Posted on 20 February 2013 by admin
वर्ष 2012 मे भी आइ.एम. आर. को मिला था फ्रांस का प्रतिष्ठित अवार्ड।
श्री प्रमिल द्विवेदी सहित 14 विभूतियों को मिला संम्मान।
लखनऊ:
सारेगामा भारतीय संगीत,सामाजिक एंव सांस्कृतिक वेल्फेयर संस्थान के तत्वावधान मंे स्थानीय राय उमानाथ बली प्रेक्षाग्रह मंे अलंकरण समारोह मे देश की प्रमुख जनसंपर्क कम्पनी इण्डिया मीडिया रिलेशंस के म्ुाख्य कार्यपालक अधिकारी, श्री प्रमिल द्विवेदी को अपने क्षेत्र मे उत्कृष्ट सेवाओं एवं प्रदर्शन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की संस्कृति राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार श्रीमती अरूण कुमार कोरी ने अंगवस्त्र व स्मृति-चिन्ह देकर भरतश्री सम्मान से सम्मानित किया। इससे पूर्व मे भी श्री द्विवेदी व इनकी कं0 को बेहतर सेवाओं के लिए कई पुरस्कार हासिल हो चुके हैं।
संम्मान समारोह के अन्तर्गत नवनीत सिकेरा, प्रमिल द्विवेदी, नंदिनी रावत ,बीपी डिमरी,राधा कृष्ण त्रिपाठी,रमन लाल अग्रवाल,सरिता श्रीवास्तव, भावना श्रीवास्तव, बीपी तिवारी आदि 14 विभूतियों को संमानित किया गया।
इसके पूर्व मे लखनऊ से संचालित अखिल भारतीय जनसम्पर्क कम्पनी इंडिया मीडिया रिलेशंस को कानकार्ड कनवेंशन हाल, पेरिस फ्रांस में बीआईडी क्वालिटी का वर्ष 2012 का प्रतिष्ठित गोल्ड कैटेगरी का इंटरनैशनल स्टार फार लीडरशिप इन क्वालिटी अवार्ड प्रदान किया गया था। ग्लोबल बिड क्वालिटी कनवेंशन में आएएमआर भारत की प्रथम कम्पनी है जिसे यह पुरस्कार अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं एवं प्रदर्शन हेतु प्राप्त हुआ है।
एक दशक से अधिक जनसम्पर्क के क्षेत्र में कार्य करने वाली आएएमआर के पास कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कम्पनियो का कार्य है जो कई वर्षों से उससे जुडी हुईं है। कम्पनी की सेवाओं के चलते क्लायंट ने अपनी नई ऊचाँईयों को छुआ, छवि में सुधार हुआ है एवं व्यवसाय में बढौतरी के साथ-साथ कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मनित किया गया है।
आएएमआर की भविष्य की योजनाओं के बारे में बताते हुए प्रमिल द्विवेदी ने कहा, ‘‘भविष्य में हम अपने क्लायंट्स को बेहतर सेवाएं सुनिश्चित कराने के साथ-साथ अपनी कम्पनी का विविधीकरण करेंगें। हमारी कम्पनी कई कारर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व में भी लगी हुई है। जैसे समाज के कमजोर वर्ग का उत्थान, लोगों में न्याय एवं सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता पैदा करना यानि भारतीय नागरिक होने के उनके मौलिक कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति जागरूक करना।’’
आए एम आर लखनऊ की प्रथम जनसम्पर्क कम्पनी है जिसे श्री प्रमिल द्विवेदी ने शुरू किया। उन्होनें एक विश्व प्रसिद्ध जनसम्पर्क कम्पनी से अपने करियर की शुरूआत करते हुए लखनऊ में जनसम्पर्क सेवाओं की पहल की और आज इसके कार्यालय देश के कई शहरों में है। आए एम आर एक बहुत बड़ी विशेषता है संकट प्रबंधन जिससे उसने अपने कई क्लायंट्स को अनावश्यक बद्नामी एवं मुसीबतों से उबारनें में मदद की।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 16 February 2013 by admin
वसन्तोत्सव हमारी संस्कृति है। वसन्तपंचमी को ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की पूजा होती है यह उनका जन्मदिन है। आज कमल ज्योति कार्यालय पर ‘‘वसन्तोत्सव -2013’’ के अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार विधान परिषद सदस्य हृदय नारायण दीक्षित ने कही।
वसन्तोसव कार्यक्रम माँ सरस्वती का पूजन, हवन, आराधना हुइ। कमल ज्योति के प्रकाशक पूर्व विधान परिषद सदस्य श्यामनन्दन सिंह ने पूजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कलम के सिपाहियो को माँ सरस्वती की आराधना से ताकत मिलती है।
इस अवसर पर विनोद पाण्डेय, विधान परिषद सदस्य, लक्षमण चैधरी, विजय बहादुर पाठक, अखिलेश वाजपेयी, डा0 विजय कर्ण, अशोक तिवारी, राजेन्द्र तिवारी, अनूप गुप्ता, गोपाल कृष्ण पाठक, मैथलीशरण शुक्ल, सच्चिदानन्द राय, आनन्द शाही, सुरेश गुप्ता, अमर सिंह, ओमप्रकाश, राधेश्याम, आदि प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रबन्ध, समाचार सम्पादक राज कुमार ने किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 16 February 2013 by admin
’दिसंबर से लेकर फरवरी तक का समय प्यार की भीगी फुहार लाता है, जिसकी मस्ती में
बाॅलीवुड भी डूबा रहता है। इस दौरान कई रोमांटिक फिल्में रिलीज़ होती हैं।
कुछ हिट होती हैं और कुछ को दर्षक नहीं मिलते, लेकिन डायरेक्टर राजेष
कुमार का दावा है कि उनकी फिल्म प्यार में ऐसा होता है दर्षकों की पसंद के
पैमाने पर सौ फीसदी खरी उतरेगी क्योंकि इस फिल्म में सिर्फ प्यार ही नहीं, रहस्य
और रोमांच भी है, जिसमें सेक्स, म्यूजि़क और हाॅरर का काॅकटेल जोड़ा गया
है इसलिए यह फिल्म अब हाईवोल्टेज थ्रिलर का रूप ले चुकी है।’
’ यह कहानी काॅलेज के स्टूडेंट्स के आसपास घूमती है, जो प्यार, खूबसूरती
और चंचलता में फंसकर बिना सोचे-समझे कदम उठा लेते हैं जिसका असर उनकी लाइफ
और परिवार की शांति को भंग करता है। यह फिल्म इसी तरह से एक हादसे को जन्म
देती है जिमसें फंसकर दो परिवार आत्महत्या कर लेते हैं और नतीजा उस वाक्या से
जुड़े स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ता है। इस फिल्म में काॅलेज से जुड़े लड़के
और लड़कियों की रीयल लाइफ, प्यार, हंसी-मज़ाक, ईष्र्या और खेल खेल में
जिंदगियां कैसे तबाह हो जाती हैं, दर्शाया गया है। ’
’ फिल्म में छह गीत हैं जिसका टाइटल गीत कुणाल गांजावाला और सुजाता
मजूमदार की आवाज़ में है। नीरज श्रीधर और सुजाता की आवाज़ में
बत्तियां-शत्तियां एक क्लब साॅन्ग है। सिर्फ इतना ही नहीं, परदे पर गरमाहट फैलाने
के लिए एक गीत आइटम गर्ल रोज़लीन खान पर भी फिल्माया गया है और यही वो
खास गीत होगा जो शीला, शालू, मुन्नी, चमेली आदि आइटम नंबर्स की ऐसी की
तैसी करने वाला है। शीला की मां की आंख, मुन्नी की ऐसी की तैसी नाम का यह
गीत भी सुजाता की ही आवाज़ में है जिन्होंने पहली बार आइटम गीत गाया है।
फिल्म के एक प्रणय गीत तुम प्यार की बरसात याद रखना में प्यार, श्रृंगार और
फुहार की रसलीलाएं हैं, जो भरी बरसात में प्यार का मीठा अहसास जगाती हैं। ओ
जाने वफा गीत जावेद अली और सुजाता की सोजभरी आवाज़ में है।’
’ महक म्यूजि़क मीडिया के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता राजेश कुमार व
अफसर खान हैं। कोरियोग्राफर सूरज भारती हैं। फिल्म के कलाकार हैं मोहम्मद
नाजि़म, अनामिका बाबा, रोहित राजावत, हिमानी शिवपुरी, रज्जाक खान, हरीश
चोपड़ा, शीला शर्मा, डाॅक्टर जयपाल बजाड़, सुजाता मजूमदार और वीरेंद्र मिश्र
हैं। ’
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 16 February 2013 by admin
‘‘संस्कृत भाषा संस्कार, नैतिकता, प्रेम और सदाचार की भाषा है। संस्कृत का अध्ययन करने वाला व्यक्ति भविष्य में जीविका का साधन तो प्राप्त कर ही लेगा साथ ही उसे सुख एवं शान्ति भी प्राप्त होगी।
लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 ओम प्रकाश पाण्डेय ने ये विचार उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा वसन्त पंचती के अवसर पर आयोजित समारोह में व्यक्ति किये। इस अवसर पर विद्यान्त डिग्री कालेज के डा0 विजय कर्ण ने कहा कि प्राचीनतम होते हुए भी संस्कृत में आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के मूल सूत्र विद्यमान हैं। कानपुर से आई डा0 नवलता वर्मा ने कहा कि संस्कृत की लिपि देवनागरी है, इसमें शब्दों को जैसा लिखते हैं वैसा ही बोलते भी हैं। संस्थान के निदेशक श्री डी0 एस0 श्रीवास्तव ने भी संस्कृत भाषा के महत्व के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर कक्षा 6 से इण्टर अथवा समकक्ष तक के छात्र/छात्राओं की बालकथा कौमुदी पुस्तक से संस्कृत वाचन तथा बी0 ए0 एवं एम0 ए0/समकक्ष छात्र/छात्राओं की शिवराज विजय एंव कादम्बरी के शुकनाशोपदेश से संस्कृत श्रुत लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। शाम्भवी कर्ण को प्रथम, आदर्श विद्यामन्दिर की छात्रा जया सिंह को द्वितीय तथा आदर्श विद्या मन्दिर के ही छात्र अविरल सिंह को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। सैट डोमनिक के उत्कर्ष सिंह को सान्त्वना पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार स्वरूप क्रमशः 1000 रूपये, 800 रूपये, 500 रूप्ये तथा 300 रूपये की धनराशि के साथ प्रमाण पत्र एवं संस्थान द्वारा प्रकाशित बाल साहित्य की चार-चार पुस्तकें संस्थान के निदेशक श्री डी0 एस0 श्रीवास्तव द्वारा पुरस्कृत छात्रों को प्रदान की गई।
इस अवसर पर संस्थान के अधिकारियों सहित प्रो0 ओम प्रकाश पाण्डेय, डा0 नवलता वर्मा, डा0 ब्रज भूषण ओझा तथा डा0 अशोक शतपथी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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sa@upnewslive.com
Posted on 09 February 2013 by admin
आॅसू से आनन्द तक की यात्रा है कविता। कविता प्रयास से आती है व्याकरण से नहीं। कविता से कोई न कोई संदेश लोगों तक अवश्य पहुॅचना चाहिये। यह उद्गार श्री उदय प्रताप सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने सुप्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की पावन स्मृति को समर्पित कविता लेखन पर केन्द्रित दो दिवसीय कार्यशाला एवं महाप्राण निराला की पावन स्मृति को समर्पित काव्य गोष्ठी के समापन सत्र के दौरान निराला साहित्य केन्द्र एवं सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में व्यक्त किये।
कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि अपने भावनाओं का उदात्तीकरण करने का भाव है कविता। दुनिया में कविता पहले शुरू हुई व्याकरण बाद में।
इस अवसर पर वाराणसी से पधारे श्री श्रीकृष्ण तिवारी ने कहा कि काव्य लेखन एक चक्रव्यूह है। तुक काव्य का काव्यात्मक पक्ष है। उन्होंने तुक व मात्रा तथा कविता की बारीकियों के बारे में विस्तार से बताया।
समापन सत्र के दौरान श्री कुंवर बेचैन ने कहा कि शब्दों को भावपूर्ण ढंग से कहा जाये वही कविता है। उन्होंने कविता लिखने के ढंग को बेहद सरल शब्दों में बताया तथा कविता लेखन को प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर डा0 बुद्धिनाथ मिश्रा ने भी कविता लेखन पर अपने विचार प्रस्तुत किये। समापन सत्र के दौरान प्रतिभागियों को संस्थान द्वारा प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया।
समापन सत्र के तृतीय सत्र में महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला को समर्पित कविता पाठ किया गया। इस अवसर पर श्री आत्म प्रकाश शुक्ल, कानपुर, डा0 कुंवर बेचैन गाजियाबाद, श्री श्रीकृष्ण तिवारी, वाराणसी, डा0 बुद्धिनाथ मिश्र, देहरादून, श्री रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी, आगरा, श्री सतीश आर्य, गोण्डा, डा0 मधुरिमा सिंह, श्री रमेश रंजन, श्री देवल आशीष (लखनऊ) आदि कवियों द्वारा कविता पाठ किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 07 February 2013 by admin
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्वावधान में जयशंकर प्रसाद एवं सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की पावन स्मृति को समर्पित कविता लेखन एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन आगामी 07 व 08 फरवरी को निराला साहित्य केन्द्र एवं सभागार हिन्दी भवन में किया जायेगा। इसकी अध्यक्षता हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष, उदय प्रताप सिंह करेंगे।
यह जानकारी हिन्दी संस्थान के निदेशक डा0 सुधाकर अदीब ने दी है। उन्होंने बताया कि कविता लेखन विषय पर केन्द्रित कार्यशाला चार सत्रों में होगी। 07 फरवरी को पूर्वाह्न 11ः30 बजे आयोजित उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि डा0 कुॅवर बेचैन, होंगे। बीज वक्तव्य श्री मूलचन्द्र गौतम का होगा।
डा0 अदीब ने बताया कि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की स्मृति को समर्पित कार्यशाला के 08 फरवरी को आयोजित तृतीय सत्र में देश के प्रख्यात कवियों द्वारा कविता पाठ किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 06 February 2013 by admin
उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी द्वारा ग्यारहवीं अखिल भारतीय छायाचित्र कला प्रदर्शनी का उद्घाटन एवं पुरस्कार वितरण समारोह कल 07 फरवरी को सायं 5ः00 बजे अकादमी परिसर, लाल बारादरी भवन, निकट हाईकोर्ट, लखनऊ में किया जायेगा।
यह जानकारी राज्य ललित कला अकादमी की सचिव डा0 बीना विद्यार्थी ने दी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 31 January 2013 by admin
सहारा वन पर धारावाहिकों के गुलदस्ते में एक नया धारावाहिक घर आजा परदेसी एक बड़ी संभावना के साथ अपना आगाज कर चुका है। नाॅन फिक्शन शो के प्रख्यात निर्माता श्री गजेन्द्र सिंह अपने पहले धारावाहिक घर आजा परदेसी के साथ टेलिविजन की रंगीन दुनिया में पदार्पण कर रहे हैं।
मालुम हो कि घर आजा परदेसी एक ऐसी बेटी की कहानी है जो भारतीय मर्यादाओं को रेखांकित करते हुए अपने पिता की तलाश करती है। यह कहानी जहां एक तरफ भारतीय पारिवारिक परम्परा में स्त्री के बलिदान को गौरवान्वित करती है तो दूसरी तरफ प्रेम एवं कर्तव्य को भी दर्शाती है। हालांकि उसके इस प्रयास में पारिवारिक रूढि़यां एवं पितामह के विरोध का भी सामना करना पड़ता है।
धारावाहिक में भवानीशंकर मिश्र (विक्रम गोखले), जो वाराणसी के एक प्रतिष्ठित परिवार के मुखिया हैं, तब हतप्रभ हो जाते हैं जब उनकी ही पोती उनके रूढि़वादी आदर्श के बर-खिलाफ चुनौती देती है। इस कहानी में आधुनिकता के प्रवाह और पुरानी रूढि़यों के बीच प्रामाणिक द्वंद्व दर्शाया गया है। यह कहानी दो पीढि़यों, दो महाद्वीपों और दो विचारधाराओं के अन्तर्विरोध को बखूबी प्रस्तुत करती है, जिसमें भवानीशंकर के पुत्र राघव (महेश ठाकुर) एवं पौत्रियों देविका (रळची सवर्ण) तथा रळद्राणी (सपना पब्बी) एवं बहू सजनी मिश्रा (अनीता कुलकर्णी) के जीवन के विरोधाभासों को अत्यंत रोचकता एवं संवेदनशीलता के साथ उकेरने का प्रयास किया गया है।
भवानीशंकर मिश्र अपने विद्रोही पुत्र राघव पुत्र को अपनी सम्पत्ति से स्थायी रूप से बेदखल कर देते हैं, क्योंकि उसने अपनी पत्नी से रिश्ते को तोड़ दिया था। मिश्र परिवार अपने इस मुखिया से मूल्यों और परम्पराओं पर आधारित निर्णय का मुखर विरोध करता आ रहा है। जब भवानीशंकर मिश्र यह महसूस करते हैं कि उनका पूरा परिवार आज भी राघव को दिल से चाहता है और एक दिन उसके वापस घर आने की आशा करता है, तो वह इन सभी से क्रोधित होकर अपने जीवित पुत्र के अंतिम क्रिया-कर्म करने की घोषणा कर देते हैं। अपने इस आक्रोश भरे निर्णय में वह राघव की पत्नी सजनी तथा अपनी प्रपौत्री देविका की भावनाओं को भी नजर अंदाज कर देते हैं। भवानीशंकर के इस निष्ठुर व्यवहार से सारा परिवार दुखी हो जाता है और देविका अपने पितामह के विरळद्ध सख्ती से खड़ी हो जाती है। वह अपने पिता राघव मिश्र को वापस घर लाने का निर्णय लेती है और अपने पिता द्वारा कन्यादान किये जाने के बाद ही विवाह करने का संकल्प लेती है।
श्री सुरेश मिश्र, असिस्टेंट डायरेक्र वर्कर, सहारा वन मीडिया एण्ड एंटरटेनमेंट लि. ने बताया, ‘हम फिक्शन शो के निर्माण की विधा में श्री गजेन्द्र सिंह के प्रवेश का स्वागत करते हैं और हमें पूर्ण विश्वास है कि जिस प्रकार उन्होंने नाॅन-फिक्शन के क्षेत्र में अपने प्रभुत्व को कायम किया था, उसी प्रकार वे फिक्शन के क्षेत्र में भी अपनी सृजनशीलता का रंग भरने में सफल होंगे। घर आजा परदेसी हमारे सम्माननीय बुजुर्गों द्वारा मूल्यों एवं परम्पराओं के संरक्षण तथा नयी पीढ़ी द्वारा तार्किक रूप से उठाये जाने वाले प्रश्नों की रोचकता को रेखांकित करता है। एक नवीन परिकल्पना एवं मंजे हुए कलाकारों की एक लम्बी फेहरिस्त के साथ घर आजा परदेसी निश्चित रूप से दर्शकों को प्रभावित करेगा।
श्री गजेन्द्र सिंह, प्रबंध निदेशक, साईबाबा टेलीफिल्म्स, जो पहली बार फिक्शन शो के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, ने कहा, ‘टीवी धारावाहिक में प्रवेश करने का विचार हमारे मन में कुछ समय पहले आया था। यह बोनी कपूरजी एवं सहारा वन के सहयोग से संभव हो सका है। यह परिकल्पना सांस्कृतिक नगरी बनारस के आस-पास के परिवेश में विकसित हुई है, क्योंकि यह एक ऐसा स्थान है, जहां पर हम संगीत और पर्वों को उनके वास्तविक रंग में अनुसंधानित कर सकते हैं। इस परिकल्पना के सृजन का प्रमुख उद्देश्य अपने देश की विविधतापूर्ण संस्कृति एवं परम्परा को प्रदर्शित करना रहा है। यह लंदन से भारत आयी एक लड़की द्वारा एक नयी संस्कृति एवं जीवन शैली को अपनाने की कथा भी है।‘
घर आजा परदेसी की दिलचस्प कथा-वस्तु में विक्रम गोखले, स्मिता जयकर, अनिता कुलकर्णी और महेश ठाकुर जैसे मशहूर कलाकारों का जीवंत अभिनय चार चांद लगा देगा। विक्रम गोखले और स्मिता जयकर की सशक्त जोड़ी सुपर हिट फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ के बाद एक बार फिर एक साथ देखी जाएगी। इसमें प्रमुख भूमिका रळचि सवर्ण एवं सपना पब्बी निभा रही हैं।
धारावाहिक ‘घर आजा परदेसी ….. तेरा देस बुलाये रे’ सोमवार 28 जनवरी से, प्रसारित होना शुरू हो गया है और प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार तक रात 8 बजे केवल सहारा वन पर देखा जा सकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 29 January 2013 by admin
डिस्कवरी किड्स, कार्यक्रम देखने से जुड़ा एक समग्र अनुभव प्रस्तुत करने के लिए कटिबद्ध है और वह द एडवैंचर्स आॅफ टिनटिन प्रस्तुत कर रहा है, जो एक बहुत ही लोकप्रिय काॅमिक क्लासिक्स का एक एनिमेटेड रूप है। टिनटिन और उसका वफादार कुत्ता स्नोई दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए फिर से लौट रहे हैं और वे रोमांच की खोज करते हैं तथा षडयंत्रों का खुलासा भी। द एडवैंचर्स आॅफ टिनटिन 39 एपिसोड वाली एक श्रृंखला है जिसका प्रसारण डिस्कवरी किड्स पर हर दोपहर 2 बजे किया जाएगा और इसका पुर्नप्रसारण रात 8 बजे भी होगा। श्रृंखला का प्रसारण 26 जनवरी, 2013 से हो रहा है।
द एडवैंचर्स आॅफ टिनटिन एक आकर्षक श्रृंखला है, यह हंसी-मजाक, रोमांच, कल्पनाशीलता और रहस्य से भरी है जिसे बच्चे जरूर पसंद करेंगे। ये साहसी युवा रिपोर्टर और इसका भरोसेमंद कुत्ता स्नोई पूरी दुनिया की यात्रा करते हैं और इनके साथ कुछ दिलचस्प किरदार भी होते हैं। इनमें सख्तजान कैप्टेन हैडक, बुद्धिमान लेकिन कुछ खोए-खोए से रहने वाले प्रोफैसर कैलकुलस और जासूस जोड़ी थाॅमसन एंड थाॅमसन भी हैं।
राहुल जौहरी, सीनियर वाइस प्रैजिडैंट और जनरल मैनेजर - दक्षिण एशिया, डिस्कवरी नैटवक्र्स एशिया पैसिफिक ने कहा, ‘डिस्कवरी किड्स बेहद लोकप्रिय काॅमिक - द एडवैंचर्स आॅफ टिनटिन के एनिमेटेड रूवरूप को प्रस्तुत करते हुए बेहद रोमांचित है। बच्चे खुद को उत्सुक, बुद्धिमान और बहादुर टिनटिन के साथ जोड़ कर देख सकेंगे जो एक खोजी रिपोर्टर है और जो हर एडवैंचर में आश्चर्य और उत्सुकता को भर देता है।’
टिनटिन की बहादुरीपूर्ण खोजें कल्पनाशील मस्तिष्कों की ताकत की पैरवी करती हैं जो चुनौतीपूर्ण मामलों को एक अनूठे ढंग से सुलझाती है। बच्चे टिनटिन की मजेदार और पेचीदा दुनिया का आनंद लेंगे।
इस श्रृंखला में शामिल किए जाने वाले कुछ एडवैंचरः
एक खाली क्रैब टिन के एक रहस्यमय लेबल के जरिये टिनटिन और स्नोई की एक खतरनाक मुठभेड़ बेरहम तस्करों के एक गैंग से हो जाती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 23 January 2013 by admin
भारत और इसके विविध रूपों को प्रस्तुत करने के प्रति प्रतिबद्ध डिस्कवरी चैनल भारतीय सेना के साथ मिलकर भारतीय सेना की सात महिला अधिकारियों द्वारा अंजाम दिए गए एक बेहद चुनौतीपूर्ण और कामयाब एवरैस्ट अभियान का पूरा लेखा-जोखा प्रस्तुत कर रहा है।
किसी भारतीय दस्ते के, इस बेहद समग्र रूप से फिल्माए गए एवरैस्ट अभियान को डिस्कवरी चैनल अपने एक घंटे के विशिष्ट कार्यक्रम एवरैस्टः इंडियन आर्मी विमैन्स एक्सपीडिशन में भारतीय गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या, शुक्रवार, 25 जनवरी को रात 9 बजे प्रस्तुत करेगा, और इसका पुर्नप्रसारण शनिवार, 26 जनवरी को रात 9 बजे होगा।
इस कार्यक्रम में इस पूरे अभियान के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, चाहे ये टीम का चयन हो, प्रशिक्षण और तैयारी अथवा एवरैस्ट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाना, कार्यक्रम में भारतीय सेना की इन महिला अधिकारियों की मुश्किल यात्रा और उन सभी चुनौतियों को दिखाया जा रहा है जिनका सामना उन्हें पर्वतारोहण से जुड़े इस बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के दौरान करना पड़ा। ये कार्यक्रम दर्शकों को किसी एवरैस्ट अभियान के बेहद अंतरंग दृश्य दिखाएगा और हिम्मत, निराशा और गौरव का पहले कभी न किया गया अनुभव भी प्रदान करेगा। दर्शक भारतीय सेना में लम्बे समय से चली आ रही पर्वतारोहण की परम्परा, एडवैंचर और चुनौती का आनंद भी लेंगे।
ये एक दुर्लभ और कमाल का, 100 प्रतिशत सफल अभियान है। डिस्कवरी चैनल के कैमरामैन ने न सिर्फ अवलांश, उथल-पुथल भरे मौसम और बर्फीली खाइयों जैसी चुनौतियों के बीच पूरी यात्रा को कवर किया, बल्कि सात महिला अधिकारियों के साथ चोटी पर भी चढ़े, जो इस अभियान को और भी विशिष्ट बनाता है।
राहुल जौहरी, सीनियर वाइस प्रैजिडैंट और जनरल मैनेजर-दक्षिण एशिया, डिस्कवरी नैटवक्र्स एशिया पैसिफि़क ने कहा - ‘‘एवरैस्ट पर चढ़ना इंसान की हिम्मत और संकल्पशक्ति का चरम इम्तिहान है। डिस्कवरी चैनल के लिए इस पर्वत की चोटी पर पहुंचना और भारतीय सेना की सात महिला अधिकारियों द्वारा किए गए इस रोमांचक अभियान को फिल्म पर उतारना एक बेहद विशिष्ट उपलब्धि रहा है। चैनल ऐसे विशिष्ट कार्यक्रमों और उच्च-गुणवत्ता वाले प्राॅडक्शनों के जरिये भारतीय दर्शकों को प्रेरित करना और उनका मनोरंजन करते रहना जारी रखेगा।’’
एवरैस्टः इंडियन आर्मी विमैन्स एक्सपीडिशन कार्यक्रम दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के माहौल के बारे में विस्तार से वर्णन करेगा। कार्यक्रम, भारतीय सेना की सात महिला अधिकारियों द्वारा पहली बार एवरैस्ट पर चढ़ने से जुड़े रोमांच और साहस की पूरी दास्तान बयान करता है। ये दस्ता चोटी पर दक्षिणी रिज मार्ग से चढ़ा जिसका इस्तेमाल माहिर पर्वतारोहियों एडमंड हिलैरी और तेनजिंग नोरगे ने किया था। डिस्कवरी चैनल के कैमरों ने ऐसे दुर्लभ और अनूठे पलों को कैद किया जिन्हें टेलीविजन पर शायद ही पहले कभी देखा गया हो। यहां के दृश्यों को अतिआधुनिक हाई एल्टीट्यूड शूटिंग टैक्नाॅलाॅजी के इस्तेमाल से शूट किया गया, इनमें एक अवलांश, एक बर्फीली खाई में हुई एक शेरपा की दुखद मृत्यु और लोत्से वाले एकदम खड़े हिस्से में चट्टानों का गिरना शामिल है। इस अभियान दल के साथ जाने वाले, डिस्कवरी चैनल के कैमरामैन गैरी जरमन लमार के अलावा कैमरों को कुछ आरोहियों के हैल्मैटों पर भी लगाया गया था ताकि इस कार्यक्रम को रेकाॅर्ड किया जा सके।
सात महिला अधिकारियों और दस पुरूष पर्वतारोहियों की अंतिम टीम का चुनाव करने और उसे तैयार करने में पूरे एक साल के प्रशिक्षण और दो चरण वाली चयन प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। टीम के साथ ही सहायक स्टाफ भी था। टीम का नेतृत्व कर्नल अजय कोठियाल (केसी, एससी, वीएसएम) ने किया था और इसमें भारतीय सेना की जो सात महिला अधिकारी थीं, उनके नाम हैंः कैप्टेन दीपिका राठौड़ (राजस्थान), कैप्टेन नम्रता राठौड़ (उत्तराखंड), कैप्टेन प्राची आर. गोले (महाराष्ट्र), मेजर एन. लिनयू (नागालैंड), मेजर नेहा भटनागर (राजस्थान), कैप्टेन पूनम सांगवान (हरियाणा) और कैप्टेन स्मिता (कर्नाटक)।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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