Posted on 29 December 2016 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर आज यहां अपने सरकारी आवास पर प्रदेश के विकलांगजन के लिए उपयोगी विभिन्न सहायक उपकरणों के वितरण कार्यक्रम का शुभारम्भ 30 विकलांगजन को विभिन्न सहायक उपकरण प्रदान करके किया। उन्होंने 5 विकलांगजन को व्हील चेयर, 10 को श्रवण यंत्र, 15 को ट्राई साइकिल तथा इनमें से ही 8 को वैशाखी भी मुहैया करायी। वितरण कार्यक्रम के तहत समाजवादी सरकार द्वारा राज्य के लगभग 10 हजार विकलांगजन को विभिन्न सहायक उपकरण प्रदान किया जाना है।
इस अवसर पर विकलांगजन विकास मंत्री श्री साहब सिंह सैनी ने कहा कि समाजवादी सरकार ने सभी क्षेत्रों में विकास के नये आयाम स्थापित किये हैं। वर्तमान समय में इस तरह के संसाधन एवं सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल करके विकलांगजन की खूबियों को उभारा जा सकता है। इसी को ध्यान में रखकर विकलांगजन के लिए सहायक उपकरण वितरण कार्यक्रम शुरू किया गया है। समाजवादी सरकार 18 वर्ष से कम आयु वाले निःशक्त बच्चों के माता अथवा पिता को समाजवादी पेंशन योजना का लाभ दे रही है। साथ ही, कुष्ठ रोगियों को भी 2500 रुपए प्रतिमाह पेंशन देने की योजना समाजवादी सरकार द्वारा शुरू की गयी है।
प्रमुख सचिव विकलांगजन विकास विभाग श्री महेश कुमार गुप्ता ने कहा कि विकलांगजन की दिक्कतों को समझकर उनकी जरूरतों के मुताबिक सुविधाएं उपलब्ध कराना समय की जरूरत है। इन सहायक उपकरणों के जरिए विकलांगजन का जीवन पहले के मुकाबले बेहतर, सरल और सहज होगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा आज शुभारम्भ के उपरान्त प्रदेश के अन्य जिलों में सम्बन्धित जिले के प्रभारी मंत्री द्वारा विकलांगजन को सहायक उपकरण वितरित किए जाएंगे।
श्री गुप्ता ने बताया कि विकलांगजन को राज्य स्तरीय पुरस्कारों का वितरण प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है। इसके तहत 6 विकलांगजन को 5 हजार रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाता रहा है। समाजवादी सरकार ने पुरस्कार की इस धनराशि को 21 हजार रुपए करने का फैसला लिया है। वर्तमान में उत्कृष्ट विकलांग कर्मचारियों तथा स्वतः रोजगार में लगे विकलांगजन की कैटेगरीज़ में प्रत्येक कैटेगरी में 3-3 नकद पुरस्कार देने की व्यवस्था है। समाजवादी सरकार ने फैसला लिया है कि अन्य क्षेत्रों में भी उपलब्धियां हासिल करने वाले विकलांगजन को नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाए। इसके लिए नियमावली में संशोधन की जरूरी कार्यवाही की जा रही है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने डाॅ0 राकेश वर्मा ‘रौनक’ के ग़ज़ल संग्रह ‘मज़मुआ-ए-रौनक’ का विमोचन भी किया। इस संग्रह को विकलांगजन की जरूरतों को ध्यान में रखकर एक साथ ब्रेल और आॅडियो सी0डी0 के तौर पर प्रकाशित किया गया है।
इस अवसर पर राजनैतिक पेंशन मंत्री श्री राजेन्द्र चैधरी सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 29 December 2016 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पी0सी0एस0 अधिकारियों की होती है। उन्होंने अपनी इस जिम्मेदारी का अच्छी तरह से निर्वाह किया है, जिसके कारण राज्य सरकार की महत्वपूर्ण विकास एवं जनकल्याणकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन हो सका है। उन्होंने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के लिए तेजी से भूमि अधिग्रहण का उदाहरण देते हुए कहा कि इसका निर्माण इसी वजह से मात्र 23 महीने में ही कराया जा सका।
मुख्यमंत्री ने यह विचार आज यहां लोक भवन में आयोजित यू0पी0 सिविल सेवा संघ (प्रशासकीय शाखा) के वार्षिक अधिवेशन के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि समाजवादी पेंशन, निःशुल्क लैपटाॅप वितरण योजना जैसी अनेक योजनाओं का सफल क्रियान्वयन भी पी0सी0एस0 अधिकारियों की लगन और परिश्रम के कारण सफल हो सका। उन्होंने कहा कि अधिकतर सरकारी योजनाओं को लागू करने का भार पी0सी0एस0 अधिकारियों पर होता है। ऐसे में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि पी0सी0एस0 अधिकारी सरकार और जनता के बीच सेतु का काम करते हैं।
श्री यादव ने कहा कि वर्तमान सरकार ने पी0सी0एस0 संवर्ग का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से उनकी तमाम समस्याओं का समाधान किया, जिसके चलते बहुत लम्बे अरसे बाद उन्हें आई0ए0एस0 संवर्ग में प्रोन्नति मिलना सम्भव हुआ है। उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार के प्रयासों से पिछले चार वर्षों के अंदर 240 पी0सी0एस0 अफसरों को आई0ए0एस0 संवर्ग में पदोन्नत किया गया है। इसके अलावा सरकार ने पी0सी0एस0 संवर्ग के अधिकारियों की पदोन्नति का मार्ग भी प्रशस्त किया है, जिसके चलते बड़ी संख्या में इस संवर्ग के अधिकारी पदोन्नति पा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने सरकारी सेवाओं में कार्य-कुशलता को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि पी0सी0एस0 अधिकारियों की लगातार ट्रेनिंग होती रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुड गवर्नेन्स में अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में उनकी कार्य-कुशलता और निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोत्तरी करने के सभी प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के जरिए नये द्वार भी खुलते हैं। मौजूदा समस्याओं का हल भी इसके माध्यम से निकाला जा सकता है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश की समाजवादी सरकार ने पिछले लगभग 05 वर्षों के दौरान राज्य का तेजी से विकास किया है, जिसमें पी0सी0एस0 अधिकारियों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि भविष्य में राज्य सरकार इस संवर्ग की अन्य समस्याओं पर भी गम्भीरता से विचार करते हुए उनका समाधान सुनिश्च्ति करेगी। उन्होंने कहा कि समाजवादियों का मानना है कि सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को उनका हक अवश्य मिलना चाहिए। इसीलिए राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की उचित मांगों को फौरन पूरा किया है।
समाजवादी स्मार्ट फोन योजना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इसके माध्यम से जनता तक सभी आवश्यक सूचनाएं विभिन्न एप्स के माध्यम से पहुंचाते हुए गुड गवर्नेन्स के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहती है। उन्होंने कहा कि भविष्य में यह योजना गेम चेंजर साबित हो सकती है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य सचिव श्री राहुल भटनागर ने कहा कि उत्तर प्रदेश का पी0सी0एस0 संवर्ग देश में टाॅप पर है। इस संवर्ग के अधिकारी अत्यन्त प्रतिभावान हैं। शासन-प्रशासन के सभी अधिकारियों को गुड गवर्नेन्स के साथ-साथ डिलीवरी सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहिए। अब वक्त आ गया है कि हम तेजी से फैसले लें और उन पर अमल करें ताकि आम आदमी को राहत मिले और उसका काम बिना किसी अड़चन के हो सके। वर्तमान सरकार ने पी0सी0एस0 अधिकारियों की विभिन्न समस्याओं के हल पर पूरा ध्यान दिया, जिसके कारण बड़ी संख्या में पी0सी0एस0 अधिकारियों की आई0ए0एस0 संवर्ग में प्रोन्नति सम्भव हुई है। इसके अलावा वर्ष 2012 से अब तक इस संवर्ग के अधिकारियों की बड़ी संख्या में विभिन्न पदों पर पदोन्नतियां की गई हैं। यही नहीं राज्य सरकार द्वारा 17 साल बाद इस संवर्ग की विवाद रहित ज्येष्ठता सूची भी तैयार करायी गयी है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पी0सी0एस0 एसोसिएशन के अध्यक्ष कैप्टन अमिताभ प्रकाश ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके प्रयास एवं सहमति से ही 09 वर्ष के अंतराल के बाद यह अधिवेशन सम्भव हो पाया है। उन्होंने पी0सी0एस0 संवर्ग की समस्याओं के समाधान तथा इस संवर्ग के लिए पदोन्नतियों का द्वार खोलने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस संवर्ग के अधिकारी राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्यन के लिए जी-जान से प्रयास करते रहेंगे।
इस अवसर पर एसोसिएशन के महासचिव श्री पवन कुमार गंगवार ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों के चलते पी0सी0एस0 संवर्ग के अधिकारियों की जहां एक ओर पदोन्नतियां सम्भव हो पायी हैं, वहीं दूसरी ओर नये पी0सी0एस0 अधिकारियों की भी नियुक्तियां हो रही हैं। यह एक सकारात्मक बदलाव है और इससे इस संवर्ग के अधिकारियों का उत्साहवर्धन हुआ है।
इससे पूर्व, कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के उपरान्त मुख्यमंत्री का स्वागत बुके भेंट कर किया गया। साथ ही, एसोसिएशन की ओर से उन्हें एक शाॅल तथा स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया। शुरुआत में दिव्यांग बच्चों द्वारा राष्ट्रगान प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने अधिवेशन का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मुख्यमंत्री द्वारा दिव्यांग बच्चों को उपहार भी वितरित किए गए। इस मौके पर उन्होंने पी0सी0एस0 संघ की पत्रिका ‘प्रतिमान’ का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम के दौरान प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्रीमती अनीता सिंह, प्रमुख सचिव नियुक्ति श्री के0एस0 अटोरिया, मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी श्री जगदेव सिंह सहित बड़ी संख्या में पी0सी0एस0 अधिकारी मौजूद थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 29 December 2016 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने मशहूर शायर और कवि श्री बेकल उत्साही के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है।
आज यहां जारी एक शोक संन्देश में मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री बेकल उत्साही एक आला दर्जे के शायर और कवि थे। उन्होंने साहित्य को अपनी रचनाओं से समृद्ध किया। साहित्य जगत को समृद्ध बनाने में उनके योगदान को देखते हुए प्रदेश सरकार ने उन्हें यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया था।
मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए उनके परिजनों को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर प्रार्थना भी की है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 29 December 2016 by admin
लाटूश रोड, नया गांव बाग मुन्नू स्थित हजरत सैय्यद इमाम अली शाह बाबा का 57वां उर्स मुबारक सम्पन्न हुआ। गद्दीनशीन सज्जादे सैय्यद इरफान अली शाह कादरी ने बताया कि बाबा की इस दरगाह पर हिन्दू-मुस्लिम एवं अन्य सभी वर्ग के लोग बराबर आते हैं और अपनी फरियाद करते हैं। बाबा सभी की जायज दुवाओं को पूरा करते हैं। क्षेत्रीय लोगों का भी इस दरगाह पर बहुत भरोसा है। उर्स की तैयारी में सभी वर्गों का पूरा सहयोग मिलता है।
इस वर्ष उर्स मुबारक पर शाहजहांपुर से आयी पार्टी मुरली राजू ने बाबा की सान में कव्वाली पेश की। देर रात तक चले इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
इस आयोजन में मो. इस्लाम, मो. अतीक, काजिम हुसैन, मो. राजा, मो. बशीर, मो. गुड्डू, अमर सोनकर, अवधेश, मो. उमर, मो. फहीम, अमरजीत आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 29 December 2016 by admin
नोटबंदी के बंद आयकर कानून में संशोधन का विधेयक आ गया। इस विधेयक ने कई और सवालों को जन्म दे दिया है। इस सबके बीच देश की सभी ईमानदार लोगों का यह अहसास और गहरा हुआ है कि यदि लोकतंत्र की अर्थव्यवस्था को सही तरह से आगे बढ़ना है तो उसे असमान वितरण और काली पूंजी, इन दो कमियों से जल्द से जल्द मुक्ति पानी होगी। नोटबंदी सरीखे सीमित कदमों से काला धन नहीं मिटाया जा सकता। बेनामी चुनावी चंदे को अवैध बना कर सभी दलों को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाने तथा दलगत कोष को पारदर्शी और दल नेता को जवाबदेह बनाने की जरूरत है। चुनौती हमेशा सुअवसर लेकर भी आती है। ऐसे सुअवसर का भरपूर लाभ उठाना ही समझदारी है। नोटबंदी केवल सरकार के लिए ही नहीं वरन् विपक्ष के लिए भी राष्ट्र की सेवा का सुअवसर है। विपक्ष को भारत की संस्कृति, सभ्यता तथा सबसे बड़े लिखित संविधान की गरिमा तथा गौरव के अनुकूल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर दुनिया के सामने मिसाल प्रस्तुत करनी है। भारत को जगत गुरू की भूमिका पुनः दिलाने का यह सुनेहरा मौका विपक्ष के हाथ है। विपक्ष चाहे तो वह राजनीति अर्थात राज्य के कल्याण के भविष्य के गर्भ में पल रहे शुभ संकेत को पहचानकर संर्कीण तथा दलगत राजनीति से ऊपर अपने को स्थापित कर सकता है। आज भारत की ओर सारी दुनिया बड़ी आशा से देख रही है।
नोटबंदी की चुनौती से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को पहले लेसकैश और उसके कैशलेस व्यवस्था की ओर ले जाने का आह्वान किया है। ऐसे संकट सबके लिए कुछ न कुछ करने का अवसर लेकर आते हैं। नोटबंदी केवल सत्तारूढ़ दल के लिए ही नहीं, विपक्ष के लिए भी मौका है। नेता वह होता है जो भविष्य के बदलाव का पहले से अंदाजा लगा ले। देश के अलग-अलग हिस्सों से खबरें आ रही हैं कि किस तरह चाय वाले, रिक्शे वाले, पान वाले और छोटे दुकानदारों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इन आम लोगों की लेसकैश की पहल से दूसरों को भी प्रेरणा मिल रही है। देखना है कि कौन इस अवसर का लाभ उठाएगा और कौन इसे गंवा देगा? दिमाग बहुत ताकतवर होता है।
देश में जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की खैर नहीं होगी। वसूली में फंसे ऐसे कर्जों और उनमें उलझी संपत्तियों के मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए 1 दिसम्बर 2016 से नई संहिता लागू हो रही है। इस संहिता से शोधन अक्षमता पर सलाह देने वाली एजेंसी का पंजीकरण शुरू हुआ है। फंसी संपत्तियों को मुक्त करने का काम शीघ्रता से संपन्न होगा। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि इस नई व्यवस्था से बड़ी उम्मीदें हैं। उन्हें विश्वास है कि एक साल के अंदर इसके परिणाम मिलने लगेंगे। अपनी क्षमता से अधिक कर्ज लेकर मंुह छुपाकर जीने के लिए अपने को मजबूर न करे। इस संसार में हम स्वाभिमान के साथ जीने के लिए आये है। अंधेरी रात के साये में दीये बनकर जीए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ताजातरीन ‘मन की बात’ कार्यक्रम में केन्या का जिक्र करते हुए कहा था कि वहां का पूरा बिजनेस सिस्टम मोबाइल लेन-देन की ओर शिफ्ट हो रहा है। सरकार ने गोल्ड रखने की लिमिट के नियमों को फिर से प्रभावी ढंग से लागू करने का इरादा जताया है। इसके पीछे कारण है कि सरकार को नोटबंदी के बाद ऐसी खबरें मिलीं हैं कि लोगों ने अपनी ब्लैक मनी को सबसे अधिक गोल्ड खरीदकर वाइट बनाया है। नोटबंदी के बाद से यह सिलसिला जारी है। यही कारण है कि अब सरकार के निशाने पर बैंक लाॅकर हैं। अब सरकार के इस कदम से अवैध संपत्ति के रूप में सोना रखने वालों को सरकार के संकेत तो मिल ही गए होंगे, साथ ही सरकार का यह स्पष्टीकरण उन लोगों के लिए राहत भरी खबर है, जो अफवाहों के कारण अपने व्हाइट मनी से खरीदे गए सोने को लेकर फिक्रमंद थे।
नोटबंदी के दौर में गुजरात में एक छोटा सा गांव नोटबंदी को लेकर बिलकुल भी चिंतित नहीं है क्योंकि वहां के लोग कैश में डील ही नहीं करते और यह काम अब से नहीं बल्कि पिछले डेढ साल से है। गुजरात के अहमदाबाद शहर से लगभग 90 किमी दूर साबरकांता डिस्ट्रिक्ट में पड़ने वाला अकोदरा गांव कैशलैस है यहां लोग लेन देन का काम कैश में नहीं बल्कि ई-बैंकिंग के जरिए करते हंै। जल्द ही 12 डिजिट वाला आधार नंबर आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड सहित हर तरह के ट्रांजैक्शन की जगह ले सकता है। यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथाॅरिटी आॅफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने आधार के माध्यम से बायोमीट्रिक अथाॅन्टिकेशन को मौजूदा 10 करोड़ से 40 करोड़ तक बढ़ाने की योजना है इससे कैशलेस सोसायटी को बढ़ावा देने के लिए एक प्लेटफाॅर्म मुहैया कराया जाएगा। बैंकों में नकदी की कमी से लोगों को हो रही दिक्कतों को दूर करने के लिए भाजपा सांसद सप्ताहांत की संसद की छुट्टियों में अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों के बीच जाकर डिजिटल लेनदेन का प्रशिक्षण देंगे। साथ ही किसानों व छोटे व्यापारियों की मंडी और बैंकों के साथ आ रही दिक्कतों को दूर करने में मदद करेंगे।
विपक्ष के रवैये के कारण जिस तरह संसद के कीमती दिन बर्बाद होते हैं उससे यह और अच्छे से स्पष्ट हुआ कि उसकी दिलचस्पी नोटबंदी के बाद उपजे हालात पर बहस की नहीं, बल्कि हंगामा करते रहने की है। पहले कई विपक्षी दल नोटबंदी के फैसले को वापस लेने पर अड़े थे, फिर जब उन्हें यह अहसास हुआ कि यह तो संभव ही नहीं तो फिर वे जनता की परेशानी का जिक्र करके बहस की जिद करने लगे। जब सरकार बहस को तैयार हुई तो विपक्ष ने उसे अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया। देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में बहस हुई होती तो विपक्ष जनता की परेशानी दूर करने में सहायक बनने वाले सुझाव देने में भी समर्थ होता और साथ ही सरकार पर इसके लिए दबाव बनाने में भी कि वह अपनी मशीनरी को और सक्रिय करे। संसद में कोई भी निर्णय लेने के पहले यह सोचा जाना कि उस निर्णय से समाज के सबसे अन्तिम व्यक्ति को क्या लाभ होगा?
सबसे बड़ी पंचायत में देश प्रेम से ओतप्रोत होकर बहस की जगह समाधानपरक परामर्श होना चाहिए। जनता के प्रतिनिधियों को वेतन-भत्ता इसलिए दिया जाता है कि वह देश हित में कार्य करें। जनता के खून-पसीने के टैक्स के पैसों से चलने वाली सरकार को उसकी खून-पसीने की कीमत ईमानदारी से चुकानी चाहिए। लोकतंत्र की सुन्दरता इसी में है कि समस्या का समाधान निकलकर आये। देश की जनता को बयानबाजी में नहीं उलझाना चाहिए। जनता समाधान मांगती है। यदि माननीय जन प्रतिनिधि ऐसा नहीं करते हैं तो वे स्वयं देश के लिए सबसे बड़ी समस्या हैं। अब देश की जनता अच्छी तरह सरकार चलाने के लिए दूसरा विकल्प भी निकालना जानती है। संसद के लिए ‘‘कार्य के बदले वेतन’’ का कानून बनाने के लिए जनता को विवश न किया जाये। जिस दिन संसद ठप्प होगी उस दिन का वेतन-भत्ता काटे जाने का कानून बनना चाहिए। देश तथा प्रदेश के लिए कानून बनाने वाले माननीय सांसद तथा विधायक समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत करें। संसद की प्रतिक्रिया तथा असर समाज में बड़े स्तर पर होता है।
नोटबंदी से उपजी चुनौतियों से निपटने में पंचायतें और सरपंच अहम भूमिका निभा सकते है। देश व्यापक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसमें सभी का सहयोग जरूरी है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को यहां सरपंचों के सम्मेलन में इसके लिए उनकी मदद की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि अगर मोदी जी साहसिक कदम उठाकर अपनी कुर्सी दांव पर लगा सकते हैं तो फिर सरपंचों को भी अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों के समग्र विकास के लिए जोखिम उठाने का संकल्प लेना चाहिए। 2 दिसम्बर 2016 से कैशलेस हो जाएगा महाराष्ट्र ठाणे का धसई गांव। गांववासियों के देश प्रेम के इस जज्बे के लिए लाखों सलाम।
श्री यशवंत सिन्हा, वरिष्ठ नेता, बीजेपी ने कहा कि यदि हम खुद को पार्टियों के घरौंदों में कैद करके न रखें और मित्रता का दायरा बड़ा करें तो दोस्ती की बदौलत बहुत से काम स्वतः हो जाते हैं। हमारा मानना है कि पार्टी से बड़ा देश होता है। देश प्रेम के लिए पद, सम्मान, धन, परिवार, जान सब कुछ कुर्बान किया जा सकता है। एक सैनिक लोकतंत्र की मजबूती के लिए अपनी जान कुर्बान करता है। सैनिक मोर्चे पर, कलम का सिपाही देश के अंदर और किसान अपनी कर्मभूमि खेत में जीतोड़ अपना सब कुछ कुर्बान करता है। इसी प्रकार समाज के अन्य वर्ग देश के लिए अपनी सर्वोच्च सेवायें अर्पित करते हैं। एक सच्चे राजनेता को इन देश भक्तों के विश्वास तथा कुर्बानी को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। जय जवान, जय किसान।
कोई भी देश सबसे शक्तिशाली तब बनता है, जब सबसे ज्यादा शक्ति उसके नागरिकों के पास हो। चीजों को बदलने की शक्ति, गलत को सबके सामने लाने की शक्ति और सही को उसका हक दिलाने की शक्ति। आम लोगों को वोट के अधिकार के द्वारा ऐसी ताकत दी गयी है कि लोग खुद आगे बढ़कर बदलाव का हिस्सा बनें। प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक बदलाव का केन्द्र बनना चाहिए। किसी व्यक्ति एक अच्छा आइडिया दुनिया को सृजन की राह पर ले जा सकता है या किसी व्यक्ति का एक बुरा आइडिया दुनिया को विनाश में झोक सकता है। समाज को अच्छा बनाने की जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति पर है। लोकतंत्र ने प्रत्येक वोटर को वोट की सबसे बड़ी शक्ति दी है। संविधान ने अपने नागरिकों को अनेक संवैधानिक अधिकार के साथ कर्तव्य भी दिये हैं। देश संविधान से चलता है। वोटर के एक-एक वोट से सरकार बनती है। सरकार संविधान के अन्तर्गत कार्य करें इसके लिए मीडिया का सशक्त माध्यम हमें मिला है। लोकतंत्र के चार स्तम्भ हैं - कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका तथा मीडिया। इन चारों स्तम्भों को मजबूत, स्वतंत्र तथा नैतिक बनाये रखने में ही लोकतंत्र की इमारत टिकाऊ बनेगी।
अमेरिका की विश्वविख्यात टाइम मैगजीन के पाठकों ने ‘पर्सन आॅफ द ईयर-2016’ संबंधी आॅनलाइन सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा पसंद किया है। इस चुनाव में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डाॅनल्ड ट्रंप, निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और विकीलीक्स के जूलियन असांजे को भी शामिल किया गया था। यह लगातार चैथा साल है, जब टाइम मैगजीन के ‘पर्सन आॅफ द ईयर’ के दावेदारों में मोदी को शुमार किया है। मोदी भारत के ही नहीं वरन् वल्र्ड के सर्वश्रेष्ठ नेता है। इस लोकप्रियता ने मोदी के दायित्व सारी मानव जाति के कल्याण के प्रति बड़ा दी है। नोटबंदी द्वारा मोदी ने भ्रष्टाचार, कालाधन तथा आतंकवाद पर जबरदस्त चोट की है। मोदी जी की विश्व में सर्वश्रेष्ठता की यह जीत उनके कुशल नेतृत्व की जीत है। इस लोकप्रियता के पीछे छिपी भावना यह हो सकती है कि विश्व की मानवता मोदीजी के वैश्विक कुशल नेतृत्व के अन्तर्गत अपने सुरक्षित भविष्य को देख रही है। मोदी जी को मानव जाति को निराश नहीं करना चाहिए। उन्हें हर पल आगे ही आगे बढ़ना है। जब तक धरती के एक भी घर में अन्धेरा है तब तक सूरज तुझे जलते रहना है।
मोदी जी को विश्व एकता के लिए अगला कदम उठाना चाहिए। अब मोदी को भारतीय संस्कृति के आदर्श वाक्य वसुधैव कुटुम्बकम् को साकार रूप देने के लिए विश्व की सरकार के गठन की पहल करना चाहिए। भारत ही विश्व में शान्ति तथा एकता स्थापित कर सकता है। मोदी जी को आज की युवा पीढ़ी को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन विश्व भर में घूमकर करने के लिए विश्व की एक न्यायपूर्ण व्यवस्था बनानी चाहिए। देशों की सीमाओं से विश्व को मुक्त करना चाहिए। अमीर देश-गरीब देश का अन्तर खत्म करना चाहिए। प्रकृति प्रदत्त इस धरती पर इसमें पलने वाले प्रत्येक जीव का बराबर का अधिकार है। जैसे यह देश हमारा है वैसी ही यह धरती हमारी है परायी नहीं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 29 December 2016 by admin
संस्थान के यशपाल सभागार में सांय 6.15 से काव्य गोष्ठी का आयोजन श्री उदय प्रताप सिंह, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें श्री किशन सरोज ने पढ़ा - दूर तक फैला नदी का पाट, नावें थक गयीं। टूट कर हर दिन ढहा, तटबन्ध सा सम्बन्ध कोई, दीप बन हर रात डूबी धार में सौगन्ध कोई, देखता कौन किसकी बाट।
श्री सिद्धार्थ शाडिल्य ने पढ़ा - धुधलीं हुई यादों को उजालों की तरह रख, महबूब का गम पाँव के छालों की तरह रख।
श्री प्रखर मालवीय कान्हा ने पढ़ा - कहीं जीन से मैं डरने लगा तो, अजल के वक्त से घबरा गया तो, ये दुनियाँ अश्क से गम नापती है, अगर मै जब्त करके रह गया तो।
श्री शारिक कैफ़ी ने पढ़ा - हमीं तक रह गया किस्सा हमारा, किसी ने खत नहीं खोला हमारा, पढ़ाई चल रही है जिन्दगी की, अभी उतरा नहीं बस्ता हमारा।
सुश्री तारा इकबाल ने पढ़ा - मेरी आवाज पे वो लौट आ सकता था, सच तो यह है कि बुलाना ही नहीं आया मुझको। मुझसे रूठा है कहानी का मुसफिल मेरा, कोई किरदार निभाया नहीं आया मुझको। मुझसे पहचानने में भूल हुई, दर्द आया था नकाबों में।
जामाल कौसर ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा - गया जो छोड कर मुझको, तो तय किया उसने जो फासला किसी से हुआ ही नहीं। वक्त की जद में हम हैं अब हमारी खैर नहीं। नहर का पानी मीठा था, अब नहर की खैर नहीं।
श्री उदय प्रताप सिंह, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कहा - जमाने का न जाने कौन सा दस्तूर होता है, सताता है उसे जो दिल से कुछ मजबूर होता है। यही तारीखे दुनियाँ है यहाँ, मकबूल लोगों ने हिकारत से जिसे देखा, वही मशहूर होता है। उतरते ताज हिलते तख्त इन नदियों ने देखे है, ये हँसती हैं कोई जब दौलत पर मगरूर होता है।
कुँ0 रंजीत सिंह चैहान ने पढ़ा - किसी ख्याल से हम करवटें बदलने लगे, ओ मेरी फर कहीं नींद में न चलने लगे। धुआँ धुआँ यादें यही गनीमत है, मुझे ये डर, वो इसी याद में न जलने लगे।
श्री मनीष शुक्ल, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने पढ़ा - हँसी ख्वाबों के बिस्तर से उठाने आ गये शायद, नये सूरज मेरी नीदें उड़ाने शायद, कहानी एक उनमान पे आने ही वाली थी मगर फिर बीच में किस्से पुराने आ गये शायद। लबों पे मुस्कुराहट टाॅक लेते हैं सलीके से, हमें भी रिश्ते निभाने आ गये शायद।
कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 अमिता दुबे, सम्पादक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 29 December 2016 by admin
‘भाषा एक साधना है उसकी शक्तियाँ साधना पर निर्भर करती हैं‘ उदय प्रताप सिंह
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ एवं जश्न-ए-अदब (काव्य एवं साहित्यिक संस्था, नई दिल्ली) के संयुक्त तत्वावधान में 5वंे काव्य महोत्सव-2016 एवं साहित्योत्सव सम्मान 2016, परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन दिनांक 03 दिसम्बर, 2016 को संस्थान के निराला सभागार, हिन्दी भवन में अपराह्न 3.00 बजे से किया गया।
अभ्यागतों का स्वागत करते हुए श्री मनीष शुक्ल, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया।
सहाफ़त की लड़खड़ाती जुबान‘ विषय पर बोलते हुए श्री अतुल चंद्रा ने कहा -आज हम नुक्तों को भुलाकर उर्दू जबान को हिन्दी में बदल दिया है। हिन्दी-अंग्रेजी के ग्रामर को मिला दे रहे हैं। इसका असर यह होता है कि हम अंग्रेजी का हिन्दीकरण करने का प्रयास करते हैं जिससे अंग्रेजी का नुकसान हुआ है। पाठकों की संख्या बढ़ाने के लिए भाषाओं व व्याकरण का सही प्रयोग नहीं हो पा रहा है। हिन्दी भाषा सीखना आसान नहीं है।
श्री गोविन्द पंत राजू ने कहा -अखबार की भाषा व आम बोलचाल की भाषा आज अलग-अलग नहीं है। अंगे्रजी में हिन्दी का प्रयोग हो रहा है। समय के साथ भाषाएँ बदलती हैं यदि नहीं बदलेंगी तो वह जिन्दा नहीं रह सकती। सूचना क्रान्ति का प्रभाव भाषा पर पड़ा है।
श्री सुधीर मिश्रा ने कहा - आज की भाषा पर समाज का प्रभाव पड़ा है। फेसबुक व टिवटर की भाषा का युग चल रहा है। भाषा वैसी होती है जैसा चिन्तन होता है। समाज भी टिवटर की भाषा को बोल रहा है। भाषा पर बाजार का प्रभाव है। भाषा को विस्तार देने की आवश्यकता है।
श्री फ़सीह अहमद ने कहा - आज जुबान बदल रही है। साहित्यिक भाषा का प्रयोग न होकर आम बोलचाल की भाषाओं का प्रयोग हो रहा है। भाषा में सरलता होनी चाहिए जिससे आम लोगो को समझ में आ जाये। भाषा इतनी कठिन न हो कि वह समझ में न आये। डिजिटल युग चल रहा है।
जज़्बाद की जुबान ‘रंगशाला‘ में अपने विचार रखते हुए श्री विलायत जाफ़री ने कहा - फिल्म एक आधुनिक तकनीक की देन है। रंगशाला में कार्य करना काफी कठिन है। रंगशाला परपंराओं से जुड़ा हुआ है। रंगशाला में अभिनय के समय कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। रंगशाला का कार्य काफी कठिनाईयों से होकर गुजरता है। रंगशाला की ताकत फिल्म से सौ गुना ज्यादा है।
श्री तारिक़ ख़ान ने कहा -थियेटर व फिल्म दोनों महत्वपूर्ण हैं। उनमें सामंजस्य की आवश्यकता है। थियेटर व फिल्म अपने-अपने स्थान पर उद्देश्य पूर्ण हैं।
श्री ज़मर्रूद मुग़ल ने कहा - रंगशाला ने आज एक नयी पहचान बनायी है।
वाचिक परम्परा से लुप्त होती हिन्दी कविता‘ विषय पर वक्तव्य देते हुए श्री उदय प्रताप सिंह, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कहा -गलती होना स्वाभाविक है स्वस्थ्य जनमत तैयार करना पत्रकारिता का परम कर्तव्य है। भाषा में समय के साथ परिवर्तन आया है। भाषा एक साधना है। भाषा की शक्तियाँ उनकी साधना पर निर्भर करती हैं। उन्होने कहा -सर से पैर तक जो खुद्दार नहीं है वह हाथ में कलम लेने का हकदार नहीं है। भाषा एवं पत्रकारिता में क्षमा का कोई स्थान नहीं है। मैं हिंग्लिश का पक्षधर नहीं हूँ।
श्री किशन सरोज ने कहा -जब तक मनुष्य रहेगा तब तक कविता रहेगी। वर्तमान में कविता को धर्म से जोड़ दिया गया है यह गलत है। इन्टरनेट आज सब कुछ सिखा दे रहा है। हिन्दी कविता को लिखने के लिए दिल एवं दिमाग दोनों का सामंज्स्य व नियत्रण होना आवश्यक है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 29 December 2016 by admin
नोटबंदी के बंद आयकर कानून में संशोधन का विधेयक आ गया। इस विधेयक ने कई और सवालों को जन्म दे दिया है। इस सबके बीच देश की सभी ईमानदार लोगों का यह अहसास और गहरा हुआ है कि यदि लोकतंत्र की अर्थव्यवस्था को सही तरह से आगे बढ़ना है तो उसे असमान वितरण और काली पूंजीए इन दो कमियों से जल्द से जल्द मुक्ति पानी होगी। नोटबंदी सरीखे सीमित कदमों से काला धन नहीं मिटाया जा सकता। बेनामी चुनावी चंदे को अवैध बना कर सभी दलों को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाने तथा दलगत कोष को पारदर्शी और दल नेता को जवाबदेह बनाने की जरूरत है। चुनौती हमेशा सुअवसर लेकर भी आती है। ऐसे सुअवसर का भरपूर लाभ उठाना ही समझदारी है। नोटबंदी केवल सरकार के लिए ही नहीं वरन् विपक्ष के लिए भी राष्ट्र की सेवा का सुअवसर है। विपक्ष को भारत की संस्कृतिए सभ्यता तथा सबसे बड़े लिखित संविधान की गरिमा तथा गौरव के अनुकूल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर दुनिया के सामने मिसाल प्रस्तुत करनी है। भारत को जगत गुरू की भूमिका पुनः दिलाने का यह सुनेहरा मौका विपक्ष के हाथ है। विपक्ष चाहे तो वह राजनीति अर्थात राज्य के कल्याण के भविष्य के गर्भ में पल रहे शुभ संकेत को पहचानकर संर्कीण तथा दलगत राजनीति से ऊपर अपने को स्थापित कर सकता है। आज भारत की ओर सारी दुनिया बड़ी आशा से देख रही है।
नोटबंदी की चुनौती से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को पहले लेसकैश और उसके कैशलेस व्यवस्था की ओर ले जाने का आह्वान किया है। ऐसे संकट सबके लिए कुछ न कुछ करने का अवसर लेकर आते हैं। नोटबंदी केवल सत्तारूढ़ दल के लिए ही नहींए विपक्ष के लिए भी मौका है। नेता वह होता है जो भविष्य के बदलाव का पहले से अंदाजा लगा ले। देश के अलग.अलग हिस्सों से खबरें आ रही हैं कि किस तरह चाय वालेए रिक्शे वालेए पान वाले और छोटे दुकानदारों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इन आम लोगों की लेसकैश की पहल से दूसरों को भी प्रेरणा मिल रही है। देखना है कि कौन इस अवसर का लाभ उठाएगा और कौन इसे गंवा देगाघ् दिमाग बहुत ताकतवर होता है।
देश में जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की खैर नहीं होगी। वसूली में फंसे ऐसे कर्जों और उनमें उलझी संपत्तियों के मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए 1 दिसम्बर 2016 से नई संहिता लागू हो रही है। इस संहिता से शोधन अक्षमता पर सलाह देने वाली एजेंसी का पंजीकरण शुरू हुआ है। फंसी संपत्तियों को मुक्त करने का काम शीघ्रता से संपन्न होगा। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि इस नई व्यवस्था से बड़ी उम्मीदें हैं। उन्हें विश्वास है कि एक साल के अंदर इसके परिणाम मिलने लगेंगे। अपनी क्षमता से अधिक कर्ज लेकर मंुह छुपाकर जीने के लिए अपने को मजबूर न करे। इस संसार में हम स्वाभिमान के साथ जीने के लिए आये है। अंधेरी रात के साये में दीये बनकर जीए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ताजातरीन ष्मन की बातष् कार्यक्रम में केन्या का जिक्र करते हुए कहा था कि वहां का पूरा बिजनेस सिस्टम मोबाइल लेन.देन की ओर शिफ्ट हो रहा है। सरकार ने गोल्ड रखने की लिमिट के नियमों को फिर से प्रभावी ढंग से लागू करने का इरादा जताया है। इसके पीछे कारण है कि सरकार को नोटबंदी के बाद ऐसी खबरें मिलीं हैं कि लोगों ने अपनी ब्लैक मनी को सबसे अधिक गोल्ड खरीदकर वाइट बनाया है। नोटबंदी के बाद से यह सिलसिला जारी है। यही कारण है कि अब सरकार के निशाने पर बैंक लाॅकर हैं। अब सरकार के इस कदम से अवैध संपत्ति के रूप में सोना रखने वालों को सरकार के संकेत तो मिल ही गए होंगेए साथ ही सरकार का यह स्पष्टीकरण उन लोगों के लिए राहत भरी खबर हैए जो अफवाहों के कारण अपने व्हाइट मनी से खरीदे गए सोने को लेकर फिक्रमंद थे।
नोटबंदी के दौर में गुजरात में एक छोटा सा गांव नोटबंदी को लेकर बिलकुल भी चिंतित नहीं है क्योंकि वहां के लोग कैश में डील ही नहीं करते और यह काम अब से नहीं बल्कि पिछले डेढ साल से है। गुजरात के अहमदाबाद शहर से लगभग 90 किमी दूर साबरकांता डिस्ट्रिक्ट में पड़ने वाला अकोदरा गांव कैशलैस है यहां लोग लेन देन का काम कैश में नहीं बल्कि ई.बैंकिंग के जरिए करते हंै। जल्द ही 12 डिजिट वाला आधार नंबर आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड सहित हर तरह के ट्रांजैक्शन की जगह ले सकता है। यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथाॅरिटी आॅफ इंडिया ;यूआईडीएआईद्ध ने आधार के माध्यम से बायोमीट्रिक अथाॅन्टिकेशन को मौजूदा 10 करोड़ से 40 करोड़ तक बढ़ाने की योजना है इससे कैशलेस सोसायटी को बढ़ावा देने के लिए एक प्लेटफाॅर्म मुहैया कराया जाएगा। बैंकों में नकदी की कमी से लोगों को हो रही दिक्कतों को दूर करने के लिए भाजपा सांसद सप्ताहांत की संसद की छुट्टियों में अपने.अपने क्षेत्रों में लोगों के बीच जाकर डिजिटल लेनदेन का प्रशिक्षण देंगे। साथ ही किसानों व छोटे व्यापारियों की मंडी और बैंकों के साथ आ रही दिक्कतों को दूर करने में मदद करेंगे।
विपक्ष के रवैये के कारण जिस तरह संसद के कीमती दिन बर्बाद होते हैं उससे यह और अच्छे से स्पष्ट हुआ कि उसकी दिलचस्पी नोटबंदी के बाद उपजे हालात पर बहस की नहींए बल्कि हंगामा करते रहने की है। पहले कई विपक्षी दल नोटबंदी के फैसले को वापस लेने पर अड़े थेए फिर जब उन्हें यह अहसास हुआ कि यह तो संभव ही नहीं तो फिर वे जनता की परेशानी का जिक्र करके बहस की जिद करने लगे। जब सरकार बहस को तैयार हुई तो विपक्ष ने उसे अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया। देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में बहस हुई होती तो विपक्ष जनता की परेशानी दूर करने में सहायक बनने वाले सुझाव देने में भी समर्थ होता और साथ ही सरकार पर इसके लिए दबाव बनाने में भी कि वह अपनी मशीनरी को और सक्रिय करे। संसद में कोई भी निर्णय लेने के पहले यह सोचा जाना कि उस निर्णय से समाज के सबसे अन्तिम व्यक्ति को क्या लाभ होगाघ्
सबसे बड़ी पंचायत में देश प्रेम से ओतप्रोत होकर बहस की जगह समाधानपरक परामर्श होना चाहिए। जनता के प्रतिनिधियों को वेतन.भत्ता इसलिए दिया जाता है कि वह देश हित में कार्य करें। जनता के खून.पसीने के टैक्स के पैसों से चलने वाली सरकार को उसकी खून.पसीने की कीमत ईमानदारी से चुकानी चाहिए। लोकतंत्र की सुन्दरता इसी में है कि समस्या का समाधान निकलकर आये। देश की जनता को बयानबाजी में नहीं उलझाना चाहिए। जनता समाधान मांगती है। यदि माननीय जन प्रतिनिधि ऐसा नहीं करते हैं तो वे स्वयं देश के लिए सबसे बड़ी समस्या हैं। अब देश की जनता अच्छी तरह सरकार चलाने के लिए दूसरा विकल्प भी निकालना जानती है। संसद के लिए ष्ष्कार्य के बदले वेतनष्ष् का कानून बनाने के लिए जनता को विवश न किया जाये। जिस दिन संसद ठप्प होगी उस दिन का वेतन.भत्ता काटे जाने का कानून बनना चाहिए। देश तथा प्रदेश के लिए कानून बनाने वाले माननीय सांसद तथा विधायक समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत करें। संसद की प्रतिक्रिया तथा असर समाज में बड़े स्तर पर होता है।
नोटबंदी से उपजी चुनौतियों से निपटने में पंचायतें और सरपंच अहम भूमिका निभा सकते है। देश व्यापक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसमें सभी का सहयोग जरूरी है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को यहां सरपंचों के सम्मेलन में इसके लिए उनकी मदद की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि अगर मोदी जी साहसिक कदम उठाकर अपनी कुर्सी दांव पर लगा सकते हैं तो फिर सरपंचों को भी अपनी.अपनी ग्राम पंचायतों के समग्र विकास के लिए जोखिम उठाने का संकल्प लेना चाहिए। 2 दिसम्बर 2016 से कैशलेस हो जाएगा महाराष्ट्र ठाणे का धसई गांव। गांववासियों के देश प्रेम के इस जज्बे के लिए लाखों सलाम।
श्री यशवंत सिन्हाए वरिष्ठ नेताए बीजेपी ने कहा कि यदि हम खुद को पार्टियों के घरौंदों में कैद करके न रखें और मित्रता का दायरा बड़ा करें तो दोस्ती की बदौलत बहुत से काम स्वतः हो जाते हैं। हमारा मानना है कि पार्टी से बड़ा देश होता है। देश प्रेम के लिए पदए सम्मानए धनए परिवारए जान सब कुछ कुर्बान किया जा सकता है। एक सैनिक लोकतंत्र की मजबूती के लिए अपनी जान कुर्बान करता है। सैनिक मोर्चे परए कलम का सिपाही देश के अंदर और किसान अपनी कर्मभूमि खेत में जीतोड़ अपना सब कुछ कुर्बान करता है। इसी प्रकार समाज के अन्य वर्ग देश के लिए अपनी सर्वोच्च सेवायें अर्पित करते हैं। एक सच्चे राजनेता को इन देश भक्तों के विश्वास तथा कुर्बानी को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। जय जवानए जय किसान।
कोई भी देश सबसे शक्तिशाली तब बनता हैए जब सबसे ज्यादा शक्ति उसके नागरिकों के पास हो। चीजों को बदलने की शक्तिए गलत को सबके सामने लाने की शक्ति और सही को उसका हक दिलाने की शक्ति। आम लोगों को वोट के अधिकार के द्वारा ऐसी ताकत दी गयी है कि लोग खुद आगे बढ़कर बदलाव का हिस्सा बनें। प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक बदलाव का केन्द्र बनना चाहिए। किसी व्यक्ति एक अच्छा आइडिया दुनिया को सृजन की राह पर ले जा सकता है या किसी व्यक्ति का एक बुरा आइडिया दुनिया को विनाश में झोक सकता है। समाज को अच्छा बनाने की जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति पर है। लोकतंत्र ने प्रत्येक वोटर को वोट की सबसे बड़ी शक्ति दी है। संविधान ने अपने नागरिकों को अनेक संवैधानिक अधिकार के साथ कर्तव्य भी दिये हैं। देश संविधान से चलता है। वोटर के एक.एक वोट से सरकार बनती है। सरकार संविधान के अन्तर्गत कार्य करें इसके लिए मीडिया का सशक्त माध्यम हमें मिला है। लोकतंत्र के चार स्तम्भ हैं . कार्यपालिकाए विधायिकाए न्यायपालिका तथा मीडिया। इन चारों स्तम्भों को मजबूतए स्वतंत्र तथा नैतिक बनाये रखने में ही लोकतंत्र की इमारत टिकाऊ बनेगी।
अमेरिका की विश्वविख्यात टाइम मैगजीन के पाठकों ने ष्पर्सन आॅफ द ईयर.2016ष् संबंधी आॅनलाइन सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा पसंद किया है। इस चुनाव में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डाॅनल्ड ट्रंपए निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक ओबामाए रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और विकीलीक्स के जूलियन असांजे को भी शामिल किया गया था। यह लगातार चैथा साल हैए जब टाइम मैगजीन के ष्पर्सन आॅफ द ईयरष् के दावेदारों में मोदी को शुमार किया है। मोदी भारत के ही नहीं वरन् वल्र्ड के सर्वश्रेष्ठ नेता है। इस लोकप्रियता ने मोदी के दायित्व सारी मानव जाति के कल्याण के प्रति बड़ा दी है। नोटबंदी द्वारा मोदी ने भ्रष्टाचारए कालाधन तथा आतंकवाद पर जबरदस्त चोट की है। मोदी जी की विश्व में सर्वश्रेष्ठता की यह जीत उनके कुशल नेतृत्व की जीत है। इस लोकप्रियता के पीछे छिपी भावना यह हो सकती है कि विश्व की मानवता मोदीजी के वैश्विक कुशल नेतृत्व के अन्तर्गत अपने सुरक्षित भविष्य को देख रही है। मोदी जी को मानव जाति को निराश नहीं करना चाहिए। उन्हें हर पल आगे ही आगे बढ़ना है। जब तक धरती के एक भी घर में अन्धेरा है तब तक सूरज तुझे जलते रहना है।
मोदी जी को विश्व एकता के लिए अगला कदम उठाना चाहिए। अब मोदी को भारतीय संस्कृति के आदर्श वाक्य वसुधैव कुटुम्बकम् को साकार रूप देने के लिए विश्व की सरकार के गठन की पहल करना चाहिए। भारत ही विश्व में शान्ति तथा एकता स्थापित कर सकता है। मोदी जी को आज की युवा पीढ़ी को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन विश्व भर में घूमकर करने के लिए विश्व की एक न्यायपूर्ण व्यवस्था बनानी चाहिए। देशों की सीमाओं से विश्व को मुक्त करना चाहिए। अमीर देश.गरीब देश का अन्तर खत्म करना चाहिए। प्रकृति प्रदत्त इस धरती पर इसमें पलने वाले प्रत्येक जीव का बराबर का अधिकार है। जैसे यह देश हमारा है वैसी ही यह धरती हमारी है परायी नहीं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com