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त्यौहारों के इस सीज़न में ग्रुप एसईबी इंडिया की बाजार से उम्मीदें

Posted on 28 October 2015 by admin

त्यौहारों के इस सीज़न में ग्रुप एसईबी इंडिया की बाजार से उम्मीदें

    पूरे भारत में उच्च बिक्री की उम्मीद, विशेषकर उत्तर एवं पूर्व भारत के बाजारों से
    सोशल मीडिया के जरिए ग्राहकों तक पहुंच में बढ़त
    ईकाॅमर्स बिक्री के लिए बड़ा माध्यम बन कर उभरा

नई दिल्ली,   अक्टूबर 2015ः छोटे घरेलू उपकरणों (ैक्।) में विश्व लीडर ग्रुप एसईबी इंडिया त्यौहारों के इस सीजन में अपने भारतीय ब्रांड - महाराजा व्हाइटलाइन से बिक्री में भारी वृद्धि की उम्मीदें लगाए हुए है। बेहद सफल 2014 के बाद यह ब्रांड इस साल भी बदस्तूर कामयाबी के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। इस वर्ष कई नए उत्पाद लांच किए गए तथा गर्मियों के मौसम में बिक्री बहुत दमदार रही। अब इन त्यौहारों के सीजन में महाराजा व्हाइटलाइन का लक्ष्य अपने अच्छे प्रदर्शन को बेहतर करने और सेल्स रेवेन्यू बढ़ाने का है। पिछले तीन वर्षों में महाराजा व्हाइटलाइन ने अपना व्यवसाय तिगुना कर लिया है। उत्तर भारत में, फूड प्रिपेरेशन कैटेगरी में नंबर एक पोजि़शन के साथ महाराजा व्हाइटलाइन अब इन त्यौहारों में देश के अन्य क्षेत्रों में भी अपनी सफलता के माॅडल को दोहराने के लिए तैयार है। इस साल फूड प्रिपेरेशन के साथ ही ब्रांड अपनी होम कम्फर्ट रेंज के जरिए भी बाजार में अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश में है।

यह वर्ष का वो समय है जब बाजारों में सबसे ज्यादा खरीददारी होती है; जाहिर सी बात है कि त्यौहारों पर लोग उपहार देते हैं और घर के लिए नई चीजें खरीदते हैं और इसीलिए इन दिनों विभिन्न ब्रांड व ईकाॅमर्स पोर्टल बहुत से आॅफर एवं डिस्काउंट भी पेश करते हैं। इन सभी मापदंडों के आधार पर महाराजा व्हाइटलाइन ब्रांड एक विशद मार्केटिंग योजना पर काम करता आ रहा है जिसमें फेस्टिव सीजन पर खास ध्यान दिया गया है। इस योजना में शामिल हैंः सोशल मीडिया के जरिए ग्राहकों तक पहुंच विस्तार, ईकाॅमर्स के माध्यम से बिक्री बढ़ाना, विशेष फेस्टिव गिफ्टिंग रेंज का लांच और जमीनी स्तर पर प्रचार।

ग्रुप एसईबी इंडिया छोटे घरेलू उपकरण उद्योग में सबसे तेजी से बढ़ती कंपनी है। 2014 में कंपनी की समग्र वृद्धि 40ः तथा 2015 में 30ः रही है। एक ओर परम्परागत कारोबार काफी तेजी से बढ़ रहा है (पारम्परिक कारोबार 31ः, माॅडर्न रिटेल $55ः व टीवी शाॅपिंग $45ः) और दूसरी तरफ ईकाॅमर्स चैनल 8 गुना बढ़ गया है, इस प्रकार कंपनी को अतिरिक्त कारोबार हासिल हुआ है।

त्यौहारों में मुनाफा कमाने के लिए ईकाॅमर्स चैनलों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा चल रही है जो कि खरीददारों एवं विक्रेताओं दोनों के ही लिए फायदे का सौदा है। महाराजा व्हाइटलाइन की मौजूदगी बहुत से ईकाॅमर्स पोर्टलों पर है और हाल ही में ब्रांड ने अग्रणी ईकाॅमर्स प्लेटफाॅम्र्स के लिए कई ऐक्सक्लूसिव उत्पाद लांच किए हैं जो त्यौहारों के इस मौसम में उपलब्ध होंगे। इस बारे में ग्रुप एसईबी इंडिया (प्रा.) लि. के वाइस प्रेसिडेंट-मार्केटिंग श्री इमैन्युएल सेरो अल्मेरास ने कहा, ’’ईकाॅमर्स साइट्स के जरिए हम दमदार बिक्री की उम्मीद कर रहे हैं। ग्राउंड स्टोर और हमारी वैबसाइट से होने वाली बिक्री में भी काफी इजाफा हुआ है। पिछले साल के शानदार प्रदर्शन को आगे बढ़ाते हुए इस साल हम अपने बैनर को और भी ऊंचा ले जाएंगे, खासकर उत्तरी भारत में; जहां हम फूड प्रिपेरेशन कैटेगरी में पहले ही नंबर-1 ब्रांड हैं।’’

इस सीजन भी कंपनी को भारी बिक्री की आशा है इसलिए लाॅजिस्टिक्स, बैक ऐंड इन्वेंट्री आदि सारा इंतजाम इसी मुताबिक किया गया है। श्री अल्मेरास ने बताया, ’’सोशल मीडिया रीचआउट के मोर्चे पर बहुत सारे डिजिटल ऐक्टिवेशन की योजना तय की जा चुकी है। हमारा मानना है कि लघु घरेलू उपकरण उद्योग में हम सबसे ज्यादा डायनमिक डिजिटल ब्रांड हैं क्योंकि फेसबुक पर हमारे 2.70 लाख से ज्यादा प्रशंसक हैं, हमारे यूट्यूब चैनल पर 1.2 मीलियन से ज्यादा व्यूज़ हैं और हमारा ऐंगेजमेंट लैवल काफी अच्छा है। अपने बड़े डिजिटल फैन-बेस का फायदा उठाने के लिए हमने अपने बहुत से नए उत्पादों के वीडियो यूट्यूब पर डाले हैं और अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए हम फेस्टिवल स्पेशल कैम्पेन भी चला रहे हैं।’’

इन त्यौहारों के सीजन के दौरान ब्रांड की बाजार अपेक्षाओं के बारे में ग्रुप एसईबी इंडिया (प्रा.) लि. के सीईओ श्री सुनील वाधवा ने कहा, ’’महाराजा व्हाइटलाइन हमेशा से उपभोक्ताओं का पसंदीदा रहा है, खास कर फूड प्रिपेरेशन कैटेगरी में। हमारी केन्द्रित विपणन रणनीति और फूड एवं होम कम्फर्ट श्रेणियों में नए उत्पादों के जुड़ने से हमें विश्वास है कि त्यौहारों के इस सीजन में हम काफी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।’’

हालांकि फूड प्रिपेरेशन श्रेणी में महाराजा व्हाइटलाइन बहुत मजबूत है, पर अब यह ब्रांड होम कम्फर्ट रेंज में बहुत से नए उत्पाद लांच कर के अपनी पहुंच का विस्तार कर रहा है। सर्दियां करीब हैं तो ब्रांड ने रूम एवं वाटर हीटरों की उत्कृष्ट रेंज प्रस्तुत कर दी है। कई नए लांच हुए हैं जो निश्चित तौर पर आधुनिक भारतीय परिवारों को पसंद आएंगे जैसे नया क्रांतिकारी मार्वेलो ओटीजी, वेक्टो डीलक्स रूम हीटर, वाटर हीटर की क्लेमियो रेंज आदि। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ब्रांड ने विशेष फेस्टिव कलेक्शन भी पेश किया है जिसमें केसरिया और सफेद रंगों के संयोजन वाले घरेलू उपकरण भी शामिल हैं। इसके अलावा, हर किसी के बजट के मुताबिक उपहारों के भी बहुत से विकल्प हैं- हैंड ब्लेंडर, मिक्सर ग्राइंडर, इंडक्शन कुकटाॅप, गारमेंट स्टीमर आदि की विस्तृत रेंज में से आप चयन कर सकते हैं। ये सभी उत्पाद भारत में निर्मित हैं और बेहतरीन अतंर्राष्ट्रीय क्वालिटी के साथ आते हैं।

इन सभी नई पेशकशों, स्पेशल फेस्टिव कैम्पेन और सभी जानेमाने ईकाॅमर्स चैनलों पर उपलब्धता के साथ महाराजा व्हाइटलाइन ब्रांड त्योहारों के इस मौसम के लिए बिल्कुल तैयार है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया विजिट करेंः ूूूण्उंींतंरंूीपजमसपदमण्बवउ

ग्रुप एसईबी इंडिया के बारे में
ग्रुप एसईबी इंडिया मिक्सर ग्राइंडर, जूसर मिक्सर ग्राइंडर, एयर कूलर और रूम हीटर श्रेणियों में मार्केट लीडर है। 22 ब्रांच आॅफिस, 500 वितरक और 35000 डीलरों के साथ कंपनी समग्र भारत में फैली हुई है। कंपनी का मुख्यालय दिल्ली में है और इसकी इन-हाउस विनिर्माण सुविधा हिमाचल प्रदेश के बद्दी में स्थित है, जो 10 एकड़ से भी ज्यादा खुले क्षेत्र में फैली हुई है। कंपनी किचन ऐप्लायंसिस, होम कम्फर्ट व गारमेंट केयर - इन तीन श्रेणियों में अपने उत्पाद प्रस्तुत करती है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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जब चाटुकारिता और प्रशासनिक आरोपी हों सिरमौर तो ऐसे में कैसे भला होगा हिन्दी का !

Posted on 11 September 2015 by admin

bhopal

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में विश्व हिन्दी सम्मेलन का शुभारंभ देश विदेश के हजारों हिन्दी प्रेमी शिरकत कर रहे हैं। हिन्दी भाषी देश के लिये विश्व हिन्दी सम्मेलन की मेजबानी  और उसके प्रचारू आभामण्डल से मध्यप्रदेश का गौरव बढऩा स्वाभाविक है। इस कार्यक्रम की सफलता के लिये प्रदेश सरकार तथा इसके अधीनस्थ कार्यरत अधिकारियोंए कर्मचारियों ने रात.दिन जी तोड़ मेहनत कर कार्यक्रम की सफलता को सुनिश्चित किया। इस आयोजन को भव्यता प्रदान करने के लिये भारी मात्रा में धन राशि ब्यय की गई। स्वाभाविक है कि आपाधापी में ब्यय की जाने वाली राशियों में गड़बड़ी भी होती है। ऐसा एक नहीं कई आयोजनों में हो चुका है और सीएजी की रिपोर्ट में भी इसका खुलासा किया है। मातृभाषा हिन्दी के लिये तो देश की जनता इतनी कुर्बानी तो दे ही सकती हैए हाँ सफेद पोश आयोजकोंएओहदेदार अधिकारियों एवं भ्रष्ठ ठेकेदारों की अवश्य ऐसे सुअवसरों पर चांदी हो जाती हैए तीन दिन तक चलने वाले विश्व हिन्दी सम्मेलन का ढोल भी जमकर पीटा जायेगा। प्रदेश में इस कार्यक्रम के सुचारू संचालन की जिम्मेदारी मप्रण्संस्कृति विभाग ने संभाल रखी है। यह विभाग भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है इसके प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव है। अजात् शत्रु श्रीवास्तव  आयुक्त की कुर्सी पर विराजमान है। प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव स्वयं को महान साहित्यकार की श्रेणी में मानते हैए गाहे बगाहे स्थानीय छुट.पुट कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराते रहते हैं। कुछ वरिष्ठ पत्रकारों से उनकी काफी निकटता है इसी निकटता का लाभ उठाते हुए समय.समय पर पत्रकारों से अपने नाम से आलेख लिखवाते हैं तथा अपनी महानता का बखान स्वयं तथा उनके कुछ चाटुकार करते फिरते हैं। हिन्दी के इतने बड़े ज्ञाता है कि इनके विभाग को यह भी पता नहीं है कि अमीर खुसरो सही नाम है या आमिर खुसरो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सिर्फ एक ही मकसद रहता है राष्ट्रीय नेताओं को साधों और अपनी कुर्सी सलामत रखो। एक तरह से उन्होंने विश्व हिन्दी सम्मेलन के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विश्वास हासिल करने का हर संभव प्रयास किया हैए बहरहाल वे अपने मकसद में कितने सफल या असफल हुये यह तो वे या श्री मोदी ही जाने। वहीं संस्कृति संचालनालय के आयुक्त अजातशत्रु श्रीवास्तव की कार्यशैली जग जाहिर है। ये पद पर रहते हुए हिन्दी साहित्य प्रकाशन और लेखन रॉयल्टी के नाम से बड़ा खेल खेल रहे है। इनके पास संग्रहालय के अधीन प्रदेश के लेखकों द्वारा लिखित पुरातत्विक साहित्य संकलन छपवाने का जिम्मा है जिसमें इन्होंने भारी घाल.मेल कर रखा है। इसमें लेखकोंं को रायल्टी दिये जाने का भी प्रावधान है पर अजात् शत्रुजी ने ऐसा परम्परागत व्यवस्था को कायम रखते हुए कारनामा कर दिखलाया कि देखने वाले दंग रह जाये। लेखक कोईए छपे किसी के नाम से और आजीवन रॉयल्टी ले कोई। ये लेखक अधिकांशतरू सरकारी अधिकारी होते है और रायल्टी भी इन्हीं के खाते में जाती रही। छपाई का काम मध्यप्रदेश माध्यम जो कि मण्प्रण् जनसंपर्क विभाग के अधीन चिटफंड कंपनी तर्ज पर संचालित होने वाला रखैल रूपी संस्थान है। जिसके चेयरमेन स्वयं मुख्यमंत्री है। पूरा साहित्य अजात शत्रु श्रीवास्तव के आदेश पर छापता है। कुछ सौ किताब छपती है और हजारों  पुस्तकों के प्रिटिंग बिल बनाये जाते है। इस तरह साहित्यकारों और लेखकों  के नाम पर जमकर कलाधन.सफेद धन का खेल वर्षो से चल रहा है।  इनके विभाग द्वारा इस संबंध में यह जानकारी मांगने पर कि प्रकाशन छपे और कहां कितने बटेएउपलब्ध प्रकाशनों की सूची आदि आदि ण्ण्ण्यह इनके विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। इसके पुख्ता प्रमाण स्वराज्य न्यूज के पास मौजूद है। तीसरी पारी की शुरूआत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहली कैविनेट बैठक में भष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के लिए जीरोटारलेस की घोषणा की थी और प्रदेश की जनता को उनसे कुछ ऐसी उम्मीद भी थी। समय बीतने के साथ ही मुख्यमंत्री स्वयं अपने वायदे को भूल गये है और उनके इर्द.गिर्द पूरी भ्रष्टाचारियों की जमात जुट गई है कुछ के खिलाफ तो उच्च न्यायालय तक ने भी सख्त टिप्पणियां की है और उनके खिलाफ आपराधिक कृत्य को दृष्टिगत रखते हुए प्राथमिकी दर्ज करके कार्यवाही की अनुसंसा भी की हैए पररन्तु ये सबके सब मुख्यमंत्री जी के नाक के बाल बने हुए है और प्रदेश की जनता की छाती पर मंूग दलते नजर आ रहे हैं। हर जगह मुख्यमंत्री को गुमराह कर स्वयं के स्वार्थ सिद्धि में जुटे रहते हैं। संस्कृति महकमे के मठाधीशों को यह भी याद नहीं रहा कि हिन्दी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने के अहम किरदार रहे गोविंद वल्लभ पंत जो कि उत्तर प्रदेश के निवासी थे तथा आजादी प्राप्त होने के बाद उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री भी बने थेए हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित कराने के लिये लंबा संघर्ष किया थाए राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद उन्हें पंण् जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में गृहमंत्री बनाया गया थाए उनके संघर्ष के कारण हिन्दी को राष्ट्र भाषा का दर्जा हासिल हुआ। ऐसे महान पुरूष का 10 सितम्बर जन्मदिन है प्रदेश के सस्कृति विभाग के पुरोधाओं ने यह भी उचित नहीं समझा कि कार्यक्रम के दौरान कहीं एक जगह भी उनके नाम का उल्लेख तक कर दें।  पूरे शहर में मोदी ही मोदी की तस्वीर छाई रहीं वह भी हिन्दी के नाम पर हिन्दी की सेवा में प्रण.प्राण से जुटे पुरोधा को इतने बड़े शहर में एक फोटो या बैनर तक मुहैया नहीं हो सका। दूसरी ओर मण्प्रण् के कई ऐसे साहित्यकार भी है जो पद्श्री अलंकरण से संम्मानित हो चुके है परन्तु उन्हें इस भव्य आयोजन से उन्हें दूर रखा गया है । क्या यह हिन्दी प्रेमी
और साहित्यकारों का सुनियोजित अपमानित करने की चेष्टा तो नही है। इन सरकारी चाटुकारों की वजह से हिन्दी भाषाए भारतीय चिकित्सा पद्धति तथा रामराज्य की कल्पना करना बेमानी है। ये चाटुकार खाते तो हिन्दी की है पर इनकी औलादें विदेशों में अंग्रेजियत की गुलाम बनी हुई है। जितने भी आज हिन्दी के नाम पर हिन्दी.हिन्दी खेल रहे हैं इनमें से कितनों की औलादें हिन्दी माध्यम या सरकारी स्कूलों में पढ़ी है। क्या इसका जबाव है किसी के पास। ये तो येन.केन प्रक ारेण से जनता के खून.पसीनों की कमाई को ठिकाने लगाने में पारंगत हैं और राजनेताओं को गुमराह करने में महारत हासिल किये हुए हैं। जिसकी वजह से ये ऊँचे ओहदों की कुर्सियों को हथियाये हुए हैंए राजनेताओं को उंगलियों पर नचा अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। ऐसा में भला ऐसे अधिकारियों के नेतृत्व में हिन्दी का कितना विकास होगाए यह सोच का विषय है।

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दलितों की ज़मीन ग़ैर-दलितों द्वारा ख़रीदे जाने पर लगी क़ानूनी रोक समाप्त करने का उ.प्र. सपा सरकार का फैसला ’’घोर दलित-विरोधी व उसकी जातिवादी सोच व साजि़श का परिणाम’’।

Posted on 13 August 2015 by admin

दलितों की ज़मीन ग़ैर-दलितों द्वारा ख़रीदे जाने पर लगी क़ानूनी रोक समाप्त करने का उ.प्र. सपा सरकार का फैसला ’’घोर दलित-विरोधी व उसकी जातिवादी सोच व साजि़श का परिणाम’’। दलितों को आजीवन शोषित-पीडि़त व भूमिहीन एवं खेतिहर मज़दूर ही बनाये रखने की सपा की ज़हरीली साजि़श: बी.एस.पी. प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने उत्तर प्रदेश में दलितों की ज़मीन ग़ैर-दलितों द्वारा ख़रीदे जाने पर लगी क़ानूनी रोक को समाप्त करने सम्बंधी प्रदेश समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार द्वारा हाल ही में लिये गये फैसले की तीखी आलोचना करते हुये कहा कि यह घोर दलित- विरोधी फैसला वास्तव में दलितों को पूर्ण रूप से भूमिहीन बनाये रखने की जातिवादी सोच व साजि़श का ही परिणाम है और इससे अब ख़ासकर सपा के गुण्डों व माफि़याओं द्वारा प्रदेश भर में दलितों की ज़मीन पर जबरन क़ब्ज़ा करने की होड़ लग जाने की आशंका बढ़ गयी है।

बी.एस.पी. प्रमुख सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि वैसे तो दलित समाज के लोग इस देश में व्याप्त वर्ण व्यावस्था के कारण सदियों से ही भूमिहीन रहे हैं, परन्तु परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के अथक प्रयासों के कारण यहाँ देश में उनके द्वारा बनाये गये मानवतावादी संविधान व उसमें आरक्षण की व्यावस्था के कारण देश की आज़ादी के बाद इस शोषित वर्ग के लोग जो थोड़ी भूमि अपनी रोज़ी-रोटी के लिये अर्जित कर पाये हैं, उसे भी उत्तर प्रदेश की सपा सरकार अपनी जातिवादी सोच व ज़हरीली नीति के कारण उन दलितों से छीन करके उन्हें आजीवन भूमिहीन ही बने रहने को विवश करना चाहती है। इसी कारण सम्बन्धित क़ानून में संशोधन करने का प्रस्ताव प्रदेश मंत्रिमंण्डल द्वारा दिनांक 4 अगस्त सन् 2015 को पारित किया गया है।

जबकि उत्तर प्रदेश ज़मीनदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था क़ानून, 1950 की धारा 157 (क) में स्पष्ट प्रावधान है कि अनुसूचित जाति के भूमिधर व्यक्ति कलेक्टर की पूर्व स्वीकृत के बिना दलित वर्ग के व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को ना तो ज़मीन बेच सकते हैं और ना ही दान, बंधक, या पट्टा द्वारा अंतरित कर सकते हैं। साथ ही, कलेक्टर दलित समाज के व्यक्ति को किसी अन्य वर्ग के लोगों को ज़मीन बेचने की अनुमति तभी दे सकते हैं जब दलित के पास कम-से-कम  1.26 हेक्टेयर से अधिक ज़मीन हो। यही नहीं, बेचने के बाद भी इतनी ही ज़मीन उसके पास बची भी रहनी चाहिये।

इसी ही क़ानूनी प्रतिबन्ध के कारण दलित समाज के कुछ लोगों के पास आज थोड़ी भूमि बच पायी है, वरना इस वर्ग की ज़्यादातर आबादी भूमिहीन हैं और खेतिहर मज़दूरी व दैनिक मजदूरी करके अपना जीवन किसी प्रकार गुज़र-बसर करने को विवश हैं।
ठीक ऐसे समय में जबकि आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाकर दलित समाज के लोगों को सरकारी नौकरियों से भी वंचित रखने का षड़यंत्र रचा जा रहा है व साथ ही वर्षो पहले प्रमोशन पाने वाले सरकारी कर्मचारियों को नीचे के पद पर ढकेलने का जुल्म ढाया जा रहा है, उत्तर प्रदेश सपा सरकार द्वारा दलित वर्ग के लोगों को भूमिहीन बनाये रखने का फैसला दलित वर्ग के लोगों के हितों पर एक बड़े कुठारघात जैसा है।

निश्चित रूप से वर्तमान सपा सरकार का यह फैसला भी उन फैसलों जैसा ही है जोे बी.एस.पी. सरकार बनने पर उसे फौरन ही रद्द करके कूड़े की टोकरी में डाल दिये जाने योग्य है। वर्तमान में भी विधानमण्डल सत्र के दौरान इस विधेयक का डटकर विरोध करके इसे पारित होने से रोकने का हर संभव लोकतांत्रिक प्रयास किया जायेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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आपदा राहत घोटाले पर मुख्य सचिव की लीपापोती पर जलजला?

Posted on 20 July 2015 by admin

हरीश रावत स्‍वयं के राजनीतिक चक्रव्यूह में फंसे ;आपदा राहत घोटाले पर मुख्य सचिव से क्लीन चिट Execlusive Report: present by www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) CS JOSHI- EDITOR

भाजपा नेता अभिमन्‍यु जी कहते हैं कि मुख्य मंत्री हरीश रावत वैसे तो राजनीतिक चातुर्य के धनी हैं। परन्तु जैसे कि कहावत है कि तैराक ही डूबता है, आपदा रहत घोटाले में मुख्य सचिव से क्लीन चिट लेकर हरीश रावत खुद अपने ही रचाये राजनीतिक चक्र-व्यूह में बुरी तरह फंस गये हैं। इसमें से जितना ही वे निकलने का प्रयास करेंगे उतना ही धंसते चले जायेंगे। वही भाजपा प्रवक्‍ता बलराज पासी ने आपदा घोटाले की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्‍य सचिव ने अधिकारियों और सरकार को बचाने के लिए लीपापोती की, भाजपा सीबीआई जांच की मांग सत्र में उठायेगी-*
वही भाजपा की आगामी रणनीति को महसूस कर उत्तराखण्ड शासन के मुख्य सचिव श्री एन. रविशंकर ने 19 जुलाई 15 को राजभवन में राज्यपाल डा0 कृष्ण कांत पाल से भेंट करके उन्हें 2013 की आपदा राहत में अनियमितताओं से सम्बंधित शिकायत की जाॅच रिपोर्ट सौंपी। सूच्य है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत शिकायतों के आधार पर सूचना आयुक्त की संस्तुतियों सम्बंधी पत्र पर मुख्यमंत्री द्वारा एक जून को मुख्य सचिव को जाॅच सौंपी गई थी। उसी जाॅच रिपोर्ट और संस्तुतियों की प्रति मुख्य सचिव द्वारा आज राज्यपाल को सौंपी गई है।
वही ज्ञात हो कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने साफ ऐलान किया था भगवान भी आ जाएं तो भी सीबीआई जांच नहीं होगीःअब ऐसे में किस नौकरशाह की हिम्मनत थी कि राज्य सरकार से सीधे सीधे टकराता- वही ऐसे समय में जब स्वयं मुख्य् सचिव को अपनी नई नौकरी के लिए मुख्यमंत्री की खुशामद करनी है, और अपर सचिव को मुख्य सचिव बनना है- ज्ञात हो कि मुख्‍य सचिव का कार्यकाल पूरा हो रहा है और उनको राज्‍य का नया सूचना आयुक्‍त बनाये जाने की तैयारी चल रही है-
आपदा रहत घोटाले का RTI में खुलासा होने पर हरीश रावत की पहली प्रतिक्रिया एक राजनेता के अनुरूप थी कि दोषियों को कड़ी सजा दिलायेंगे। परन्तु न जाने किसने कान में फूँक मार दी उन्होंने यू टर्न लिया और दोषियों को बचाने के लिये मुख्य सचिव की जाँच बैठा दी।
मुख्य सचिव से क्लीन चिट पाकर मुख्य मंत्री सहित कांग्रेस पार्टी भले ही अपना गाल बजा रही हो उसे उत्तराखंड की जनता को जवाब तो देना ही होगा कि यदि आपदा राहत में कोई घोटाला नहीं हुआ तो तीन साल गुजर जाने के बाद भी आपदा पीड़ितों का अभी तक पुनर्वास क्यों नहीं हुआ? क्या मुख्य मंत्री हरीश रावत मानते हैं कि आपदा राहत के कार्यों में राज्य की नौकरशाही ने पूर्ण कर्तव्य-निष्ठां व ईमानदारी बरती? क्या इसी राजनीतिक चातुर्य के बल पर वो उत्तराखंड की जनता के दिलों पर राज करना चाहते हैं?
शायद वो नहीं समझ पा रहे कि आपदा राहत घोटाले पर मुख्य सचिव से क्लीन चिट लेकर उन्होंने उत्तराखंड कांग्रेस के death warrant पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। मुख्य मंत्री जी चाहे न चाहे जनता का दबाव समय के साथ बढ़ता जायेगा और देर-सबेर CBI जाँच की मांग उन्हें माननी ही होगी।
नेता प्रतिपक्ष उत्तराखण्ड विधानसभा श्री अजय भटृ ने आपदा घोटाले में सूचना आयुक्त द्वारा मामले को अत्यधिक गम्भीर व बडा घोटाला बताते हुए इसकी सी०बी०आई० जॉच कराये जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने सी०बी०आई० जॉच न कराकर मुख्य सचिव को इसकी जॉच सौंप दी और हमने उसी दिन कह दिया था कि सरकार इस जॉच में सभी को क्लीन चिट दे देगी तथा मुख्य सचिव वही जॉच करेंगे जो सरकार चाहेगी और इस घोटाले में पूरी सरकार संलिप्त है तो भला मुख्य सचिव की देख-रेख वाली कमेटी कैसे इसमें घोटाला साबित कर सकती थी।
चंद्र प्रकाश बुडाकोटी जन लोक केसरी उत्तराखंड लिखते हैं कि साल 2013 में आयी भीषण आपदा के बादराहत अभियान में जब पिछले दिनों घोटाला उजागर हुआ तो उत्तराखंड और कांग्रेस सरकार की खूब किरकिरी हुई। उस घोटाले को लेकर सरकार की राज्य ही नहीं देशभर में भी आलोचना हुई। घोटाला उजागर होने के बाद सकते में आई राज्य सरकार ने इसकी जांच मुख्य सचिव को सौंप दी।
लेकिनजांच की रिपोर्ट जब सामने आई घोटाला कहीं गायब हो गया। राज्य सरकार की जांच के अनुसार असल में घोटाला हुआ ही नहीं।जांच रिपोर्ट में सामने आया कि आपदा राहत में हुई गड़बड़ी कोई घोटाला नहीं बल्कि लिपिकीय त्रुटिहै। शुक्रवार को जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए मुख्य सचिव एन.रविशंकर ने यह जानकारी दी। मुख्य सचिव के मुताबिक जांच में भुगतान में किसी तरह की कोई अनियमितता सामने नहीं पायी गई। साथ ही उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत उजागर हुए आपदा राहत घोटालेके मामले में राज्य सरकार को क्लीनचिट दे दी।उन्होंने कहा कि इस त्रुटि की जिम्मेदारी तय करने और प्रशासनिक कार्यवाही करने का अधिकार मंडलायुक्त गढ़वाल और कुमाऊं को दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विधानसभा अध्यक्ष से भी आग्रह किया है कि आपदा प्रबंधन के मामलों को लेकर सर्वदलीय समिति का गठन किया जाए जो स्थलीय निरीक्षण करें और सरकार को सुझाव भी दें।शुक्रवार को सचिवालय में जांच रिपोर्ट पर जानकारी देते हुए एन. रविशंकर ने कहा कि लिपिकीय त्रुटि के कारण सूचना के अधिकार में गलत सूचनाएं दी गईं। इससे सूचना आयुक्त ने यह निष्कर्ष निकाला कि आपदा राहत में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि एक जून 2015 को मुख्यमंत्री के निर्देश पर आपदा राहत घोटाले की जांच शुरू की गई थी। जांच में सहयोग के लिए संबंधित विभागों के सचिवों की समिति भी बनाई गई थी।उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ के जिलाधिकारियों से तथ्यात्मक रिपोर्ट ली गई। 30 जून को मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी दी गई। मुख्य सचिव के मुताबिक जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की की अनुमति दे दी है। जांच रिपोर्ट विभागीय वेबसाइट पर सोमवार तक अपलोड कर दी जाएगी।राज्य सरकार ने विधानसभा अध्यक्ष से सर्वदलीय समिति का गठन करने का आग्रह भी किया है। सर्वदलीय समिति से यह भी अपेक्षा की गई है कि समिति2013 की आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों से विवरण हासिल करे। स्थलीय निरीक्षण करे और आपदा प्रबंधन में सुधार के लिए संस्तुति दे
: ये थेआरोप और जांच के बाद स्पष्टीकरण:——–राहत अभियान के दौरान मांस खाया गया। आपदा के समय पिकनिक मनाई गई।*.आधा किलो दूध की कीमत 194 रुपये बताई गई*.मोटरसाइकिल में डीजल भरवाने का बिल पाया गया*.हेलीकाप्टर से फंसे यात्रियों कोनिकालने का बिल 98 लाख*.रुद्रप्रयाग में अधिकारियों के रहने और खाने पर 25.19 लाख का भुगतान*.पर्यटक आवास गृह कुमाऊं मंडल के लाखों रुपये के बिल मानवता को शर्मसार/कलंकित करने वाले हैं।दरअसल आरटीआई के तहत देहरादून निवासी भूपेंद्र कुमार ने प्रशासनसे आपदा राहत का पूर्ण विवरण मांगाथा। जब यह जानकारी पूरी नहीं मिली तो मामला राज्य सूचना आयुक्त तक पहुंचा। राज्य सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा ने आपदा राहत के मामलेमें आपदा प्रबंधन पर तल्ख टिप्पणी की। आयुक्त ने मामले की सुनवाई करते हुए यह साफ कहा कि आपदा राहत कार्य में मिली जानकारी किसी बड़े घोटाले की तरफ इशारा कर रही है।आयुक्त ने सरकार से सीबीआई जांच कराने को कहा था। इस पर विपक्ष ने भी खूब हो-हल्ला मचाया तो मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्य सचिव को आरटीआई में उठे बिंदुओं परजांच करने के निर्देश दिए।ये है आरोपों पर बिंदुवार सफाई*.आपदा के अवसर पर मांसाहारी पदार्थों का सेवन किया गया। राहत दल में सेना के लोग भी शामिल थे। सेना में मांसाहार की परंपरा है। विषम परिस्थितियों में मांसाहार को अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए। इसको पिकनिक मनाना परिभाषित करनाउचित नहीं है।*.आधा किलो दूध तरल नहीं बल्कि पाउडर दूध था। आरटीआई में सूचना देते समय यह स्पष्ट रूप से नहीं दर्शाया गया। तहसील कपकोट का यह मामला पिंडारी ट्रैक में फंसे 47लोगों को निकालने का है। राजस्व निरीक्षक ने 25 किलोमीटर पैदल चलकर इस दूध को पहुंचाया, ऐसे मेंयह छोटी सी गलती संभव है।*.वाहन UA 07A 0881 में 25 लीटर डीजल भरवाना दर्शाया गया जो कि एकमोटरसाइकिल का नंबर है। वास्तव में यह वाहन UA 07TA 0881 है जो एक टैक्सी का नंबर है।*.बचाव कार्य में जरूरत को देखते हुए यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए हेलीकॉप्टर की ट्रिप और यात्रियों की संख्या तो है पर यात्रियों के नाम नहीं है। जिलाधिकारियों ने बताया कि आपदा बचाव कार्य में इतना समय नहीं था कि यात्रियों के नाम पते भी लिखे जाते। हालांकि इस खर्च में अनियमितता नहीं पाई गई।*.एक मामला कैलास रेंसीडेंसी गुप्तकाशी का है। वास्तविक रूप से भुगतान 4000 रुपये प्रति कमराप्रति दिन का हुआ। जरूरी वस्तुओं की कमी होने पर खाने-पीने के बिलों को अनुचित बताया जाना सही नहीं होगा। एक लाख रुपये का भुगतान वVायुसेना के अधिकारियों के हिसाबसे आपदा घोटाला उजागर होते ही जाँच की बात करते समय जिसका अंदेशा था वही हुवा जाँच रिपोर्ट के मुताबिक घोटाला हुवा ही नहीं यह लिपिकीय त्रुटि थी

regards
CS JOSHI
Journalist
Ddun
mob. 9412932030
mail; csjoshi_editor@yahoo.in

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विकास का झूठा ढंढोरा पिटने में जुटी सरकार

Posted on 16 May 2015 by admin

त्यूनी से धारचूला पदयात्राः उत्तराखण्ड बचाओ आंदोलन का शंखनाद  रुउत्तराखण्ड में  सभी पार्टियों ने जनता को केवल गुमराह ही किया रु सरकार अपनी कल्याणकारी भूमिका से पीछे  ६७ साल बाद भी उत्तराखण्ड के गाँव एक अच्छी सुबह देखने से वंचित  रुसाढे ६ लाख गाँव स्वतन्त्रता का दम नही भर सकते रुगाँव की पहचान चुनावों में मतदाता से ज्यादा नही रुउत्तराखण्ड राज्य गठन के १५ वर्ष  रुउत्तराखण्ड राज्य से जुडी आशाएं ध्वस्तरुलोगों के सपने ढेर  रुआन्दोलनकारी ताकतें हताश व निराश रुसब खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं  रु उत्तराखण्डियों को आशा थी कि रु नीतियां उनके अनुरूप बनेंगी रु जलए जंगलए जमीन पर लोगों के हक हकूक बनें रहेंगे रु शिक्षा स्वास्थ्य तक आम आदमी की पहुंच होगी रु गांवों में रोजगार के अवसर पैदा होने से पलायन रूकेगा। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ रुराज्य में प्राकृतिक संसाधनों की लूट  रुशिक्षा.स्वास्थ्य की स्थिति बदहाल   रु बेरोजगारी के हालात बदस्तूर  रु रोजगार के अवसर समाप्त कर नियुक्तियां ठेके पर  रुन पंचायत नियमावली में संशोधन कर उन्हें वन विभाग के नियंत्रण में दे दिया   रु तराई की वेशकीमती जमीनें कौडयों के भाव उद्योगपतियों को दी रु  उर्जा प्रदेश के नाम पर ५५६ से अधिक बांध बनाकर उपजाउ जमीनों को डुबोने की तैयारी  रु पीण्पीण्पीण्मोड के जरिये आम जनता को शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी अधिकारों से वंचित रु  उत्तराखण्ड में १६ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पीण्पीण्पीण्मोड में  रु १८०० राजकीय प्राथमिक विद्यालय कम छात्रों की संख्या होने के कारण बंदी के कगार पर  रु अल्मोडा तथा पौडी जैसे समृद्ध जिलों में राज्य बनने के बाद आबादी का घटना सरकार के विकास के दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। लगभग ३६०० गाँव वीरानी की ओर अग्रसर हैं। रु चन्‍द्रशेखर जोशी सम्‍पादक द्वारा प्रस्‍तुत एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट. लॉग ऑन करें. ूूूण्ीपउंसंलंनाण्वतह ;न्ज्ञ स्मंकपदह छमूेचवतजंसद्ध  उत्‍तराखण्‍ड के सामाजिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्व वेब पोर्टल
प्रख्यात समाजसेवी तथा पदमश्री डा० अनिल प्रकाश जोशी के नेतृत्व में त्यूनी से धारचूला: गांव बचाओ आंदोलन का शंखनांद शुरू होने जा रहा हैए इसके लिए २४ मई २०१५ को राज्य के गांवों से सन्दर्भित एक गोष्‍ठी का आयोजन देहरादूनए उत्तराखण्ड में किया गया है। आज आवश्‍यकता महसूस की जाने लगी है कि उत्तराखण्ड बनने के १५ वर्षो में गांव का दमखम लगातार बिगडता चला गया। वहीं दूसरी तरफ सरकारें विकास का झूठा ढंढोरा पिटने में जुटी रही। इन्हीं गांवों ने उत्तराखण्ड के सृजन में कई तरह की बलि दी हैं पर आज वे हताश और भौचक्कें है। गांव के बिगडते हालातों व सरकारों का नकारापन एक नयी चुनौती के रूप में फिर से हमारे बीच में हैं। इन तमाम मुददों पर बातचीत करने के लिए व अगामी गांव बचाओं आन्दोलन की रणनीति पर चर्चा के लिए आम जन सहभागिता की अपील की गयी है। डा० अनिल जोशी ने आह्वान किया है कि
भाई बहनों
स्वतन्त्रता के ६७ साल बाद भी उत्तराखण्ड के गाँव एक अच्छी सुबह देखने से वंचित हैं। यह कहानी सारे देश की है। आज देश की पहचान ८००० शहर और २२००० कस्बे तक ही सीमित है। साढे ६ लाख गाँव आज भी देश की स्वतन्त्रता का दम नही भर सकते। देश की प्रगति एक पक्षीय दिखाई देती है। सरकारों की मंशा गाँव से अलग विकास के चारों तरफ केन्द्रित है। गाँवों में रोशनी और निराशा को कभी भी स्वतन्त्रता के बाद मुहांसा नही मिला गाँव की आज बडी पहचान चुनावों में मतदाता से ज्यादा नही समझी जाती।
नवोदित उत्तराखण्ड राज्य इस कडी का एक बडा उदाहरण है। राज्य की कल्पना के पीछे इसके गाँव की व्यथा राज्य की मांग का बडा हिस्सा रही है। इस आन्दोलन में उत्तराखण्ड के हर गाँव की उपस्थिति प्रमुख रूप से दर्ज थी। इसके पीछे एक बडी आशा थी कि राज्य मिलने के बाद गाँव के हालात बहुरेंगें।
उत्तराखण्ड राज्य गठन के १५ वर्ष होने जा रहे हैं। इन वर्षो में उत्तराखण्ड राज्य से जुडी आशाएं ध्वस्त हो गयी हैं। नये राज्य को लेकर लोगों के सपने ढेर हो गये हैं। आन्दोलनकारी ताकतें हताश व निराश हैं। सब खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं।
उत्तराखण्डियों को आशा थी कि राज्य बनने के बाद इस हिमालयी राज्य में उनकी अपनी सरकार होगीए जो यहां के घर बाहर के मुद्दों को भलिभांति समझेगी। नीतियां उनके अनुरूप बनेंगी। जलए जंगलए जमीन पर लोगों के हक हकूक बनें रहेंगे। शिक्षा स्वास्थ्य तक आम आदमी की पहुंच होगी। गांवों में रोजगार के अवसर पैदा होने से पलायन रूकेगा। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसके विपरीत राज्य में प्राकृतिक संसाधनों की लूट तेज हो गयी। शिक्षा.स्वास्थ्य की स्थिति बदहाल हुई। महंगाई से आम आदमी त्रस्त हुआ। बेरोजगारी के हालात बदस्तूर हैं। रोजगार के अवसर समाप्त कर नियुक्तियां ठेके पर चल पडी हैं। उद्योगों में रोजगार के नाम पर युवाओं का अत्यधिक शोषण हो रहा है। सरकार पहाड पर चढने में असमर्थ हुई है। गैरसैंण राजधानी के मसले पर अब तक सत्ता में काबिज रही सभी पार्टियों ने जनता को केवल गुमराह ही किया है।
राज्य बनने के तत्काल बाद २००१ में वन पंचायत नियमावली में संशोधन कर उन्हें वन विभाग के नियंत्रण में दे दिया गया। उसी वर्श वन अधिनियम में संशोधन कर आरक्षित वनों तक वनोत्पाद को लाना अपराध की श्रेणी में डाल दिया गया। तराई की वेशकीमती जमीनें कौडयों के भाव उद्योगपतियों को दी गयी हैं। लचीले भू कानूनों के चलते समूचे राज्य में काश्‍तकारों की जमीनों की बडे पैमाने पर खरीद फरोख्त हुई है। उर्जा प्रदेश के नाम पर ५५६ से अधिक बांध बनाकर उपजाउ जमीनों को डुबोने की तैयारी की जा रही हैए जबकि इसका कोई लाभ यहां की जनता के पक्ष में नही पडने वाला।
सरकार अपनी कल्याणकारी भूमिका से पीछे हट चुकी है। पीण्पीण्पीण्मोड के जरिये आम जनता को शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। उत्तराखण्ड में १६ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पीण्पीण्पीण्मोड में दिये जा चुके हैं। इन अस्पतालों में की जा रही लूट के खिलाफ जनता आन्दोलित हैए लेकिन सरकार के कान में जूं नही रेंगती। स्वास्थ्य केन्द्र रैफरल सेन्टर बनकर रह गये हैं। और शिक्षा के हालात भी इतने ही दयनीय हैं। राज्य में १८०० राजकीय प्राथमिक विद्यालय कम छात्रों की संख्या होने के कारण बंदी के कगार पर हैं।
भूमि बंदोबस्त व चकबंदी के सवाल पर सभी सरकारें मौन हैं। समय पर भूमि बन्दोबस्त ना होने से गाँवों में पलायन बढा है। हमारी युवा षक्ति श्रमषील है। लेकिन भूमि के अभाव में बैरोजगार है। भूमि बन्दोबस्त व साथ में चकबन्दी भी एक बडा मुद्दा है। कठोर वन एवं भू कानूनों के चलते ग्रामीणों के कृशि एवं पषुपालन जैसे पुष्तैनी व्यवसायों पर सीधा हमला हुआ है। रही.सही कसर जंगली जानवरों ने पूरी कर दी है। आज उत्तराखण्ड के गाँवों की पहली समस्या वन्य जीवों से खेती व जान को बचाना है। इनके संरक्षण के नाम पर नये सिरे से इकोसेन्सीइटव जोन बनाने के प्रयास जारी है। उत्तराखण्ड में वन्य जीवों की तुलना में आदमी को बोना कर दिया गया है। अब संरक्षित क्षेत्रों की सीमा से लगे १० किलोमीटर के दायरे को इको सेंसटिव जोन बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। दूसरी तरफ लम्बे संघर्श के बाद २००६ में अस्तित्व में आये वनाधिकार कानून को लागू करने में सरकार नाकाम रही हैं।
पहाडों में घटती जनसंख्या और षहरों में बढता दबाव राजनैतिक असन्तुलन पैदा करने की कगार पर आ चुका है।पलायन की गति सुविधाओं के अभाव में तेजी से बढने वाली है। जनसंख्या के आधार पर किये गये परिसीमन ने पर्वतीय राज्य की अवधारणा पर गहरी चोट पहुंचाई है। अब विधानसभा में पहाडों का प्रतिनिधित्व नये समीकरणों से घटता जायेगा। अल्मोडा तथा पौडी जैसे समृद्ध जिलों में राज्य बनने के बाद आबादी का घटना सरकार के विकास के दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। लगभग ३६०० गाँव वीरानी की ओर अग्रसर हैं।
इन परिस्थितियों में उत्तराखण्ड के तमाम सामाजिक संगठनों ने गहन विचार मंथन के बाद गांव बचाओं आंदोलन करने की ठानी है। इसके लिए सितम्बर २०१५ में संपूर्ण उत्तराखण्ड में यात्रा करने के बाद देहरादून में विशाल प्रदर्शन कर आगे की रणनीति बनाना तय किया गया है। त्यूनी से धारचूला की यह यात्रा पहाड के सामाजिकए राजनैतिक व आर्थिक प्रश्नों को लोगों के बीच में उतारेगी। हमारा जनपक्षीय उत्तराखण्ड निर्माण की पक्षधर जनता से अनुरोध है कि आम जन की अपेक्षा के अनुरूप राज्य निर्माण हेतु गांव बचाओ आंदोलन में भागीदारी कर अपनी जागरूकता व कर्तव्य का परिचय दें।

चन्‍द्रशेखर जोशी

सम्‍पादक

द्वारा प्रस्‍तुत एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कल कोलकाता में देश को तीन सामाजिक सुरक्षा की योजना समर्पित करेंगे।

Posted on 09 May 2015 by admin

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कल कोलकाता में देश को तीन सामाजिक सुरक्षा की योजना समर्पित करेंगे। यह योजना प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजनाए अटल पेंशन योजनाए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के नाम से होगी। उ0प्र0 के विभिन्न शहरों में भी यह योजना केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा देश को समर्पित की जायेगी। लखनऊ में केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ए आगरा में श्री कलराज मिश्र ए मेरठ में श्री चौधरी बीरेन्द्र सिंहए इलाहाबाद में श्री मुख्तार अब्बास नकवीए कानपुर में सुश्री उमा भारतीए वाराणसी में श्री एम वैंकैय़ा नायडू और बरेली में श्रीमती मेनका गांधी इस योजना का शुभारम्भ करेंगी।
यह योजनाएं पूरे देश में 09 मई 2015 को एक साथ सायं 6ण्00 बजे देश को समर्पित की जायेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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श्री अरविंद सक्सेशना यूपीएससी के सदस्या नियुक्त्

Posted on 09 May 2015 by admin

श्री अरविंद सक्सेसना की संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यर के रूप में नियुक्ति की गई है। श्री सक्से्ना का कार्यकाल आयोग के सदस्यय के रूप में कार्यालय में उनके प्रवेश की तारीख से शुरू होगा। इस समय वह विमानन अनुसंधान केन्द्र  ;एआरसीद्ध में निदेशक और पदेन विशेष सचिव हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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उत्पांदन और उत्पाोदकता में वृद्धि केवल कृषि क्षेत्र में अनुसंधान से ही सम्भंव है.श्री राधामोहन सिंह

Posted on 09 May 2015 by admin

केन्द्री य कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने आज इस्तां बुलए तुर्की में आयोजित जी.20 कृषि मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंबने कहा कि अधिक पहल शामिल करने की अपेक्षा वर्तमान पहलों के लिए जवाबदेही और निगरानी के लिए स्वोयं को अधिक निर्देशित करने की जरूरत है। मंत्री महोदय ने उत्पारदन और उत्पाोदकता बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में अनुसंधान की जरूरत पर जोर दियाए जिससे मूल्यन अस्थिरता से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंेने खाद्य सुरक्षाए मूल्यग स्थिरताए खाद्य पदार्थों की बर्बादी और हानि कम करने जैसे विभिन्नं मुद्दों पर भी जोर दिया। श्री सिंह ने किसानों की भलाई के लिए सरकार की पहलों के बारे में भी जानकारी दी।
कृषि मंत्री के संबोधन का मूल पाठ इस प्रकार है .
मैं सबसे पहले जी.20 देशों का अध्येक्ष बनने पर तुर्की को बधाई देता हूँ। इसके साथ ही मैं बैठक में शामिल होने वाले सभी प्रतिनिधियों का खुले दिल से स्वासगत करता हूँ एवं आतिथ्यद के लिए मेजबान देश का आभार व्यरक्त  करता हूँ।
हाल ही में जी.20 देशों का योगदान और भूमिका खाद्य असुरक्षा और वैश्व्कि रूप से कुपोषण की समस्याह का सामना करने के लिए बहुत महत्वनपूर्ण हो गया है। सतत खाद्यान्नय प्रणाली को प्राप्त  करने की ओर सहायता देने के लिए हमारे देशों की जिम्मे दारी और अधिक बढी है।
वर्ष 2008.09 में विश्वि समुदाय द्वारा सामना की गई मन्दीा से यह निष्क र्ष निकला कि वैश्वि।क समस्या0ओं का समाधान वैश्वििक रूप से एकजुट होकर कार्य करने में है। विकास पर बहुवर्षीय कार्य योजना के तहत सियोल सम्मेालन के दौरान हमारे नेताओं ने वैश्वि क कृषि और खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम ;जीएएफएसपीद्ध और अन्या द्विपक्षीय और बहुपक्षीय चैनलों के माध्यनम से की गई प्रतिबद्धताओं का स्वािगत किया और कृषि के विकास के लिए निवेश और वित्तीहय सहायता को बढ़ाने पर जोर दिया। फ्रांस की अध्याक्षता के दौरान खाद्य मूल्यत अस्थियरता और कृषि पर एक कार्य योजना तैयार की गई थी ताकि बढ़ती हुई वैश्विकक खाद्य मांग और मूल्यप अस्थिपरता की समस्यार से निपटा जा सके। इन पहलों की शुरूआत के बाद से विशेषतरू कृषि मण्डीप सूचना प्रणाली ;एएमआईएसद्धए रैपिड रेस्पों स फोरम ;आरआरएफद्ध और आकस्मिाक मानवीय खाद्यान्नू रिजर्व के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। ब्रिस्बे‍न सम्मे लन में जी.20 नेताओं द्वारा खाद्य सुरक्षा और पोषण फ्रेमवर्क तैयार किया गया था जिसमें चुनौतियों का समाधान करने के लिए दीर्घावधिक प्राथमिकता उद्देश्यों  हेतु तीन परिणाम चिन्हिकत किए गए थे। टर्की की अध्य क्षता में भी इन वैश्विदक हित चिन्तातओं के समाधान को प्राथमिकता दी गई है।
भारत का मत है कि हमारा यह समूह जारी पहलों में और कुछ न जोड़कर इनकी जबावदेही और मॉनिटरिंग की ओर स्वायं को अग्रसर करे। भारत की हमेशा यह स्थिबति रही है कि अधिक खाद्य मूल्यी अस्थिमरता की समस्याभ के समाधान के लिए कृषि उत्पाहदन को बढ़ावा देना महत्वकपूर्ण है। कृषि उत्पाथदन को बढायें बिना खाद्य मूल्योंक में वृद्धि को रोक पाना सम्भदव नहीं होगा। तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण कृषि के लिए घटते भू आकार के साथ भारत का विश्वाीस है कि घटते संसाधनों के साथ उत्पातदन और उत्पातदकता में वृद्धि केवल कृषि क्षेत्र में अनुसंधान से ही सम्भहव है।
खाद्य सुरक्षा के सिद्धान्ता में महत्वापूर्ण परिवर्तन हुए है क्यों कि खाद्य उपलब्धषता और स्थि रता को पहले खाद्य सुरक्षा सुनिश्चिंत करने के लिए अच्छा  उपाय माना जाता था और इसे विकसित देशों द्वारा उच्चे प्राथमिकता दी जाती थी। तथापि इससे गम्भी र पारिवारिक खाद्य असुरक्षा की समस्याा का समाधान नहीं होता है। खाद्य सुरक्षा के मूल्यांिकन में अब पारिवारिक स्तरर पर खाद्यान्नक ऊर्जा ग्रहण करने को महत्वम दिया गया है हालांकि इसके लिए स्था पित मापदण्डोंक पर भी पोषणविदों ने सवाल खडे किए हैं। इस मामले में नीति तैयार करते हुए अस्था्यी और गम्भी र खाद्य असुरक्षा के बीच अंतर समझना आवश्य क है। इस समस्या‍ से निपटने का समाधान गरीब को खाद्य उपलब्धाता में सुधार और सुनिश्चि त आहार उपलब्धाता के लिए गरीबों की क्रय शक्ति  को बढाने में है।
कृषि वस्तुओं का उत्पािदन और उत्पाुदकता को बढ़ाना ही केवल चिन्ताल का विषय नहीं है बल्किर खाद्य अपशिष्टउ और हानि को रोकने के लिए भी पहल की जानी चाहिए। खाद्य अपशिष्टब को रोकने के लिए एक कार्यान्वकयन योजना की आवश्यीकता है जिसमें केवल जी.20 देशों का ही नहीं बल्किो कम आय वाले और विकासशील देशों की चिन्तायओं और उनके मत को भी ध्याान में रखा जाना चाहिए। हमें उत्पािद भण्डाीरण और रख.रखाव प्रोटोकॉल पर अनुसंधान करनेए कृषि से जुड़े उद्योगों में निवेश बढाने और फसलोंपरांत और मण्डीख से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखला में संयुक्त  रूप से उत्कृ ष्टोता केन्द्रं स्थाडपित करने का प्रयास करना चाहिए। भारत कृषि के लिए कृषि उत्पाकदकता अवसंरचना निर्माण में निवेश को बढानेए उत्पा्दकता बढाने और लघु जोत कृषि में मानव क्षमता बढाने और खाद्य हानि और अपशिष्टे को रोकने के लिए शीत और सामान्यि भण्डाारण एवं कोल्डप चेन विकास की व्याकपक योजनाएं चला रहा है जिससे खाद्य अपशिष्टि एवं हानि में गिरावट आयी है। भारत का यह मत है कि खाद्य हानि और अपशिष्टज को न्यूिनतम करने के लिए विकसित प्रौद्योगिकियां कम आय वाले देशों के अनुरूप होनी चाहिए।
भारत में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों का देश की जीडीपी में 17ण्2ः और कुल निर्यात में 14ः हिस्साृ है । देश की लगभग आधी जनसंख्याी अपनी आय के प्राथमिक स्रोत के रूप में कृषि पर निर्भर है और बहुत से उद्योगों के लिए कच्चेी माल का मुख्यअ स्रोत कृषि है। इसलिए भारत को अर्थव्यहवस्थाद की लक्षित वृद्धि के लिए और बढ़ती एवं विविध  खाद्य मांग को पूरा करने के लिए कृषि क्षेत्र की वृद्धि की गति को बनाये रखना होगा । हमने अपने कृषि क्षेत्र में तेजी से उन्नकति की है जो इस तथ्यि से व्यहक्तअ होती है कि हमारे खाद्यान्नं उत्पािदन में 2000.2001 में 197 मिलियन टन से 2014.15 में 266 मिलियन टन की वृद्धि हुई हैए जिससे न केवल हमारी घरेलू आवश्यिकता की पूर्ति होती है बल्किह वैश्विेक खाद्य सुरक्षा में भी हमारा योगदान होता है।
हमें विश्वा स है कि सार्वजनिक निवेश में वृद्धि द्वारा और निजी क्षेत्र सहभागिता में वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण बनाकर कृषि में प्रेरित वृद्धि के लिए इस रणनीति के सकारात्मकक परिणाम होंगे । स्कीरमों की योजना बनाने और कार्यान्वएयन में राज्योंम को अधिक स्वा यतता और छूट प्रदान करते हुए हम कृषि जलवायु स्थिबतियोंए प्राकृतिक संसाधन मुद्दों और प्रौद्योगिकी तथा समेकित पशुधनए कुक्कुवट और मात्यिों् की के लिए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए राज्यु सरकारों को प्रोत्साुहित कर रहे हैं।
हमारे बहुत से किसान अपने खेतों से अधिकतम उपज प्राप्त  करने में असमर्थ हैं क्योंाकि वे अपनी मृदा स्थिोतियों के बारे में जागरूक नहीं हैं । हमारा उद्देश्य‍ किसानों को मृदा स्वांस्य्वे  के लाभों के बारे में बताना है ताकि वे उत्पाैदकता और लाभ बढ़ाने के लिए उर्वरकों की उचित मात्रा का उपयोग कर सकें। हमारी सरकार ने प्रत्येमक किसान को मृदा स्वांस्य् औ  कार्ड प्रदान करने की नई योजना शुरू की है जिसे नियमित अंतराल में अद्यतन किया जाएगा।
सरकार जैविक खेती के संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है जिससे मृदा स्वा।स्य्हम  में सुधार होगा और गुणवत्ता  फसलें बेहतर होंगी । वर्तमान वित्तीदय वर्ष से जैविक कलस्ट्र विकसित करने के लिए और किसानों को रसायन मुक्तर आदानों की उपलब्ध्ता के लिए एक नई योजना ष्परम्पयरागत कृषि विकास योजनाष् का कार्यान्व यन किया जायेगा। हमने एक गोकुल मिशन की भी शुरूआत की है जो पशुवंश में सुधार के लिए एक समर्पित कार्यक्रम है ताकि दूध का उत्पाभदन और किसानों की आय में सुधार किया जा सके। खाद्य एवं पोषण सुरक्षा तथा जल कृषि के किसानों की आजीविका में सुधार हेतु नीली क्रान्ति  ;मात्यिसु  कीद्ध ओर भी हमारा देश बढ़ रहा है।
कृषि उत्पाआदन एवं उत्पातदकता में बढ़ोत्त री के साथ किसानों की आय में वृद्धि तथा प्रति बूंद अधिक उपज हेतु ष्हर खेत को पानीष् यानी सिंचाई की सुविधा सुनिश्चिआत करने हेतु प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हमारे देश में कार्यान्विमत की जा रही है।
गरीब किसानों की क्रय शक्तिे को बढ़ाने और मूल्यी अस्थिसरता को रोकने दोनों में समान रूप से प्रभावी एक सतत खाद्य प्रणाली प्राप्तढ करने की हमारी कोशिश में हम एक बाधामुक्तन राष्ट्री य कृषि मण्डीक शुरू करने की ओर अग्रसर है। प्रान्तीीय टैरिफ और गैर टैरिफ बाधाओं को कम करने के साथ हमारी सारे देश को एक राष्ट्री य स्त्रीय ई.प्लेटटफॉर्म पर लाने की योजना है जिससे किसानों को सम्पूशर्ण देश की मण्डिसयों तक पहुंच की सुविधा होगी और ग्राहकों के पास खाद्यान्ना वस्तुरओं को प्राप्ते करने के बेहतर विकल्प  होंगे।
भारत में लगभग 85ः किसानों के पास लघु कृषि जोत हैं। चूंकि कृषि की उत्पांदकता बढाने के लिए कृषि का यंत्रीकरण किया जा रहा हैए अतरू इन छोटे किसानों के हितों की रक्षा करना और अधिक महत्वकपूर्ण व जरूरी हो गया है। इनमें से अधिकांश किसानों के पास संसाधनों का अभाव है और वे सहायता के लिए पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है। अतरू पारिवारिक खेती को और अधिक मजूबत किए जाने की आवश्यसकता है ताकि इन किसानों को गरीबी और कुपोषण के शिकंजे से बचाया जा सके और इस प्रकार वे देश का दायित्वअ न होकर स्वबयं सक्षम बन सके। यह उल्लेसख करना भी ठीक रहेगा कि हमने अटल पेंशन योजना के तहत हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्माहन में बुजुर्ग किसानों के लिए एक पेंशन कार्यक्रम की शुरूआत की है।
अपना भाषण समाप्त  करने से पूर्व मैं इस सम्मे‍लन के सफल आयोजन और सभी प्रतिनिधियों को दिए गए आतिथ्यक सत्कासर के लिए टर्की सरकार को धन्येवाद देता हूँ। आज मैं सफल विचार.विमर्श की कामना करता हूँ जिसमें विश्वे समुदाय की खाद्य सुरक्षा आवश्यिकताओं और हमारे किसानों को प्राथमिकता देने पर ध्यासन दिया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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प्रधानमत्री ने स्वाीमी चिन्ममयानन्द पर स्मृेति सिक्का जारी किया

Posted on 09 May 2015 by admin

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रम मोदी ने आज स्वारमी चिन्म।यानन्दक की जन्मि शताब्दीर के अवसर पर एक स्मृरति सिक्काी जारी किया। इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने स्वाजमी चिन्म यानन्दि द्वारा शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में किये गये अग्रणी कार्य का स्म्रण किया।

उन्होंसने स्वािमी चिन्मियानन्द  को एक दूरदर्शी व्येक्ति बताया जिन्होंतने कुलीन वर्ग के उन लोगों को अंग्रेजी माध्याम से भारत की महान संस्कृदति और आध्या त्मिबक परम्पगराओं के बारे में समझाने की जरूरत महसूस की जो इस विरासत से दूर हो गए थे।

स्वापमी चिन्मायानन्दे के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब स्वाामीजी गीता के बारे में बात करते थे तो वे एक ज्ञान.मार्गी ;ज्ञान के पथ का अनुसरण करने वालेद्ध बन जाते थे और जब वे अपने स्कू लों तथा अस्परतालों में कार्य करते थे तो वे एक कर्म.मार्गी ;कार्य के मार्ग का अनुसरण करने वालेद्ध बन जाते थे। उन्होंेने कहा कि इस तरह से स्वाऔमी चिन्म्यानन्दर का जीवन दूसरों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।

प्रधानमंत्री ने स्वा मी चिन्मदयानन्दा के साथ अपनी मुलाकातों का स्म्रण करते हुए कहा कि यह एक बहुत गर्व की बात है कि उनकी जन्मग शताब्दी  के अवसर पर एक स्मृाति सिक्काए जारी किया जा रहा है।

केन्द्री य वित्ता मंत्री श्री अरुण जेटलीए वित्तर राज्यस मंत्री श्री जयंत सिन्हारए चिन्म या मिशन के वैश्विक प्रमुख स्वा मी तेजोमायानन्दणए चिन्मरया युवा केन्द्र  के राष्ट्रीयय निदेशक स्वा्मी मित्रानन्द  भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रद मोदी ने नेपाल में भूकंप ग्रस्तद क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा बैठक की अध्यदक्षता की

Posted on 29 April 2015 by admin

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रद मोदी ने नेपाल में आए भीषण भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्यों में प्रगति की समीक्षा के लिए सोमवार शाम आयोजित एक उच्चर स्त रीय बैठक की अध्य क्षता की। नेपाल में चल रहे राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा के लिए बुलाई गई यह तीसरी बैठक थी जिसकी अध्य क्षता प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रे मोदी ने की।

इस उच्चई स्तकरीय बैठक में केन्द्री य मंत्री श्री अरुण जेटलीए श्री राजनाथ सिंहए श्री मनोहर पर्रिकरए राष्ट्री य सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोबालए कैबिनेट सचिव श्री अजीत सेठए प्रधान सचिव श्री नृपेन्द्र् मिश्राए अति‍रिक्तच सचिव श्री पीण्केण् मिश्रा उपस्थित थे। इसके साथ ही केन्द्री सरकारए भारतीय मौसम विभागए एनडीआरएफ के वरिष्ठत अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।

बैठक में प्रधानमंत्री श्री मोदी को भारत और नेपाल में चलाए जा रहे राहत और बचाव कार्यों में प्रगति की जानकारी दी गई। प्रधानमंत्री ने नेपाल से सड़क और वायु मार्ग द्वारा बचाए गए लोगों और प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री के वितरण की जानकारी प्राप्तब की।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों के प्रभावी क्रियान्वलयन और नेपाल में राहत और बचाव उपकरणों को सुगमता से पहुंचाने के लिए केन्‍द्र और राज्य  सरकारों के बीच समन्वसय की आवश्येकता पर जोर दिया। उन्हों ने कहा कि आवश्य कता पड़ने पर घायलों को भारत में उपचार के लिए सभी संभव सहायता प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंेने नेपाल में और विशेष तौर पर काठमांडू हवाई अड्डे पर राहत कार्यों में प्रभावी समन्वंय की आवश्यवकता पर विशेष जोर दिया। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि भूतपूर्व सैनिकों की समन्वकय प्रयासों में मदद के लिए सहायता ली जा सकती है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बैठक में नेपाल में विशेष तौर पर आवश्य क दीर्घकालीन पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्यों का आकलन भी किया और उन्हेंय इस संबंध में सर्वप्रथम उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी गई।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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