महिला साक्षरता में सुधार व शैक्षिक चुनौतियां

Posted on 28 February 2015 by admin

जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार देश में केवल 73 प्रतिशत साक्षरता ही प्राप्तक की जा सकी हैए परन्तुड महिला साक्षरता में उल्लेमखनीय प्रगति हुई है। 80ण्9 प्रतिशत की पुरूष साक्षरता की तुलना में 64ण्6 प्रतिशत पर महिला साक्षरता अभी भी कमतर बनी हुई हैए पर पुरूष साक्षरता की 5ण्6 प्रतिशत की वृद्धि दर की तुलना में महिला साक्षरता में 10ण्9 प्रतिशत वृद्धि हुई।

आर्थिक समीक्षा 2014.15 में कहा गया है कि बालिकाओं की रक्षा व शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नयी योजना ष्बेटी बचाओए बेटी पढ़ाओष् का उद्देश्य  समाज की मानसिकता बदलना व जागरूकता फैलाना हैए जो एक जन अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। इससे बालिका शिक्षा व अन्य संबंधित समस्याअओं का समाधान संभव होगा।

भारत में गुणवत्ताइपरक तथा प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच बनाये रखने के लिए बच्चों  की निरूशुल्कइ और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार ;आरटीईद्ध अधिनियमए 2009 केन्द्र  सरकार द्वारा अप्रैल 2010 में अधिनि‍यमित किया गया था। आरटीई अधिनियम के क्रियान्वायन के लिए नामोद्धिष्टं स्कीिम सर्वशिक्षा अभियान ;एसएसएद्ध है।

आर्थिक समीक्षा में इंगित किया गया है कि भारत में शिक्षा प्रणाली के समग्र मानक ग्लोिबल मानकों से काफी नीचे ही बने हुये हैं। पीसा ;अंतर्राष्ट्री य छात्र आकलन कार्यक्रम.2009द्ध ने तमिलनाडु व हिमाचल प्रदेश को 74 भागीदारों में 72वें व 73वें स्थायन पर रखा हैए जो सिर्फ किग्रीजस्ताकन से ऊपर है। यह हमारी शिक्षा में व्यारप्तं अंतर को दर्शाता है। पीसा के तहत 15 वर्ष के आयु वर्ग के ज्ञान व कौशल को उनकी समस्याो सुलझाने के लिए तैयार किये गये प्रश्नोंक के आधार पर मापा जाता है। स्कूालों से निकलने वाले युवाओं की कार्यदक्षता में सुधार लाने के लिए माध्यआमिक शिक्षा के बाद और प्रशिक्षण प्रणालियों एवं कार्यस्थमलों पर भी दखल कार्रवाई करने की पर्याप्तक गुंजाइश है। बदलती हुई जनसांख्यिकीय स्थितियों और बच्चों  की घटती आबादी के चलतेए पिरामिड की बुनियाद पर मानव पूंजी की अपर्याप्तचता के कारण मूलभूत कौशलों की राह में मौजूद बड़ा अंतर भारत के विकास में बड़ी अड़चन बन सकता है। पढ़ने.सिखने और गणितीय दक्षता का एक माहौल बनाने के लिए ष्पढ़े भारत.बढ़े भारतष् नामक पहल एक उत्ततम कदम है। तथापिए इस प्रयास की सफलता के लिए यह आवश्यष्क होगा कि इस संबंध में स्थाहनीय प्रशासन को इस प्रक्रिया में ज्यालदा शामिल किया जाए और संवेदनशील बनाया जाए।

भारत में 15.18 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं की संख्याप 100 मिलियन है। चूंकि अधिकतर व्याजवसायिक कौशल कार्यक्रमों में दाखिले के लिए शैक्षिक और आयु संबंधी अर्हताएं होती है और 18 वर्ष की आयु से पहले इनमें प्रवेश नहीं किया जा सकताए अतरू इस आबादी के अधिकांश के असंगठित क्षेत्र में जाने की संभावना हो जाती है। अवसरों के बीच व्या प्तध अंतरों का सम्य्क.समाधान करने और असंगठित क्षेत्र में उत्पांदकता क्षमता में सुधार लाने के लिए ज्ञान अथवा कौशल की किस्मोंन पर शोध किये जाने की जरूरत है।

इसके साथ हीए प्राथमिक स्कूालों में दाखिला.वृद्धि के समनुरूपए सैकेंडरी स्कू्लों की क्षमता के निर्माण करने के लिए मध्याकहृन भोजन ;एमडीएमद्ध योजनाए राष्ट्री य माध्यामिक शिक्षा अभियान ;आरएमएसएद्धए मॉडल स्कू ल स्कीएम ;एमएसएसद्ध और साक्षर.भारत ;एसबीद्ध प्रौढ़ शिक्षा जैसे कार्यक्रम भी क्रियान्वित किये गये हैं। एसबी महिला साक्षरता पर केन्द्रित स्की्म है। इसके अलावाए इस क्षेत्र में प्रशिक्षित अध्या पकों का अभाव समस्याय को घनीभूत करता है।

भावी अध्याषपकों को समय रहते कैरियर का विकल्पा मुहैया कराने के लिए शिक्षक अध्याअपकों के संवर्ग को सुदृढ़ बनाने और शिक्षक.शिक्षण संस्थाेओं में अध्याअपकों के सभी रिक्ता पदों को भरे जाने के लिए चार वर्षीय एक नया समेकित कार्यक्रमए नामतरू बीण्एध्बीण्एड और बीण्एससीध्बीण्एड शुरू किया गया है।

भारतीय उच्चरतर शिक्षा प्रणाली विश्वण् में सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में से एक है। वर्ष 2013.14 में विश्वशविद्यालयोंए महाविद्यालयों व डिप्लोकमा स्त2र के संस्थाऔओं की संख्या  बढ़कर क्रमशरू 713ए 36ए739 और 11ए343 हो गयी है। आज मांग को आपूर्ति के साथ सुमेलित किये जाने और रोजगार के अवसरों के अनुरूप शिक्षा नीति में सम्याक परिवर्तन लाए जाने की जरूरत है।
आर्थिक समीक्षा में यह सुझाव दिया गया है कि उच्च तर शिक्षा को भविष्य्दृष्टाह होना होगा और ऐसे क्षेत्रों की परिकल्प ना करनी होगीए जो भविष्यष में ज्याादा रोजगार जुटा सकें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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