Posted on 20 October 2012 by admin
ऽ मनरेगा में महिलाओं की सहभागिता बढ़ायंे अधिकारी।
ऽ गाॅव स्तर पर कैम्प लगाकर महिलाओं के जाॅब कार्ड बनायंे।
ऽ एम0आई0एस0 फीडिंग समय से सुनिश्चित हो।
-प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास
उत्तर प्रदेश ग्राम्य विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री राजीव कुमार ने मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिये कि मनरेगा के तहत महिलाओं की सहभागिता को अधिक से अधिक बढ़ाया जाय। जिन महिलाओं के पास जाॅब कार्ड नहीं हैं अधिकारी ग्राम्य स्तर पर कैम्प लगाकर उनके जाॅब कार्ड बनायंे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को मेट के अलावा उनकी क्षमता के अनुसार अधिक से अधिक कार्य दंे। उन्होने कहा कि अधिकारी इस बात का भी ध्यान रखें कि महिलाओं के आवास के पास उन्हें कार्य उपलब्ध कराया जाय ताकि उनकी सहभागिता बढ़े। महिलायों को काम पर आने में कोई कठिनाई न हो। उन्होंने महिलाओं की एस0जी0एस0वाई में भी सहभागिता बढ़ाने के निर्देंष दिये।
यह निर्देंष प्रमुख सचिव ने आज यू0पी0आर0आर0डी0ए0 के सभागार में विभागीय कार्यक्रमों की समीक्षा के दौरान मुख्य विकास अधिकारियों को दिये। उन्हांेने कहा कि एम0आई0एस0 (मैनेजिंग इन्फारमेशन सिस्टम) फीडिंग समय से सुनिश्चित करायें। एम0आईएस0 के अलावा कोई भी रिर्पोट स्वीकार नहीं की जायंेंगी। उन्होंने अधिकारियों को अगाह करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के 06 माह पूर्ण हो चुके है, अब शीघ्र अति शीघ्र मनेरगा के कार्य जमीन पर दिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब औपचारिकतायें पूर्ण हो चुकी हैं अतः कार्य में तेजी लाय। अधिकारी फील्ड में जाकर कार्य की गुणवत्ता को देखें और इस ओर विशेष ध्यान दे। जहाॅ पर मौके पर कार्य नहीं हो रहा है उसमें भी तेजी लायें।
श्री राजीव कुमार ने कहा कि इन्द्रिरा आवास योजना के तहत स्थाई पात्रता सूची में बी0पी0एल0 धारकों के नाम शामिल होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल आडिट की कार्यवाही पूर्व करने से पहले गाॅव/ब्लाॅक स्तरीय टीम का गठन कर लंे और 15 दिसम्बर से सोशल आडिट का कलेन्डर तैयार किया जाना है। इस कारण सोशन आडिल के अन्त में होने वाली ग्राम्य पंचायत की खुली बैठक में सम्बन्धित ब्लाक समन्वयक तथा जिलाधिकारी द्वारा नामित समुचित स्तर के अधिकारी परिवेक्षक के रूप में उपस्थित रहें। उन्होंने कहा कि इस निमित्त् एक शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इन्द्रिरा आवास के लाभार्थियों के खाते में पैसा समय से डालने के निर्देंष दिये। इन्द्रिरा आवासों की प्रगति से संबंधित आंकड़े तथा पूर्व से पूर्ण आवासों एंव उनके फोटों भारत सरकार की वेबसाइट ‘‘आवास साफ्ट’’ पर शत-प्रतिषत अपलोड कराने के निर्देंष दिये।
इस अवसर पर आयुक्त, ग्राम्य विकास श्री अनिल गर्ग ने मण्डल व जनपदवार समीक्षा करते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये कि वे श्रमिकों के भुगतान सम्बन्धी प्रमाण-पत्र अवश्य बनायें। निर्गत मस्टर रोल का एम0आई0एस0 डाटा समय से सुनिश्चित करायें। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी।
बैठक में डा0 राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना, सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना 2011, विधायक निधि की प्रगति, ग्रामीण पेयजल योजना कि वित्तीय एवं भौतिक प्रगति की समीक्षा की गयी। बैठक में श्री अजय कुमार उपाध्याय प्रषासनिक अधिकारी, ग्राम्य विकास के अलावा मण्डलीय संयुक्त विकास आयुक्त के अलावा विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 19 October 2012 by admin
पीक सीजन होने के बावजूद चारा बीज अभी तक किसानों तक न पहुॅच पाने की शिकायत पर नाराजगी व्यक्त करते हुये पशुधन मंत्री श्री पारसनाथ यादव ने निर्देश दिये कि 20 अक्टूबर तक चारा बीज हर हाल में सभी जगह पर पहुॅच जायें तथा 22 अक्टूबर तक उसका वितरण हो जाना चाहिये। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी होने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ निलम्बन की कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।
श्री पारसनाथ यादव आज यहाॅ पशुपालन निदेशालय में मण्डलीय उप निदेशकों, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों, उप निदेशकों (प्रक्षेत्र) एवं प्रत्येक जनपद से आये पशुपालकों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग के कार्यक्रम पशुपालकों की समस्याओं को दूर करने के लिये एवं उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के उद्देश्य से चलाये जा रहे हैं इसलिये पशुपालकों की आवश्यकताओं एवं उनकी समस्याओं की अनदेखी किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जा सकती। पशुपालकों द्वारा बताया गया कि कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे चारा बीज से पशुपालन विभाग के बीज अधिक गुणवत्तायुक्त हैं। अतः चारा बीज की मात्रा बढ़ाई जाये। उन्होंने पशुपालकों को आश्वस्त किया कि अगले वर्ष तक बीज की मात्रा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने पशुपालकों की समस्याओं के निराकरण के लिये स्थापित पशुधन समस्या निवारण केन्द्र के टोल-फ्री नम्बर पर उपलब्ध करायी जा रही शिकायतों के निस्तारण के संबंध में पशुपालकों से जानकारी प्राप्त की तथा अधिकांश लोगों ने उसके द्वारा पशुओं की बीमारी एवं अन्य समस्याओं के त्वरित निस्तारण होने से प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने पशुपालकों से कहा कि वे अपनी समस्याओं के संबंध में निदेशक पशुपालन, प्रमुख सचिव को अवगत करायें और अगर उनके स्तर से भी समस्या का निस्तारण नहीं हो पाता है तो सीधे उनके मोबाइल पर सम्पर्क करके उन्हें अपनी समस्या से अवगत करायें। उन्होंने पशुपालकों की समस्याओं के निस्तारण हेतु हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया।
पशुधन मंत्री ने निर्देश दिये कि पशु चिकित्सकों एवं प्रगतिशील पशुपालकों के लिये और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवाये जायें तथा पशुपालकों को केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं जिला योजना के अंतर्गत उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं की अद्यतन जानकारी उपलब्ध करायी जाये। उन्होंने कई जनपदों में काफी समय से लम्बित बीमा के मामलों पर सख्ती से निर्देश दिये कि 15 दिन के अंदर सभी बीमा केसों को बीमा कम्पनी को भेजने एवं बीमा कम्पनी द्वारा अधिकतम एक माह के अंदर उसका निस्तारण करने के निर्देश दिये।
श्री यादव ने निर्देश दिये कि प्रत्येक जनपद में हर माह चिकित्सा शिविर आयोजित किये जायें तथा उनके व्यापक प्रचार-प्रसार की कार्यवाही सुनिश्चित की जाये ताकि सभी किसानों को उसकी जानकारी प्राप्त हो सके। पशुपालकों द्वारा गेहूॅ तथा गन्ना की भांति ही दूध का भी समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग पर उन्होंने कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। पशुपालकों ने कहा कि भैंसों एवं गायों को क्रय करने के लिये बैंक ऋण मिलने में परेशानी होती है, इसलिये कारपस फण्ड के माध्यम से दो पशु क्रय हेतु ऋण उपलब्ध कराया जाये।
पशुपालकों ने बताया कि खुरपका, मुंहपका एवं रैबीज का टीका समय पर उपलब्ध न होने के कारण पशुओं की हानि हो रही है। उन्होंने खुरपका, मुहपका टीकाकरण की योजना सभी जनपदों में चलाने की भी मांग की। उन्होंने बुन्देलखण्ड में बकरी पालन की योजना का विस्तार करने की आवश्यकता पर बल दिया। पशुपालकों ने चरागाह की जमीन को कब्जा मुक्त कराने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि चरागाह की जमीन पर लोगों ने अनधिकृत रूप से कब्जा करके उसका पट्टा करवा लिया है, जिससे पशुओं को घूमने-फिरने की जगह नहीं बची है और उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। श्री यादव ने निर्देश दिया कि इस संबंध में कार्यवाही हेतु राजस्व विभाग को लिखा जाये। पशुपालकों ने कहा कि जिस तरह से रबी, खरीफ और जायद की फसलों की समीक्षा होती है, दूध की भी समीक्षा होनी चाहिये। चाराबीज समय पर उपलब्ध न होने के कारण गर्मी में दूध की कमी हो जाती है। उन्होंने सही समय पर टीकाकरण कराने, मुर्गी पालन के लिये बैंक लोन उपलब्ध कराने, चारा मशीन पर सब्सिडी उपलब्ध कराने तथा कीड़ों की दवा आवश्यक मात्रा में उपलब्ध कराने के साथ-साथ ए0ई0 कार्यक्रम को ग्राम पंचायत स्तर पर ही डाक्टरों की टीम द्वारा कराने की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन श्री योगेश कुमार ने कहा कि अधिकतर पशुओं की मौत पाॅलीथीन खाने से हो रही है। इसके लिये काफी हद तक पशुपालक जिम्मेदार हैं। दूध निकालने के बाद वे पशुओं को बाहर निकाल देते हैं। गाय आदि जो भी छुट्टा जानवर हैं, उनपर रोक लगाना आवश्यक है। ये जानवर पाॅलीथीन के साथ-साथ कूड़े के ढ़ेर से बहुत सारी गंदगी खा लेते हैं, जिससे उनका दूध भी संक्रमित हो जाता है। इसके साथ ही ये पशु कई बार दुर्घटना के भी कारण बनते हैं।
बैठक में निदेशक पशुपालन डा0 रूद्र प्रताप ने विभागीय योजनाओं एवं उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 18 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष भी रबी की बुआई से पूर्व ‘‘अपनी मिट्टी पहचाने अभियान’’ रबी 2012-13 चलाया जा रहा है। अभियान के द्वितीय चरण 20 अक्टूबर 2012 को आयोजित किया जायेगा, कृषि से जुड़े किसानों ने किन्हीं कारणों से अपने खेतों की मिट्टी की जांच नहीं करवा पाई हो तो वे मिट्टी की जांच अवश्य करायें। किसान भाइयों को जरूरी है कि जांच में मुख्य पोषक तत्वों के साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों की जांच अवश्य करायें। मृदा परीक्षण अभियान के माध्यम से किसानों को मिट्टी में आने वाली कमियों के अनुसार संतुलित खाद डालने एवं बुआई की वैज्ञानिक सलाह मृदा स्वास्थ्य कार्ड के द्वारा दी जाती है।
कृषि मंत्री श्री आनन्द सिंह ने बताया कि खेतों में लगातार असन्तुलित रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग एवं जीवांश खादों के प्रयोग न करने से मृदा स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ा है। इसके प्रभाव के कारण प्रदेश के अधिकांश जनपदों में मुख्य पोषक तत्वों के साथ-साथ द्वितीय तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो रही है। उन्होंने बताया कि पौधों के अच्छे विकास के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, इनमें से तीन पोषक तत्व कार्बन, हाइड्रोजन तथा आक्सीजन वायुमण्डल तथा जल से ग्रहण करते हैं, अन्य तेरह मुख्य पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, द्वितीय पोषक तत्वों में प्रमुख पोषक तत्व कैल्सियम, मैग्निशियम सल्फर तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में-जिंक, आयरन, मैग्नीज, कापर, बोरान, मालिब्डेनम एवं क्लोरीन जो पौधे भूमि से ग्रहण करते हैं।
कृषि मंत्री ने बताया कि स्वस्थ भूमि में जीवांश कार्बन की मात्रा
0.8 प्रतिशत होनी चाहिए, लेकिन अधिकांश किसानों द्वारा लगातार धान एवं गेहूं के उत्पादन का चक्र अपनाने के कारण जीवांश कार्बन की मांत्रा 0.4 प्रतिशत से कम रह गई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान मंे मृदा परीक्षण के आधार पर प्रदेश के अधिकांश जनपदों में नत्रजन, फास्फोरस, सल्फर, जिंक, लोहा, तांबा, मैग्नीज अािद महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की भूमि में कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि इसी समस्या के निदान के लिए मृदा स्वास्थ्य को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए सरकार द्वारा प्रदेश में अपनी मिट्टी पहचाने एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूरे अभियान में 1407000 मृदाओं के नमूने एकत्रित करे जायेंगे। उन्होंने बताया कि 20 अक्टूबर तथा 03 नवम्बर 2012 को प्रत्येक चरण में 3,54,210 मृदाओं के नमूने एकत्रित कियो जायेंगे एवं एकत्रित मृदाओं के विशलेषण की संस्तुतियां 30 नवम्बर 2012 तक समसय उपलबध करायी जायेंगी, इसके लिए प्रयोगशालाओं में कर्मचारियों द्वारा पालियों में कार्य कराया जा रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 16 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में स्वीकृत नई निःशुल्क बोरिंग योजना के अंतर्गत टी0एस0पी0 में कृषकों के लिये प्राविधानित 20 लाख रूपये की धनराशि में से प्रथम किश्त के रूप में 10 लाख रूपये की धनराशि अवमुक्त कर दी है।
लघु सिंचाई विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार यह धनराशि अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों के लिये टी0एस0पी0 मानक के अनुसार व्यय की जायेगी। यह धनराशि निःशुल्क बोरिंग योजना में टी0एस0पी0 में कृषकों को अनुदान उपलब्ध कराने हेतु अनुमन्य हैं तथा इसका इसका उपयोग किसी अन्य मद में नहीं किया जायेगा। यह धनराशि डा0 राम मनोहर लोहिया ग्रामीण समग्र विकास योजना तथा डा0 राम मनोहर लोहिया ग्रामीण समग्र विकास योजना (नक्सल प्रभावित क्षेत्र) के अंतर्गत चयनित ग्राम सभाओं/ग्रामों की कार्य योजना में निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति हेतु व्यय की जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 16 October 2012 by admin
प्रादेशिक चकबन्दी अधिकारी संघ दिनांक 17.10.2012 दिन बुधवार स्थान राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह कैसरबाग लखनऊ में मा0 राजस्व मंत्री, श्री अम्बिका चैधरी का अभिनन्दन करने जा रहा है। मा0 राजस्व मंत्री अपराह्न 2ः00 बजे इस कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन करेंगे। मा0 अतिथियों ने इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने की सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी है।
संघ द्वारा अभिनन्दन समारोह के साथ-साथ ’’उ0प्र0 में चकबन्दी कल आज और कल’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन भी किया जा रहा है। इस कार्यशाला में विषय प्रवर्तन पूर्व मुख्य सचिव उ0प्र0 श्री शम्भू नाथ जी द्वारा किया जायेगा। इसमें अनेक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तथा वरिष्ठ अधिवक्ता एवं किसान प्रतिनिधि अपने विचार रखेगें। प्रदेश के विभिन्न जनपदों से चकबन्दी अधिकारी संघ के प्रतिनिधिगण बड़ी संख्या में भाग लेने के लिये लखनऊ आ चुके हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 08 October 2012 by admin
Posted on 05 October 2012 by admin
डा0 राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2012-13 हेतु ग्रामों का चयन यथाषीघ्र करते हुए ग्रामों की सूची संबंधित जनपद के जिलाधिकारी को शीघ्र उपलब्ध करायी जाय जिससे योजना के क्रियान्वयन को मूर्तरूप दिया जा सके।
यह निर्देंष प्रदेष के मुख्यमंत्री श्री अखिलेष यादव ने समस्त प्रभारी मंत्रियों को कल भेजे गये पत्र में दिये हैं। उन्होंने कहा है कि डा0 राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना प्रदेष सरकार की महत्पूर्ण एवं प्राथमिकता प्राप्त योजना है जिसका क्रियान्वयन शीघ्र ही सुनिष्चित किया जाना है।
श्री अखिलेष यादव ने पत्र में कहा है कि प्रदेष में विगत 17 मई 2012 द्वारा ‘‘डा0 राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना’’ लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेष के समस्त जनपदों में चयनित राजस्व ग्रामों में 22 विभागों के 36 कार्यक्रमों को संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है। चयन प्रक्रिया में आंषिक संषोधन करते हुए अब जनपद स्तर पर ग्रामों के चयन का अधिकार जनपद के प्रभारी मंत्री को प्रदान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि अब इस योजना में उन्हीं राजस्व ग्रामों का चयन किया जायेगा, जिनकी समस्त बसावटों की कुल जनसंख्या वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार 500 या अधिक है। जिलाधिकारी द्वारा जनपद के सर्वेक्षण के पष्चात तैयार तालिका-1 से जनपद के 500 या उससे अधिक जनसंख्या वाले ग्रामों को प्राप्त अंकों के आरोही क्रम में व्यवस्थित कर जनपद को आवंटित संख्या के तीन गुना ग्रामों की सूची तैयार की गई है। उन्होंने उपलब्ध कराई गई सूची में से योजना के अंतर्गत पांच वर्षों हेतु ग्रामों के चयन के निर्देंष प्रभारी मंत्रियों को दिये हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 04 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने केन्द्रीकृत उद्ग्रहण (लेवी) प्रणाली के अंतर्गत खरीफ क्रय वर्ष 2012-13 में लेवी चावल का उद्ग्रहण करने हेतु अधिसूचना जारी कर दी है। इस वर्ष लेवी चावल का कार्यकारी लक्ष्य 15.00 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया गया है। लेवी चावल की खरीद का कार्य अक्टूबर से प्रारम्भ हो गया है तथा चावल मिलों द्वारा 31 मार्च, 2013 तक क्रय किये गये धान से तैयार चावल पर 30 सितम्बर, 2013 तक केन्द्रीय पूल में लेवी चावल की डिलीवरी ली जायेगी।
प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री श्री रघुराज प्रताप सिंह ’राजा भइया’ ने यह जानकारी देते हुये बताया कि लेवी चावल की खरीद का कार्य खाद्य तथा रसद विभाग द्वारा किया जायेगा। उन्होंने बताया कि केवल कस्टम मिलिंग (सी.एम.आर.) का कार्य करने वाली चावल मिलों से लेवी स्वीकार की जायेगी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा निर्यात प्रोत्साहन हेतु बासमती चावल एवं पूसा बासमती (1) चावल को लेवी से मुक्त रखा गया है। चावल मिलों द्वारा क्रय किये गये कामन एवं ग्रेड-ए धान से तैयार चावल पर सभी चावल मिलों से 60 प्रतिशत की दर से लेवी ली जायेगी। भारत सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर लेवी चावल की खरीद की जायेगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की चावल मिलों द्वारा क्रय किये गये धान से उत्पादित चावल पर निर्धारित मात्रा में लेवी चावल का क्रय किया जायेगा तथा क्रय किये गये चावल का भण्डारण केन्द्रीय पूल हेतु भारतीय खाद्य निगम द्वारा किया जायेगा।
खाद्य मंत्री ने बताया कि वाणिज्य कर विभाग में पंजीकृत तथा मण्डी समिति की वैध लाइसेंसधारी चावल मिलों से ही लेवी चावल की खरीद की जायेगी। खरीदे गये चावल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु केवल उन्हीं चावल मिलों से लेवी चावल की खरीद की जायेगी, जिनकी न्यूनतम कुटाई क्षमता 5 कुन्तल प्रति घंटा हो एवं जिनमें पैडी क्लीनर, रबर रोल सेलर या सेन्ट्री फ्यूगल डिहस्कर, पैडी सेपरेटर तथा पालिशर मशीनरी स्थापित हो। उन्होंने बताया कि जिन मिलों पर किसी भी विगत वर्ष का सी.एम.आर. बकाया है, उन चावल मिलों से पहले सम्पूर्ण पिछला बकाया सी.एम.आर. सम्प्रदानित (डिलीवरी) कराया जायेगा, उसके पश्चात ही किसी भी वर्ष की लेवी ली जायेगी। ऐसे मिल/मिलर्स जो बकाया सी.एम.आर. की डिलीवरी न करें, जिसके कस्टम चावल की गुणवत्ता अधोमानक हो, शासन को क्षति पहुॅचाये या अनियमित कृत्य करें, उनके विरूद्ध आवश्यक दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने बताया कि यदि किसी चावल मिल पर गत वर्षों की अवशेष लेवी देय है तो मिल पहले उन वर्षों की अवशेष लेवी चावल की मात्रा का केन्द्रीयपूल में सम्प्रदान करेगी, उसके बाद ही वर्तमान वर्ष की लेवी का सम्प्रदान कराया जायेगा। भारत सरकार के निर्देशानुसार लेवी चावल के उद्ग्रहण हेतु समस्त श्रेणी के धान से निर्मित अरवा चावल की रिकवरी 67 प्रतिशत निर्धारित रहेगी।
श्री ’राजा भइया’ ने बताया कि बी.आई.एस. मानक के 50 किलोग्राम भर्ती वाले बोरों में लेवी चावल की खरीद की जायेगी तथा लेवी चावल के क्रय हेतु खाली बोरों की व्यवस्था चावल मिलों द्वारा स्वयं की जायेगी। लेवी चावल के रूप में केवल अरवा चावल ही स्वीकार किया जायेगा। सेला चावल लेवी के रूप में स्वीकार नहीं किया जायेगा। उन्होंने बताया लेवी देने के बाद निर्धारित रिलीज़ प्रमाण पत्र के आधार पर, चावल मिलर द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर अवमुक्त व्यापारी भाग के चावल का संचरण (ट्रांसपोर्टेशन) अनुमन्य किया जायेगा। उन्होंने बताया कि लेवी चावल की खरीद से संबंधित जारी की गयी अधिसूचना के क्रियान्वयन में कोई कठिनाई आ रही है तो इसके लिये खाद्य आयुक्त निर्णय लेने के लिये अधिकृत होंगे। उन्होंने बताया कि चावल मिल से भारतीय खाद्य निगम के डिपो तक लेवी चावल का परिवहन संबंधित आपूर्तिकर्ता/चावल मिलर द्वारा किया जायेगा। चावल के परिवहन व्यय का भुगतान, संबंधित जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित परिवहन दर तथा भारतीय खाद्य निगम द्वारा निर्धारित दर में से जो भी कम हो, पर किया जायेगा।
खाद्य मंत्री ने बताया कि भारतीय खाद्य निगम के डिपो पर चावल डिलीवरी हेतु आने वाले ट्रक की भारतीय खाद्य निगम के डिपो के गेट इंट्री रजिस्टर में अनिवार्य रूप से प्रविष्टि की जायेगी। गेट इंट्री रजिस्टर में प्रविष्टि तथा बिना वजन लिये भारतीय खाद्य निगम डिपो द्वारा कोई भी ट्रक वापस नहीं किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 04 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012-13 मेें शरद कालीन एवं बसंत कालीन गन्ने के साथ अन्तः फसली के रूप मंे उर्द/मूंग अथवा सरसों की बुवाई को प्रोत्साहन देेते हुए 1 लाख हे0 के क्षेत्रफल में कार्यक्रम चलाया जायेगा, जिसे वर्ष 2016-17 तक 3 लाख हे0 तक किया जायेगा। गन्ने के साथ उर्द/मंूग की बुवाई 15 जनवरी तक की जानी चाहिये। इस प्रकार की खेती से दलहन/तिलहन के आच्छादन के क्षेत्रफल में वृद्धि से किसानों को अतिरिक्त उत्पादन का लाभ मिलेगा, मृदा की उर्वरता में आशातीत वृद्धि जीवांश, कार्वन के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी वृद्धि होगी जिससे कृषकों को लाभ मिलेगा।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार चयनित विकास खण्डों में 500 हे0 के कलस्टर के रूप में लिये गये क्षेत्रफल में यह कार्यक्रम संचालित किया जायेगा। प्रत्येक कलस्टर मंे योजना का दायित्व कृषि विभाग के एक चिन्हित तकनीकी कर्मचारी को दिया गया है। गन्ने के साथ दलहन/तिलहन की अन्तः फसली खेती के लिए समस्त कृषक अनुदान के लिए पात्र होंगे।
योजना के अन्तर्गत उर्द/मूंग एवं सरसों की उन्नतशील प्रजातियों पर कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। इसमें जैव उर्वरक एवं जैव एजेण्ट/जैव पेस्टीसाइड तथा खरपतवार नाशी रसायन पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा से 50 प्रतिशत एवं 25 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार कृषकों कुल 75 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा।
गन्ने के साथ दलहनी/तिलहनी अन्तः फसली ख्ेाती करने पर रेज्ड वेड प्लांटर एवं मल्टी क्राप प्लांटर की खरीद पर कृषकों को 50 प्रतिशत का अनुदान जिसकी प्रति इकाई अधिकतम सीमा 32 हजार रुपये तक होगी। इस यंत्र से (कूड़ों) का निर्माण तथा रेज्ड वेड प्लांटर से दलहन/तिलहन की बुवाई की जायेगी। यदि कोई कृषक किराये पर मल्टी क्राप प्लांटर लेता है तो उसे 200 प्रति हे0 की दर किराये की धनराशि की प्रतिपूर्ति की जायेगी। इस योजना में कलस्टर इन्चार्ज को दो दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण एवं चयनित कृषक को विकास खण्ड स्तर पर प्रशिक्षण दिया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 02 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2012-13 के लिए धान खरीद नीति घोषित कर दी है। इसके तहत कामन श्रेणी के धान का मूल्य 1250 रुपये प्रति कुन्तल तथा ग्रेड ए श्रेणी के धान का मूल्य 1280 रुपये प्रति कुन्टल निर्धारित किया गया है। धान की खरीद एक अक्टूबर से 28 फरवरी 2013 तक होगी। इस वर्ष 25 लाख मी0 टन धान क्रय का न्यूनतम कार्यकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री श्री रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भइया’ ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 28 फरवरी 2013 तक क्रय केन्द्रों पर किसानों द्वारा लाई जाने वाली धान की समस्त मात्रा का क्रय किया जायेगा। इसके लिए 3250 केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। इसके लिए 9 क्रय एजेन्सियों को नामित किया गया है, जिसमें खाद्य विभाग, उ0प्र0 सहकारी संघ,यू0पी0एग्रो, उ0प्र0 उपभोक्ता सहकारी संघ, उ0प्र0 राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम, नैफेड, राज्य कर्मचारी कल्याण निगम, भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एन.सी.सी.एफ.) तथा भारतीय खाद्य निगम शामिल हैं। उन्होंने बताया कि धान की खरीद सीधे केवल किसानों से की जायेगी तथा किसानों का मोबाइल नम्बर/फोन नम्बर भी धान क्रय पंजिका पर अंकित किया जायेगा। वास्तविक किसान की पहचान हेतु फोटोयुक्त पहचान पत्र के आधार पर ही धान खरीद किये जाने की व्यवस्था रहेगी। इसके लिए किसानों को जोतबही, खतौनी तथा चकबन्दी अन्तर्गत ग्रामों में चकबन्दी संबंधी संगत भूलेख लाये जाने की अनिवार्यता होगी। उन्होंने बताया कि क्रय केन्द्रों पर सुचारू रूप से व्यवस्था बनी रहे इसके लिए ‘‘प्रथम आवक प्रथम खरीद’’ आधार पर खरीद की जायेगी।
खाद्य मंत्री ने बताया कि धान के मूल्य का भुगतान खाद्य विभाग के जिन क्रय केन्द्रों तथा कृषकों के खाते सहकारी बैंकों अथवा ग्रामीण बैंकों में हों, उन क्रय केन्द्रों को छोड़कर शेष समस्त केन्द्रों पर धान बिक्रेता कृषक के खाते में आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से धान मूल्य का सीधा एवं त्वरित भुगतान की व्यवस्था की जायेगी। इसके अलावा ‘‘पेइज एकाउण्ट चेक’’ से भुगतान प्राप्त करने का विकल्प भी किसान के पास रहेगा। उन्हांेने बताया कि ऐसे खरीद केन्द्रों पर जहां आर0टी0जी0एस0 से भुगतान की सुविधा उपलब्ध न हो, वहां खाद्य विभाग के क्रय केन्द्र प्रभारी द्वारा 2,00,000 रुपये (दो लाख रुपये) की सीमा तक ‘‘पेइज एकाउण्ट चेक’’ के माध्यम से किया जायेगा।
खाद्य मंत्री ने बताया कि समर्थन मूल्य योजना के अन्तर्गत क्रय किये गये कामन एवं ग्रेड-ए की धान से चावल की रिकवरी भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार अरवा चावल के लिए 67 प्रतिशत मानकर सी0एम0आर0 की डिलवरी की जायेगी। क्रय एजेन्सियों द्वारा खरीदे गये धान की कुटाई करायी जायेगी तथा उत्पादित कस्टम चावल का सम्प्रदान (डिलीवरी) केन्द्रीय मूल्य हेतु भारतीय खाद्य निगम के डिपो पर किया जायेगा। धान खरीद हेतु नामित सभी संस्थायें खरीदे गये धान से उत्पादित कस्टम चावल के मूल्य का बिल तैयार कर भारतीय खाद्य निगम से भुगतान प्राप्त करेंगी।
खाद्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश स्तर पर धान खरीद का अनुश्रवण विशेष सचिव खाद्य श्री सुभाष चन्द्र त्रिवेदी, संयुक्त आयुक्त खाद्य श्री अनिल कुमार दमेले तथा मुख्य विपणन अधिकारी द्वारा किया जायेगा। उन्हांेने बताया कि धान खरीद की स्थिति के निरन्तर अनुश्रवण हेतु खाद्य आयुक्त कार्यालय में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जो एक अक्टूबर से प्रातः 8 बजे से सायं 7 बजे तक कार्यशील रहेगा। नियंत्रण कक्ष का टेलीफोन/फैक्स नं0-2286046 तथा 2286044 है। क्रय एजेन्सियों को बोरों की व्यवस्था खाद्य विभाग द्वारा की जायेगी। कृषकों की सुविधा की दृष्टि से धान क्रय केन्द्रों पर धान का मूल्य, गुणवत्ता के मानक, संबंधित बैंक का नाम जहां भुगतान होना है, सम्बद्ध गांव की सूची आदि को क्रय केन्द्रों पर प्रदर्शित किया जायेगा। इसके अलावा क्रय केन्द्रों पर टोल फ्री नं0-18001800150 का प्रदर्शन किया जायेगा ताकि इस नम्बर पर खरीद संबंधी शिकायतों को दर्ज कराया जा सके।
खाद्य मंत्री ने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक गांव को निकटतम दूरी के धान क्रय केन्द्र से सम्बद्ध किया जायेगा। गांवों का क्रय केन्द्रों से सम्बद्धीकरण इस तरह किया जायेगा, कि किसानों को धान बेचने के लिए 7 कि0मी0 से अधिक दूरी तय न करना पड़े। धान क्रय केन्द्र कार्य दिवसांे में प्रातः 9 बजे से सायं 5 बजे तक खुले रहेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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