Posted on 15 January 2013 by admin
राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के 70वें दौर के राज्य स्तरीय प्रशिक्षण में भाग लेने के लिये आये मण्डलीय उप निदेशकों एवं जिला अर्थ एवं संख्याधिकारियों को सम्बोधित करते हुये आर्थिक बोध एवं संख्या निदेशक श्री प्रेम नारायण ने कहा कि राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के अंतर्गत इस आवृत्ति में एकत्रित किये जा रहे ’भू सम्पत्ति एवं पशुधन धारिता’ ऋण एवं निवेश तथा ’कृषक परिवारों की स्थिति का मूल्यांकन’ से संबंधित आॅकड़े अन्य आवृत्तियों में एकत्रित करायें गये आॅकड़ों से और भी अधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कृषक परिवारों की स्थिति का मूल्यांकन, जोत, फसल उत्पादन तथा ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र में परिवारों की परिसम्पत्तियों के भण्डार, ऋण ग्रस्तता के विस्तार, पूॅजी निर्माण तथा अन्य परिमाणात्मक सूचनाएं भी प्राप्त होंगी जो राज्य के ग्रामीण व नगरीय परिवारों की साख संरचना के मूल्यांकन तथा अधिक प्रभावी साख नीति बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।
श्री प्रेम नारायण ने आज यहाॅ योजना भवन के सभागार में मण्डलीय उपनिदेशक/जिला संख्याधिकारियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी व्यक्ति या परिवार से संग्रह की गयी जानकारी गुप्त रखी जाये तथा अन्य सरकारी विभागों के समक्ष ये प्रकट न की जायें। उन्होंने कहा कि इन सर्वेक्षणों की सफलता जनता द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। इसलिये इस सर्वेक्षण को गंभीरता के साथ पूरे मनोयोग, ईमानदारी एवं परिश्रम से पूरा किया जाये। सर्वेक्षण के दौरान यदि किसी भी प्रकार की कठिनाई आती है तो मुख्यालय के अधिकारियों से सम्पर्क करके समस्या का निराकरण करें। इसमें किसी भी प्रकार का संकोच न करें तथा अपने अनुभव का अदान-प्रदान करें। श्री नारायण ने कहा कि जो कार्मिक सूचना एकत्र करने क्षेत्र में जायें वे प्रतिदर्श परिवार/सूचक से उनका सहयोग प्राप्त करने के लिये अनुरोध करें, जिससे सही एवं पूर्ण आंकड़े उपलब्ध हो सकें।
कार्यक्रम से पूर्व निदेशक श्री प्रेम नारायण ने दीप प्रज्जवलित कर प्रशिक्षण का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक श्री बी0राम, भारत सरकार के संयुक्त निदेशक, उप निदेशक के साथ ही सभी जिलों के अर्थ एवं संख्या अधिकारी एवं निदेशालय के सभी अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 14 January 2013 by admin
विकास क्षेत्र प्रतापपुर कमैचा के कोथरा बाजार स्थित सहकारी समिति पर किसानो से अधिक मूल्य लेकर यूरिया की बोरी बेची जा रही है जिससे किसानो का शोषण हो रहा है।
धरती पुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश सिंह जब मुख्यमंत्री हुए तो किसानो मे बडी आशा जगी कि उनका भी कल्याण होगा गेंहूं की खरीद अच्छी हुई लेकिन धान किसानो को औने पौने दामो में बेचना पडा । कृषि उपज वृद्धि मे सहयोग करने वाली रासायनिक खाद के लिये किसानो को काफी मशक्कत करनी पड़ी जिसमें जिला प्रशासन के नियन्त्रण के बावजूद अधिक मूल्य पर किसानो को खाद खरीदनी पडी डाई, यूरिया, पोटाश सबमे अधिक दाम वसूला गया । सरकारी गोदामो पर भी किसानो का शोषण जारी है ।
सहकारी समिति कोथरा मे कल यूरिया लेने गए आनापुर नरायनगंज निवासी किसान मोनू सिंह, फौजदार सिंह, प्रदीप सिंह आदि ने बताया कि उनसे प्रति बोरी ३१५ से ३२० रु० लिया गया जबकि उपरोक्त लोगो ने विरोध भी किया लेकिन सहकारी समिति के विव्रहृेता ने स्पष्ट कहा लेना हो लो नही तो जाओं खरीदने वाले बहुत है विवशता मे किसानो ने अधिक मूल्य देकर खाद खरीदा ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 13 January 2013 by admin
प्रदेष के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देंष दिये हैं कि आलू की खेती के समग्र विकास हेतु प्रदेष के आलू उत्पादकों को समय से गुणवत्तायुक्त बीज, उर्वरक, कीटनाषक,पानी व बिजली की उपलब्धता सुनिष्चित कराया जाय। आलू की नवीनतम उत्पादन तकनीकों एवं प्रसंस्करण आधारित अधिक उत्पादन देने वाली गुणवत्तायुक्त व्यावसायिक प्रजातियों को बढ़ावा दिया जाय तथा प्रगतिषील किसानों को प्रषिक्षित एवं प्रोत्साहित किया जाय। आलू के भण्डारण, विपणन एवं प्रसंस्करण हेतु अवस्थापना सुविधाओं का विकास एवं उसका कार्यान्वयन सुनिष्चित कराया जाय ताकि आलू किसानों को होने वाली अप्रत्याषित हानि से बचाया जा सके तथा समस्त स्टेक होल्डर्स को अधिकाधिक लाभ दिलाया जा सके।
श्री आलोक रंजन ने यह निर्देंेष कल यहाॅं अपने सभाकक्ष में उ0प्र0 में आलू विकास नीति 2013 के ड्राफ्ट पर विचार-विमर्ष के दौरान दिए। उन्होंने विभिन्न समितियों के पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेष की खाद्यान्य समस्या को हल करने के लिए चावल एवं गेहूॅं की तरह आलू को भी मुख्य भोज्य पदार्थ के रूप में प्रयोग करने के लिए जरूरी है कि आलू के उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि लाई जाय। उन्होंने कहा कि आलू उत्पादकों को गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने से, आलू के समुचित भण्डारण के लिए नवीन तकनीकी वाले बहुकक्षीय/बहुउद्देष्यीय शीतगृहों की स्थापना, आलू की ग्रेडिंग, पैकिंग एवं टैगिंग की नवीनतम तकनीक का प्रषिक्षण देने से, आलू के प्रसंस्करण एवं इसके निर्यात प्रोत्साहन से जहाॅं उनकी आय में वृद्धि होगी वहीं आलू की क्षति भी नहीं होगी।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन में प्राथमिकता से कार्य करने तथा आलू के भण्डारण में विवाद की स्थिति एवं बीज वितरण में असमानता तथा कालाबाजारी रोकने के लिए अधिकारियों को निगरानी रखने के निर्देंष दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेष की आय बढ़ाने के लिए आलू से संबंधित अन्य उत्पादकों को भी प्रोत्साहित किया जाय तथा इसके साथ-साथ आलू प्रदर्षनी एवं आलू गोष्ठी का भी आयोजन कराया जाय। उन्होंने आलू से संबंधित समस्त तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देष्य से आलू उत्पादन बाहुल्य क्षेत्र में ‘स्टेट पोटैटो रिसर्च इन्स्टीट्यूट’ की स्थापना की जाय तथा निजी शीतगृहों के सुनियोजित संचालन हेतु ‘वेयरहाउसिंग रिसीट सिस्टम’ लागू किये जाने के निर्देंष दिये है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, सचिव डा0 रजनीष दुबे ने बताया कि जहाॅ विष्व में चीन के बाद भारत का आलू उत्पादन में दूसरा स्थान है वहीं उ0प्र0 देष में सर्वाधिक क्षेत्रफल उत्पादन एवं शीतगृहों वाला प्रदेष है लेकिन उत्पादकता में गुजरात एवं पंजाब के बाद आता है। उन्होंने कहा कि आलू के मुख्य उत्पादक क्षेत्र में प्रदष्ेा के ग्याहर जनपद आते हैं उन्होंने कहा कि आलू प्रदेष की प्रमुख नकदी फसल होने के कारण बड़ी संख्या में किसान आलू उत्पादन से जुड़े हंै। अतः उ0प्र0 आलू विकास नीति 2013 को प्राप्त सुझाव के साथ समग्र रूप से लागू किया जायेगा। उन्होंने जानकारी दी कि किसानों की मांग के अनुसार ‘केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान’ (सीपीआरआई) ब्रीडर बीज उपलब्ध नहीं करा पाता है। अतः गुणवत्तायुक्त प्रमाणित बीज का उत्पादन राजकीय प्रक्षेत्रों के साथ-साथ निजी क्षेत्रों के चयनित प्रगतिषील कृषकों द्वारा भी कराया जायेगा।
इस दौरान विधायक, फतेहपुर सीकरी ठा0 सूरजपाल सिंह, विधायक, एत्मादपुर डा0 धर्मपाल सिंह, महासचिव, आलू उत्पादक किसान समिति, (आगरा) श्री पुष्पेन्द्र जैन, अध्यक्ष कोल्ड स्टोरेज एसोसिएषन (उ0प्र0) श्री एम0 स्वरूप, प्रषासनिक अधिकारी पी.एच.डी. चैम्बर आॅफ कामर्स समीक्षा सिंह ने भी प्रदेष के आलू उत्पादकों से संबंधित समस्याओं एवं उनके निराकरण हेतु अपने सुझाव दिये। बैठक में विषेष सचिव, वित्त श्री अरविन्द नारायण मिश्र, विषेष सचिव, उद्यान श्री कैलाष प्रसाद, तथा अनरू विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 11 January 2013 by admin
बदलीयुक्त बूंदा-बांदी एवं नम वातावरण में विशेष सावधानी बरती जाये
आवश्यकतानुसार रसायन का छिड़काव करें -ओम नारायण सिंह
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक श्री ओम नारायण सिंह ने प्रदेश के किसानों को आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग से बचाने हेतु सलाह दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू के व्यवसायिक एवं गुणात्मक उत्पादन को सुनिश्चित करने हेतु आलू उत्पादक सम-सामयिक महत्व के कीट/व्याधियों का उचित समय पर नियंत्रण करें, क्योंकि आलू की फसल पिछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यन्त संवेदनशील होती है तथा प्रतिकूल मौसम विशेषकर बदलीयुक्त बूंदा-बांदी एवं नम वातावरण में झुलसा रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है जिससे फसल को भारी नुकसान होने की सम्भावना बनी रहती है।
श्री सिंह ने कहा कि आलू की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने हेतु किसानों द्वारा रक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिये। उन्होंने बताया कि पिछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारम्भ होती हैं जो तीव्रगति से फैलती हंै जिसके फलस्वरूप पत्तियों पर भूरे/काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं तथा पत्तियों के निचली सतह पर रूई की तरह फफूंद दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि बदलीयुक्त 80 प्रतिशत से अधिक आर्द्र वातावरण एवं 10 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम पर इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता हैै और 2 से 4 दिनों के अन्दर ही सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है।
उद्यान निदेशक ने कहा कि बदलीयुक्त मौसम में आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिये आलू उत्पादक जिंग मैगनीज कार्बामेट 2.0 से 2.5 कि0ग्रा0 को 800 से 1000 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से पहला रक्षात्मक छिड़काव करें। उन्होंने कहा कि 10 से 15 दिन के अन्तराल पर काॅपर आक्सीक्लोराइड 2.5 से 3.0 कि0ग्रा0 अथवा जिंक मैगजीन कार्बामेट 2.0 से 2.5 कि0ग्रा0 में से किसी एक रसायन का चयन कर आवश्यकतानुसार दूसरा छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि माहू कीट के प्रकोप की स्थिति में इसके नियंत्रण के लिए दूसरे छिड़काव में फफूंदीनाशक के साथ कीटनाशक जैसे-डायमेथाएट 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाकर छि़डकाव करें।
उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि जिन खेतों में आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग का प्रकोप हो गया हो उसकी रोकथाम के लिए अन्तःग्राही (सिस्टेमिक) फफूंदनाशक मेटालेक्जिल युक्त रसायन 2.5 कि0ग्रा0 अथवा साईमोक्जेनिल युक्त फफूंदनाशक 3.0 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 08 January 2013 by admin
उत्तर प्रदेश के निदेशक पशुपालन डा0 रूद्र प्रताप ने पशुपालकों को सलाह दी है कि इस समय सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में शीतलहर का प्रकोप व्याप्त है। पशुओं को शीतलहर के प्रकोप से बचाना आवश्यक है क्योंकि शीतलहर के कुप्रभाव से पशु का उत्पादन गिर जाता है, इसके साथ ही उचित देखरेख एवं प्रबंधन न होने से पशु की मृत्यु भी हो सकती है, पशुओं एवं मुर्गियों को शीतलहर के प्रभाव से बचाने के लिये पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे पशुओं को खुले स्थान में न रखें। उन्हें बंद जगह एवं ऊपर से ढके हुये स्थानों में रखें तथा विशेष ध्यान रखे कि रोशनदान, दरवाजों एवं खिड़कियों को टाट/बोरे से ढ़क दें, जिससे सीधी हवा का झोका पशुओं तक न पहुॅच सके। निदेशक पशुपालन ने सलाह दी है कि पशु बाड़े में गोबर एवं मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें। बिछावन में पुआल का प्रयोग करें। पशु बाड़े को नमी/सीलन से बचायें, ऐसा इंतजाम करें कि धूप पशुबाड़े में देर तक रहे। बिछावन समय-समय पर बदलते रहें तथा पशुओं को बासी ठंडा पानी न पिलायें, स्वच्छ ताजा पानी ही पिलायें। पशुओं को जूट के बोरे का झूल पहनायें तथा ध्यान रखें कि झूल खिसके नहीं, नीचे से जरूर बाॅध दें।
डा0 रूद्र प्रताप ने कहा है कि पशुबाड़े या उसके बाहर अलाव जलायें, इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अलाव पशुओं/बच्चों की पहुॅच से दूर रहे। पशु के गले की रस्सी ऐसी बांधे कि पशु अलाव तक न पहुॅच सकें। अलाव से पशुबाड़े में आगजनी का खतरा रहता है जिसपर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि शीतलहर में कन्संट्रेट संतुलित आहार पशुओं को दे तथा खली, दाना, चोकर की मात्रा को बढ़ा दें। धूप निकलने पर पशु को अवश्य ही बाहर धूप में खड़ा करें। नवजात बच्चों को खीस (कोलस्ट्रम) देकर विशेष ध्यान रखें तथा प्रसव के बाद माॅ को गुनगुना पानी पिलायें। उन्होंने कहा कि अगर ठंड से प्रभावित पशु के शरीर में कॅपकपी, बुखार के लक्षण होते हैं तो तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखायें। भेंड बकरियों में पी0पी0आर0 फैलने की संभावना बढ़ जाती है अतः इसका टीका लगवायें। चूजा/मुर्गी के घरों में बल्ब जलायें और तापमान गिरने से रोकें या बाहर अलाव जलायें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 25 December 2012 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने निर्देश दिए हंै कि बी0आर0जी0एफ0 योजना के अन्तर्गत आगामी वर्ष 2013-14 में ग्रामों के विकास हेतु लगभग 667 करोड़ रूपये की धनराशि से जनकल्याणकारी कार्य कराने हेतु एक कार्ययोजना बनायी जाए। इस योजना के तहत ग्रामीण संपर्क मार्गाें का निर्माण, पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित कराने हेतु पाइप वाटर के माध्यम से जल आपूर्ति तथा गांव के भीतर नाली एवं सी0सी0 रोड आदि जनोपयोगी कार्य कराये जायें। उन्होंने कहा कि बी0आर0जी0एफ0 के सुचारू संचालन हेतु कार्याें का अनुश्रवण करने हेतु गठित हाई पावर कमेटी की बैठक प्रत्येक तीन माह में अवश्य आयोजित करायी जाए। उन्होंने कहा कि स्वच्छ पेयजल आपूर्ति हेतु जे0ई0/ए0ई0एस0 ग्रसित जनपदों में भी योजना बनायी जाए।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में बी0आर0जी0एफ0 के सफल संचालन हेतु आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत प्राप्त धनराशि का उपयोग जनता के हित में करने को दृष्टिगत रखकर किया जाए। जो गांव सम्पर्क मार्गाें से नहीं जुड़े हैं, उन्हें सम्पर्क मार्गाें से जोड़ने हेतु कार्ययोजना बनायी जाए। उन्होंने कहा कि कार्याें को गुणवत्ता से कराने हेतु पी0एम0जी0एस0वाई0 मानक के आधार पर कार्यदायी संस्थाएं सुनिश्चित कर कार्य कराया जाए, ताकि निर्धारित मानक एवं गुणवत्ता में किसी प्रकार की कमी न रहने पाए। उन्होंने कहा कि बी0आर0जी0एफ0 योजना के अन्तर्गत धनराशि देने की प्रणाली के प्रस्ताव का परीक्षण कर वित्त विभाग से परामर्श प्राप्त करने के उपरान्त आवश्यक अनुमोदन हेतु पत्रावली प्रस्तुत की जाए। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों के 50 हजार से अधिक के कार्याें को कराने हेतु लोक निर्माण, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा एवं जल निगम निर्माण एजेन्सी से कार्य कराए जायें। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय वित्त आयोग की गाइड लाइन्स को दृष्टिगत रखते हुए कुल धनराशि का 20 प्रतिशत नागर निकायों तथा 80 प्रतिशत पंचायतों को देने का वर्तमान फार्मूला बनाये रखा जाए। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित प्रोजेक्ट माॅनीटरिंग यूनिट की बैठक नियमित रूप से कराकर कार्याें का निरन्तर अनुश्रवण सुनिश्चित कराया जाए तथा आवश्यक धनराशि अनुमोदन के उपरान्त ही निर्गत की जाए।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन, प्रमुख सचिव पंचायतीराज श्री माजिद अली सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 19 December 2012 by admin
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक श्री ओम नारायण सिंह ने प्रदेश के आलू उत्पादकों को आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने हेतु सलाह दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू के व्यवसायिक एवं गुणात्मक उत्पादन हेतु किसान सम-सामयिक महत्व के कीट एवं व्याधियों का उचित समय पर नियंत्रण करें, क्योंकि आलू की फसल अगेती/पिछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यन्त संवेदनशील होती है तथा प्रतिकूल मौसम में विशेषकर बदलीयुक्त बूंदा-बांदी एवं नम वातावरण में झुलसा रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है जिससे फसल को नुकसान होने की सम्भावना बनी रहती है।
श्री सिंह ने कहा कि आलू की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने हेतु किसानों द्वारा रक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिये। आलू में अगेती झुलसा रोग का प्रकोप निचली पत्तियों से प्रारम्भ होता है, जिसके फलस्वरूप गहरे भूरे/काले रंग के कुण्डलाकार छल्लेनुमा धब्बे बनते है, जो बाद में सूख कर गिर जाती हैं। उन्होंने बताया कि पिछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारम्भ होती हैं जो तीव्रगति से फैलता हैं पत्तियों पर भूरे/काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं तथा पत्तियों के निचली सतह पर रूई की तरह फफूंद दिखाई देती है। उन्होंने बताया कि बदलीयुक्त 80 प्रतिशत से अधिक आर्द्र वातावरण एवं 10 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम पर इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता हैैं और 2 से 4 दिनों के अन्दर ही सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है।
उद्यान निदेशक ने कहा कि बदलीयुक्त मौसम में आलू की फसल को अगेती एवं पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिये आलू उत्पादक जिंग मैगनीज कार्बामेट 2.0 से 2.5 कि0ग्रा0 को 800 से 1000 ली0 पानी में घोलकर (प्रति हेक्टेयर की दर से) पहला रक्षात्मक छिड़काव बुवाई के 30 से 45 दिन बाद अवश्य करे, तथा आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन के अन्तराल पर दूसरा छिड़काव काॅपर आक्सीक्लोराइड 2.5 से 3.0 कि0ग्रा0 अथवा जिंक मैगजीन कार्बामेट 2.0 से 3.0 कि0ग्रा0 में से किसी एक रसायन का चयन कर 800 से 1000 ली0 पानी में घोल कर (प्रति हेक्टेयर की दर से) करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 15 December 2012 by admin
प्रदेश के सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने आज यहां बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मण्डल के महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया एवं कुशीनगर जनपदों की लगभग 92000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने वाली गण्डक नहर को बिहार सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश की सहमति एवं पूर्व सूचना के बन्द कर दिए जाने से रबी फसल का संकट उत्पन्न हो गया था। उक्त नहर बन्द रहने के कारण लगभग 2.25 लाख कास्तकार प्रभावित हो रहे थे इससे कास्तकारों/जनता में असंतोष व्याप्त था उन्होंने बताया कि बिहार सरकार की उक्त एकतरफा कार्यवाही की सूचना मिलते ही तत्काल बिहार सरकार एवं भारत सरकार से वार्ता की गई।
मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव सिंचाई द्वारा इस संबंध मे भारत सरकार एवं बिहार सरकार से वार्ता तथा पत्रों के माध्यम से तत्काल बैठक कर समस्या का समाधान कराने का अनुरोध किया गया जिसके फलस्वरुप इस विषय पर भारत सरकार के सचिव जल संसाधन के स्तर पर दिनांक 13.12.2012 को दोनो प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई । प्रदेश की ओर से प्रमुख सचिव, सिंचाई एवं बिहार सरकार की ओर से प्रमुख सचिव, जल संसाधन एवं प्रमुख अभियंता, जल संसाधन द्वारा भाग लिया गया।
प्रदेश के प्रमुख सचिव सिंचाई द्वारा प्रदेश का पक्ष प्रस्तुत किया गया। बिहार के अधिकारियों द्वारा भी कतिपय कठिनाइयां बतायी गई जिसे दूर करने में उत्तर प्रदेश द्वारा हर सम्भव सहयोग किए जाने का आश्वासन दिया गया। प्रदेश के किसानों की उक्त समस्या के समाधान हेतु सचिव, जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार ने बिहार सरकार को यह निर्देश दिए गये हंै कि गण्डक नहर में सम्पूर्ण रबी सीजन अर्थात् 25 दिसम्बर, 2012 से मार्च 2013 तक अनवरत रुप से जलापूर्ति सुनिश्चित की जाए।
बिहार सरकार द्वारा भारत सरकार को उक्त निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया गया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मण्डल के जनपदों को सिंचित करने वाली पश्चिमी गण्डक नहर के दिनांक 25 दिसम्बर 2012 से अनवरत रुप से चलने से उक्त क्षेत्र के कृषकों को रबी- 1420 की फसल के दौरान सिंचाई की समस्या का सामना नही करना पडे़गा। यह प्रदेेश सरकार की एक बड़ी सफलता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 14 December 2012 by admin
उ0प्र0 सरकार द्वारा धान के क्रय हेतु अभी तक कोई दिशा-निर्देश तय नहीं होने से किसानों की स्थिति बहुत ही खराब हो रही है। किसान बिचैलियों के माध्यम से अपनी उपज बेंचने को मजबूर हो रहे हैं। अपने को किसानों की हितैषी कहने वाली समाजवादी पार्टी सरकार में किसानों का चारों तरफ से शोषण हो रहा है।
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने आज यहां जारी बयान में कहा कि एक तरफ जहां किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है वहीं दूसरी तरफ गेहूं की बुआई के साथ रासायनिक खाद एवं उन्नतशील बीज भी उपलब्ध नहीं हैं। नहरों की मरम्मत के नाम पर गेहूं की पहली सिंचाई एवं परती पड़े खेतों का पलेवा भी किसानों का नहीं हो पा रहा है। ऐसे में किसान पूरी तरीके से प्रताडि़त हो रहा है और उसका शोषण स्थानीय बिचैलियों के द्वारा किया जा रहा है।
प्रवक्ता श्री सिंह ने उ0प्र0 सरकार से मांग की है कि तत्काल धान क्रय केन्द्रों के संचालन हेतु आदेश दे और क्रय केन्द्रों पर धान खरीद हेतु पर्याप्त बोरा एवं पर्याप्त धन की व्यवस्था सुनिश्चित करे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 12 December 2012 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने निर्देश दिये हैं कि प्रदेश में धान खरीद में आ रही समस्याओं के निस्तारण के लिए चावल के डैमेज प्रतिशत मानक 03 प्रतिशत को बढ़ाकर 4.5 करने एवं पुनः 01 प्रतिशत तक डैमेज को वैल्यू कट के आधार पर प्राप्त करने की स्वीकृति हेतु भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय के सचिव को मेरी ओर से तथा मुख्यमंत्री जी की ओर से प्रधान मंत्री जी को पुनः पत्र तत्काल भेजे जायें ताकि प्रदेश के किसानों का किसी प्रकार नुकसान न होने पाये। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद द्वारा भारत सरकार को धान खरीद में आने वाली समस्या के समाधान हेतु पत्र भेजे गये थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2012-13 में अब तक धान खरीद योजनान्तर्गत 4.35 लाख मी0टन धान खरीदकर किसानों को कुल 540 करोड़ रूपये का भुगतान कराया गया है जिससे 70249 किसान लाभान्वित हुए हैं। इसमें से 3.35 लाख मी0टन धान चावल मिलों को भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि राइस मिलों के आधुनिकीकरण हेतु एक नीति बनायी जाय ताकि डैमेज रेट कम हो सके ।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में धान खरीद व भण्डारण सम्बन्धित समस्याओ के संबंध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होने कहा कि लखनऊ, फैजाबाद, कानपुर, देवीपाटन, गोरखपुर, बस्ती, मिर्जापुर एवं इलाहाबाद मण्डलों में भण्डारण की लगभग 06 लाख मी0टन की आने वाली समस्या को समय से व्यवस्था सुनिश्चित कराने हेतु जनवरी के अन्त तक कार्ययोजना बना कर आवश्यक कार्यवाही तत्काल प्रारम्भ कर दें। उन्होने कहा कि प्रदेश में कुल भण्डारण क्षमता 55.5 लाख मी0टन के सापेक्ष पी0डी0एस0 में गेहॅू व चावल के उठान से लगभग 30 लाख मी0टन भण्डारण क्षमता उपलब्ध हो जायेगी। उन्होने कहा कि भारतीय खाद्य निगम में भण्डारण सम्बन्धी समस्याओं के कारण 2.01 लाख मी0टन कस्टम चावल डिलीवरी हेतु अवशेष हैं जिसका सम्प्रेषण कराये जाने हेतु भारत सरकार से निरंतर अनुरोध किया जाय। उन्होने कहा कि धान खरीद हेतु 1917 करोड़ रूपये की धनराशि उपलब्ध है, क्रय संस्थाओं को उनकी माग के अनुरूप अग्रिम धनराशि अवश्य उपलब्ध करा दी जाय।
प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद श्री दीपक त्रिवेदी ने बताया कि धान खरीद लक्ष्य 25 लाख मी0टन के सापेक्ष पर्याप्त संख्या में बोरे उपलब्ध हैं। प्रदेश में उपलब्ध कुल 1,71,107 गाॅंठ बोरों में से विगत 11 दिसम्बर तक धान खरीद में कुल 21777 गाॅंठ बोरो के प्रयुक्त होने के पश्चात अभी कुल 1,49,330 गाॅंठ बोरे अवशेष हैं जो 29.86 लाख मी0टन धान खरीद के लिए प्रर्याप्त बोरे हैं। उन्होने बताया कि विगत 11 फरवरी तक 4.35 लाख मी0टन खरीद धान के सापेक्ष 3.35 लाख मी0टन चावल मिलों को सम्प्रेषित किया जा चुका है जिसके विस्द्ध 2.25 लाख मी0टन0 सी0एम0आर0 बनता है जिसमें अभी तक भारतीय खाद्य निगम द्वारा मात्र 0.23 लाख मी0टन सी0एम0आर0 की डिलीवरी ली गयी है जबकि विगत वर्ष इसी तिथि तक 7.29 लाख मी0टन धान की खरीद के विरूद्ध 1.67 लाख मी0टन सी0एम0आर0 भारतीय खाद्य निगम को डिलीवर किया जा चुका था । इस प्रकार गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 2.84 लाख मी0टन धान की कम खरीद एवं 1.44 लाख मी0टन सी0एम0आर0 की कम खरीद हुई है।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन, खाद्य आयुक्त श्रीमती अर्चना अग्रवाल, सचिव वित्त श्री एम0देवराज, सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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