चारा बीज अभी तक किसानों तक न पहुॅच पाने की शिकायत पर नाराजगी व्यक्त

Posted on 19 October 2012 by admin

पीक सीजन होने के बावजूद चारा बीज अभी तक किसानों तक न पहुॅच पाने की शिकायत पर नाराजगी व्यक्त करते हुये पशुधन मंत्री श्री पारसनाथ यादव ने निर्देश दिये कि 20 अक्टूबर तक चारा बीज हर हाल में सभी जगह पर पहुॅच जायें तथा 22 अक्टूबर तक उसका वितरण हो जाना चाहिये। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी होने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ निलम्बन की कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।
श्री पारसनाथ यादव आज यहाॅ पशुपालन निदेशालय में मण्डलीय उप निदेशकों, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों, उप निदेशकों (प्रक्षेत्र) एवं प्रत्येक जनपद से आये पशुपालकों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग के कार्यक्रम पशुपालकों की समस्याओं को दूर करने के लिये एवं उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के उद्देश्य से चलाये जा रहे हैं इसलिये पशुपालकों की आवश्यकताओं एवं उनकी समस्याओं की अनदेखी किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जा सकती। पशुपालकों द्वारा बताया गया कि कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे चारा बीज से पशुपालन विभाग के बीज अधिक गुणवत्तायुक्त हैं। अतः चारा बीज की मात्रा बढ़ाई जाये। उन्होंने पशुपालकों को आश्वस्त किया कि अगले वर्ष तक बीज की मात्रा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने पशुपालकों की समस्याओं के निराकरण के लिये स्थापित पशुधन समस्या निवारण केन्द्र के टोल-फ्री नम्बर पर उपलब्ध करायी जा रही शिकायतों के निस्तारण के संबंध में पशुपालकों से जानकारी प्राप्त की तथा अधिकांश लोगों ने उसके द्वारा पशुओं की बीमारी एवं अन्य समस्याओं के त्वरित निस्तारण होने से प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने पशुपालकों से कहा कि वे अपनी समस्याओं के संबंध में निदेशक पशुपालन, प्रमुख सचिव को अवगत करायें और अगर उनके स्तर से भी समस्या का निस्तारण नहीं हो पाता है तो सीधे उनके मोबाइल पर सम्पर्क करके उन्हें अपनी समस्या से अवगत करायें। उन्होंने पशुपालकों की समस्याओं के निस्तारण हेतु हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया।
पशुधन मंत्री ने निर्देश दिये कि पशु चिकित्सकों एवं प्रगतिशील पशुपालकों के लिये और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवाये जायें तथा पशुपालकों को केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं जिला योजना के अंतर्गत उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं की अद्यतन जानकारी उपलब्ध करायी जाये। उन्होंने कई जनपदों में काफी समय से लम्बित बीमा के मामलों पर सख्ती से निर्देश दिये कि 15 दिन के अंदर सभी बीमा केसों को बीमा कम्पनी को भेजने एवं बीमा कम्पनी द्वारा अधिकतम एक माह के अंदर उसका निस्तारण करने के निर्देश दिये।
श्री यादव ने निर्देश दिये कि प्रत्येक जनपद में हर माह चिकित्सा शिविर आयोजित किये जायें तथा उनके व्यापक प्रचार-प्रसार की कार्यवाही सुनिश्चित की जाये ताकि सभी किसानों को उसकी जानकारी प्राप्त हो सके। पशुपालकों द्वारा गेहूॅ तथा गन्ना की भांति ही दूध का भी समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग पर उन्होंने कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। पशुपालकों ने कहा कि भैंसों एवं गायों को क्रय करने के लिये बैंक ऋण मिलने में परेशानी होती है, इसलिये कारपस फण्ड के माध्यम से दो पशु क्रय हेतु ऋण उपलब्ध कराया जाये।
पशुपालकों ने बताया कि खुरपका, मुंहपका एवं रैबीज का टीका समय पर उपलब्ध न होने के कारण पशुओं की हानि हो रही है। उन्होंने खुरपका, मुहपका टीकाकरण की योजना सभी जनपदों में चलाने की भी मांग की। उन्होंने बुन्देलखण्ड में बकरी पालन की योजना का विस्तार करने की आवश्यकता पर बल दिया। पशुपालकों ने चरागाह की जमीन को कब्जा मुक्त कराने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि चरागाह की जमीन पर लोगों ने अनधिकृत रूप से कब्जा करके उसका पट्टा करवा लिया है, जिससे पशुओं को घूमने-फिरने की जगह नहीं बची है और उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। श्री यादव ने निर्देश दिया कि इस संबंध में कार्यवाही हेतु राजस्व विभाग को लिखा जाये। पशुपालकों ने कहा कि जिस तरह से रबी, खरीफ और जायद की फसलों की समीक्षा होती है, दूध की भी समीक्षा होनी चाहिये। चाराबीज समय पर उपलब्ध न होने के कारण गर्मी में दूध की कमी हो जाती है। उन्होंने सही समय पर टीकाकरण कराने, मुर्गी पालन के लिये बैंक लोन उपलब्ध कराने, चारा मशीन पर सब्सिडी उपलब्ध कराने तथा कीड़ों की दवा आवश्यक मात्रा में उपलब्ध कराने के साथ-साथ ए0ई0 कार्यक्रम को ग्राम पंचायत स्तर पर ही डाक्टरों की टीम द्वारा कराने की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन श्री योगेश कुमार ने कहा कि अधिकतर पशुओं की मौत पाॅलीथीन खाने से हो रही है। इसके लिये काफी हद तक पशुपालक जिम्मेदार हैं। दूध निकालने के बाद वे पशुओं को बाहर निकाल देते हैं। गाय आदि जो भी छुट्टा जानवर हैं, उनपर रोक लगाना आवश्यक है। ये जानवर पाॅलीथीन के साथ-साथ कूड़े के ढ़ेर से बहुत सारी गंदगी खा लेते हैं, जिससे उनका दूध भी संक्रमित हो जाता है। इसके साथ ही ये पशु कई बार दुर्घटना के भी कारण बनते हैं।
बैठक में निदेशक पशुपालन डा0 रूद्र प्रताप ने विभागीय योजनाओं एवं उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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