Posted on 03 November 2012 by admin
लखनऊ, देवीटपाटन एवं फैजाबाद मण्डलों की मण्डलीय रबी गोष्ठी का आयोजन आज कृषि भवन के प्रेक्षागृह में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। बैठक में उन्होंने कहा कि 15 नवम्बर तक गुणवत्तायुक्त बीज (चना को छोड़कर) उपलब्ध कराने की व्यवस्था, सिंचाई, ऊर्जा, कृषि रक्षा, निवेश, बीमा आदि से सम्बन्धित सभी समस्यायें एक सप्ताह में निस्तारित करें। किसानों के पशुओं के लिए मोबाइल पशु चिकित्सालय उनके द्वार तक पहुचेंगे। किसान, खाद्य प्रसंस्करण उद्यानीकरण, पोल्ट्री, पशुपालन आदि से अपनी आय में वृद्धि करें। अधिक से अधिक बिजली दिन में दी जाये। नहरों का पानी टेलों तक पहुंचाया जाये। सभी जनपदों में हरी खाद बोएं। तीनों मण्डलों के मण्डलायुक्त तथा सभी जनपदों के जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, प्रमुख सचिव, कृषि, सहकारिता, दुग्ध उत्पादन, पशुपालन, ग्राम्य विकास भी उपस्थित रहे। प्रदेश में गेंहूँ की बुवाई जोरो पर है इसलिए मुख्य रूप से गुणवत्तायुक्त बीज उर्वरक एवं सिंचाई व्यवस्था पर विशेष चर्चा की गयी। सभी जनपदों में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है।
तीनों मण्डलों से आये हुये कृषकों द्वारा गोष्ठी में अवगत कराया गया कि सभी जनपदों में पर्याप्त मात्रा में बीज एवं उर्वरकों की उपलब्धता है। कृषकों के द्वारा मांग की गई कि ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाये।
प्रमुख सचिव, कृषि एवं सहकारिता श्री देवाशीष पाण्डा ने गोष्ठी में आये कृषक बन्धुओं से वार्ता के दौरान यह बताया कि तीनों मण्डलों के सभी जनपदों में गेंहूँ बीज के साथ-साथ रबी फसलांे के बीज समय से उपलब्ध कराये गये हैं। उर्वरकों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करायी गयी है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को अवगत कराया कि उर्वकरेां का वितरण सही मूल्य पर करायें। उत्पादन एवं कृषकों की आय में वृद्धि करने के सम्बन्ध में बताया गया कि बीज प्रतिस्थापन दर में वृद्धि की गयी है। गत वर्ष की तुलना में अधिक फसली ऋण वितरण के लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं, जिसे समय से वितरित कराया जाये। उर्वरकों की कमी नहीं है अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्यवाही भी करें।
कृषि निदेशक, श्री डी0एम0 सिंह ने अनुदान पर मिलने वाले निवेशों की विस्तृत जानकारी दी तथा किसानों से अपील की कि उर्वरक एवं सिंचाई के प्रयोग पर वैज्ञानिकता का रुख अपनाये। कृषि निदेशक द्वारा भूमि सेना योजना प्रारम्भ किये जाने की जानकारी दी गयी साथ ही उन्होंने अपने संबोधन में मृदा परीक्षण पर विशेष रूप से प्रकाश डाला मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाये जाने पर भी उनके द्वारा विशेष रूप से बल दिया गया जिससे किसान भाई मृदा परीक्षण की संस्तुतियों के आधार पर संतुलित उर्वरक का प्रयोग कर सकें। उन्होंने मिट्टी की उर्वरा शक्ति बरकार रखने हेतु रसायनिक उर्वरकों को संतुलित प्रयोग करने का सुझाव दिया जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति बरकरार रखी जा सके। कृषि निदेशक द्वारा अपने संबोधन में बीज शोधन, मिट्टी शोधन आदि तकनीकी पहलुओं पर जोर देते हुये विस्तार से बताया गया।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने निवेशों की उपलब्धता पर संतोष व्यक्त करते हुए सिंचाई संसाधनों को सुदृढ़ करने हेतु सम्बन्धित विभागों को निर्देश भी दिये। रबी 2012-13 में निर्धारित उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने हेतु उन्होंने तीनों मण्डलों के जिलाधिकारियों से आग्रह किया कि विभिन्न विभागों के अधिकारियों को अपना नेतृत्व प्रदान करें, जिससे निर्धारित कृषि विकास दर प्राप्त की जा सके। गोष्ठी में पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन पर भी किसानों ने वार्ता की तथा पशुपालकों को प्रोत्साहित करने हेतु प्रोत्साहन देने की मांग भी की गयी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 03 November 2012 by admin
कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन ने प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान के आच्छादन एवं सुदृढ़ीकरण के सम्बन्ध में प्रगति की समीक्षा करते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2012-13 में 70 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि कृत्रिम गर्भाधान में सुधार करते हुए इससे सम्बन्धित समस्त आकड़ों को कम्प्यूटरीकृत कर लिया जाये। उन्होंने यह भी निर्देशित किया है कि इस महत्वपूर्ण योजना की प्रगति की जांच नियमित रूप से सुनिश्चित की जाये।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने यह निर्देश बृहस्पतिवार को अपने कार्यालय कक्ष में पशुधन विभाग की बैठक में दिये। उन्होंने निर्देश दिये कि कृत्रिम गर्भाधान का माहवार लक्ष्य बनाकर पूर्ति की जाये एवं उत्पन्न पशु-संतति का भी समय-समय पर निरीक्षण सुनिश्चित कराया जाये। इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि पूर्व में उत्पन्न पशु-संतति का मूल्यांकन किया जाये और पूर्व के संतति उन्नयन कार्यक्रम से प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में हुयी वृद्धि का आकलन किया जाये। उन्होंने कहा कि नस्ल सुधार के जरिये राज्य की दुग्ध मांग को पूरा करने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
बैठक के दौरान प्रमुख सचिव पशुधन योगेश कुमार ने अवगत कराया कि कृत्रिम गर्भाधान के आच्छादन में वृद्धि हो इसको दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक पशु चिकित्साधिकारी एवं पशुधन प्रसार अधिकारी द्वारा क्रमशः पांच एवं तीन कृत्रिम गर्भाधान प्रतिदिन कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके साथ-साथ एन0जी0ओ0 में मुख्यतः बाॅएफ एवं पैरावेट का लक्ष्य निर्धारित कर इसकी पूर्ति करायी जा रही है। निदेशक पशुपालन डाॅ0 रुद्र प्रताप ने बताया कि प्रदेश में 1 करोड़ 89 लाख प्रजनन योग्य पशु हैं जिसके सापेक्ष 50 प्रतिशत के लक्ष्य के तहत सितम्बर माह तक 35 प्रतिशत की पूर्ति हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अच्छी नस्ल के पशुओं में साहीवाल, मुर्रा तथा भदावरी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन श्री योगेश कुमार, निदेशक पशुपालन डाॅ रुद्र प्रताप, अपर निदेशक पशुपालन डाॅ0 पी0एस0 गौतम, विशेष सचिव तथा विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 03 November 2012 by admin
किसानों को रबी फसल के लिए उर्वरक, बीज, फसली ऋण, सिचाई आदि कृषि निवेशों की आपूर्ति मांग के अनुरूप सही दरों पर समय से सुलभ कराये। खाद बीज वितरण व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए नियमित रूप से प्रवर्तन कार्य भी प्रभावी रूप से चलाये। नहरों की सफाई का कार्य 15 नवम्बर तक पूर्ण कराये।।नहरों की सफाई का कार्य प्रारम्भ होने से पूर्व, कार्य के बीच में और कार्य पूर्ण होने पर फोटो ग्राफी अनिवार्र्य रूप से कराये साथ ही निरीक्षण दल बनाकर नहर सफाई कार्य का गहन निरीक्षण तथा सघन पर्यवेक्षण करें। इस कार्य मे सावधानी बरतें और समयबद्ध रूप से कार्य पूर्ण करायें। मण्डल में उर्वरकों एवं बीजो की मांग के सापेक्ष पर्याप्त मा़त्रा में उपलब्धता है।
मण्डलायुक्त रबी फसल की तैयारियां के क्रम में कृषि कार्यक्रमों की जिलेवार समीक्षा कर रहे थे। उन्हांेने कहा कि नहरों के पानी के अलावा बड़ी संख्या में किसान निजी नलकूपों से सिंचाई करते हैे अतः बुआई के समय ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा लोकल फाल्ट को शीघ्रता से ठीक कराने की व्यवस्था करें। आयुक्त ने मण्डल के सभी जिलो के उपस्थित अधीक्षण अभियन्ताओं को निर्देश दिये कि ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर समस्याओं का निदान करायें।
श्री सिंह ने जनपद वार किसान क्रेडिट कार्ड वितरण और फसली ऋण वितरण की समीक्षा की । फसली .ऋण का वितरण लक्ष्य के सापेक्ष न पाये जाने पर उन्हांेने असन्तोष प्रकट करते हुए कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिये । लीड बैक प्रबन्धक आगरा पी0के0 सक्सेना ने बताया कि गत वर्ष 580 करोड़ रूपये का फसली ऋण वितरण किया गया था इस वर्ष अबतक लगभग 283 करोड़ रूपये का फसली ऋण वितरण हो चुका है।
आयुक्त ने बीजो की उपलब्धता की समीक्षा करते हुए दलहन तथा तिलहन बीजो की आपूर्ति पर भी घ्यान देने के निर्देश दियेैै। उन्होंने मण्डल में उर्वरको की उपलब्धता पर सन्तोष प्रकट किया । उन्हांेने जैव उर्वरकों की उपलब्धता, मृदा परीक्षण, कृषि रक्षा रसायनों की उपलब्धता, आदि की भी जिलेवार समीक्षा।
बैठक में संयुक्त विकास आयुक्त राम आसरे, संयुक्त कृषि निदेशक आर0पी0 यादव जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी, परियोजना निदेशक , एवं विद्युत नलकूप, सहकारिता, कृषि, नहर, लघु सिचाई आदि विभागों के मण्डलीय एवं जनपदीय अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 22 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग के अन्तर्गत 15 मण्डलों के सभी जनपदों में दिनांक 20 अक्टूबर 2012 को ‘‘अपनी मिट्टी पहचानें अभियान’’ का द्वितीय चरण संचालित किया गया। इस चरण के अन्तर्गत निर्धारित लक्ष्य 6,03,000 के सापेक्ष कुल 258257 (64.23 प्रतिशत) मृदा नमूनें एकत्रित किये गये। कृषि विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लेकर मृदा परीक्षण के महत्व के बारे में किसानों को जानकारी भी दी गयी।
कृषि निदेशक श्री डी0एम0सिंह ने बताया कि अभियान दिवस में कृषकों को मिट्टी की जांच के आधार पर दी गयी संस्तुति के अनुसार उर्वरक प्रयोग कर, रबी फसलों की बुआई समय से करने हेतु प्रेरित किया गया। कृषकों को यह सलाह भी दी गयी कि अब समय आ गया है कि वे अपने खेत की मिट्टी के मुख्य पोषक तत्वों नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश के साथ द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी जांच करायें, क्योंकि जमीन में द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी कमी परिलक्षित हो रही है यद्यपि इनकी कम मात्रा प्रयोग करनी होती है किन्तु बिना इनके प्रयोग के अच्छी पैदावार सम्भव नहीं है।
कृषि निदेशक ने बताया कि जो कृषक इस अभियान दिवस में कतिपय कारणों से अपने खेतों की मिट्टी के नमूनें प्रयोगशाला में जमा करने से वंचित रह गये है वे अपने खेतों की मिट्टी के नमूनें रबी फसलों की बुआई के पूर्व दिनांक 03 नवम्बर 2012 को आयोजित होने वाले ‘अपनी मिट्टी पहचानें’ के तीसरे चरण में भूमि परीक्षण प्रयोगशालाओं में जमा करें और मिट्टी की जांच के परिणाम के आधार पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दी गयी संस्तुति के अनुसार ही आवश्यक उर्वरकों एवं खादों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करें, जिससे कि प्रदेश में कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्वि हो सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 20 October 2012 by admin
ऽ मनरेगा में महिलाओं की सहभागिता बढ़ायंे अधिकारी।
ऽ गाॅव स्तर पर कैम्प लगाकर महिलाओं के जाॅब कार्ड बनायंे।
ऽ एम0आई0एस0 फीडिंग समय से सुनिश्चित हो।
-प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास
उत्तर प्रदेश ग्राम्य विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री राजीव कुमार ने मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिये कि मनरेगा के तहत महिलाओं की सहभागिता को अधिक से अधिक बढ़ाया जाय। जिन महिलाओं के पास जाॅब कार्ड नहीं हैं अधिकारी ग्राम्य स्तर पर कैम्प लगाकर उनके जाॅब कार्ड बनायंे। उन्होंने कहा कि महिलाओं को मेट के अलावा उनकी क्षमता के अनुसार अधिक से अधिक कार्य दंे। उन्होने कहा कि अधिकारी इस बात का भी ध्यान रखें कि महिलाओं के आवास के पास उन्हें कार्य उपलब्ध कराया जाय ताकि उनकी सहभागिता बढ़े। महिलायों को काम पर आने में कोई कठिनाई न हो। उन्होंने महिलाओं की एस0जी0एस0वाई में भी सहभागिता बढ़ाने के निर्देंष दिये।
यह निर्देंष प्रमुख सचिव ने आज यू0पी0आर0आर0डी0ए0 के सभागार में विभागीय कार्यक्रमों की समीक्षा के दौरान मुख्य विकास अधिकारियों को दिये। उन्हांेने कहा कि एम0आई0एस0 (मैनेजिंग इन्फारमेशन सिस्टम) फीडिंग समय से सुनिश्चित करायें। एम0आईएस0 के अलावा कोई भी रिर्पोट स्वीकार नहीं की जायंेंगी। उन्होंने अधिकारियों को अगाह करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के 06 माह पूर्ण हो चुके है, अब शीघ्र अति शीघ्र मनेरगा के कार्य जमीन पर दिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब औपचारिकतायें पूर्ण हो चुकी हैं अतः कार्य में तेजी लाय। अधिकारी फील्ड में जाकर कार्य की गुणवत्ता को देखें और इस ओर विशेष ध्यान दे। जहाॅ पर मौके पर कार्य नहीं हो रहा है उसमें भी तेजी लायें।
श्री राजीव कुमार ने कहा कि इन्द्रिरा आवास योजना के तहत स्थाई पात्रता सूची में बी0पी0एल0 धारकों के नाम शामिल होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल आडिट की कार्यवाही पूर्व करने से पहले गाॅव/ब्लाॅक स्तरीय टीम का गठन कर लंे और 15 दिसम्बर से सोशल आडिट का कलेन्डर तैयार किया जाना है। इस कारण सोशन आडिल के अन्त में होने वाली ग्राम्य पंचायत की खुली बैठक में सम्बन्धित ब्लाक समन्वयक तथा जिलाधिकारी द्वारा नामित समुचित स्तर के अधिकारी परिवेक्षक के रूप में उपस्थित रहें। उन्होंने कहा कि इस निमित्त् एक शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इन्द्रिरा आवास के लाभार्थियों के खाते में पैसा समय से डालने के निर्देंष दिये। इन्द्रिरा आवासों की प्रगति से संबंधित आंकड़े तथा पूर्व से पूर्ण आवासों एंव उनके फोटों भारत सरकार की वेबसाइट ‘‘आवास साफ्ट’’ पर शत-प्रतिषत अपलोड कराने के निर्देंष दिये।
इस अवसर पर आयुक्त, ग्राम्य विकास श्री अनिल गर्ग ने मण्डल व जनपदवार समीक्षा करते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये कि वे श्रमिकों के भुगतान सम्बन्धी प्रमाण-पत्र अवश्य बनायें। निर्गत मस्टर रोल का एम0आई0एस0 डाटा समय से सुनिश्चित करायें। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी।
बैठक में डा0 राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना, सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना 2011, विधायक निधि की प्रगति, ग्रामीण पेयजल योजना कि वित्तीय एवं भौतिक प्रगति की समीक्षा की गयी। बैठक में श्री अजय कुमार उपाध्याय प्रषासनिक अधिकारी, ग्राम्य विकास के अलावा मण्डलीय संयुक्त विकास आयुक्त के अलावा विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 19 October 2012 by admin
पीक सीजन होने के बावजूद चारा बीज अभी तक किसानों तक न पहुॅच पाने की शिकायत पर नाराजगी व्यक्त करते हुये पशुधन मंत्री श्री पारसनाथ यादव ने निर्देश दिये कि 20 अक्टूबर तक चारा बीज हर हाल में सभी जगह पर पहुॅच जायें तथा 22 अक्टूबर तक उसका वितरण हो जाना चाहिये। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी होने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ निलम्बन की कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।
श्री पारसनाथ यादव आज यहाॅ पशुपालन निदेशालय में मण्डलीय उप निदेशकों, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों, उप निदेशकों (प्रक्षेत्र) एवं प्रत्येक जनपद से आये पशुपालकों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग के कार्यक्रम पशुपालकों की समस्याओं को दूर करने के लिये एवं उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के उद्देश्य से चलाये जा रहे हैं इसलिये पशुपालकों की आवश्यकताओं एवं उनकी समस्याओं की अनदेखी किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जा सकती। पशुपालकों द्वारा बताया गया कि कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे चारा बीज से पशुपालन विभाग के बीज अधिक गुणवत्तायुक्त हैं। अतः चारा बीज की मात्रा बढ़ाई जाये। उन्होंने पशुपालकों को आश्वस्त किया कि अगले वर्ष तक बीज की मात्रा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने पशुपालकों की समस्याओं के निराकरण के लिये स्थापित पशुधन समस्या निवारण केन्द्र के टोल-फ्री नम्बर पर उपलब्ध करायी जा रही शिकायतों के निस्तारण के संबंध में पशुपालकों से जानकारी प्राप्त की तथा अधिकांश लोगों ने उसके द्वारा पशुओं की बीमारी एवं अन्य समस्याओं के त्वरित निस्तारण होने से प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने पशुपालकों से कहा कि वे अपनी समस्याओं के संबंध में निदेशक पशुपालन, प्रमुख सचिव को अवगत करायें और अगर उनके स्तर से भी समस्या का निस्तारण नहीं हो पाता है तो सीधे उनके मोबाइल पर सम्पर्क करके उन्हें अपनी समस्या से अवगत करायें। उन्होंने पशुपालकों की समस्याओं के निस्तारण हेतु हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया।
पशुधन मंत्री ने निर्देश दिये कि पशु चिकित्सकों एवं प्रगतिशील पशुपालकों के लिये और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवाये जायें तथा पशुपालकों को केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं जिला योजना के अंतर्गत उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं की अद्यतन जानकारी उपलब्ध करायी जाये। उन्होंने कई जनपदों में काफी समय से लम्बित बीमा के मामलों पर सख्ती से निर्देश दिये कि 15 दिन के अंदर सभी बीमा केसों को बीमा कम्पनी को भेजने एवं बीमा कम्पनी द्वारा अधिकतम एक माह के अंदर उसका निस्तारण करने के निर्देश दिये।
श्री यादव ने निर्देश दिये कि प्रत्येक जनपद में हर माह चिकित्सा शिविर आयोजित किये जायें तथा उनके व्यापक प्रचार-प्रसार की कार्यवाही सुनिश्चित की जाये ताकि सभी किसानों को उसकी जानकारी प्राप्त हो सके। पशुपालकों द्वारा गेहूॅ तथा गन्ना की भांति ही दूध का भी समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग पर उन्होंने कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। पशुपालकों ने कहा कि भैंसों एवं गायों को क्रय करने के लिये बैंक ऋण मिलने में परेशानी होती है, इसलिये कारपस फण्ड के माध्यम से दो पशु क्रय हेतु ऋण उपलब्ध कराया जाये।
पशुपालकों ने बताया कि खुरपका, मुंहपका एवं रैबीज का टीका समय पर उपलब्ध न होने के कारण पशुओं की हानि हो रही है। उन्होंने खुरपका, मुहपका टीकाकरण की योजना सभी जनपदों में चलाने की भी मांग की। उन्होंने बुन्देलखण्ड में बकरी पालन की योजना का विस्तार करने की आवश्यकता पर बल दिया। पशुपालकों ने चरागाह की जमीन को कब्जा मुक्त कराने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि चरागाह की जमीन पर लोगों ने अनधिकृत रूप से कब्जा करके उसका पट्टा करवा लिया है, जिससे पशुओं को घूमने-फिरने की जगह नहीं बची है और उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। श्री यादव ने निर्देश दिया कि इस संबंध में कार्यवाही हेतु राजस्व विभाग को लिखा जाये। पशुपालकों ने कहा कि जिस तरह से रबी, खरीफ और जायद की फसलों की समीक्षा होती है, दूध की भी समीक्षा होनी चाहिये। चाराबीज समय पर उपलब्ध न होने के कारण गर्मी में दूध की कमी हो जाती है। उन्होंने सही समय पर टीकाकरण कराने, मुर्गी पालन के लिये बैंक लोन उपलब्ध कराने, चारा मशीन पर सब्सिडी उपलब्ध कराने तथा कीड़ों की दवा आवश्यक मात्रा में उपलब्ध कराने के साथ-साथ ए0ई0 कार्यक्रम को ग्राम पंचायत स्तर पर ही डाक्टरों की टीम द्वारा कराने की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन श्री योगेश कुमार ने कहा कि अधिकतर पशुओं की मौत पाॅलीथीन खाने से हो रही है। इसके लिये काफी हद तक पशुपालक जिम्मेदार हैं। दूध निकालने के बाद वे पशुओं को बाहर निकाल देते हैं। गाय आदि जो भी छुट्टा जानवर हैं, उनपर रोक लगाना आवश्यक है। ये जानवर पाॅलीथीन के साथ-साथ कूड़े के ढ़ेर से बहुत सारी गंदगी खा लेते हैं, जिससे उनका दूध भी संक्रमित हो जाता है। इसके साथ ही ये पशु कई बार दुर्घटना के भी कारण बनते हैं।
बैठक में निदेशक पशुपालन डा0 रूद्र प्रताप ने विभागीय योजनाओं एवं उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 18 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष भी रबी की बुआई से पूर्व ‘‘अपनी मिट्टी पहचाने अभियान’’ रबी 2012-13 चलाया जा रहा है। अभियान के द्वितीय चरण 20 अक्टूबर 2012 को आयोजित किया जायेगा, कृषि से जुड़े किसानों ने किन्हीं कारणों से अपने खेतों की मिट्टी की जांच नहीं करवा पाई हो तो वे मिट्टी की जांच अवश्य करायें। किसान भाइयों को जरूरी है कि जांच में मुख्य पोषक तत्वों के साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों की जांच अवश्य करायें। मृदा परीक्षण अभियान के माध्यम से किसानों को मिट्टी में आने वाली कमियों के अनुसार संतुलित खाद डालने एवं बुआई की वैज्ञानिक सलाह मृदा स्वास्थ्य कार्ड के द्वारा दी जाती है।
कृषि मंत्री श्री आनन्द सिंह ने बताया कि खेतों में लगातार असन्तुलित रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग एवं जीवांश खादों के प्रयोग न करने से मृदा स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ा है। इसके प्रभाव के कारण प्रदेश के अधिकांश जनपदों में मुख्य पोषक तत्वों के साथ-साथ द्वितीय तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो रही है। उन्होंने बताया कि पौधों के अच्छे विकास के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, इनमें से तीन पोषक तत्व कार्बन, हाइड्रोजन तथा आक्सीजन वायुमण्डल तथा जल से ग्रहण करते हैं, अन्य तेरह मुख्य पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, द्वितीय पोषक तत्वों में प्रमुख पोषक तत्व कैल्सियम, मैग्निशियम सल्फर तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में-जिंक, आयरन, मैग्नीज, कापर, बोरान, मालिब्डेनम एवं क्लोरीन जो पौधे भूमि से ग्रहण करते हैं।
कृषि मंत्री ने बताया कि स्वस्थ भूमि में जीवांश कार्बन की मात्रा
0.8 प्रतिशत होनी चाहिए, लेकिन अधिकांश किसानों द्वारा लगातार धान एवं गेहूं के उत्पादन का चक्र अपनाने के कारण जीवांश कार्बन की मांत्रा 0.4 प्रतिशत से कम रह गई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान मंे मृदा परीक्षण के आधार पर प्रदेश के अधिकांश जनपदों में नत्रजन, फास्फोरस, सल्फर, जिंक, लोहा, तांबा, मैग्नीज अािद महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की भूमि में कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि इसी समस्या के निदान के लिए मृदा स्वास्थ्य को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए सरकार द्वारा प्रदेश में अपनी मिट्टी पहचाने एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूरे अभियान में 1407000 मृदाओं के नमूने एकत्रित करे जायेंगे। उन्होंने बताया कि 20 अक्टूबर तथा 03 नवम्बर 2012 को प्रत्येक चरण में 3,54,210 मृदाओं के नमूने एकत्रित कियो जायेंगे एवं एकत्रित मृदाओं के विशलेषण की संस्तुतियां 30 नवम्बर 2012 तक समसय उपलबध करायी जायेंगी, इसके लिए प्रयोगशालाओं में कर्मचारियों द्वारा पालियों में कार्य कराया जा रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 17 October 2012 by admin
उ.प्र. के किसानों के हित में लगातार पाँच वर्षो तक बीज उपलब्ध कराने के लिए एक अनुबन्ध उ.प्र. कोआपरेटिव फेडरेशन लि0, (पी.सी.एफ.) की प्रबंध निदेशक श्रीमती संध्या तिवारी एवं कृषक भारती कोआपरेटिव लि. (कृभको) के विपणन निदेशक एन.एस. राव के मध्य वित्तीय वर्ष 2012-13 से अगले पांच वर्षो अर्थात वर्ष 2017-18 तक के लिए खरीफ एवं रबी की फसलों हेतु प्रमाणित बीजों की आपूर्ति हेतु यह सहमति ज्ञापन-पत्र हस्ताक्षरित किया गया। अनुबन्ध पर पीसीएफ के महाप्रबधंक अशोक कुमार एवं कृभकों के मुख्य राज्य प्रबंधक विपणन डा. सुरेन्द्र सिंह ने हस्ताक्षर किया। इस अवसर पर पी.सी.एफ. के महाप्रबंधक रवीन्द्र सिंह एवं कृभको के उप महाप्रबंधक टी.एस.राव और मुख्य प्रबंधक विपणन एन.पी. शर्मा उपस्थित रहे। सहकारी समितियों एवं अपने निजी कृषक सेवा केन्द्रों के लिए केन्द्रांे से किसानांे को प्रमाणित बीजों की बिक्री करने के लिए उपरोक्त वर्णित अवधि में प्रमाणित बी5 इस सहमति पत्र में वर्णित शर्तो एवं प्रतिबन्धों के आधीन क्रय किये जायेगें।
जिसके अन्तर्गत कृभकों द्वारा रबी वर्ष 2012-13 में पीसीएफ को 1,00,000 कु. प्रमाणित गेहूॅ बीज आपूर्ति किया जायेगा, एवं वित्तीय वर्ष 2013-14 से कृभकों 1,20,000 कु. गेहूॅ प्रमाणित बीज लगभग 4000 कु. चना, मटर, मसूर और लगभग 5000 कु. धान प्रमाणित बीज पीसीएफ को आपूर्ति करेगा अतः वर्ष 2013-14 से वर्ष 2017-8 तक यह मात्रा 20 प्रतिशत बढ़ाई जायेगी। फसलवार मात्रा का निर्धारण अक्टूबर 2012,13,14,15,16 में लिखित आपसी सहमति के आधार पर किया जायेगा तदानुसार ही गेहूॅ, चना, मटर, मसूर, एवं धान के प्रमाणित बीज की आपूर्ति की जायेगी। उक्त मात्रा कृषि विभाग द्वारा आगामी प्रत्येक खरीफ एवं रबी हेतु निर्धारित की जाने वाले अनुदानित बीज की मात्रा के आधीन हागी तथा तद्नुसार उक्त मात्र में कमी/वृद्धि की जा सकती है। जिसकी सूचना कृषि विभाग से नीति-निर्धारण/आवंटन प्राप्त होते ही पीसीएफ स्तर से कृभकों को दी जायेगी। पीसीएफ पर कृभको से मांग के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 तक बीजों की आपूर्ति प्राप्त करना बाध्यकारी होगा।
कृभकों द्वारा उत्पादित बीजों पर प्रथम प्रभार पीसीएफ का होगा अर्थात् कृभकों द्वारा स्वयं उत्पादित बीजों की मात्रा में से प्रथमतः पीसीएफ की माॅग का पूर्ति करनी होगी। कृभकों द्वारा पीसीएफ को आपूर्ति किये जाने वाले सभी प्रकार के प्रमाणित बीज उनके द्वारा स्वयं उत्पादित होगें तथा राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा प्रमाणित एवं उक्त संस्था एवं बीज अधीनियम 1966 (यथा संशोधित) द्वारा निर्धारित मानकों एवं उपबन्धों कें अनुरूप होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 16 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में स्वीकृत नई निःशुल्क बोरिंग योजना के अंतर्गत टी0एस0पी0 में कृषकों के लिये प्राविधानित 20 लाख रूपये की धनराशि में से प्रथम किश्त के रूप में 10 लाख रूपये की धनराशि अवमुक्त कर दी है।
लघु सिंचाई विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार यह धनराशि अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों के लिये टी0एस0पी0 मानक के अनुसार व्यय की जायेगी। यह धनराशि निःशुल्क बोरिंग योजना में टी0एस0पी0 में कृषकों को अनुदान उपलब्ध कराने हेतु अनुमन्य हैं तथा इसका इसका उपयोग किसी अन्य मद में नहीं किया जायेगा। यह धनराशि डा0 राम मनोहर लोहिया ग्रामीण समग्र विकास योजना तथा डा0 राम मनोहर लोहिया ग्रामीण समग्र विकास योजना (नक्सल प्रभावित क्षेत्र) के अंतर्गत चयनित ग्राम सभाओं/ग्रामों की कार्य योजना में निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति हेतु व्यय की जायेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 16 October 2012 by admin
प्रादेशिक चकबन्दी अधिकारी संघ दिनांक 17.10.2012 दिन बुधवार स्थान राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह कैसरबाग लखनऊ में मा0 राजस्व मंत्री, श्री अम्बिका चैधरी का अभिनन्दन करने जा रहा है। मा0 राजस्व मंत्री अपराह्न 2ः00 बजे इस कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन करेंगे। मा0 अतिथियों ने इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने की सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी है।
संघ द्वारा अभिनन्दन समारोह के साथ-साथ ’’उ0प्र0 में चकबन्दी कल आज और कल’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन भी किया जा रहा है। इस कार्यशाला में विषय प्रवर्तन पूर्व मुख्य सचिव उ0प्र0 श्री शम्भू नाथ जी द्वारा किया जायेगा। इसमें अनेक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तथा वरिष्ठ अधिवक्ता एवं किसान प्रतिनिधि अपने विचार रखेगें। प्रदेश के विभिन्न जनपदों से चकबन्दी अधिकारी संघ के प्रतिनिधिगण बड़ी संख्या में भाग लेने के लिये लखनऊ आ चुके हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com