Posted on 21 January 2010 by admin
मुम्बई- अन्तरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष श्री लिएण्ड्रो नेगरे हॉकी इण्डिया व खिलाड़ियों के बीच उत्पन्न उस विवाद को सुलझाने की सहायता के लिए हार्दिक धन्यवाद देने आज यहां सहारा इण्डिया परिवार के मैनेजिंग वर्कर एवं चेयरमैन श्री सुब्रत रॉय सहारा से मिलने पहुंचे और मुलाकात की। श्री नेगरे ने मुलाकात के दौरान अन्तरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन व करोड़ों हॉकी प्रेमियों की ओर से सहारा इण्डिया परिवार के उस कदम की सराहना की जिसके अन्तर्गत सहारा ने हॉकी इण्डिया के खिलाड़ियों के लिए 1 करोड़ रुपये देकर उसे एक ऐसी मुश्किल परिस्थिति से उबारा, जिसमें हॉकी इण्डिया और खिलाड़ियों के बीच सहमति के सारे रास्ते बन्द हो गए थे।
श्री नेगरे ने कहा “मुझे ऐसे व्यक्तित्व से मिलकर बड़ा हर्ष हुआ है, जो सन् 2000 से भारतीय हॉकी के लिए एक मजबूत आधार रहे हैं। मैं हॉकी इण्डिया व खिलाड़ियों के बीच उत्पन्न उस विवाद, जिसकी वजह से भारत में हॉकी की सभी गतिविधियां बन्द हो चुकी थीं, को सुलझाने के लिए उनकी सहायता के लिए उन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूं´´।
इस मध्यान्ह-भोजन की बैठक के दौरान श्री नेगरे व सहाराश्री के बीच हॉकी से जुड़े और भी कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। श्री नेगरे ने श्री सुब्रत रॉय सहारा के हॉकी खेल से भावनात्मक जुड़ाव एवं इसके विकास के लिए उनकी वचनबद्धता की भी सराहना की और आशा व्यक्त की कि आगामी वर्षो में भी उनका आशीर्वाद व शुभकामनाएं इस खेल को मिलती रहेंगी।
इस बैठक के दौरान श्री नेगरे के साथ एलएसएम के एम.डी. श्री एस.एस. दासगुप्ता भी मौजूद रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
Posted on 21 January 2010 by admin
लखनऊ- यूपी की मुख्यमन्त्री मायावती ने शरद पवार को केन्द्रीय कृषि मन्त्री के पद से हटाने की मांग उठाते हुए कहाकि प्रधानमन्त्री ऐसा नहीं करेंगे तो 27 जनवरी को महंगाई के मुद्दे पर मुख्यमन्त्रियों की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगी। मायावती ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा टैक्सी का परमिट जारी करने के लिए वहां की सरकार द्वारा निर्धारित की गई नयी व्यवस्था का भी विरोध करते हुए कहा है कि उक्त फैसला संविधान की मूल भावनाओं के विपरीत है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि शरद पवार का हर बयान गैर जिम्मेदाराना तथा महंगाई बढ़ाने वाला होता है। पहले उन्होंने बयान दिया कि चीनी के दाम बढ़ेंगे। बाद में कहा कि खाद्यान्न के दाम भी बढ़ेंगे और अब बोले हैं कि दूध भी महंगा होगा। कृषिमन्त्री के पद पर बैठकर उन्हें इस प्रकार के बयान नहीं देने चाहिये। पवार ने जब.जब इस प्रकार के बयान दिये आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने लगीं। मुख्यमन्त्री ने कहाकि केन्द्रीय कृषिमन्त्री जमाखोरों और मुनाफाखोरों से मिले हुए हैं इसीलिए उनका हर बयान जनता को तकलीफ देने वाला तथा व्यापारियों को लाभ पहुंचाने वाला होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री को चाहिये कि ऐसे व्यक्ति को तत्काल कृषि मन्त्री के पद से हटायें वरना माना जायेगा कि पवार के बयानों में प्रधानमन्त्री की सहमति है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
Posted on 17 January 2010 by admin
नई दिल्ली- समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह ने पार्टी के सभी पदों से अमर सिंह के इस्तीफे को मंजूर कर लिया है। अमर सिंह ने पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के महासचिव प्रवक्ता और संसदीय बोर्ड के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया था। अपने इस्तीफे की वजह उन्होंने खराब स्वास्थ्य को बताया थाए लेकिन बाद में यह साफ हो गया था कि रामगोपाल यादव और समाजवादी पृष्ठभूमि वाले कुछ नेताओं से उनके गहरे मतभेद हो गए थे।
हालांकि अमर सिंह के इस्तीफा देने के बाद मुलायम सिंह ने कहा था कि अमर सिंह का इस्तीफा वह मंजूर नहीं करेंगे और सारे मामले जल्द ही सुलझा लिए जाएंगे। उसके बाद भी रामगोपाल यादव और अमर सिंह के बीच जुबानी जंग जारी रही। इस दौरान अमर सिंह ने कई बार दोहराया कि वह अपने इस्तीफे वापस नहीं लेंगे।
पार्टी के कुछ मुस्लिम विधायकों की मांग है कि पार्टी के मुखिया मुलायम यदि यादव अमर सिंह का इस्तीफा तुरन्त स्वीकार कर ले। विरोध का मोर्चा खोल चुके इन विधायकों के मुताबिक अमर सिंह की वजह से ही पार्टी से मुस्लिम वोटर्स दूर हो रहे है। उधर अमर सिंह के भाई अरविन्द सिंह ने कहा है कि उनकी अमर सिंह से बात हुई है। वो समाजवादी पार्टी में कतई नहीं लौटेंगे। अरविन्द सिंह ने कहा कि अमर सिंह पर हमला मुलायम सिंह के इशारे पर हो रहा है। लेकिन अमर सिंह ने साफ कर दिया कि वो इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। इशारों इशारों में धमकी भरे अन्दाज में अमर ने कहा कि उनके कहने पर ही जया प्रदा और जया बच्चन भी पार्टी छोड सकती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
—————
–
Vikas Sharma
upnewslive.com
E-mail :editor@bundelkhandlive.com
Ph-09415060119
Posted on 17 January 2010 by admin
लखनऊ- उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमन्त्री तथा माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सी0पी0एम0) के वयोवृद्ध नेता श्री ज्योति बसु के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है।
एक शोक सन्देश मे मुख्यमन्त्री ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के पांच बार मुख्यमन्त्री रहे श्री ज्योति बसु भारतीय राजनीति की महत्वपूर्ण हस्ती थे। साम्यवादी विचारधारा वाले श्री बसु वर्ष 1977 में पश्चिम बंगाल के मुख्यमन्त्री बने। श्री बसु ने पार्टी के विभिन्न पदों पर रहते हुए अपने चुनौतीपूर्ण दायित्वों का सफलता पूर्वक निर्वहन किया।
सुश्री मायावती ने कहा कि कम्युनिस्ट आन्दोलन के कद्दावर नेता श्री बसु 1946 में पहली बार विधान सभा के लिए चुने गये। मृदु स्वभावी और व्यवहार कुशल ज्योति बसु ने अपनी वाकपटुता और संसदीय कार्य प्रणाली से सभी के मन पर गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने कहा कि 23 साल के लम्बे समय तक लगातार पश्चिम बंगाल का मुख्यमन्त्री बने रहना भारतीय राजनीति में एक शानदार उपलब्धि के रूप में उनके नाम दर्ज है।
सुश्री मायावती ने दिवंगत आत्मा की शान्ति की कामना करते हुए शोक सन्तप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना एवं सहानुभूति व्यक्त की है तथा श्री बृजेश पाठक सांसद को श्रद्धांजली अर्पित करने तथा श्री बसु के पार्थिव शरीर को पुष्पांजलि अर्पित करने हेतु कोलकाता के लिए रवाना कर दिया।
ज्ञातव्य है कि 96 वर्षीय ज्योति बसु काफी दिनों से बीमार थे और उनका इलाज कोलकाता के ए.एम.आर.आई. अस्पताल में चल रहा था। आज पूर्वांह्न में उनका निधन हो गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
—————
–
Vikas Sharma
upnewslive.com
E-mail :editor@bundelkhandlive.com
Ph-09415060119
Posted on 14 January 2010 by admin
लखनऊ-प्रदेश के उच्चसदन में बहुमत का नया इतिहास रचने वाली उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने अवध नगरी लखनउ को एक नया वास्तुशिल्प देकर लखनऊ को करोड़ों-करोड़ों बहुजन परिवारों का तीर्थ स्थल बना दिया। इस इतिहासिक कार्य के लिये अन्जाम देने का जो साहस दिखाया है उसे इतिहास सदियो तक याद रखेगा।
माया की जब भी चर्चा होगी तो इतिहास में सुनेहरों अक्षरों मे यह इबारत लिखी जायेगी। वह किसी परीकथा की जादुई छड़ी घुमाने वाली नायिका तो नहीं पर उससे भी ज्यादा करिश्माई है…वह किसी पौराणिक कथा की अलौकिक शक्तियों वाली देवी तो नहीं, पर उससे ज्यादा चमात्कारिक है….वह मायावी भी नहीं हाँ माया जरूर है, पर ईश्वर की माया नहीं….वह जीती जागती हाड़मांस की माया है, वह भारतीय राजनीति की माया है, विकृत समाज की माया है…बहुजन समाज को धोका देने वाले विधायको को सुप्रीम कोर्ट तक जाकर दंड दिलाने वाली माया है, विपक्षी की नजरों में दौलत की माया है तो अपनो के बीच दलितो ही नहीं सबकी माया है….वह मायावती है जिन्होने उत्तर प्रदेश के राजनैतिक रंगमंच पर दो दशक से बिसरा दिये गये ब्राह्यमणों को राजनैतिक तुला पर सबसे शक्तिशाली और परिणाम मुखी ताकत के रूप में पुर्नस्थापित कराकर सभी राजनैतिक दलों को अचंभित कर दिया है। सियासी दंगल की घोषणा के पूर्व उ0प्र0 चुनावी दंगल में ताल ठोकते हुऐ 120 से अधिक ब्राह्यमणों को प्रत्याशी बनाने की घोषणा करके चुनावी अंकगणित का गुणनफल बदल दिया है उ0प्र0 की राजनीति में माया का जादू मतदाता से लेकर नेताओं पर जमकर बोल रहा है।
यह सब करिश्मा कर देने वाली मायावती ने अपने जीवन की 51 वर्षगांठ के अवसर पर कहा कि देश में सम्पूर्ण बहुजन समाज ही मेरा परिवार है और इस समाज को मान-सम्मान व स्वाभिमान की जिन्दगी बसर करने तथा इन्हे अपने पैरों पर खड़ा करने हेतु मैंने अपना तमाम जीवन समर्पित किया है तथा जिसके लिऐ अनेक प्रकार की दुख: तकलीफे भी उठाई है जो अवश्य ही आने वाली पीढ़ियों के लिऐ प्रेरणा श्र्रोत का काम करेगी इसी प्रेरणा के लिए उन्होंने 2 जून 2005 को अपने जीते जी अपनी ही प्रतिमा का अनावरण किया तो 9 जून को प्रदेश की राजधानी में ब्राह्यमण महारैली का सफल आयोजन कराके सतीश चन्द्र मिश्र को सारथी बनाने के साथ अगडी जाति के वैश्य सुधीर गोयल के कंधो पर सर्वणो के धुब्रीकरण का ताना-बाना बुना कि उ.प्र. की पूर्व मुख्यमंत्री कु मायावती के चौथी बार मुख्यमंत्री बनाने के लिए प्रदेश भर में यह सी हवा चलने लगी जिसके कारण राजनीति के बड़े-बड़े धुंरधर खिलाड़ीयों को दिन में तारे-नजर आने लगे है दलित-ब्राह्यमण-मुस्लिम तिकड़ी के वल पर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के साढ़े तीन वर्ष के शासन को तहस नहस करने की उद्घोषण जनता के द्वारा कराने में कामयाबी पर चुकी है। हजारों साल से जारी शोषण और दमन के प्रति मूक विद्रोह को प्रचंड सार्थक अभिव्यक्ति देते हुये इस अद्भूत नायिका ने दलित स्वाभिमान को जिस अंदाज में भारतीय लोकतंत्र की अनिवार्यता बनाया है, उसके लिये वह इससे ज्यादा प्रशंसा की हकदार हो सकती है कम रत्ती भी नहीं।
मई 2002 को जब मायावती लखनऊ के ऐतिहासिक लामार्टिनियर ग्राउन्ड पर तीसरीबार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रही थी तो सत्ता के सारे दिग्गज हाहाकार कर रहे थे। उस रोज कोई नहीं कह रहा था कि मायावती का मुख्यमंत्री होना कोई चमत्कार है। ध्यान रहे, इससे पहले जब वह 1995 में मुख्यमंत्री बनी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्ह राव ने फिर दूसरी दफा 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने उनकी ताजपोशी को भारतीय लोकतंत्र का चमत्कार करार दिया था। सच भी है, करिश्मा एक या दो बार हो सकता है तीसरी बार नहीं। इन दो प्रधानमंत्रीयों ने `चमत्कार´ शब्द को इस्तेमाल बेशक इसी आशा के साथ किया होगा कि अब यह बासपा कभी इस स्थिति में नहीं होगी कि सूबे की सबसे ऊँची कुर्सी पर जा बैठे। एक बार समाजवादी पार्टी के साथ और दूसरी बार कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली बसपा अपनी ताकत इतनी बड़ा होगी कि अकेले दम पर वह प्रदेश की दूसरी नम्बर की पार्टी के रूप में उभर सकती है, वह भी भारतीय जनता पार्टी को हाशिऐ पर धकेल कर। अतीत की बात करे तो 6 वर्ष पूर्व फरवरी में विधानसभा चुनाव होने के पूर्व जो चुनावी सर्वेक्षण हुये उन सब में बसपा को सत्ता से काफी दूर और भाजपा, सपा के मुकाबले बहुत पीछे दर्शाया गया था लेकिन मायवती के जादुई व्यक्तित्व और बदली हुई ठोस रणनीति के चलते नीले झण्डे वाली पार्टी ने 99 सीटें हासिल कर सत्ता की कुंजी अपने पास कैद कर ली थी सो भाजपा के ही मैन अटल बिहारी बाजपेयी को इसमें चमत्कार न दिखना स्वाभाविक था। श्री बाजपेयी ने इस साक्षात हकीकत को समझा और भाजपा को और दुर्गति से बचाने के लिये उन्होनें मायवती के बड़े हुऐ कद को उचित सम्मान दिया।
राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र जैसे धुंरघरों के विरोध को नजरअंदाज कर अदम्य इच्छाशक्ति की स्वामिनी मायावती की तीसरी ताजपोशी का पथ प्रशस्त किया । इस पथ का निर्माण चमत्कार या भाग्य की बदौलत से नहीं हुआ इसका श्रेय जाता है मायावती के दलित मिशन को कुछ भारतीय समाज की विसंगतियों-विकृतियों को। कहना अतिश्योक्ति न होगा कि इन सारी स्थितियों ने एक साथ मिलकर मायावती के रूप में ऐसी विलक्षण नायिका गढ़ी है जो एक जातिविहीन समाज की अकेली रचनाकार हो सकती है।
मायावती को विलक्षण या अद्भुत कहने के पीछे ठोस तार्किक कारण है। इन्हें समझने के लिऐ उन सारी स्थितियों का विश्लेषण करना होगा जिनके बीच से गुजर कर उन्होंने तीन बार प्रदेश की बागडोर संभालने की अविश्वनीय कामयावी हासिल की है। यहां एक बार स्पष्ट कर देना जरूरी है कि यह विश्लेषण किसी मुख्यमंत्री बन चुकी महिला के लिए नहीं है बल्कि सामाजिक परिवर्तन का दुरूह जंग लड़ रही मिशनरी मायावती को है। मात्र 21 वर्ष के राजनीतिक कैरियर में तीन बार मुख्यमंत्री होने को मायावती की व्यक्तिगत और मिशनरी दोनों उपलब्धियों के रूप में देखा जाना चाहिए। व्यक्तिगत उपलब्धि इस लिहाज से कि पूरी राजनीतिक यात्रा में उनके गुणों, स्वभाव और क्षमता का योगदान अहम है। यदि वह बेबाक और बिना लाग-लपेट के तीखा बोलने वाली न होती, यदि वह अपने अंदर के विद्रोह को दबा लेती, यदि निडर न होती, यदि वह जान को जोखिम मोल लेने वाली न होती और यदि वह दमन-शोषण झेलने की अभ्यस्त हो चुकी दलित कौम को झिझोड़कर जगाने की नैसगिZक कला में दक्ष न होतीं तो बेशक न वह आज की तारीख में देश को परिवर्तन की राह दिखाने वाली चौथी बार उ0प्र0 की मुख्यमंत्री बनने की दावेदार नहीं होतीं ओर न कभी पहले हुई होती। हो सकता है वह कहीं कलेक्टर, शिक्षिका या सुविधा सम्पन्न गृहस्थी की मालिक होती लेकिन दलितों की आस्था का केन्द्र कतई न होती। इसलिये इस उपलब्धि को व्यक्तिगत कहना अनुचित नहीं होगा। मिशन की कामयाबी तो शत-प्रतिशत हैं। प्रदेश का दलित जागा है, उसमे राजनितिक चेतना का उदय हुआ है। वह एक झण्डे के नीचे लामबंद हुआ है और `बहिन जी´ में अपनी राजनीतिक-सामाजिक आर्थिक मुक्ति तलाश रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
—————
–
Vikas Sharma
upnewslive.com
E-mail :editor@bundelkhandlive.com
Ph-09415060119