उत्पांदन और उत्पाोदकता में वृद्धि केवल कृषि क्षेत्र में अनुसंधान से ही सम्भंव है.श्री राधामोहन सिंह

Posted on 09 May 2015 by admin

केन्द्री य कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने आज इस्तां बुलए तुर्की में आयोजित जी.20 कृषि मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंबने कहा कि अधिक पहल शामिल करने की अपेक्षा वर्तमान पहलों के लिए जवाबदेही और निगरानी के लिए स्वोयं को अधिक निर्देशित करने की जरूरत है। मंत्री महोदय ने उत्पारदन और उत्पाोदकता बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में अनुसंधान की जरूरत पर जोर दियाए जिससे मूल्यन अस्थिरता से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंेने खाद्य सुरक्षाए मूल्यग स्थिरताए खाद्य पदार्थों की बर्बादी और हानि कम करने जैसे विभिन्नं मुद्दों पर भी जोर दिया। श्री सिंह ने किसानों की भलाई के लिए सरकार की पहलों के बारे में भी जानकारी दी।
कृषि मंत्री के संबोधन का मूल पाठ इस प्रकार है .
मैं सबसे पहले जी.20 देशों का अध्येक्ष बनने पर तुर्की को बधाई देता हूँ। इसके साथ ही मैं बैठक में शामिल होने वाले सभी प्रतिनिधियों का खुले दिल से स्वासगत करता हूँ एवं आतिथ्यद के लिए मेजबान देश का आभार व्यरक्त  करता हूँ।
हाल ही में जी.20 देशों का योगदान और भूमिका खाद्य असुरक्षा और वैश्व्कि रूप से कुपोषण की समस्याह का सामना करने के लिए बहुत महत्वनपूर्ण हो गया है। सतत खाद्यान्नय प्रणाली को प्राप्त  करने की ओर सहायता देने के लिए हमारे देशों की जिम्मे दारी और अधिक बढी है।
वर्ष 2008.09 में विश्वि समुदाय द्वारा सामना की गई मन्दीा से यह निष्क र्ष निकला कि वैश्वि।क समस्या0ओं का समाधान वैश्वििक रूप से एकजुट होकर कार्य करने में है। विकास पर बहुवर्षीय कार्य योजना के तहत सियोल सम्मेालन के दौरान हमारे नेताओं ने वैश्वि क कृषि और खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम ;जीएएफएसपीद्ध और अन्या द्विपक्षीय और बहुपक्षीय चैनलों के माध्यनम से की गई प्रतिबद्धताओं का स्वािगत किया और कृषि के विकास के लिए निवेश और वित्तीहय सहायता को बढ़ाने पर जोर दिया। फ्रांस की अध्याक्षता के दौरान खाद्य मूल्यत अस्थियरता और कृषि पर एक कार्य योजना तैयार की गई थी ताकि बढ़ती हुई वैश्विकक खाद्य मांग और मूल्यप अस्थिपरता की समस्यार से निपटा जा सके। इन पहलों की शुरूआत के बाद से विशेषतरू कृषि मण्डीप सूचना प्रणाली ;एएमआईएसद्धए रैपिड रेस्पों स फोरम ;आरआरएफद्ध और आकस्मिाक मानवीय खाद्यान्नू रिजर्व के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। ब्रिस्बे‍न सम्मे लन में जी.20 नेताओं द्वारा खाद्य सुरक्षा और पोषण फ्रेमवर्क तैयार किया गया था जिसमें चुनौतियों का समाधान करने के लिए दीर्घावधिक प्राथमिकता उद्देश्यों  हेतु तीन परिणाम चिन्हिकत किए गए थे। टर्की की अध्य क्षता में भी इन वैश्विदक हित चिन्तातओं के समाधान को प्राथमिकता दी गई है।
भारत का मत है कि हमारा यह समूह जारी पहलों में और कुछ न जोड़कर इनकी जबावदेही और मॉनिटरिंग की ओर स्वायं को अग्रसर करे। भारत की हमेशा यह स्थिबति रही है कि अधिक खाद्य मूल्यी अस्थिमरता की समस्याभ के समाधान के लिए कृषि उत्पाहदन को बढ़ावा देना महत्वकपूर्ण है। कृषि उत्पाथदन को बढायें बिना खाद्य मूल्योंक में वृद्धि को रोक पाना सम्भदव नहीं होगा। तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण कृषि के लिए घटते भू आकार के साथ भारत का विश्वाीस है कि घटते संसाधनों के साथ उत्पातदन और उत्पातदकता में वृद्धि केवल कृषि क्षेत्र में अनुसंधान से ही सम्भहव है।
खाद्य सुरक्षा के सिद्धान्ता में महत्वापूर्ण परिवर्तन हुए है क्यों कि खाद्य उपलब्धषता और स्थि रता को पहले खाद्य सुरक्षा सुनिश्चिंत करने के लिए अच्छा  उपाय माना जाता था और इसे विकसित देशों द्वारा उच्चे प्राथमिकता दी जाती थी। तथापि इससे गम्भी र पारिवारिक खाद्य असुरक्षा की समस्याा का समाधान नहीं होता है। खाद्य सुरक्षा के मूल्यांिकन में अब पारिवारिक स्तरर पर खाद्यान्नक ऊर्जा ग्रहण करने को महत्वम दिया गया है हालांकि इसके लिए स्था पित मापदण्डोंक पर भी पोषणविदों ने सवाल खडे किए हैं। इस मामले में नीति तैयार करते हुए अस्था्यी और गम्भी र खाद्य असुरक्षा के बीच अंतर समझना आवश्य क है। इस समस्या‍ से निपटने का समाधान गरीब को खाद्य उपलब्धाता में सुधार और सुनिश्चि त आहार उपलब्धाता के लिए गरीबों की क्रय शक्ति  को बढाने में है।
कृषि वस्तुओं का उत्पािदन और उत्पाुदकता को बढ़ाना ही केवल चिन्ताल का विषय नहीं है बल्किर खाद्य अपशिष्टउ और हानि को रोकने के लिए भी पहल की जानी चाहिए। खाद्य अपशिष्टब को रोकने के लिए एक कार्यान्वकयन योजना की आवश्यीकता है जिसमें केवल जी.20 देशों का ही नहीं बल्किो कम आय वाले और विकासशील देशों की चिन्तायओं और उनके मत को भी ध्याान में रखा जाना चाहिए। हमें उत्पािद भण्डाीरण और रख.रखाव प्रोटोकॉल पर अनुसंधान करनेए कृषि से जुड़े उद्योगों में निवेश बढाने और फसलोंपरांत और मण्डीख से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखला में संयुक्त  रूप से उत्कृ ष्टोता केन्द्रं स्थाडपित करने का प्रयास करना चाहिए। भारत कृषि के लिए कृषि उत्पाकदकता अवसंरचना निर्माण में निवेश को बढानेए उत्पा्दकता बढाने और लघु जोत कृषि में मानव क्षमता बढाने और खाद्य हानि और अपशिष्टे को रोकने के लिए शीत और सामान्यि भण्डाारण एवं कोल्डप चेन विकास की व्याकपक योजनाएं चला रहा है जिससे खाद्य अपशिष्टि एवं हानि में गिरावट आयी है। भारत का यह मत है कि खाद्य हानि और अपशिष्टज को न्यूिनतम करने के लिए विकसित प्रौद्योगिकियां कम आय वाले देशों के अनुरूप होनी चाहिए।
भारत में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों का देश की जीडीपी में 17ण्2ः और कुल निर्यात में 14ः हिस्साृ है । देश की लगभग आधी जनसंख्याी अपनी आय के प्राथमिक स्रोत के रूप में कृषि पर निर्भर है और बहुत से उद्योगों के लिए कच्चेी माल का मुख्यअ स्रोत कृषि है। इसलिए भारत को अर्थव्यहवस्थाद की लक्षित वृद्धि के लिए और बढ़ती एवं विविध  खाद्य मांग को पूरा करने के लिए कृषि क्षेत्र की वृद्धि की गति को बनाये रखना होगा । हमने अपने कृषि क्षेत्र में तेजी से उन्नकति की है जो इस तथ्यि से व्यहक्तअ होती है कि हमारे खाद्यान्नं उत्पािदन में 2000.2001 में 197 मिलियन टन से 2014.15 में 266 मिलियन टन की वृद्धि हुई हैए जिससे न केवल हमारी घरेलू आवश्यिकता की पूर्ति होती है बल्किह वैश्विेक खाद्य सुरक्षा में भी हमारा योगदान होता है।
हमें विश्वा स है कि सार्वजनिक निवेश में वृद्धि द्वारा और निजी क्षेत्र सहभागिता में वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण बनाकर कृषि में प्रेरित वृद्धि के लिए इस रणनीति के सकारात्मकक परिणाम होंगे । स्कीरमों की योजना बनाने और कार्यान्वएयन में राज्योंम को अधिक स्वा यतता और छूट प्रदान करते हुए हम कृषि जलवायु स्थिबतियोंए प्राकृतिक संसाधन मुद्दों और प्रौद्योगिकी तथा समेकित पशुधनए कुक्कुवट और मात्यिों् की के लिए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए राज्यु सरकारों को प्रोत्साुहित कर रहे हैं।
हमारे बहुत से किसान अपने खेतों से अधिकतम उपज प्राप्त  करने में असमर्थ हैं क्योंाकि वे अपनी मृदा स्थिोतियों के बारे में जागरूक नहीं हैं । हमारा उद्देश्य‍ किसानों को मृदा स्वांस्य्वे  के लाभों के बारे में बताना है ताकि वे उत्पाैदकता और लाभ बढ़ाने के लिए उर्वरकों की उचित मात्रा का उपयोग कर सकें। हमारी सरकार ने प्रत्येमक किसान को मृदा स्वांस्य् औ  कार्ड प्रदान करने की नई योजना शुरू की है जिसे नियमित अंतराल में अद्यतन किया जाएगा।
सरकार जैविक खेती के संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है जिससे मृदा स्वा।स्य्हम  में सुधार होगा और गुणवत्ता  फसलें बेहतर होंगी । वर्तमान वित्तीदय वर्ष से जैविक कलस्ट्र विकसित करने के लिए और किसानों को रसायन मुक्तर आदानों की उपलब्ध्ता के लिए एक नई योजना ष्परम्पयरागत कृषि विकास योजनाष् का कार्यान्व यन किया जायेगा। हमने एक गोकुल मिशन की भी शुरूआत की है जो पशुवंश में सुधार के लिए एक समर्पित कार्यक्रम है ताकि दूध का उत्पाभदन और किसानों की आय में सुधार किया जा सके। खाद्य एवं पोषण सुरक्षा तथा जल कृषि के किसानों की आजीविका में सुधार हेतु नीली क्रान्ति  ;मात्यिसु  कीद्ध ओर भी हमारा देश बढ़ रहा है।
कृषि उत्पाआदन एवं उत्पातदकता में बढ़ोत्त री के साथ किसानों की आय में वृद्धि तथा प्रति बूंद अधिक उपज हेतु ष्हर खेत को पानीष् यानी सिंचाई की सुविधा सुनिश्चिआत करने हेतु प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हमारे देश में कार्यान्विमत की जा रही है।
गरीब किसानों की क्रय शक्तिे को बढ़ाने और मूल्यी अस्थिसरता को रोकने दोनों में समान रूप से प्रभावी एक सतत खाद्य प्रणाली प्राप्तढ करने की हमारी कोशिश में हम एक बाधामुक्तन राष्ट्री य कृषि मण्डीक शुरू करने की ओर अग्रसर है। प्रान्तीीय टैरिफ और गैर टैरिफ बाधाओं को कम करने के साथ हमारी सारे देश को एक राष्ट्री य स्त्रीय ई.प्लेटटफॉर्म पर लाने की योजना है जिससे किसानों को सम्पूशर्ण देश की मण्डिसयों तक पहुंच की सुविधा होगी और ग्राहकों के पास खाद्यान्ना वस्तुरओं को प्राप्ते करने के बेहतर विकल्प  होंगे।
भारत में लगभग 85ः किसानों के पास लघु कृषि जोत हैं। चूंकि कृषि की उत्पांदकता बढाने के लिए कृषि का यंत्रीकरण किया जा रहा हैए अतरू इन छोटे किसानों के हितों की रक्षा करना और अधिक महत्वकपूर्ण व जरूरी हो गया है। इनमें से अधिकांश किसानों के पास संसाधनों का अभाव है और वे सहायता के लिए पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है। अतरू पारिवारिक खेती को और अधिक मजूबत किए जाने की आवश्यसकता है ताकि इन किसानों को गरीबी और कुपोषण के शिकंजे से बचाया जा सके और इस प्रकार वे देश का दायित्वअ न होकर स्वबयं सक्षम बन सके। यह उल्लेसख करना भी ठीक रहेगा कि हमने अटल पेंशन योजना के तहत हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्माहन में बुजुर्ग किसानों के लिए एक पेंशन कार्यक्रम की शुरूआत की है।
अपना भाषण समाप्त  करने से पूर्व मैं इस सम्मे‍लन के सफल आयोजन और सभी प्रतिनिधियों को दिए गए आतिथ्यक सत्कासर के लिए टर्की सरकार को धन्येवाद देता हूँ। आज मैं सफल विचार.विमर्श की कामना करता हूँ जिसमें विश्वे समुदाय की खाद्य सुरक्षा आवश्यिकताओं और हमारे किसानों को प्राथमिकता देने पर ध्यासन दिया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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