उत्तर प्रदेश के निदेशक पशुपालन डा0 रूद्र प्रताप ने पशुपालकों को सलाह दी है कि इस समय सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में शीतलहर का प्रकोप व्याप्त है। पशुओं को शीतलहर के प्रकोप से बचाना आवश्यक है क्योंकि शीतलहर के कुप्रभाव से पशु का उत्पादन गिर जाता है, इसके साथ ही उचित देखरेख एवं प्रबंधन न होने से पशु की मृत्यु भी हो सकती है, पशुओं एवं मुर्गियों को शीतलहर के प्रभाव से बचाने के लिये पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे पशुओं को खुले स्थान में न रखें। उन्हें बंद जगह एवं ऊपर से ढके हुये स्थानों में रखें तथा विशेष ध्यान रखे कि रोशनदान, दरवाजों एवं खिड़कियों को टाट/बोरे से ढ़क दें, जिससे सीधी हवा का झोका पशुओं तक न पहुॅच सके। निदेशक पशुपालन ने सलाह दी है कि पशु बाड़े में गोबर एवं मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें। बिछावन में पुआल का प्रयोग करें। पशु बाड़े को नमी/सीलन से बचायें, ऐसा इंतजाम करें कि धूप पशुबाड़े में देर तक रहे। बिछावन समय-समय पर बदलते रहें तथा पशुओं को बासी ठंडा पानी न पिलायें, स्वच्छ ताजा पानी ही पिलायें। पशुओं को जूट के बोरे का झूल पहनायें तथा ध्यान रखें कि झूल खिसके नहीं, नीचे से जरूर बाॅध दें।
डा0 रूद्र प्रताप ने कहा है कि पशुबाड़े या उसके बाहर अलाव जलायें, इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अलाव पशुओं/बच्चों की पहुॅच से दूर रहे। पशु के गले की रस्सी ऐसी बांधे कि पशु अलाव तक न पहुॅच सकें। अलाव से पशुबाड़े में आगजनी का खतरा रहता है जिसपर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि शीतलहर में कन्संट्रेट संतुलित आहार पशुओं को दे तथा खली, दाना, चोकर की मात्रा को बढ़ा दें। धूप निकलने पर पशु को अवश्य ही बाहर धूप में खड़ा करें। नवजात बच्चों को खीस (कोलस्ट्रम) देकर विशेष ध्यान रखें तथा प्रसव के बाद माॅ को गुनगुना पानी पिलायें। उन्होंने कहा कि अगर ठंड से प्रभावित पशु के शरीर में कॅपकपी, बुखार के लक्षण होते हैं तो तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखायें। भेंड बकरियों में पी0पी0आर0 फैलने की संभावना बढ़ जाती है अतः इसका टीका लगवायें। चूजा/मुर्गी के घरों में बल्ब जलायें और तापमान गिरने से रोकें या बाहर अलाव जलायें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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