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किसानों को तकनीकी और वित्तीय सहायता

Posted on 19 March 2015 by admin

कृषि मंत्रालय में राज्यमंत्री श्री मोहनभाई कुंडरिया ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि कृषि विभाग की वर्तमान योजना जिसे राज्य सरकार सहित विभिन्न पणधारियों से विस्तृत विचार.विर्मश के पश्चात तैयार किया गया हैए के तहत देश में किसानों को रियायती दरों पर बीजए पौध संरक्षण रसायनएद्वितीयकए गौण और जैव.पौषक तत्वोंए कृषि मशीनरी एवं उपकरणों की आपूर्ति का प्रावधान है। पिछले एक वर्ष और वर्तमान वर्ष के दौरान विभिन्न योजनाओं के तहत विभिन्न राज्यों को निर्मुक्त निधियों का ब्यौरा अनुबंध.1 पर दिया गया हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने देश में जिला.वार 641 कृषि विज्ञान केंद्र ;केवीकेद्ध नेटर्वक की स्थापना की है जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकियोंध्उत्पादों के मूल्यांकन एवं प्रदर्शन करना है और किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करने सहित कई विस्तार कार्यक्रमों के माध्यम से इनका प्रचार करना है। वर्तमान वर्ष ;2014.15द्ध के दौरान प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए आवंटिक निधियों और किसानों को प्रदत्त क्षमता निर्माण प्रशिक्षण की संख्या अनुबंध.11 पर है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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प्रधानमंत्री ने 13 गुजराती पत्रकारों को प्रदान किए बतुकभाई दीक्षित पुरस्कार

Posted on 19 March 2015 by admin

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में 13 गुजराती पत्रकारों को सूरत शहर पत्रकार कल्याण निधि का वार्षिक बतुकभाई दीक्षित पुरस्कार प्रदान किया। प्रधानमंत्री ने पुरस्कार पाने वाले सभी विजेताओं को बधाई दी।
इस अवसर पर श्री सीआर पाटिल समेत संसद के कुछ सदस्य मौजूद थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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प्रधानमंत्री 22 मार्च को श्मन की बातश् में किसानों को संबोधित करेंगे

Posted on 19 March 2015 by admin

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी श्मन की बातश् कार्यक्रम की अगली कड़ी में देश के किसानों को संबोधित करेंगे। यह कार्यक्रम आकाशवाणी पर 22 मार्च को सुबह 11 बजे प्रसारित किया जाएगा। श्मन की बातश् कार्यक्रम की यह छठी कड़ी होगी। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री देश के नागरिकों से अपने विचार साझा करते हैं। इस बार प्रधानमंत्री किसानों व उनसे जुड़ें मुद्दों पर बात करेंगे। इस संबंध में उन्होंने लोगों से विचार और सुझाव भी मांगे हैं। लोग इस विषय पर अपने विचार और सुझाव डलळवअण्पद पर साझा कर सकते हैं।

इससे पहले श्मन की बातश् कार्यक्रम की पांच कड़ियां प्रसारित हुई हैं जिनमें प्रधानमंत्री ने विभिन्न विषयों पर लोगों से सीधे बातचीत की। उन्होंने लोगों के दिल के करीब के मुद्दों जैसे स्वच्छ भारत अभियानए खादी को प्रोत्साहनए कौशल विकासए विकलांग बच्चों के लिए छात्रवृत्तिए शिक्षण संस्थानों के लिए बुनियादी सुविधाएं और नशे की समस्या पर अधिक जोर दिया है। मन की बात की पिछली कड़ी 22 फरवरी को प्रसारित की गई थी जिसमें प्रधानमंत्री ने परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों से तनाव व चिंता त्यागकर सकारात्मक रुख रखने के लिए कहा था।
कार्यक्रम को देश भर की जनता से उत्साहजनक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। आकाशवाणी और दूरदर्शन पर इसका सीधा प्रसारण होता है। इसके अलावा इस कार्यक्रम को रेडियो पर विविध भारतीए एफएम गोल्ड और एफएम रेन्बो पर भी सुना जा सकता है। प्रधानमंत्री का आधिकारिक वेबसाइट पर भी इसकी लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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राष्ट्रपति श्इंडियन पार्लियामेंटेरी डिप्लोमेसी . स्पीकर्स पर्सपेक्टिवश् की पहली प्रति प्राप्त करेंगे

Posted on 19 March 2015 by admin

राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी कल ;19 मार्चए 2015द्ध राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में श्इंडियन पार्लियामेंटेरी डिप्लोमेसी . स्पीकर्स पर्सपेक्टिवश् की पहली प्रति प्राप्त करेंगे।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार द्वारा लिखित इस पुस्तक का प्रकाशन लोकसभा सचिवालय ने किया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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रेलवे में अधिक सार्वजनिक निवेश से भारतीय उत्पादन की कुल वृद्धि को बढ़ावा देगा

Posted on 28 February 2015 by admin

संसद में आज पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2014.15 में इस बात की सिफारिश की गई है कि रेलवे में अधिक सार्वजनिक निवेश से भारतीय उत्पादन की कुल वृद्धि और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। सक्षम रेल नेटवर्क में सार्वजनिक निवेश से उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा और इसका प्रभाव स्थायी होगा। समीक्षा में कहा गया है कि जिस तरह पिछली एनडीए सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की पहल के माध्यम से भारतीय सड़कमार्ग क्षेत्र का कायापलट किया थाए उसी तरह फिलहाल रेलमार्ग के समर्पित माल भाड़ा यातायात गलियारों ;डीएफसीद्ध में निवेश के मजबूत त्वरित कार्यक्रम की आवश्यकता है। जिन्हें संबद्ध औद्योगिक गलियारों के साथ स्वर्णिम चतुर्भुत के समानांतर बनाया जा सके। इस तरह की पहल से श्मेक इन इंडियाश् को वास्तविक रूप देने के साथ.साथ भारतीय विनिर्माण उद्योग की कायापलट हो जाएगी। माल भाड़ा यातायात को अलग करने के बाद यात्री रेलगाड़ियों को थोड़े से निवेश से ही काफी तीव्र बनाया जा सकता है।

मौजूदा सरकार उपेक्षित रेल क्षेत्र के लिए वह काम कर रही है जो पिछली एनडीए सरकार ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में ग्रामीण सड़कों के लिए किया था।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि रेलवे ष्राष्ट्र की जीवनरेखाष् है जो 19000 से अधिक रेलों का प्रचालन करती है। प्रतिदिन 23 मिलियन यात्रियों और 3 मिलियन टन से ज्यादा माल ढुलाई करती है। इससे 13 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

समीक्षा में इस बात के संकेत दिए गए हैं कि पिछली योजना में रेलवे को कम संसाधन दिए गए। कुल योजना परिव्यय में रेल का हिस्सा वर्तमान में अन्य परिवहन क्षेत्रों के लगभग 11 प्रतिशत के मुकाबले केवल 5ण्5 प्रतिशत है और समग्र विकास में इसका हिस्सा विगत दशक में 2 प्रतिशत से कम रहा है। चीन में इसी अवधि के दौरान इससे 11 गुना अधिक निवेश हुआ। भारतीय रेल में कम निवेश से भीड़.भाड़ए सीमित क्षमताए खराब सेवाओं तथा कमजोर वित्तिय हालत का पता चलता है।

लंबे समय की जरूरत के मुताबिक रेलवे को व्यापारिक रूप से व्यवहारिक होने की जरूरत है। लंबे समय में रेलवे के लिए सार्वजनिक सहायता इन तक सीमित होनी चाहिए। ;1द्ध निगमीकृत रेलवे द्वारा निवेश के लिए इक्विटी सहायता और ;2द्ध सार्वभौमिक सेवा दायित्व का वित्त पोषण। अंतरिम रूप से रेलवे की सरकारी सहायता की गुंजाइश हैए आम बजट के द्वारा सहायता को मिलाकर।

हालांकिए अर्थिक समीक्षा 2014.15 में कहा गया है कि लोक समर्थन को स्पष्ट रूप से महत्वपूर्ण सुधारों जैसे की रेलवे की संरचनाए उनके द्वारा व्यापारिक कार्यों को अपनाया जानाए ट्रैफिक नीतियों को युक्तिसंगत बनाया जाना और तकनीकी का पुनरोद्धार करनाए के साथ जो़ड़ा जाना चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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महिला साक्षरता में सुधार व शैक्षिक चुनौतियां

Posted on 28 February 2015 by admin

जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार देश में केवल 73 प्रतिशत साक्षरता ही प्राप्तक की जा सकी हैए परन्तुड महिला साक्षरता में उल्लेमखनीय प्रगति हुई है। 80ण्9 प्रतिशत की पुरूष साक्षरता की तुलना में 64ण्6 प्रतिशत पर महिला साक्षरता अभी भी कमतर बनी हुई हैए पर पुरूष साक्षरता की 5ण्6 प्रतिशत की वृद्धि दर की तुलना में महिला साक्षरता में 10ण्9 प्रतिशत वृद्धि हुई।

आर्थिक समीक्षा 2014.15 में कहा गया है कि बालिकाओं की रक्षा व शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नयी योजना ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् का उद्देश्य  समाज की मानसिकता बदलना व जागरूकता फैलाना हैए जो एक जन अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। इससे बालिका शिक्षा व अन्य संबंधित समस्याअओं का समाधान संभव होगा।

भारत में गुणवत्ताइपरक तथा प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच बनाये रखने के लिए बच्चों  की निरूशुल्कइ और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार ;आरटीईद्ध अधिनियमए 2009 केन्द्र  सरकार द्वारा अप्रैल 2010 में अधिनि‍यमित किया गया था। आरटीई अधिनियम के क्रियान्वायन के लिए नामोद्धिष्टं स्कीिम सर्वशिक्षा अभियान ;एसएसएद्ध है।

आर्थिक समीक्षा में इंगित किया गया है कि भारत में शिक्षा प्रणाली के समग्र मानक ग्लोिबल मानकों से काफी नीचे ही बने हुये हैं। पीसा ;अंतर्राष्ट्री य छात्र आकलन कार्यक्रम.2009द्ध ने तमिलनाडु व हिमाचल प्रदेश को 74 भागीदारों में 72वें व 73वें स्थायन पर रखा हैए जो सिर्फ किग्रीजस्ताकन से ऊपर है। यह हमारी शिक्षा में व्यारप्तं अंतर को दर्शाता है। पीसा के तहत 15 वर्ष के आयु वर्ग के ज्ञान व कौशल को उनकी समस्याो सुलझाने के लिए तैयार किये गये प्रश्नोंक के आधार पर मापा जाता है। स्कूालों से निकलने वाले युवाओं की कार्यदक्षता में सुधार लाने के लिए माध्यआमिक शिक्षा के बाद और प्रशिक्षण प्रणालियों एवं कार्यस्थमलों पर भी दखल कार्रवाई करने की पर्याप्तक गुंजाइश है। बदलती हुई जनसांख्यिकीय स्थितियों और बच्चों  की घटती आबादी के चलतेए पिरामिड की बुनियाद पर मानव पूंजी की अपर्याप्तचता के कारण मूलभूत कौशलों की राह में मौजूद बड़ा अंतर भारत के विकास में बड़ी अड़चन बन सकता है। पढ़ने.सिखने और गणितीय दक्षता का एक माहौल बनाने के लिए ष्पढ़े भारत.बढ़े भारतष् नामक पहल एक उत्ततम कदम है। तथापिए इस प्रयास की सफलता के लिए यह आवश्यष्क होगा कि इस संबंध में स्थाहनीय प्रशासन को इस प्रक्रिया में ज्यालदा शामिल किया जाए और संवेदनशील बनाया जाए।

भारत में 15.18 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं की संख्याप 100 मिलियन है। चूंकि अधिकतर व्याजवसायिक कौशल कार्यक्रमों में दाखिले के लिए शैक्षिक और आयु संबंधी अर्हताएं होती है और 18 वर्ष की आयु से पहले इनमें प्रवेश नहीं किया जा सकताए अतरू इस आबादी के अधिकांश के असंगठित क्षेत्र में जाने की संभावना हो जाती है। अवसरों के बीच व्या प्तध अंतरों का सम्य्क.समाधान करने और असंगठित क्षेत्र में उत्पांदकता क्षमता में सुधार लाने के लिए ज्ञान अथवा कौशल की किस्मोंन पर शोध किये जाने की जरूरत है।

इसके साथ हीए प्राथमिक स्कूालों में दाखिला.वृद्धि के समनुरूपए सैकेंडरी स्कू्लों की क्षमता के निर्माण करने के लिए मध्याकहृन भोजन ;एमडीएमद्ध योजनाए राष्ट्री य माध्यामिक शिक्षा अभियान ;आरएमएसएद्धए मॉडल स्कू ल स्कीएम ;एमएसएसद्ध और साक्षर.भारत ;एसबीद्ध प्रौढ़ शिक्षा जैसे कार्यक्रम भी क्रियान्वित किये गये हैं। एसबी महिला साक्षरता पर केन्द्रित स्की्म है। इसके अलावाए इस क्षेत्र में प्रशिक्षित अध्या पकों का अभाव समस्याय को घनीभूत करता है।

भावी अध्याषपकों को समय रहते कैरियर का विकल्पा मुहैया कराने के लिए शिक्षक अध्याअपकों के संवर्ग को सुदृढ़ बनाने और शिक्षक.शिक्षण संस्थाेओं में अध्याअपकों के सभी रिक्ता पदों को भरे जाने के लिए चार वर्षीय एक नया समेकित कार्यक्रमए नामतरू बीण्एध्बीण्एड और बीण्एससीध्बीण्एड शुरू किया गया है।

भारतीय उच्चरतर शिक्षा प्रणाली विश्वण् में सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में से एक है। वर्ष 2013.14 में विश्वशविद्यालयोंए महाविद्यालयों व डिप्लोकमा स्त2र के संस्थाऔओं की संख्या  बढ़कर क्रमशरू 713ए 36ए739 और 11ए343 हो गयी है। आज मांग को आपूर्ति के साथ सुमेलित किये जाने और रोजगार के अवसरों के अनुरूप शिक्षा नीति में सम्याक परिवर्तन लाए जाने की जरूरत है।
आर्थिक समीक्षा में यह सुझाव दिया गया है कि उच्च तर शिक्षा को भविष्य्दृष्टाह होना होगा और ऐसे क्षेत्रों की परिकल्प ना करनी होगीए जो भविष्यष में ज्याादा रोजगार जुटा सकें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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कुवैत के राष्ट्री य दिवस पर प्रधानमंत्री की बधाई

Posted on 26 February 2015 by admin

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रद मोदी ने कुवैत के राष्ट्री य दिवस पर वहां के नागरिकों को बधाई दी है।
प्रधानमंत्री ने कहाए श्राष्ट्री य दिवस पर कुवैत के नागरिकों को बधाई। हम कुवैत के साथ अपने नजदीकी संबंधों को बहुत महत्वे देते है और आशा करते है कि वे आगे और मजबूत होंगे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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लघु वन उत्पावदों की वैल्युे चेन ;मूल्यै श्रृंखलाद्ध विकास की निगरानी

Posted on 26 February 2015 by admin

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने श्न्युयनतम समर्थन मूल्यम और वैल्युभ चेन ;मूल्यै श्रृंखलाद्ध विकास के जरीए लघु वन उत्पावदों ;एमएफपीद्ध के विपणन तंत्रश् नाम से एक केन्द्र  द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के क्रियान्वमयन की प्रगतिध्विकास की निगरानी दो स्त।रों पर समितियों द्वारा की जाएगी। संबंधित राज्यों  के मुख्य् सचिव की अय्ानीक्षता में एक समिति राज्‍य स्तंर पर कार्यक्रम की निगरानी करेगी। जिला कलेक्टसर की अध्योक्षता में दूसरी समिति जिला स्त्र पर प्रगति पर नजर रखेगी। इसके अलावा केन्द्र  स्तषर पर सरकार भी भारतीय जनजाति सहकारि‍ता विपणन विकास परिसंघ ;ट्राइफेडद्ध के जरिए कार्यक्रम की निगरानी करती है। शुरूआत में कार्यक्रम को उन राज्यफ में लागू किया गया है जहां सिड्ल्यू ड ट क्षेत्र हैं।

यह जानकारी आज राज्यर सभा में जनजातीय कार्य राज्यय मंत्री श्री मनसुखभाईए धांजीभाई वसावा ने दी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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संसद के बजट सत्र-2015 के पहले दिन आज संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधन करते हुये माननीय राष्ट्रपति महोदय ने

Posted on 24 February 2015 by admin

संसद के बजट सत्र-2015 के पहले दिन आज संयुक्त अधिवेशन को सम्बोधन करते हुये माननीय राष्ट्रपति महोदय ने अपने सम्बोधन में जो कुछ कहा है उससे भी यह स्पष्ट हो गया है कि अपने भारत देश में ‘‘समता, समानता व सामाजिक न्याय‘‘ के सिद्धान्त का विशेष महत्व है जिस कारण ही इसके लिये संविधान में विशेष प्रावधान रखे गये हैं जिसके प्रति अब तक केन्द्र की सत्ता में रही सभी सरकारों की ख़ास जि़म्मेदारी रही है, परन्तु बड़े दुःख की बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ बनी भाजपा की पहली सरकार ने संविधान के इस मूल उद्देश्य को इस प्रकार से भुलाकर पूरी तरह से नज़रअन्दाज़ किया हुआ है जैसे इस सरकार से इसका कोई सरोकार है ही नहीं, यह करोड़ों ग़रीब, शोषित- पीडि़त भारतीयों के जीवन से जुड़ी एक बड़ी चिन्ता वाली बात है।
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज एक बयान में कहा कि इतना ही नहीं बल्कि श्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा यह समझ लेना कि ग़रीबी दूर करने, महँगाई कम करने, बेरोज़गारी घटाने आदि जनहित व जनकल्याण के अतिज़रूरी कामों का कोई ख़ास महत्व नहीं हैं और बड़े-बड़े धन्नासेठों व पूँजीपतियों के विकास में ही देश व सर्वसमाज का हित निहित है, एकदम व सरासर ग़लत अवधारणा है। और शायद यही कारण है कि श्री नरेन्द्र मोदी सरकार अपने शासनकाल में बहुत जल्द केवल नौ महीने के भीतर ही लोगांे में अपना समर्थन तेज़ी से खोती जा रही है, क्योंकि अत्याधिक बयानबाज़ी व कोरे आश्वासन और केवल अपनी तारीफ़ अपने आप ही करते रहना लोगांे को पसन्द नहीं आया है। अब तक लोगों ने यही देखा है कि ‘‘सस्ती लोकप्रियता‘‘ हासिल करने के लिये केवल बड़ी-बड़ी बातें ही की गयी हैं, उन जनहित वायदों को पूरा करने के लिये नीयत और नीति दोनों का ही अभाव जनता को श्री नरेन्द्र मोदी सरकार में देखने को मिला है।
साथ ही, भ्रष्टाचार को समाप्त करने के मामले में भी श्री नरेन्द्र मोदी सरकार जनता से किये गये बड़े-बड़े वायदों को भुलाकर वैसा ही लचर व ढुलमुल रवैया अपनाये हुये हैं जैसा  कि कांग्रेस पार्टी का आचरण व व्यवहार हुआ करता था और जिसकी कड़ी सज़ा भी जनता ने कांग्रेस पार्टी की सरकार को दे दी है। परन्तु श्री नरेन्द्र मोदी सरकार का उसी प्रकार का कमज़ोर व लाचारी भरा व्यवहार जनता को काफी चकित व सशंकित भी कर रहा है।
इसके अलावा, श्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा केवल मुट्ठी भर लोगांे के हित व कल्याण में काम करने के लिये उन्हीं के हिसाब से नीति व कार्यक्रम बनाना, जैसे कि भूमि अधिग्रहण क़ानून में किसान-विरोधी संशोधन, डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम, स्मार्ट व हाईटेड सिटी, बुलेट ट्रेन आदि और इन्हीं प्रयासों में श्री नरेन्द्र मोदी सरकार सत्ता की शक्ति और संसाधन दोनों का ग़लत इस्तेमाल कर रही है और इसी में अपने आपको गौरवान्वित भी महसूस कर रही है, जबकि आमजनता को इससे कोई भी वह लाभ मिलने वाला नहीं है जिसकी उसे सख़्त ज़रूरत है।
वैसे भी यह सर्वविदित है कि भारत एक ग़रीब लोगों का देश है और यहाँ शिक्षा, रोज़गार व स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र में काफी विकट समस्या के साथ-साथ बड़े पैमाने पर सामाजिक, आर्थिक व क्षेत्रीय असमानतायें हैं और श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की इस प्रकार की ग़लत नीति से देश को और बड़ी विकट समस्या में डाल सकती है। इस प्रकार की घोर अमीरपरस्त व पूँजीपति-समर्थक नीति का दुष्परिणाम दुनिया के दूसरे देशों यहाँ तक यूरोपीय देशों आदि में स्पष्ट तौर पर भी देख सकते हैं।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व स्तर पर काफी सख़्त आलोचना झेलने के बाद देश में बढ़ते ’’धार्मिक उन्माद एवं साम्प्रदायिक घृणा व नफ़रत’’ फैलाने वालों के खि़लाफ काफी लम्बे समय बाद अभी हाल ही में अपनी चुप्पी तोड़ी है, परन्तु इस मामले में वैसे असामाजिक तत्वों के खि़लाफ क्या सख़्त प्रभावी क़ानूनी कार्रवाइयाँ होती हैं, यह अभी देखना बाकी है। ।
वैसे कुल मिलाकर वर्तमान में देश की जो स्थिति है उससे साफ लगता है कि श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को लगभग हर मामले में अब ‘‘अविश्वसनीयता‘‘ के घोर संकट का सामना है, जिसकी ख़ास वजह यह है कि अब तक उनके लगभग 9 माह के शासनकाल में ’’बातें कम, काम अधिक’’ करके लोगांे का ख़्याल रखने के बजाये, केवल सस्ती लोकप्रियता व वाहवाही लूटने के लिये ‘‘काम कम परन्तु बातें अधिक‘‘ की गयी हैं, जिस कारण ही देश भर में आमजनता अधिकतर मामलों में अब तक काफी ज़्यादा दुःखी व निराश नज़र आती है।
और इस प्रकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ केन्द्र की सत्ता में आयी भाजपा सरकार अपनी चमक-दमक के साथ-साथ अपना रूतबा भी मात्र नौ महीने के अन्दर इतनी तेज़ी से खो देगी, इसका अन्दाज़ा स्वयं भाजपा व आर.एस.एस. को भी नहीं रहा होगा और यही कारण है कि दिल्ली विधानसभा आमचुनाव का सनसनीख़ेज़ हार के परिणाम ने उन दोनों ही संगठनों के नेताओं को पहले चकित व फिर घोर चिन्ता में डाल रखा है।
वैसे भी जो लोग भारतीय समाज की संरचना व यहाँ की राजनीति की थोड़ी समझ रखते हैं उनका मानना है कि लोक-लुभावन वायदों से ग़रीबों व निम्न आय वर्ग के लोगांे का वोट हासिल करने में ज़्यादातर सफलता तो मिल जाती है, परन्तु इस प्रकार की ‘‘सस्ती लोकप्रियता‘‘ उन लोगांे की निगाह में उतनी ही तेज़ी से गिरा भी देती है और ऐसा ही कुछ श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के साथ भी होता हुआ लग रहा है।
साथ ही, सबका साथ, सबका विकास, ग़रीबी हटाओं जैसे लोक-लुभावन नारे वास्तव में अब सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के हथियार के रूप में लोगों द्वारा देखे जाते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि जिस प्रकार भारत जैसे विशाल देश में हर क्षेत्र व हर राज्य की अलग-अलग समस्या व ज़रूरतें हैं उसी प्रकार ग़रीबी व जातिवाद के अभिशाप से ग्रस्त सर्वसमाज के लोगांे व विभिन्न जातियों के लोगांे की अलग-अलग जटिल समस्यायें हैं। सूखी रोटी खाकर भी व एक वक्त भूखे रह कर भी लोग अपना गुजारा कर ले सकते हैं, परन्तु जातीय अपमान का दंश हर दिन साथ लेकर जीने वाले लोगांे को क्या ’’विशेष अवसर’’ नहीं सुनिश्चित किया जाना चाहिये, जिसका प्रावधान भारतीय संविधान में तो है, किन्तु इसे थोड़ी ईमानदारी से भी यहाँ कभी भी लागू नहीं किया गया। ऐसे शोषित व पीडि़त करोड़ों लोगों को ’’सबका साथ, सबका विकास’’ के नाम पर इन्हें असहाय व लाचार एवं मजबूर छोड़ देना कहाँ तक उचित है।
आखि़र क्या कारण हैं कि केन्द्र की श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के एजेण्डे में ’’सामाजिक न्याय’’ कहीं भी नजर नहीं आता है। श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के ’’सबका साथ सबका विकास’’ का साफ मतलब यह है कि समाज के दबे-कुचले हजारों वर्ष से पीडि़त-शोषित लोग जीवन के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिये और हज़ारों साल और इन्तज़ार करना पड़ेगा, क्योंकि आरक्षण सुविधा जैसे विशेष अवसर के अभाव में तो दलित एवं अन्य पिछड़े वर्ग की भारी जनसंख्या हमेशा की तरह शोषित व पिछड़ी ही बनी रहेगी। अमरीका जैसे देश में भी दबे-कुचले लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिये बड़े पैमाने पर ’’साकारात्मक कार्रवाई ;।ििपतउंजपअम ।बजपवदद्ध कार्यक्रम चलाये गये और अब निम्न व मध्यम आय वर्ग के लोगों के स्वास्थ्य बीमा के लिये राष्ट्रपति ओबामा ने अपना सब कुछ दाव पर लगा रखा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात बहुत कर ली है, और अब उन्हें लोगों के मन की बात पर अमल करना प्रारम्भ करना चाहिये तभी सर्वसमाज का भला हो सकेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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एक्ज़ाल्टा को भारत में वाॅल्वो बस से मिला एक्सीलेंस अवार्ड

Posted on 20 February 2015 by admin

एक्ज़ाल्टा कोटिंग सिस्टम्स ;छल्ैम्रू ।ग्ज्।द्ध, जोकि लिक्विड और पावडर कोटिंग्स की एक वैश्विक अग्रणी आपूतिकर्ता है, को ‘वाॅल्वो बस एक्सीलेंस अवार्ड‘ का विजेता घोषित किया गया है। कंपनी को यह पुरस्कार ‘डिलीवरी एक्सीलेंस 2014‘ के क्षेत्र में मिला। इस पुरस्कार का फैसला भारत में वाॅल्वो बसों की खरीदारी करने वाली टीम द्वारा किया गया। बेंगलुरू में दिसंबर में आयोजित वाॅल्वो बसेज, इंडिया-सप्लाॅयर काॅन्फ्रेंस 2014 के दौरान एक्ज़ाल्टा कोटिंग सिस्टम्स इंडिया प्रा. लि. को यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
एक्ज़ाल्टा ने वर्ष 2008 में शुरूआत के समय से ही वाॅल्वो बसेज इंडिया से गठबंधन किया था। कुशल श्रमबल और समय पर सेवा की बदौलत एक्ज़ाल्टा ने अब तक वाॅल्वो बसेज के साथ शून्य लाॅजिस्टिकल और सेवा मुद्दो का रिकाॅर्ड बनाया है। एक्ज़ाल्टा द्वारा निरंतर वाॅल्वो बसेज को खोजपरक एवं गुणवत्तायुक्त कोटिंग समाधान उपलब्ध कराये गये हैं, जिससे भारत में बस उद्योग में लीडर के रूप में विकसित होने में मदद मिली है।
श्री वीआरवी श्रीप्रसाद, प्रबंध निदेशक, वाॅल्वो बसेज इंडिया ने कहा, ‘‘वाॅल्वो बसेज सार्वजनिक यातयात क्षेत्र का आधुनिकीकरण करने और भारत में लोगों के जीवन को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिये प्रतिबद्ध हैं। पर्यावरण की देखभाल हमारा एक मूल मूल्य है और हमारी बसें इस पर जोर देती हैं। एक्ज़ाल्टा के साथ गठबंधन हमारे इसी मूल मूल्य के अनुरूप है। हम एक्ज़ाल्टा को उनके सहयोग के लिये बधाई देना चाहते हैं और आगामी वर्षों में इस साझेदारी को सुदृढ़ बनाने के लिये तत्पर हैं।‘‘
श्री विनय राजाध्यक्ष, प्रबंध निदेशक, एक्ज़ाल्टा इंडिया ने कहा, ‘‘भारत में वाॅल्वो बसेज द्वारा ‘डिलीवरी एक्सीलेंस 2014 अवार्ड‘ प्राप्त करते हुये हमें बेहद गर्व हो रहा है। यह पुरस्कार वाॅल्वो बसेज और भारत में हमारे सभी उपभोक्ताओं को प्रतिदिन डिलीवरी करने के हमारे प्रयास के प्रति समर्पण को दर्शाता है। एक्ज़ाल्टा टीम के लिये यह एक अद्भुत सम्मान है, जो हमारे ग्राहकों की मदद करते हैं।‘‘

एक्ज़ाल्टा कोटिंग सिस्टम के विषय में
एक्ज़ाल्टा एक अग्रणी वैश्विक कंपनी है और यह कोटिंग्स व्यवसाय पर अपना सारा ध्यान केन्द्रित करती है। कंपनी अपने उपभोक्ताओं को खोजपरक, रंगीन, खूबसूरत और स्थायीत्वपूर्ण समाधानों की पेशकश करती है। हल्के ओईएम वाहनों से लेकर आॅटोमोटिव रिफिनिश तथा व्यावसायिक वाहन से लेकर इलेक्ट्रिक मोटर्स, बिल्डिंग्स एवं पाइपलाइन्स, कंपनी द्वारा निर्मित कोटिंग्स जंग प्रतिरोधक का काम करते हैं और उत्पादकता बढ़ाते हैं। कंपनी को इस व्यवसाय में 145 वर्षों से भी अधिक का अनुभव है। एक्ज़ाल्टा में कार्यरत 12,000 कर्मचारी 130 देशों में रह रहे 120,000 से अधिक उपभोक्ताओं को उत्कृष्ट कोटिंग्स, ऐप्लीकेशन सिस्टम्स और तकनीक के साथ हर दिन को बेहतर बनाने के लिए अपनी सेवायें उपलब्ध करा रहे हैं।  विस्तृत विवरण के लिये ंगंसजंबेण्बवउध्पद पर लाॅग आॅन करें।

भारत में वाॅल्वो बसों के विषय में:
भारत में वाॅल्वो बसें 2001 से अस्तित्व में हैं और उच्च प्रदर्शन वाले बस ऐप्लीकेशन की बात हो तो इन्होंने प्रमुख अनुभव निर्मित किया है। वाॅल्वो बसें उद्योग में बदलाव को संचालित करती रही हैं और भारत में विभिन्न पहल शुरू करने का श्रेय इसे जाता है। इसमें टूª बस चेसिस अवधारणा, लो फ्लोर सिटी बस अवधारणा, मल्टी-ऐक्सल कोचेज के अलावा कई अन्य प्रौद्योगिकियां एवं अवधारणायें शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इसकी अत्याधुनिक फैक्ट्री और सम्पूर्ण परिवहन समाधान प्रदाता के समग्र प्रोफाइल के साथ, वाॅल्वों बसे बस उद्योग की प्रगति में करीब से जुड़ी हैं। वर्तमान में वाॅल्वो कोचेच बांग्लादेश और श्रीलंका के अलावा भारत के बड़े शहरों को जोड़ते हैं। देश के 16 शहरों में 1,300 वाॅल्वो सिटी बसों का परिचालन किया जाता है और लाखों लोगों के लिए ड्राइविंग क्वालिटी आॅफ लाइफ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत में वाॅल्वो बसों के पास उच्च प्रदर्शन वाली बसों की व्यापक श्रृंखला मौजूद है। वैश्विक स्तर पर, वाॅल्वो बस बड़ी बसों और कोचेज बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी विनिर्माताओं में से एक है। यह दुनिया की पहली कंपनी है जिसने व्यावसायिक रूप से हाइब्रिड बसों की पेशकश की थी और 21 देशों में इस तकनीक से युक्त 1,000 बसों की बिक्री की जा चुकी है। इसे सुरक्षा, गुणवत्ता और पर्यावरण की परवाह के अपने मूल मूल्यों का समर्थन प्राप्त है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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