए | वर्ष में केवल एक ही बार सन्तानोत्पत्ति हेतु समागम करना हितकारी है |

हमारे पुराने आयुर्वेद ग्रन्थों में पुत्र-पुत्री प्राप्ति हेतु दिन-रात, शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष तथा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक का महत्व बताया गया है। धर्म ग्रन्थों में भी इस बारे में जानकारी मिलती है।

यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहां माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।

चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है।
पांचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी।
छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा।
सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी।
आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है।
नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है।
दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है।
ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है।
बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है।
तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है।
चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है।
पन्द्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है।
सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है।

व्यास मुनि ने इन्हीं सूत्रों के आधार पर पर अम्बिका, अम्बालिका तथा दासी के नियोग (समागम) किया जिससे धृतराष्ट्र, पाण्डु तथा विदुर का जन्म हुआ। महर्षि मनु तथा व्यास मुनि के उपरोक्त सूत्रों की पुष्टि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपनी पुस्तक संस्कार विधि में स्पष्ट रूप से कर दी है। प्राचीनकाल के महान चिकित्सक वाग्भट तथा भावमिश्र ने महर्षि मनु के उपरोक्त कथन की पुष्टि पूर्णरूप से की है।´ दो हजार वर्ष पूर्व के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं सर्जन सुश्रुत ने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है।
2500 वर्ष पूर्व लिखित चरक संहिता में लिखा हुआ है कि भगवान अत्रिकुमार के कथनानुसार स्त्री में रज की सबलता से पुत्री तथा पुरुष में वीर्य की सबलता से पुत्र पैदा होता है।

-प्राचीन संस्कृत पुस्तक सर्वोदय में लिखा है कि गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा।
-यूनान के प्रसिद्ध चिकित्सक तथा महान दार्शनिक अरस्तु का कथन है कि पुरुष और स्त्री दोनों के दाहिने अण्डकोष से लड़का तथा बाएं से लड़की का जन्म होता है।
-चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रियाए पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है।


Vikas Sharma
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