Posted on 14 January 2013 by admin
विकास क्षेत्र प्रतापपुर कमैचा के कोथरा बाजार स्थित सहकारी समिति पर किसानो से अधिक मूल्य लेकर यूरिया की बोरी बेची जा रही है जिससे किसानो का शोषण हो रहा है।
धरती पुत्र कहे जाने वाले मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश सिंह जब मुख्यमंत्री हुए तो किसानो मे बडी आशा जगी कि उनका भी कल्याण होगा गेंहूं की खरीद अच्छी हुई लेकिन धान किसानो को औने पौने दामो में बेचना पडा । कृषि उपज वृद्धि मे सहयोग करने वाली रासायनिक खाद के लिये किसानो को काफी मशक्कत करनी पड़ी जिसमें जिला प्रशासन के नियन्त्रण के बावजूद अधिक मूल्य पर किसानो को खाद खरीदनी पडी डाई, यूरिया, पोटाश सबमे अधिक दाम वसूला गया । सरकारी गोदामो पर भी किसानो का शोषण जारी है ।
सहकारी समिति कोथरा मे कल यूरिया लेने गए आनापुर नरायनगंज निवासी किसान मोनू सिंह, फौजदार सिंह, प्रदीप सिंह आदि ने बताया कि उनसे प्रति बोरी ३१५ से ३२० रु० लिया गया जबकि उपरोक्त लोगो ने विरोध भी किया लेकिन सहकारी समिति के विव्रहृेता ने स्पष्ट कहा लेना हो लो नही तो जाओं खरीदने वाले बहुत है विवशता मे किसानो ने अधिक मूल्य देकर खाद खरीदा ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 13 January 2013 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चालू वित्तीय वर्ष 2012-13 के अन्तर्गत लघु सिंचाई कार्यक्रम की आयोजनेत्तर पक्ष में चालू योजनाओं हेतु अन्य व्यय (अधिष्ठान) की मदों में अनुपूरक माॅंग के माध्यम से प्राविधानित धनराषि दो करोड़ रूपये के सापेक्ष एक करोड़ तिरानबे लाख सैंतालीस हजार रूपये की धनराषि अवमुक्त कर दी गई है।
प्रमुख सचिव लघु सिंचाई श्री संजीव दूबे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उक्त धनराषि चालू वित्तीय वर्ष 2012-13 के अन्तर्गत लघु सिंचाई कार्यक्रम की चालू योजनाओं में अन्य व्यय (अधिष्ठान) की मदों में ही व्यय की जायेगी। उन्होंने कहा कि व्यय में की गई किसी भी अनियमितता के लिए आहरण एवं वितरण अधिकारी उत्तरदायी होंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 13 January 2013 by admin
प्रदेष के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देंष दिये हैं कि आलू की खेती के समग्र विकास हेतु प्रदेष के आलू उत्पादकों को समय से गुणवत्तायुक्त बीज, उर्वरक, कीटनाषक,पानी व बिजली की उपलब्धता सुनिष्चित कराया जाय। आलू की नवीनतम उत्पादन तकनीकों एवं प्रसंस्करण आधारित अधिक उत्पादन देने वाली गुणवत्तायुक्त व्यावसायिक प्रजातियों को बढ़ावा दिया जाय तथा प्रगतिषील किसानों को प्रषिक्षित एवं प्रोत्साहित किया जाय। आलू के भण्डारण, विपणन एवं प्रसंस्करण हेतु अवस्थापना सुविधाओं का विकास एवं उसका कार्यान्वयन सुनिष्चित कराया जाय ताकि आलू किसानों को होने वाली अप्रत्याषित हानि से बचाया जा सके तथा समस्त स्टेक होल्डर्स को अधिकाधिक लाभ दिलाया जा सके।
श्री आलोक रंजन ने यह निर्देंेष कल यहाॅं अपने सभाकक्ष में उ0प्र0 में आलू विकास नीति 2013 के ड्राफ्ट पर विचार-विमर्ष के दौरान दिए। उन्होंने विभिन्न समितियों के पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रदेष की खाद्यान्य समस्या को हल करने के लिए चावल एवं गेहूॅं की तरह आलू को भी मुख्य भोज्य पदार्थ के रूप में प्रयोग करने के लिए जरूरी है कि आलू के उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि लाई जाय। उन्होंने कहा कि आलू उत्पादकों को गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराने से, आलू के समुचित भण्डारण के लिए नवीन तकनीकी वाले बहुकक्षीय/बहुउद्देष्यीय शीतगृहों की स्थापना, आलू की ग्रेडिंग, पैकिंग एवं टैगिंग की नवीनतम तकनीक का प्रषिक्षण देने से, आलू के प्रसंस्करण एवं इसके निर्यात प्रोत्साहन से जहाॅं उनकी आय में वृद्धि होगी वहीं आलू की क्षति भी नहीं होगी।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन में प्राथमिकता से कार्य करने तथा आलू के भण्डारण में विवाद की स्थिति एवं बीज वितरण में असमानता तथा कालाबाजारी रोकने के लिए अधिकारियों को निगरानी रखने के निर्देंष दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेष की आय बढ़ाने के लिए आलू से संबंधित अन्य उत्पादकों को भी प्रोत्साहित किया जाय तथा इसके साथ-साथ आलू प्रदर्षनी एवं आलू गोष्ठी का भी आयोजन कराया जाय। उन्होंने आलू से संबंधित समस्त तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देष्य से आलू उत्पादन बाहुल्य क्षेत्र में ‘स्टेट पोटैटो रिसर्च इन्स्टीट्यूट’ की स्थापना की जाय तथा निजी शीतगृहों के सुनियोजित संचालन हेतु ‘वेयरहाउसिंग रिसीट सिस्टम’ लागू किये जाने के निर्देंष दिये है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, सचिव डा0 रजनीष दुबे ने बताया कि जहाॅ विष्व में चीन के बाद भारत का आलू उत्पादन में दूसरा स्थान है वहीं उ0प्र0 देष में सर्वाधिक क्षेत्रफल उत्पादन एवं शीतगृहों वाला प्रदेष है लेकिन उत्पादकता में गुजरात एवं पंजाब के बाद आता है। उन्होंने कहा कि आलू के मुख्य उत्पादक क्षेत्र में प्रदष्ेा के ग्याहर जनपद आते हैं उन्होंने कहा कि आलू प्रदेष की प्रमुख नकदी फसल होने के कारण बड़ी संख्या में किसान आलू उत्पादन से जुड़े हंै। अतः उ0प्र0 आलू विकास नीति 2013 को प्राप्त सुझाव के साथ समग्र रूप से लागू किया जायेगा। उन्होंने जानकारी दी कि किसानों की मांग के अनुसार ‘केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान’ (सीपीआरआई) ब्रीडर बीज उपलब्ध नहीं करा पाता है। अतः गुणवत्तायुक्त प्रमाणित बीज का उत्पादन राजकीय प्रक्षेत्रों के साथ-साथ निजी क्षेत्रों के चयनित प्रगतिषील कृषकों द्वारा भी कराया जायेगा।
इस दौरान विधायक, फतेहपुर सीकरी ठा0 सूरजपाल सिंह, विधायक, एत्मादपुर डा0 धर्मपाल सिंह, महासचिव, आलू उत्पादक किसान समिति, (आगरा) श्री पुष्पेन्द्र जैन, अध्यक्ष कोल्ड स्टोरेज एसोसिएषन (उ0प्र0) श्री एम0 स्वरूप, प्रषासनिक अधिकारी पी.एच.डी. चैम्बर आॅफ कामर्स समीक्षा सिंह ने भी प्रदेष के आलू उत्पादकों से संबंधित समस्याओं एवं उनके निराकरण हेतु अपने सुझाव दिये। बैठक में विषेष सचिव, वित्त श्री अरविन्द नारायण मिश्र, विषेष सचिव, उद्यान श्री कैलाष प्रसाद, तथा अनरू विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 11 January 2013 by admin
बदलीयुक्त बूंदा-बांदी एवं नम वातावरण में विशेष सावधानी बरती जाये
आवश्यकतानुसार रसायन का छिड़काव करें -ओम नारायण सिंह
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक श्री ओम नारायण सिंह ने प्रदेश के किसानों को आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग से बचाने हेतु सलाह दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आलू के व्यवसायिक एवं गुणात्मक उत्पादन को सुनिश्चित करने हेतु आलू उत्पादक सम-सामयिक महत्व के कीट/व्याधियों का उचित समय पर नियंत्रण करें, क्योंकि आलू की फसल पिछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यन्त संवेदनशील होती है तथा प्रतिकूल मौसम विशेषकर बदलीयुक्त बूंदा-बांदी एवं नम वातावरण में झुलसा रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है जिससे फसल को भारी नुकसान होने की सम्भावना बनी रहती है।
श्री सिंह ने कहा कि आलू की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने हेतु किसानों द्वारा रक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिये। उन्होंने बताया कि पिछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारम्भ होती हैं जो तीव्रगति से फैलती हंै जिसके फलस्वरूप पत्तियों पर भूरे/काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं तथा पत्तियों के निचली सतह पर रूई की तरह फफूंद दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि बदलीयुक्त 80 प्रतिशत से अधिक आर्द्र वातावरण एवं 10 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम पर इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता हैै और 2 से 4 दिनों के अन्दर ही सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाती है।
उद्यान निदेशक ने कहा कि बदलीयुक्त मौसम में आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिये आलू उत्पादक जिंग मैगनीज कार्बामेट 2.0 से 2.5 कि0ग्रा0 को 800 से 1000 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से पहला रक्षात्मक छिड़काव करें। उन्होंने कहा कि 10 से 15 दिन के अन्तराल पर काॅपर आक्सीक्लोराइड 2.5 से 3.0 कि0ग्रा0 अथवा जिंक मैगजीन कार्बामेट 2.0 से 2.5 कि0ग्रा0 में से किसी एक रसायन का चयन कर आवश्यकतानुसार दूसरा छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि माहू कीट के प्रकोप की स्थिति में इसके नियंत्रण के लिए दूसरे छिड़काव में फफूंदीनाशक के साथ कीटनाशक जैसे-डायमेथाएट 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाकर छि़डकाव करें।
उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि जिन खेतों में आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग का प्रकोप हो गया हो उसकी रोकथाम के लिए अन्तःग्राही (सिस्टेमिक) फफूंदनाशक मेटालेक्जिल युक्त रसायन 2.5 कि0ग्रा0 अथवा साईमोक्जेनिल युक्त फफूंदनाशक 3.0 कि0ग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 08 January 2013 by admin
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए प्रदेश की सपा सरकार पर चीनी मिल मालिको की मिलीभगत से गन्ना किसानों को तबाह करने का आरोप लगाया है।
श्री शाही ने कहा कि सरकार ने जानबूझ कर मिल मालिकों के फायदे के लिए चीनी मिलो के पेराई सत्र को एक माह विलम्ब से प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि अब तक कुल 6822 करोड़ मूल्य के गन्ने की पेराई हुई है जिसमें 2288 करोड़ का भुगतान किसानों को हुआ है। खेद की बात है कि अभी तक किसानों का 4600 करोड़ रूपये बकाया है। उन्होंने कहा कि मनमाने तरीके से गन्ना कैलेन्डर बनाया गया है। जिसमें पूर्वी उ0प्र0 की हालत बहुत ही खराब है। बडे पैमाने पर माफिया तंत्र सक्रिया है जो फर्जी पर्ची पर बिहार से गन्ना लाकर उ0प्र0 की चीनी मिलो को दे रहा है। पड़रौना, सरदार नगर और ढ़ाढ़ा (कुशीनगर) केवल तीन चीनो मिलो का बकाया 165 करोड़ रूपये से भी अधिक है। किसानों के पेड़ी गन्ना की पर्चीयां अभी तक नही दी गई जिसके कारण हजारो हेक्टेयर जमीन जिसमें किसान गन्ना काट कर गेहू की बोवाई करता वंचित रह गया। मजबूरन किसानों को अपना गन्ना 200-225 रूपये प्रति कुंटल की दर से क्रेशर व कोल्हू वालों को बेचना पड़ रहा है। परिणामतः किसानों को दोहरा नुकसान हो रहा है।
श्री शाही ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में गन्ना किसानों की समस्या को लेकर मेरठ और देवरिया तथा धान किसान की समस्या को लेकर चन्दौली में किसानों की बड़ी रैलिया आयोजित कि गई। और समाजवादी पार्टी ने चुनाव के दौरान सरकार बनने के एक माह के भीतर गन्ना किसान के बकाये के भुगतान का वादा किया था। सरकार की वादा खिलाफी और गन्ना और धान किसानो की समस्याओं को लेकर 11 जनवरी को ढ़ाढ़ा (कुशीनगर), 15 जनवरी को पडरौना, 16 को प्रतापपुर, 19 को रामकोला, 20 को कप्तानगंज, 21 को खड्डा और 22 जनवरी को सरदार नगर में बड़े पैमाने पर किसानों की रैलीयां आयोजित की गई है। उन्होंने नहरो और माइनर में टेल तक पानी न पहुंचने व किसानों को मात्र 5/6 घण्टे विद्युत अपूर्ति किये जाने के सरकार के रवैये पर गहर दुख व निराशा व्यक्त की।
श्री शाही ने प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा कि स्थिति को चिंताजनक बताते हुए कहा पिछले 7 दिनों में प्रदेश में 30 से अधिक घटनाएं प्रकाश में आयी है। और कुछ घटनाओं में पुलिसकर्मीयों की संलिप्तता अत्यंत खेदजनक है। उन्होने कहा कि बसपा सरकार के दौरान महिला उत्पीडन की घटनाएं तेजी से बड़ी थी, और अखिलेश सरकार में गुण्डे मवाली स्वछंद होकर अपराध कर रहे है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री उ0प्र0 में बढते हुए अपराध के प्रति संवेदनशील है तो वे महिला उत्पीड़न में संलिप्त पाये गये विधायक और मंत्री के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही करें। भाजपा पूर्व अध्यक्ष ने सरकार से अविलम्ब गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान, गन्ना की पर्चियों के तत्कालिक किसानों को वितरण, धान क्रय केन्द्र खोले जाने और किसानों को सिचाई के लिए विद्युत आपूर्ति और नहरों में टेल तक पानी उपलब्ध कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पार्टी अटल सुशासन रथ के माध्यम से किसानों की समस्यओं, कानून व्यवस्था की हालात और खुदरा व्यवसाय में विदेशी पूँजी के निवेश को लेकर व्यापक जन जागरण अभियान चला रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 08 January 2013 by admin
उत्तर प्रदेश के निदेशक पशुपालन डा0 रूद्र प्रताप ने पशुपालकों को सलाह दी है कि इस समय सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में शीतलहर का प्रकोप व्याप्त है। पशुओं को शीतलहर के प्रकोप से बचाना आवश्यक है क्योंकि शीतलहर के कुप्रभाव से पशु का उत्पादन गिर जाता है, इसके साथ ही उचित देखरेख एवं प्रबंधन न होने से पशु की मृत्यु भी हो सकती है, पशुओं एवं मुर्गियों को शीतलहर के प्रभाव से बचाने के लिये पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे पशुओं को खुले स्थान में न रखें। उन्हें बंद जगह एवं ऊपर से ढके हुये स्थानों में रखें तथा विशेष ध्यान रखे कि रोशनदान, दरवाजों एवं खिड़कियों को टाट/बोरे से ढ़क दें, जिससे सीधी हवा का झोका पशुओं तक न पहुॅच सके। निदेशक पशुपालन ने सलाह दी है कि पशु बाड़े में गोबर एवं मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें। बिछावन में पुआल का प्रयोग करें। पशु बाड़े को नमी/सीलन से बचायें, ऐसा इंतजाम करें कि धूप पशुबाड़े में देर तक रहे। बिछावन समय-समय पर बदलते रहें तथा पशुओं को बासी ठंडा पानी न पिलायें, स्वच्छ ताजा पानी ही पिलायें। पशुओं को जूट के बोरे का झूल पहनायें तथा ध्यान रखें कि झूल खिसके नहीं, नीचे से जरूर बाॅध दें।
डा0 रूद्र प्रताप ने कहा है कि पशुबाड़े या उसके बाहर अलाव जलायें, इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अलाव पशुओं/बच्चों की पहुॅच से दूर रहे। पशु के गले की रस्सी ऐसी बांधे कि पशु अलाव तक न पहुॅच सकें। अलाव से पशुबाड़े में आगजनी का खतरा रहता है जिसपर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि शीतलहर में कन्संट्रेट संतुलित आहार पशुओं को दे तथा खली, दाना, चोकर की मात्रा को बढ़ा दें। धूप निकलने पर पशु को अवश्य ही बाहर धूप में खड़ा करें। नवजात बच्चों को खीस (कोलस्ट्रम) देकर विशेष ध्यान रखें तथा प्रसव के बाद माॅ को गुनगुना पानी पिलायें। उन्होंने कहा कि अगर ठंड से प्रभावित पशु के शरीर में कॅपकपी, बुखार के लक्षण होते हैं तो तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखायें। भेंड बकरियों में पी0पी0आर0 फैलने की संभावना बढ़ जाती है अतः इसका टीका लगवायें। चूजा/मुर्गी के घरों में बल्ब जलायें और तापमान गिरने से रोकें या बाहर अलाव जलायें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 08 January 2013 by admin
विकास क्षेत्र धनपतगंज मे नील गायो के आतंक से किसान परेशान है । खरीफ की अरहर, गेहूं, आलू, तिलहन आदि फसलो को सारे दिन नष्ट कर रहे है । कार्यवाही के नाम पर शासन व सरकारे मौन धारण किये है जबकि मंहगाई की मार, खाद, बिजली, पानी का अभाव झेलने के बाद खडी फसल नष्ट होते देख कर भी किसान वेवश हो रहे है ।
धनपतगंज क्षेत्र के चन्दौर, रामनगर, पीपरगांव, भरसडा, महमूदपुर, पीरो सरैया, कनेहटी, देहली, ऐंजर, सतहरी, बिसांवां, समरथपुर, कुवासी आदि ग्राम सभाओ मे नील गायो व बन्दरो का आतंक हावी है । दलहन तिलहन गेंहूं आदि फसलो को आंखो के सामने ही चर रहे है, नष्ट कर रहे है ।
लाख प्रयत्न के बाद भी फसलो को नष्ट होेने से नही बचा पा रहे है । परिणाम स्वरुप किसानो को खास कर छोटे किसान खून के आंसू रो रहे है । नील गायो के झुण्ड को भगाने के प्रयास मे कई किसान नीलगायो द्वारा चोटहिल भी हुए है । क्षेत्र के इस बडे समस्या का निदान शायद ही सरकारी तन्त्र कर सके ।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 27 December 2012 by admin
कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई प्रोत्साहित करने के निर्देश
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन द्वारा आज जिलाधिकारियों एवं मुख्य विकास अधिकारियों को यह निर्देश दिये गये हं कि प्रदेश के 36 जिलों के 108 अतिदोहित एवं क्रिटिकल विकासखण्डों की भूजल रिचार्ज योजनाएं आगामी मार्च तक तैयार कर ली जायें और आगामी वित्तीय वर्ष में इन योजनाओं के क्रियान्वयन की कार्यवाही आरम्भ की जाये। उन्होंने कहा कि वर्षा जल की तरह भूजल भी पृथ्वी का जीवन है और उसका ह्रास होने से खेती-बाड़ी सहित मानव का सामान्य जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
कृषि उत्पादन आयुक्त अज अपने कार्यालय में प्रदेश के संकटग्रस्त विकासखण्डों में वर्षा जल-संचयन एवं भूजल रिचार्ज योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि प्रदेश के 108 अतिदोहित एवं क्रिटिकल विकासखण्डों में भूजल की स्थिति काफी गम्भीर है और प्रदेश में कृषि उत्पादकता की चुनौतियों को देखते हुए सिंचाई हेतु निरन्तर जल उपलब्धता सुनिश्चित कराये जाने हेतु इन विकासखण्डों में भूजल सुधार के प्रभावी प्रयास करने होंगे।
श्री रंजन ने यह निर्देश दिये कि सर्वप्रथम सभी प्रभावित 36 जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में ‘‘रिचार्ज एक्टीविटी कोर टीम’’ का गठन कर लिया जाये। उन्होंने उक्त रिचार्ज कार्यों के साथ-साथ कम जल खपत वाली फसलों को बढ़ावा दिये जाने तथा भूजल दोहन में कमी लाने के लिए ड्रिप व स्प्रिंकलर जेसी सिंचाई की व्यवस्था को प्रोत्साहित करने के निर्देश भी दिये।
उनके द्वारा भूगर्भ जल विभाग को यह निर्देश दिया गया कि सभी प्रभावित जिलों में रिचार्ज योजनाओं रिचार्ज योेजनाएं तैयार करने में आवश्यकतानुसार जिलाधिकारियों को तकनीकी सहयोग एवं परामर्श उपलब्ध कराया जाये। साथ ही, सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों के लिये इस योजना के सम्बन्ध में कार्यशालाओं की श्रृंखला आयोजित कर उन्हें समुचित तकनीकी जानकारी प्रदान की जाये। यदि आवश्यकता हो तो विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध तकनीकी विशेषज्ञता का भी पूर्ण योगदान लिया जाये। रिचार्ज योजनाओं में यह भी सुनिश्चित किया जाये कि जो भी रिचार्ज संरचनाएं जैसे चेकडैम आदि बनाये जायें, तो उनके प्राक्कलन व डिजाइन का मानकीकरण कर लिया जाये और अन्य क्षेत्रों में भी उसको अपनाया जाये।
कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन द्वारा यह भी निर्देश दिये गये कि प्रमुख सचिव, लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाये, जो विभिन्न विभागों में संचालित योजनाओं का आकलन कर यह तय करे कि किस-किस क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं का एकीकरण कर विभिनन विभागों के समन्वय से क्या-क्या कार्य किये जाने हैं। बैठक में सम्बन्धित 36 जनपदों के जिलाधिकारियों एवं मुख्य विकास अधिकारी तथा सम्बन्धित विभागों के प्रमुख सचिव व विभागाध्यक्ष उपस्थित थे। बैठक को प्रमुख सचिव, लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल श्री संजीव दुबे द्वारा भी सम्बोधित किया गया। भूगर्भ जल विभाग के निदेशक श्री एस0के0 द्विवेदी द्वारा रिचार्ज कार्य योजना पर प्रस्तुतिकरण दिया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 25 December 2012 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने निर्देश दिए हंै कि बी0आर0जी0एफ0 योजना के अन्तर्गत आगामी वर्ष 2013-14 में ग्रामों के विकास हेतु लगभग 667 करोड़ रूपये की धनराशि से जनकल्याणकारी कार्य कराने हेतु एक कार्ययोजना बनायी जाए। इस योजना के तहत ग्रामीण संपर्क मार्गाें का निर्माण, पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित कराने हेतु पाइप वाटर के माध्यम से जल आपूर्ति तथा गांव के भीतर नाली एवं सी0सी0 रोड आदि जनोपयोगी कार्य कराये जायें। उन्होंने कहा कि बी0आर0जी0एफ0 के सुचारू संचालन हेतु कार्याें का अनुश्रवण करने हेतु गठित हाई पावर कमेटी की बैठक प्रत्येक तीन माह में अवश्य आयोजित करायी जाए। उन्होंने कहा कि स्वच्छ पेयजल आपूर्ति हेतु जे0ई0/ए0ई0एस0 ग्रसित जनपदों में भी योजना बनायी जाए।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में बी0आर0जी0एफ0 के सफल संचालन हेतु आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत प्राप्त धनराशि का उपयोग जनता के हित में करने को दृष्टिगत रखकर किया जाए। जो गांव सम्पर्क मार्गाें से नहीं जुड़े हैं, उन्हें सम्पर्क मार्गाें से जोड़ने हेतु कार्ययोजना बनायी जाए। उन्होंने कहा कि कार्याें को गुणवत्ता से कराने हेतु पी0एम0जी0एस0वाई0 मानक के आधार पर कार्यदायी संस्थाएं सुनिश्चित कर कार्य कराया जाए, ताकि निर्धारित मानक एवं गुणवत्ता में किसी प्रकार की कमी न रहने पाए। उन्होंने कहा कि बी0आर0जी0एफ0 योजना के अन्तर्गत धनराशि देने की प्रणाली के प्रस्ताव का परीक्षण कर वित्त विभाग से परामर्श प्राप्त करने के उपरान्त आवश्यक अनुमोदन हेतु पत्रावली प्रस्तुत की जाए। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों के 50 हजार से अधिक के कार्याें को कराने हेतु लोक निर्माण, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा एवं जल निगम निर्माण एजेन्सी से कार्य कराए जायें। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय वित्त आयोग की गाइड लाइन्स को दृष्टिगत रखते हुए कुल धनराशि का 20 प्रतिशत नागर निकायों तथा 80 प्रतिशत पंचायतों को देने का वर्तमान फार्मूला बनाये रखा जाए। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित प्रोजेक्ट माॅनीटरिंग यूनिट की बैठक नियमित रूप से कराकर कार्याें का निरन्तर अनुश्रवण सुनिश्चित कराया जाए तथा आवश्यक धनराशि अनुमोदन के उपरान्त ही निर्गत की जाए।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन, प्रमुख सचिव पंचायतीराज श्री माजिद अली सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 25 December 2012 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने निर्देश दिए हंै कि आगामी 15 जनवरी तक निर्धारित लक्ष्य का 50 प्रतिशत धान की खरीद प्रत्येक दशा में हो जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के अथक प्रयास से किसानों के हित में भारत सरकार द्वारा चावल के निर्धारित मानक में खरीद वर्ष 2012-13 हेतु मात्र उत्तर प्रदेश के लिए शिथिलीकरण करते हुए पूरे प्रदेश के लिए कामन चावल में डैमेज का प्रतिशत वैल्यू कट सहित तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत की शिथिलता मिलने के पश्चात अब धान खरीद में तेजी लायी जाए। उन्होंने कहा कि अब किसी भी स्तर पर किसानों को अनावश्यक रूप से परेशान न किया जाए और प्रत्येक क्रय एजेन्सीवार लक्ष्य निर्धारित कर धान की खरीद सुनिश्चित करायी जाए। उन्होंने कहा कि धान की खरीद हेतु 1502.83 करोड़ रूपये की पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करा दी गयी है तथा धान खरीद लक्ष्य 25 लाख मी0टन के सापेक्ष पर्याप्त संख्या में बोेरे भी उपलब्ध हैं।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में खरीफ वर्ष 2012-13 में धान/लेवी चावल खरीद व भण्डारण सम्बन्धी बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विगत 22 दिसम्बर तक 5.27 लाख मी0टन धान की खरीद कर 86840 किसानों को लाभान्वित कराकर उन्हें 658 करोड़ रूपये का भुगतान कराया जा चुका है। उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम द्वारा 50 हजार मी0टन के विरूद्ध मात्र 87 मी0टन की खरीद की गयी है, जो कि लक्ष्य का मात्र 0.17 प्रतिशत है, जबकि राज्य की अन्य एजेन्सियों की खरीद का औसत 21.51 प्रतिशत है। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि क्रय एजेन्सियों का आकस्मिक चेकिंग करने हेतु रोस्टर बनाकर फील्ड का दौरा करें, ताकि धान खरीद में तेजी आ सके।
श्री उस्मानी ने बताया कि प्रदेश में 25 लाख मी0टन धान खरीद के लिए 1,71,107 गांठ बोरों में से विगत 22 दिसम्बर तक खरीद में कुल 26352 गांठ बोरों के प्रयुक्त होने के पश्चात प्रदेश में कुल 1,44,755 गांठ बोरे अवशेष हैं, जो अवशेष 28.95 लाख मी0टन धान खरीद के लिए पर्याप्त है। उन्होंने सम्भागीय खाद्य नियंत्रकों व क्रय संस्थाओं को निर्देश दिए हैं कि यथासमय क्रय केन्द्रों पर बोरों की उपलब्धता बनाये रखी जाए। उन्होंने कहा कि यदि भण्डारण की समस्या कहीं पर हो, तो स्थानीय स्तर पर समाधान सुनिश्चित करा लिया जाए।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन, प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद श्री दीपक त्रिवेदी, खाद्य आयुक्त श्रीमती अर्चना अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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