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विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक प.पू. सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का उद्बोधन

Posted on 24 October 2012 by admin

(बुधवार दिनांक 24 अक्तुबर 2012) के अवसर पर दिये गये उद्बोधन -
आज के दिन हमें स्व. सुदर्शन जी जैसे मार्गदर्शकों का बहुत स्मरण हो रहा है। विजययात्रा में बिछुड़े हुये वीरों की स्मृतियॉं आगे बढ़ने की
प्रेरणा देती है। विजयादशमी विजय का पर्व है। संपूर्ण देश में इस पर्व को दानवता पर मानवता की, दुष्टता पर सज्जनता की विजय के रूप में मनाया जाता
है। विजय का संकल्प लेकर, स्वयं के ही मन से निर्मित दुर्बल कल्पनाओं ने खींची हुई अपनी क्षमता व पुरुषार्थ की सीमाओं को लांघ कर पराक्रम का
प्रारंभ करने के लिये यह दिन उपयुक्त माना जाता है। अपने देश के जनमानस को इस सीमोल्लंघन की आवश्यकता है, क्योंकि आज की दुविधा व जटिलतायुक्त
परिस्थिति में से देश का उबरना देश की लोकशक्ति के बहुमुखी सामूहिक उद्यम से ही अवश्य संभव है। यह करने की हमारी क्षमता है इस बात को हम सबने
स्वतंत्रता के बाद के 65 वर्षों में भी कई बार सिद्ध कर दिखाया है। विज्ञान, व्यापार, कला, क्रीड़ा आदि मनुष्य जीवन के सभी पहलुओं में,
देश-विदेशों की स्पर्धा के वातावरण में, भारत की गुणवत्ता को सिद्ध करनेवाले वर्तमान कालीन उदाहरणों का होना अब एक सहज बात है। ऐसा होने पर
भी सद्य परिस्थिति के कारण संपूर्ण देश में जनमानस भविष्य को लेकर आशंकित, चिन्तित व कहीं-कहीं निराश भी है। पिछले वर्षभर की घटनाओं ने तो
उन चिन्ताओं को और गहरा कर दिया है। देश की अंतर्गत व सीमान्त सुरक्षा का परिदृश्य पूर्णत: आश्व स्त करनेवाला नहीं है। हमारे सैन्य-बलों को अपनी
भूमि की सुरक्षा के लिये आवश्यक अद्ययावत शस्त्र, अस्त्र, तंत्र व साधनों की आपूर्ति, उनके सीमास्थित मोर्चों तक साधन व अन्य रसद पहुँचाने के लिये
उचित रास्ते, वाहन, संदेश वाहन आदि का जाल आदि सभी बातों की कमियों को शीघ्रातिशीघ्र दूर करने की तत्परता उन प्रयासों में दिखनी चाहिए। इसके
विपरीत, सैन्यबलों के मनोबल पर आघात हो इस प्रकार, सेना अधिकारियों का कार्यकाल आदि छोटी तांत्रिक बातों को बिनाकारण तूल देकर नीतियों व
माध्यमोें द्वारा अनिष्ट चर्चा का विषय बनाया गया हुआ हमने देखा है।  सुरक्षा से संबंधित सभी वस्तुओं के उत्पादन में स्वावलंबी बनने की दिशा
अपनी नीति में होनी चाहिए। सुरक्षा सूचना तंत्र में अभी भी तत्परता, क्षमता व समन्वय के अभाव को दूर कर उसको मजबूत करने की आवश्यकता
ध्यान में आती है। हमारी भूमिसीमा एवं सीमा अर्न्तगत द्वीपों सहित सीमा क्षेत्र का प्रबन्धन पक्का करने व रखने की पहली आवश्यकता है। देश की
सीमाओं की सुरक्षा, उनके सामरिक प्रबंध व रक्षण व्यवस्था के साथ-साथ, सुरक्षा की दृष्टि से अपने अंतरराष्ट्रीय राजनय के प्रयोग-विनियोग पर भी
आजकल निर्भर होती है। उस दृष्टि से कुछ वर्ष पूर्व से एक बहुप्रतीक्षित नयी व सही दिशा की घोषणा “Look East Policy” नामक वाक्यप्रयोग से शासन के
उच्चाधिकारियों से हुयी थी। दक्षिण पूर्व एशिया के सभी देशों में इस सत्य की जानकारी व मान्यता है कि भारत तथा उनके राष्ट्रजीवन के बुनियादी मूल्य
समान है, निकट इतिहास के काल तक व कुछ अभी भी सांस्द्भतिक तथा व्यापारिक दृष्टि से उनसे हमारा आदान-प्रदान का घनिष्ट संबंध रहा है। इस दृष्टि से
यह ठीक ही हुआ कि हमने इन सभी देशों से अपने सहयोगी व मित्रतापूर्ण संबंधों को फिर से दृढ़ बनाने का सुनिश्च य किया। वहां के लोग भी यह
चाहते हैं। परन्तु घोषणा कितनी व किस गति से द्भति में आ रही है इसका हिसाब वहां और यहां भी आशादायक चित्र नहीं पैदा करता। इस क्षेत्र में
हमसे पहले हमारा स्पर्धक बनकर चीन दल-बल सहित उतरा है यह बात ध्यान में लेते है तो यह गतिहीनता चिन्ता को और गंभीर बनाती है। अपनी आण्विक तकनीकी
पाकिस्तान को देने तक उसने पाकिस्तान से दोस्ती बना ली है यह हम अब जानते हैं ही। नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका ऐसे निकटवर्ती देशों में भी चीन का इस
दृष्टि से हमारे आगे जाना सुरक्षा की दृष्टि से हमारे लिये क्या अर्थ रखता है यह बताने की आवश्यकता नहीं है। इन सभी क्षेत्रों में भारतीय मूल
के लोग भी बड़ी मात्रा में बसते हैं, उन के हितों की रक्षा करते हुये इन हमारे परम्परागत स्वाभाविक मित्र देशों को साथ में रखने की व उन के साथ
रहने की दृष्टि हमारे अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी होनी चाहिये। परन्तु राष्ट्र का हित हमारी नीति का लक्ष्य है कि नहीं यह प्रश्न  मन
में उत्पन्न हो ऐसी घटनाएँ पिछले कुछ वर्षों में हमारे अपने शासन-प्रशासन के समर्थन से घटती हुई सम्पूर्ण जनमानस के घोर चिन्ता का कारण बनी है।

जम्मू-कश्मीर की समस्या के बारे में पिछले दस वर्षों से चली नीति के कारण हां उग्रवादी गतिविधियों के पुनरोदय के चिन्ह दिखायी दे रहे हैं।
पाकिस्तान के अवैध कैंजे से कश्मीर घाटी के भूभाग को मुक्त करना; जम्मू, लेह-लद्दाख व घाटी के प्रशासन व विकास के भेदभाव को समाप्त करते हुये शेष भारत के साथ उस राज्य के सात्मीकरण की प्रक्रिया को गति से पूर्ण करना; घाटी से विस्थापित हिंदू पुनश्चक ससम्मान सुरक्षित अपनी भूमि पर बसने की स्थिति उत्पन्न करना; विभाजन के समय भारत में आये विस्थापितों को राज्य में नागरिक अधिकार प्राप्त होना आदि न्याय्य जनाकांक्षा के विपरित वहां की स्थिति को अधिक जटिल बनाने का ही कार्य चल रहा है। राज्य व केन्द्र के
शासनारूढ़ दलों के सत्ता स्वार्थ के कारण राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करना व विदेशी दबावों में झुकने का क्रम पूर्ववत चल रहा है। इतिहास के क्रम में राष्ट्रीय वृत्ति की हिन्दू जनसंख्या क्रमश: घटने के कारण देश के उत्तर भूभाग में उत्पन्न हुयी व बढ़ती गयी इस समस्यापूर्ण स्थिति से हमने कोई पाठ नहीं पढ़ा है ऐसा देश के पूर्व दिशा के भूभाग की स्थिति देखकर लगता है। असम व बंगाल की सच्छिद्र सीमा से होनेवाली घुसपैठ व शस्त्रास्त्र, नशीले पदार्थ, बनावटी पैसा आदि की तस्करी के बारे में हम
बहुत वर्षों से चेतावनियॉं दे रहे थे। देश की गुप्तचर संस्थाएँ, उच्च व सर्वोच्च न्यायालय, राज्यों के राज्यपालों तक ने समय-समय पर खतरे की घंटियॉं बजायी थीं। न्यायालयों से शासन के लिये आदेश भी दिये गये थे। परंतु उन सबकी अनदेखी करते हुये सत्ता के लिये लांगूलचालन की नीति चली, स्पष्ट राष्ट्रीय दृष्टि के अभाव में गलत निर्णय हुये व ईशान्य भारत में संकट का विकराल रूप खड़ा हुआ सबके सामने है। घुसपैठ के कारण वहॉं पैदा हुआ जनसंख्या असंतुलन वहॉं के राष्ट्रीय जनसंख्या को अल्पमत में लाकर संपूर्ण देश में अपने हाथ पैर फैला रहा है। व्यापक मतांतरण के साये में वहां पर फैले अलगाववादी उग्रवाद की विषवेल को दब्बू नीतियॉं बार-बार संजीवनी प्रदान करती है। उत्तर सीमापर आ धड़की चीन की विस्तारवादी नीति का हस्तक्षेप भी होने की भनक वहॉं पर लगी है। विश्वी की “अल कायदा” जैसी कट्टरपंथी ताकतें भी उस परिस्थिति का लाभ लेकर वहॉं चंचुप्रवेश करना चाह रही है। ऐसी स्थिति में अपने सशस्त्र बलों की समर्थ उपस्थिति व परिस्थिति की प्रतिकार में उभरा जनता का दृढ़ मनोबल ही राष्ट्र की भूमि व जन की सुरक्षा के आधार के रूप में बचे हैं। समय रहते हम नीतियों में अविलम्ब सुधार करें। ईशान्य भारत में तथा भारत के अन्य राज्यों में भी घुसपैठियों की पहचान त्वरित करते हुये तथा मतदाता सुची सहित (राशन पत्र, पहचान पत्र आदि) अन्य प्रपत्रों से इन अवैध नागरिकों के नाम बाहर कर देने चाहिये व विदेशी घुसपैठियों को भारत के बाहर भेजने के प्रबंध करने चाहिये। विदेशी
घुसपैठियों के पहचान के काम में किसी प्रकार का गड़बड़झाला न हो यह दक्षता बरती जानी चाहिये। सीमाओं की सुरक्षा के तारबंदी आदि के दृढ़ प्रबंध व रक्षण व्यवस्था में अधिक सजगता से चौकसी बरतने के उपाय अविलम्ब किये जाने चाहिये। राष्ट्रीय नागरिक पंजी (National Register of Citizens) को न्यायालयों द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देशित, जन्मस्थल, माता-पिता के स्थान अथवा मातामहों-पितामहों के स्थानों के पुख्ता प्रमाणों के आधार पर तैयार करना चाहिए। ईशान्य भारत के क्षेत्र में व अन्यत्र भी यह पूर्व का अनुभव है कि जनमत के व न्यायालय के आदेशों के दबाव में विदेशी नागरिकों अथवा संशयास्पद मतदाताओं ( D voters) की  पहचान करने का दिखावा जब-जब प्रशासन या शासन करने गया तब-तब बंगलादेशी घुसपैठियों को तो उसने छोड़ दिया व वहॉं से पीड़ित कर निकाले गये व अब भारत में अनेक वर्षों से बसाये गये निरुपद्रवी व निरीह हिन्दुओं पर ही उनकी गाज गिरी।

हम सभी को यह स्पष्ट रूप से समझना व स्वीकार करना चाहिए कि विश्वओभर के हिन्दू समाज के लिये पितृ-भू व पुण्य-भू के रूप में केवल भारत-जो परम्परा से हिन्दुस्थान होने से ही भारत कहलाता है, हिन्दू अल्पसंख्यक अथवा निष्प्रभावी होने से जिसके भू-भागों का नाम तक बदल जाता है- ही है। पीड़ित होकर गृहभूमि से निकाले जाने पर आश्रय के रूप में उसको दूसरा देश नहीं है। अतएव कहीं से भी आश्रयार्थी होकर आनेवाले हिन्दू को विदेशी नहीं मानना चाहिये। सिंध से भारत में हाल में ही आये आश्रयार्थी हो अथवा बंगलादेश से आकर बसे हों, अत्याचारों के कारण भारत में अनिच्छापूर्वक धकेले गये विस्थापित हिन्दुओं को हिन्दुस्थान भारत में सस्नेह व ससम्मान आश्रय मिलना ही चाहिये। भारतीय शासन का यह कर्तव्य बनता है वह विश्व्भर के हिन्दुओं के हितों का रक्षण करने में अपनी अपेक्षित भूमिका का तत्परता व दृढ़ता से निर्वाह करें। इस सारे घटनाक्रम का एक और गंभीर पहलू है कि विदेशी घुसपैठियों की इस अवैध कारवाई को केवल वे अपने संप्रदाय के है इसलिये कहीं पर कुछ तत्त्वों ने उनके समर्थन का वातावरण बनाने का प्रयास किया। शिक्षा अथवा कमाई के लिये भारत में अन्यत्र बसे ईशान्य भारत के लोगों को धमकाया गया। मुंबई के आजाद मैदान की घटना प्रसिद्ध है। म्यांमार के शासन द्वारा वहां के रोहिंगियाओं पर हुयी कार्यवाही का निषेध भारत में जवान ज्योति का अपमान करने में गर्व महसूस करनेवाली भारत विरोधी ताकतों को अंदर से समर्थन देनेवाले तत्त्व अभी भी देश में विद्यमान है यह संदेश साफ है।

“ यह चिन्ता, क्षोभ व ग्लानी का विषय है कि देश हित के विपरित नीति का प्रशासन द्वारा प्रदर्शन हुआ व राष्ट्र विरोधी पंचमस्तम्भियों के बढ़े हुये साहस के परिणाम स्वरूप उन तत्त्वों द्वारा कानून व शासन का उद्दंड अपमान हुआ। सब सामर्थ्य होने के बाद भी तंत्र को पंगु बनाकर देश विरोधी तत्त्वों को खुला खेल खेलने देने की नीति चलाने वाले लोग दुर्भाग्य से स्वतंत्र देश के अपने ही लोग हैं। समाज में राष्ट्रीय मनोवृति को बढ़ावा देना तो दूर हमारे अपने हिन्दुस्थान में ही मतों के स्वार्थ से, कट्टरता व अलगाव से अथवा विद्वेषी मनोवृत्ति के कारण पिछले दस वर्षों में हिन्दू समाज का तेजोभंग व बल हानि करने के नीतिगत कुप्रयास व छल-कपट बढ़ते हुये दिखाई दे रहे हैं। हमारे परमश्रद्धेय आचार्यों पर मनगढंत आरोप लगाकर उनकी अप्रतिष्ठा के ओछे प्रयास हुये। वनवासियों की सेवा करने वाले स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती की षडयन्त्रपूर्वक हत्या की गयी, वास्तविक अपराधी
अभी तक पकड़े नहीं गये। हिन्दू मन्दिरों की अधिग्रहीत संपत्ति का अपहार व अप-प्रयोग धड़ल्ले से चल रहा है, संशय व आरोपों का वातावरण, निर्माण किया गया, हिंदू संतों द्वारा निर्मित न्यासों व तिरुअनन्तपुरम् के पद्मनाभ स्वामी मंदिर जैसे मंदिरों की संपत्ति के बारे में हिन्दू समाज की मान्यताओं, श्रेष्ठ परंपरा व संस्कारों को कलुषित अथवा नष्ट करनेवाला वातावरण निर्माण करनेवाले विषय जानबूझकर समाज में उछाले गये। बहुसंख्य व उदारमनस्क होते हुये भी हिन्दुसमाज की अकारण बदनामी कर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले कानून लाने का प्रयास तो अभी भी चल रहा है। प्रजातंत्र, पंथनिरपेक्षता व संविधान के प्रति प्रतिबद्धता का दावा करने वाले ही मतों के लालच में तथाकथित अल्पसंख्यकों का राष्ट्र की संपत्ति पर पहला हक बताकर साम्प्रदायिक आधार पर आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं। लव जिहाद व मतांतरण जैसी गतिविधियों द्वारा हिन्दू समाज पर प्रच्छन्न आक्रमण करनेवाली प्रवृत्तियों से ही राजनीतिक साठगांठ की जाती है। फलस्वरूप इस देश के परम्परागत रहिवासी बहुसंख्यक राष्ट्रीयमूल्यक स्वभाव व आचरण का निधान बनकर रहने वाले हिन्दू समाज के मन में यह प्रश्नक उठ रहा है कि हमारे लिए बोलनेवाला व हमारा प्रतिनिधित्व करनेवाला नेतृत्व इस देश में अस्तित्व में है कि नहीं?”

हिन्दुत्व व हिन्दुस्थान को मिटाना चाहनेवाली दुनिया की एकाधिकारवादी, जड़वादी व कट्टरपंथी ताकतों तथा हमारे राज्यों के व केन्द्र के शासन में घुसी मतलोलुप अवसरवादी प्रवृत्तियों के गठबंधन के षडयंत्र के द्वारा और एक सौहार्दविरोधी कार्य करने का प्रयास हो रहा है। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर परिसर के निकट विस्तृत जमीन अधिग्रहीत कर वहां पर मुसलमानों के लिये कोई बड़ा निर्माण करने के प्रयास चल रहे हैं ऐसे समाचार प्राप्त हो रहे हैं। जब अयोध्या में राममंदिर निर्माण का प्रकरण न्यायालय में है तब ऐसी हरकतों के द्वारा समाज की भावनाओं से खिलवाड़ सांप्रदायिक सौहार्द का नुकसान ही करेगी। 30 सितंबर 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को ध्यान में लेते हुए वास्तव में हमारी संसद के द्वारा शीघ्रातिशीघ्र भव्य मंदिर के निर्माण की अनुमति रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास को देनेवाला कानून बने व अयोध्या की सांस्द्भतिक सीमा के बाहर ही मुसलमानों के लिये किसी स्थान के निर्माण की अनुमति हो यही इस विवाद में घुसी राजनीति को बाहर कर विवाद को सदा के लिये संतोष व सौहार्दजनक ढंग से सुलझाने का एकमात्र उपाय है। परंतु देश की राजनीति में आज जो वातावरण है वह उसके देशहितपरक, समाजसौहार्दपरक होने की छवि उत्पन्न नहीं करता। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से बड़ी विदेशी कंपनियों का खुदरा व्यापार में आना विश्वर में कहीं पर भी अच्छे अनुभव नहीं दे रहा है। ऐसे में खुदरा व्यापार तथा बीमा व पेंशन के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाना हमें लाभ पहुँचाने के बजाय अंततोगत्वा छोटे व्यापारियों के लिये बेरोजगारी, किसानों के लिये अपने उत्पादों का कम मूल्य मिलने की मजबूरी तथा ग्राहकों के लिये अधिक मंहगाई ही पैदा करेगा। साथ ही अपनी खाद्यान्न सुरक्षा के लिये भी खतरा बढ़ेगा। देश की प्राद्भतिक संपदा की अवैध लूट तथा विकास के नामपर जैव विविधता व पर्यावरण के साथ ही उनपर निर्भर लोगों को बेरोजगारी से लेकर तो विस्थापन तक समस्याओं के भेट चढ़ाना अनिर्बाध रूप से चल ही रहा है। देश के एक छोटे वर्गमात्र की उन्नति को जनता की आर्थिक प्रगति का नाम देकर हम जिस तेज विकास दर की डींग हांकते थे वह भी आज 9 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक नीचे आ गया है। संपूर्ण देश नित्य बढ़ती महंगाई से त्रस्त है। अमीर और गरीब के बीच
लगातार बढ़ते जा रहे अन्तर में विषमता की समस्या को और अधिक भयावह बना दिया है। न जाने किस भय से हड़बड़ी में इतने सारे अधपके कानून बिना
सोच-विचार-चर्चा के लाये जा रहे हैं। इन तथाकथित “सुधारों” के बजाय में जहॉं वास्तविक सुधारों की आवश्यकता है उन क्षेत्रों में-चुनाव प्रणाली, करप्रणाली, आर्थिक निगरानी की व्यवस्था, शिक्षा नीति, सूचना अधिकार कानून के नियम- सुधार की मॉंगों की अनदेखी व दमन भी हो रहा है। अधूरे चिन्तन के आधार पर विश्व  में आज प्रचलित विकास की पद्धति व दिशा ही ऐसी है कि उससे यही परिणाम सर्वत्र मिलते हैं। ऊपर से अब यह पद्धति धनपति बहुराष्ट्रीय प्रतिष्ठानों के खेलों से उन्हीं के लिये अनुकूल बनाकर चलायी जाती है। हम
जब तक अपनी समग्र व एकात्म दृष्टि के दृढ़ आधार पर जीवन के सब आयामों के लिये, अपनी क्षमता, आवश्यकता व संसाधनों के अनुरूप व्यवस्थाओं के नये
कालसुसंगत प्रतिमान विकसित नहीं करेंगे तबतक न भारत को सभी को फलदायी होनेवाला संतुलित विकास व प्रगति उपलब्ध होगी न अधूरे विसंवादी जीवन से दुनिया को मुक्ति मिलेगी। चिन्तन के अधूरेपन के परिणामों को अपने देश में राष्ट्रीय व व्यक्तिगत शील के अभाव ने बहुत पीड़ादायक व गहरा बना दिया है। मन को सुन्न करनेवाले भ्रष्टाचार-प्रकरणों के उद्‌घाटनों का तांता अभी भी थम नहीं रहा है। भ्रष्टाचारियों को सजा दिलवाने के, कालाधन वापस देश में लाने के, भ्रष्टाचार को रोकनेवाली नयी कड़ी व्यवस्था बनाने के
लिये छोटे-बड़े आंदोलनों का प्रादुर्भाव भी हुआ है। संघ के अनेक स्वयंसेवक भी इन आंदोलनों में सहभागी हैं। परन्तु भ्रष्टाचार का उद्गम शील के अभाव में है यह समझकर संघ अपने चरित्रनिर्माण के कार्य पर ही केन्द्रित रहेगा। लोगों में निराशा व व्यवस्था के प्रति अश्रद्धा न आने देते हुये व्यवस्था परिवर्तन की बात कहनी पड़ेगी अन्यथा मध्यपूर्व के
देशों में अराजकता सदृश स्थिति उत्पन्न कर जैसे कट्टरपंथी व विदेशी ताकतों ने अपना उल्लू सीधा कर लिया वैसे होने की संभावना नकारी नहीं जा सकती। अराजनैतिक सामाजिक दबाव का व्यापक व दृढ़ परन्तु व्यवस्थित स्वरूप ही भ्रष्टाचार उन्मूलन का उपाय बनेगा। उसके फलीभूत होने के लिये हमें व्यापक तौर पर शिक्षाप्रणाली, प्रशासनपद्धति तथा चुनावतंत्र के सुधार की बात आगे बढ़ानी होगी। तथा व्यापक सामाजिक चिन्तन-मंथन के द्वारा हमारी व्यवस्थाओं के मूलगामी व दूरगामी परिवर्तन की बात सोचनी पड़ेगी। अधूरी क्षतिकारक व्यवस्था के पीछे केवल वह प्रचलित है इसलिये आँख मूंद कर जाने के परिणाम समाज जीवन में ध्यान में आ रहे है। बढ़ता हुआ जातिगत अभिनिवेश व विद्वेष, पिछड़े एवं वंचित वर्ग के शोषण व उत्पीड़न की समस्या, नैतिक मूल्यों के ह्‌रास के कारण शिक्षित वर्ग सहित सामान्य समाज में बढती हुई महिला उत्पीडन, बलात्कार, कन्या भू्रणहत्या, स्वच्छन्द यौनाचार ,हत्याएँ व आत्महत्याएँ , परिवारों का विघटन, व्यसनाधीनता की बढती प्रवृत्ति, अकेलापन के परिणाम स्वरूप तनावग्रस्त जीवन आदि हमारे देश में न दिखी अथवा
अत्यल्प प्रमाण वाली घटनाएँ अब बढ़ते प्रमाण में दृग्गोचर हो रही है। हमें अपने शाश्वलत मूल्यों के आधार पर समाज के नवरचना की काल सुसंगत व्यवस्था भी सोचनी पड़ेगी।

अतएव सारा उत्तरदायित्व राजनीति, शासन, प्रशासन पर डालकर हम सब दोषमुक्त भी नहीं हो सकते। अपने घरों से लेकर सामाजिक वातावरण तक क्या हम स्वच्छता, व्यवस्थितता, अनुशासन, व्यवहार की भद्रता व शुचिता, संवेदनशीलता आदि सुदृढ़ राष्ट्रजीवन की अनिवार्य व्यवहारिक बातों का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं? सब परिवर्तनों का प्रारम्भ हमारे अपने जीवन के दृष्टिकोण व आचरण के प्रारंभ से होता है यह भूल जाने से, मात्र आंदोलनों से काम बननेवाला नहीं है। स्व. महात्मा गांधी जी ने 1922 के Young India के एक अंक में सात सामाजिक पापों का उल्लेख किया था। वे थे। Politics without Principles Wealth without Work pleasure without
Conscience तत्त्वहीन राजनीतिश्रमविना संपत्तिविवेकहीन उपभोग शील Knowledge without Character Commerce without Morality Science Without Humanity Worship without Sacrifice विना ज्ञाननीतिहीन व्यापारमानवता विना विज्ञानसमर्पणरहित पूजा आज के अपने देश के सामाजिक राजनीतिक परिदृश्य का ही यह वर्णन लगता है। ऐसी परिस्थिति में समाज की सज्जनशक्ति को ही समाज में तथा समाज को साथ लेकर उद्यम करना पड़ता है। इस चुनौति को हमें स्वीकार कर आगे बढ़ना ही पड़ेगा। भारतीय नवोत्थान के जिन उद्गाताओं से प्रेरणा लेकर स्व. महात्मा जी जैसे गरिमावान लोग काम कर रहे थे उनमें एक स्वामी विवेकानन्द थे। उनके सार्ध जन्मशती के कार्यक्रम आनेवाले दिनों में प्रारंभ होने जा रहे हैं। उनके संदेश को हमें चरितार्थ करना होगा।
निर्भय होकर, स्वगौरव व आत्मविश्वाउस के साथ, विशुद्ध शील की साधना करनी होगी। कठोर निष्काम परिश्रम से जनों में जनार्दन का दर्शन करते हुए नि:स्वार्थ सेवा का कठोर परिश्रम करना पड़ेगा धर्मप्राण भारत को जगाना होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य इन सब गुणों से युक्त व्यक्तियों के निर्माण का कार्य है। यह कार्य समय की अनिवार्य आवश्यकता है। आप सभी का प्रत्यक्ष सहभाग इसमें होना ही पड़ेगा। निरंतर साधना व कठोर परिश्रम से समाज अभिमंत्रित होकर संगठित उद्यम के लिये खड़ा होगा तब सब बाधाओं को चीरकर सागर की ओर बढ़नेवाली गंगा के समान राष्ट्र का भाग्यसूर्य भी उदयाचल से शिखर की ओर कूच करना प्रारम्भ करेगा। अतएव स्वामीजी के शब्दों में “उठो जागो व तबतक बिना रूके परिश्रम करते रहो जबतक तुम अपने लक्ष्य को नहीं पा लोगे।” उत्तिष्ठत! जाग्रत!! प्राप्यवरान्निबोधत!!! - भारत माता की जय -

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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विशाल रैली का आयोजन

Posted on 22 October 2012 by admin

रामलीला मैदान, नई दिल्ली में आगामी 04नवम्बर,2012 को प्रातः 10बजे से कंाग्रेस पार्टी की एक विशाल रैली का आयोजन कांग्रेस पार्टी द्वारा किया जा रहा है। इस रैली को कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी, प्रधानमंत्री डाॅ0 मनमोहन सिंह जी एवं अ0भा0 कंाग्रेस कमेटी के महासचिव श्री राहुल गांधी जी सम्बोधित करेंगे।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान ने बताया कि ऐतिहासिक रामलीला मैदान, नई दिल्ली में 04नवम्बर को होने वाली इस विशाल रैली को सफल बनाने हेतु उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डाॅ0 निर्मल खत्री ने प्रदेश के सभी जिला/शहर कांग्रेस अध्यक्षों, ए0आई0सी0सी0 एवं पी0सी0सी0 सदस्यों, वर्तमान एवं पूर्व सांसदों, वर्तमान एवं पूर्व विधायकगणों को परिपत्र भेजकर भारी संख्या में कांग्रेसजनों एवं आम आदमी की भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। श्री खत्री ने भेजे गये परिपत्र में कांग्रेसजनों से यह भी अपेक्षा की है कि वह अपने-अपने संसाधनों से ज्यादा से ज्यादा साथियों के साथ उक्त रैली में सम्मिलित हों।
श्री मदान ने बताया कि रैली को सफल बनाने के लिए प्रदेश के सभी जोनल अध्यक्षगण एवं उपाध्यक्षगण अपने-अपने प्रभार वाले जनपदों में व्यापक दौरा करके भारी संख्या में कांग्रेसजनों एवं जनसामान्य केा रैली में पहुंचाने की जिम्मेदारी निभायेंगे।
प्रवक्ता ने बताया कि रैली को कामयाब बनाने के लिए प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष डाॅ0 निर्मल खत्री जी शीघ्र ही नई दिल्ली के करीबी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जनपदों का दौरा करेंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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ड्यूटी फ्री ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए आकर्षक ऑफर शुरू किया

Posted on 18 October 2012 by admin

त्यौहारों के मौके, खासकर दीवाली पर भारत के सबसे बड़े ड्यूटी फ्री शॉप, आईजीआई एयरपोर्ट के टी3 टर्मिनल पर दिल्ली ड्यूटी फ्री ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए आकर्षक ऑफर शुरू किया है। इसे “ऑल दैट ग्लिटर्स इज माइन” नाम दिया गया है। इस ऑफर के तहत दिल्ली ड्यूटी फ्री के सभी ग्राहकों को लकी ड्रॉ के जरिए प्रोमोशन के अंत में 15 अक्तूबर 2012 से 10 जनवरी 2013 तक एक किलो सोना जीतने का मौका मिलेगा।
इस गोल्डन दीवाली प्रोमोशन से दिल्ली ड्यूटी फ्री ने भारतीय ड्यूटी फ्री रीटेल बाजार के लिए एक नई परंपरा शुरू की है। अभी तक यह मध्य पूर्वी ड्यूटी फ्री मार्केट की खासियत रही है। दीवाली के मौके पर सोना खरीदने की भारत के लोगों की चाहत को देखते हुए यह प्रोमोशन भारतीय यात्रियों के लिए दिल्ली ड्यूटी फ्री से अपने मन की पूरी खरीदारी करने और एख किलो सोना जीतने का आदर्श मौका मुहैया कराता है। इससे आप जितना ज्यादा खरीदारी करेंगे लकी ड्रॉ में ईनाम जीतने का मौका उतना ज्यादा बढ़ेगा। एक से 50 डॉलर की खरीद पर ग्राहक को 1 लकी ड्रॉ कूपन मिलेगा जबकि 51 से 100 डॉलर की खरीद पर तीन लकी ड्रॉ कूपन और 101 डॉलर से ऊपर की खरीद पर पांच लकी ड्रॉ कूपन मिलेंगे।
दिल्ली ड्यूटी फ्री सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ श्री स्टीव ओ कोन्नॉर ने कहा, हम अपने ग्राहकों के खरीदारी अनुभव को बेहतर करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली ड्यूटी फ्री को खुशी है कि वह अपने ग्राहकों के लिए ऐसा प्रोमोशन चला रहा है। भारतीय संस्कृति और परंपरा में सोना एक अभिन्न भाग है। सभी भारतीय त्यौहारों से यह बहुत करीबी से जुड़ा हुआ है। दीवाली की पहचान सोना खरीदने के लिए सबसे अच्छे मौके के रूप में की जाती है। हमें उम्मीद है कि यह प्रोमोशन डीडीएफएस के भारतीय ग्राहकों को खुश करेगा और प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करेगा।
यात्री भिन्न किस्म के उत्पादों में से अपनी पसंद की चीजें जैसे परफ्यूम और कॉस्मेटिक्स, कनफेक्शनरी, भारतीय हस्त शिल्प के सामान, अंतरराष्ट्रीय लीकर और शिगार की खरीदारी कर सकते हैं। आगमन और प्रस्थान टर्मिनल पर स्थित दुकानों को गोल्डन दीवाली प्रोमोशन के लिए सोने को केंद्र में रखकर सजाया जाएगा। गोल्डन दीवाली प्रोमोशन स्थापना के बाद से दिल्ली ड्यूटी फ्री के सबसे बड़े हाईलाइट में से एक है। इरादा यह है कि यात्रियों को देश में पहुंचने के बाद से परिवार के साथ त्यौहार मनाने तक पूरे समय त्यौहारों का अहसास हो।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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श्री के. एन. गोविन्दाचार्य द्वारा 1 अक्टूबर 2012 राजघाट से मार्च एवं जंतर मंतर पर ध्रना

Posted on 02 October 2012 by admin

govindacharyaराष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक-संरक्षक व सुप्रसि( स्वदेशी विचारक श्री के. एन. गोविन्दाचार्य  के नेतृत्व में आज दिनंाक 1 अक्टूबर 2012 को देशभर से आए हजारों कार्यकत्ताओं ने राजघाट पर महात्मा गंाध्ी को श्र(ा सुमन अर्पित करने के उपरांत जंतर मंतर तक मार्च निकाला एवं पूरे दिन जंतर मंतर पर ध्रना दिया। आंदोलन की प्रमुख मांग केन्द्रीय बजट का 7» सीध्े ग्राम पंचायतो को देने के संबंध् मे है। इस क्रम में इसी वर्ष 12, 13 एवं 14 मार्च को तीन दिवसीय ध्रना आयोजित किया गया था और प्रधनमंत्राी को ज्ञापन दिया गया था। किन्तु अभी तक कोई कार्यवाही न होने के कारण इस ध्रने का आयोजन किया गया। इस संबंध् में इसी मांग को लेकर पफरवरी 2013 में रामलीला मैदान में विशाल जनसभा का प्रदर्शन कर सरकार पर दबाब बनाने का निर्णय भी लिया गया है।
इस अवसर पर अपने उदबोध्न में राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक-संरक्षक व सुप्रसि( स्वदेशी विचारक श्री के. एन. गोविन्दाचार्य ने कहा है कि देश की राजनीति में जड़ता की स्थिति आ गई है। इसे तोड़ने के लिए साहसिक राजनैतिक पहल की जरूरत है। देश को राजनैतिक विकल्प देने से पहले वैकल्पिक राजनीति की दिशा निर्धरित करनी होगी।  ‘‘केन्द्रीय बजट का 7» राशि सीध्े ग्राम पंचायतों को दी जाय’’ हमारी यह मांग उस वैकल्पिक राजनीति की दिशा में प्रथम कदम है।
महात्मा गंाध्ीजी ने ‘स्वराज्य’ मिलने के पश्चात ‘ग्राम स्वराज्य’ का सपना देखा था। लोहियाजी ने चैखम्बा राज में ‘ग्राम पंचायतों’ को स्थान दिया था। दीनदयाल उपाध्यायजी ने अंत्योदय को पूरा करने के लिए पंचायतों की पुनस्र्थापना पर जोर दिया था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भी पंचायतों को सत्ता में भागीदार बनाकर सिर के बल खड़े सत्ता के पिरामिड को सीध करने की बात कही थी। इन महापुरुषों ने राजसत्ता और अर्थसत्ता का विकेन्द्रीकरण करके ग्राम स्वराज्य का सपना देखा था। हमारी यह मांग इस दिशा में बढ़ा हुआ एक कदम हैं।
sarad-yadav सन 1993 में संविधन संशोध्न के द्वारा देश में नए सिरे से ‘पंचायती राज’ की व्यवस्था बनी। इससे ग्राम-पंचायतों का ढाँचा खड़ा हुआ और उन्हें कुछ कार्यों के अध्किार भी मिले। उस समय केन्द्र सरकार ने वादा किया था कि पंचायतों को ध्न भी दिया जायेगा। पर उस वादे पर ठीक से अमल नहीं हुआ। वित्त आयोग ने पंचायतों को कुछ ध्न सीध्े देने की बात रखी पर ‘उफँट के मुँह में जीरे’ जैसा है। आज पंचायतों को काम करने के अधिकार तो हैं पर ध्न के अभाव में कागजों में हैं। केन्द्र और राज्य सरकार की योजना को सरकारी अध्किारी और कर्मचारी लागू करते हैं जिसमें अभी पंचायतों की भागीदारी दिखावटी है। जिस उद्देश्य के लिए ‘पंचायती राज’ की स्थापना हुई उसको पूरा करने के लिए ही हमने यह मांग रखी है।
स्वतंत्राता के पश्चात दिल्ली और प्रदेशों की राजधनियों में ग्राम-विकास और लोक कल्याणकारी योजनायें बनायी जाती हैं। इन कामों को पूरा करने के लिए ध्न भेजा जाता है। पर इनमें से अध्किांश कामों की दुर्दशा तो सभी जानते हैं। देश के भूतपूर्व प्रधनमंत्राी श्री राजीव गंाध्ी ने एक बार कहा था, ‘‘ विकास कामों के लिए दिल्ली से भेजे गए एक रुपये में से 15 पैसा ही आखिर तक पहुंचता है।’’ आम जनता से कर के माध्यम से प्राप्त पैसा ही केन्द्र और राज्य सरकारें खर्च करती हैं। भ्रष्टाचार से बचाकर कुछ राशि सीधे गाँवों तक पहुँचाने के लिए हमनें यह मांग रखी है।
आज भी गांवों में लगभग 70» आबादी रहती है अतः केन्द्रीय बजट से 7» राशि सीध्े ग्राम पंचायतों को दी जाए। सन 2012-13 में केन्द्रीय बजट लगभग 14 लाख करोड़ रुपये से अध्कि का था और देश में 2.5 लाख ग्राम पंचायतें हैं। इस हिसाब से प्रत्येक ग्राम पंचायत को औसत 40 लाख रुपये मिलेंगे जो बजट राशि के साथ प्रतिवर्ष बढ़ते जाएंगे। ग्राम-विकास के क्षेत्रा में सपफलतापूर्वक काम किए समाजसेवकों के हिसाब से अगर प्रतिवर्ष इतना ध्न ग्राम-पंचायतों को मिलने लगे तो वह गांवांे का कायाकल्प करने के लिए पर्याप्त होगा।
ध्न के इस हस्तांतरण को सरलतम बनाने तथा उसके उपयोग को अध्कितम प्रभावी और लाभदायी बनाने के लिए निम्न रूप से लागू करने की भी हम मांग करते हैं-
1-  केन्द्र सरकार सीधे ग्राम पंचायतों के बैंक खातों में धन भेजे।
2-  ग्राम सभा ग्राम विकास कार्यों को मंजूर करे।
3-  ग्राम सभा द्वारा स्वीकृत योजनाओं को ग्राम पंचायत लागू करे।
4 -  राज्य सरकार केवल ग्राम पंचायतों के बही खातों का आडिट करे।
5- बजट के बाद प्रति वर्ष मार्च में पंचायतों को भेजी गई राशि का प्रचार उसी तरह हो जैसे सरकार             आजकल पोलियो निर्मूलन अभियान का प्रचार करती है।
इस प्रकार प्राप्त ध्न राशि को विकास कार्यों पर खर्च करने का अध्किार केवल ग्राम-सभा और ग्राम-पंचायत का होगा। उसमें सरकारी अध्किारी और कर्मचारियों की कोई दखलंदाजी नहीं होगी। हर ग्राम-पंचायत एक मंत्रिमंडल के रूप में काम करेगा तथा ग्राम सभा उस गांव की लोकसभा या विधनसभा के रूप में चलेगी। अर्थात् हर गंाव में एक छोटी सरकार होगी।
एनडीए के संयोजक शरद यादव जी ने अपने संबोध्न में चिंता व्यक्त की देश की जनता को हजारो गुटो, समुहों आदि मे बाटा जा रहा हैं जिस कारण जनता की सामूहिक शक्ति प्रकट नही हो पा रही। देश की असली मालिक देश की जनता ही है और इस सरकार को इस सच को स्वीकार करना ही होगा 7» नही 70» देश की ग्रामीण जनता का हक है और वह उसको मिलना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन की मांग एवं ध्रने को सैकड़ो संस्थाओं, दलो, संगठनो एवं प्रसि( समाज सेवियों ने अपना समर्थन दिया है। इस अवसर पर मंच से श्री शरद यादव ;संयोजक एनडीएद्ध, श्री जगदीश ममगोई, संजय पासवान, श्री आरीपफ मोहम्मद खान, श्री शिव कुमार शर्मा, श्री रमेश शिलेदार, स्वामी चेतनानंद, डा. गणेशी लाल ;पूर्व मंत्राीद्ध, श्री अनुराग केजरीवाल ;लोकसत्ता पार्टीद्ध, डा. महेश शर्मा ;पूर्व सांसदद्ध, मुन्नी सिंह ;पूर्व विधयकद्ध, माननीय शिवन्ना जी, माननीय जगदीश शेट्टीगार, श्री राकेश दुबे एवं सुरेन्द्र विष्ट जी ने संबोध्ति किया।

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गंगा यात्रा आज कोलकाता से निकलकर नादिया जिले में प्रवेश कर गयी

Posted on 22 September 2012 by admin

photo2नावोदीप,( नादिया ) | भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ  नेता उमाश्री भारती की गंगा यात्रा आज कोलकाता से निकलकर नादिया जिले में प्रवेश कर गयी | इससे पूर्व
कल शाम हावड़ा में पश्चिम बंगाल सरकार ने उमाश्री को सभा नही करने दी | जिसके कारण तनाव की स्थिती पैदा हो गयी | हावड़ा के रामकृष्णपुर घाट पर गंगा आरती के
बाद उपस्थित जनसमूह और कार्यकर्ताओ को संबोधित करते हुए उमाश्री ने कहा की गंगा की तरह बंगाल की राजनीती भी प्रदूषित हो गयी है | लेकिन आज गंगा यात्रा
में उमड़ते जनसैलाब और दबाव में पश्चिम बंगाल सरकार को यात्रा के दौरान लाउदस्पीकर लगाने और सभा करने की इजाजत दे दी | आज सुबह जगन्नाथ घाट पर गंगा
पूजन कर उमाश्री ने दूसरे दिन की यात्रा शुरू की | शाम को यात्रा नादिया जिले के नावोदीप पहुँची जहाँ उमाश्री ने एक सभा  को संबोधित किया | यात्रा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा, भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष अमिताभ बनर्जी, गंगा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक आदित्य टंडन सहित सैकड़ो कार्यकर्ता साथ चल रहे थे |

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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Sri Mulayam Singh Yadav (National President,Samajwadi Party) addressing a press conference at the occasion of the last day of National Executive meet of Samajwadi Party at Nalban ,Kolkata

Posted on 13 September 2012 by admin

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समाजवादी पार्टी ने ‘दिल्ली फतह’ के लिए तीसरी ताकतों से एक हो जाने की पेशकश की

Posted on 12 September 2012 by admin

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10,000वें ऑटोमेटेड टेलर मशीन यएटीएमद्ध की शुरुआत की

Posted on 11 September 2012 by admin

hdfc-banks-10000th-atm-launch-at-ajmerभारत के दूसरे सबड़े निजी बैंकए एचडीएफसी बैंक ने आज देश में अपने 10,000वें ऑटोमेटेड टेलर मशीन एटीएम की शुरुआत की। यह 10,000वाँ एटीएम अजमेर शरीफ दरगाह के पास हैए जो सभी धर्मावलंबियों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है। मील का पत्थर पार करने के इस अवसर का समारोह मनाने के लिए एचडीएफसी बैंक ने अपनी अजमेर शाखा के 10,000वें ग्राहक को इस एटीएम के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया है। एचडीएफसी बैंक अब भारत का तीसरा और निजी भारतीय बैंकों में दूसरा ऐसा बैंक बन गया हैए जिसके पास देश भर में 10,000 से ज्यादा एटीएम का नेटवर्क है। देश में एचडीएफसी बैंक की पैठ ज्यादा गहरी होने के साथ.साथ एटीएमए इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग जैसे डायरेक्ट बैंकिंग चैनल ज्यादा महत्वपूर्ण हो रहे हैं। एचडीएफसी बैंक ग्राहकों की सुविधा पर पूरा जोर देता है। इसलिए बैंक का यह प्रयास है कि एटीएम के व्यापक नेटवर्क के जरिये हम अपने ग्राहकों के लिए बैंक सेवाओं को ज्यादा आसान और सुविधाजनक बनायें। रणनीतिक स्थानोंए जैसे अजमेर शरीफए पर लगे एटीएम से लाखों ग्राहकों को अपनी बैंकिंग जरूरतें पूरी करने में मदद मिलती है। निकट भविष्य में एचडीएफसी बैंक और ज्यादा भौगोलिक क्षेत्रों में अपने एटीएम नेटवर्क का विस्तार जारी रखेगा।
इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर को पार करने के मौके पर श्री राहुल भगतए कंट्री हेडए रिटेल लाएबिलिटीज, मार्केटिंग एंड डायरेक्ट बिजनेस चैनल, एचडीएफसी बैंक ने कहा, ‘बीते सालों में एचडीएफसी बैंक ने अपने ऐसे इलेक्ट्रॉनिक चैनल विकसित किये हैंए जो हर भौगोलिक क्षेत्र के ग्राहकों को विकल्प और सुविधाएँ देते हैं। हमारे 70 प्रतिशत एटीएम चार महानगरों से बाहर लगे हैं। इस रणनीति की सफलता का प्रमाण इस तथ्य से मिलता है कि हमारे 82 प्रतिशत लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक चैनलों के माध्यम से होते हैं और हमारे 83 प्रतिशत सक्रिय ग्राहक महीने में कम.से.कम एक बार एटीएम का इस्तेमाल करते हैं।’

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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ब्ंदेली को मिलेगा आठवीं सूची में स्थान.

Posted on 09 September 2012 by admin

ब्ंुादेली को मिलेगा आठवीं सूची में स्थान.
गृहमंत्री षिन्दे ने किया बंुदेलखण्ड के प्रतिनिधियों को आष्वस्त
delhi-sindeभोपाल 9 सितम्बर ,गत दिवस अखिल भारतीय बुदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद के ततवावधान में बंुदेलखण्ड का एक राष्ट्ीय प्रतिनिधि मण्डल, देष के ग्रामीण विकास राज्य मंत्रीश्री प्रदीप जैन आदित्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री कैलाष मड़बैया के नेतृत्व में,भारत के गृहमंत्री श्री सुषील कुमार षिन्दे से मिला और उन्हें मध्यप्रदेष  एवं उत्तर प्रदेष के सम्पूर्ण बंुुदेलखण्ड के सभी दलों के संासदों की ओर से और साहित्यकारों-पत्रकारों की ओर से हस्ताक्षरित ज्ञापन सौंपकर बंुदेली को संविधान की आठवीं सूची में स्थान देने की,अपनी लम्बे समय से चली आरही माॅंग को पूरा करने के लिये अनुरोध किया। ग्यारह सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल में मध्य देष के अनेक सांसद, कवि-लेखक एवं पत्रकार आदि सम्मिलित हुये इनमें केन्द्रीय मंत्री आदित्य और प्रसिद्ध साहित्यकार कैलाष मडबैया के अतिरिक्त वरिष्ठ पत्रकार राजीव दुबे ,डाॅ रजनीष जैन,सुधाकर मिश्र झाॅंसी,बृजेष षर्मा, अखिलेन्द्र अरजडि़या, बृजेन्द्र सिंह एवं हरिदयाल आदि प्रमुख थे। श्री जितेन्द्रसिंह बंुदेला सांसद खजुराहो म0प्र.और श्री धंष्याम अनुरागी सांसद जालौन उ.प्र. ने सभी अन्य सासदों से ज्ञापन तैयार कराने में सहयोग किया। रज्य सभा सांसद श्री सत्यब्रत चतुर्वेदी ने प्रथक पत्र देकर बंुदेली की माॅग का समर्थन किया । बंुदेलखण्ड के प्रतिलिधि मण्डल ने यह ज्ञापन लोक सभा का सत्र नहीं चल पाने के कारण भारत सरकार को सीधे सौंपा। विषिष्ट प्रतिनिधि मण्डल को भारत के गृह मंत्री श्री सुषील षिन्दे ने घ्यानपर्वक न केवल सुना वरन् बंुदेली भाषा का इतिहास भी पढ़ा और आष्वस्त किया कि बंुदेली को अपनी गरिमा अवष्य मिलेगी। भारत सरकार बंुदेलखण्ड के साथ है। सभी ने गृहमंत्री के प्रति धन्यवाद दिया और उन्हे बंुदेलखण्ड आने का न्यौता भी दिया जिसे षिन्दे जी ने स्वीकार कर लिया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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इण्डिया टुडे माइंड राॅक्स यूथ सम्मिट 2012 में मुख्यमंत्री सम्मिलित हुए

Posted on 07 September 2012 by admin

युवा अपनी ऊर्जा और क्षमता का सकारात्मक दिशा में उपयोग करें: मुख्यमंत्री
चुनावी घोषणा पत्र के सभी वायदों को पूरा करेगी प्रदेश सरकार: मुख्यमंत्री

up-cm-akhilesh-yadav-in-siri-fort-auditorium-for-india-today-mind-youth-rock-summit-speechउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नौजवानों से अपील की है कि वे अपनी ऊर्जा और क्षमता का निरन्तर सकारात्मक दिशा में उपयोग करें और देश और प्रदेश के सर्वांगीण विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने यह भी कहा कि बड़े-बुजुर्गों के आर्शीवाद और अनुभव का लाभ कैरियर बनाने में उठाना चाहिये।
नई दिल्ली स्थित सीरीफोर्ट आॅडिटोरियम में इण्डिया टुडे माइंड राॅक्स यूथ सम्मिट 2012 के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने यह उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की पिछली सरकार को बदलने के लिए नौजवानों का जोश बहुत काम आया।
up-cm-akhilesh-yadav-in-siri-fort-auditorium-for-india-today-mind-youth-rock-summitश्री यादव ने कहा कि नई सोच, नई खोज और अनुभव के साथ तालमेल बनाकर चलने से नये रास्ते निकलते हैं। महात्मा गांधी का देश को स्वतन्त्रता दिलाने में योगदान अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अनगिनत युवाओं ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया तथा देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने में अहम योगदान किया। अब देश के विकास व खुशहाली के लिए युवाओं को आगे आना है तथा इसमें उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें हर तरह की सहूलियतें देगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश विधान सभा में सबसे अधिक नौजवान विधायक है। आई0आई0एम0, अहमदाबाद से उत्तीर्ण मेधावी आज हमारी विधान सभा के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि गंगा और ताजमहल हमारे प्रदेश की शान हैं। भारत की सीमाओं की रक्षा नौजवान सिपाही करते हैं। नौजवान सैनिकों के जोश और वरिष्ठ अफसरों के अनुभव से देश की सुरक्षा हो रही है। उत्तर प्रदेश में लड़कियों की शिक्षा स्तर बढ़ाने के लिए सरकार उन्हें निरन्तर प्रोत्साहन दे रही है। कम्प्यूटर एवं लैपटाॅप के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हाईस्कूल एवं इण्टर पास छात्र-छात्राओं को 24 लाख टैबलेट एवं 18 लाख लैपटाॅप दिए जाने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में जो भी वायदे किये हंै उनको पूरा किया जाएगा।
इस अवसर पर हेड लाइन टुडे के प्रबन्ध सम्पादक श्री राहुल कंवल से वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि हमारे मंत्रिमण्डल के वरिष्ठ मंत्रियों का उन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है और उनके अनुभवों का वे लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अच्छी राजनीतिक सोच के साथ मेधावी नौजवान राजनीति में भाग लें। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाये रखने और अधिकतम विद्युत आपूर्ति के लिए सरकार निरन्तर प्रयास कर रही है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने युवाओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर भी दिया।
कार्यक्रम के शुभारम्भ में इण्डिया टुडे ग्रुप के चैयरमैन और प्रमुख सम्पादक श्री अरूण पुरी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का स्वागत किया। इस अवसर पर जे0पी0ग्रुप के एम0डी0 श्री मनोज गौड़, म्यूजिक डायरेक्टर श्री अनु मलिक एवं इण्डिया टुडे के वरिष्ठ अधिकारी तथा सैकड़ों स्कूली छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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