श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर पत्थर तरासी के लिए 1990 में स्थापित की गयी श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्यषाला को पुनः विधिवत् वैदिक रीति से हवन-पूजन कर प्रारम्भ किया गया। इस अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महन्त नृत्यगोपाल दास तथा विष्व हिन्दू परिशद के अन्तर्राश्ट्रीय संगठन महामंत्री दिनेष चन्द्र ने षिलाओं का पूजन कर उन्हें तरासी के लिए कारीगरों के हाथों में सौंपा।
सितम्बर 1990 में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर श्रीराम जन्मभूमि न्यास द्वारा अयोध्या के रामघाट में न्यास कार्यषाला की स्थापना पूर्व न्यास अध्यक्ष साकेतवासी परमहंस रामचन्द्र दास जी महाराज तथा विष्व हिन्दू परिशद के तत्कालीन महामंत्री मान्यवर अषोक सिंहल के मार्गदर्षन में प्रारम्भ किया गया। कार्यषाला 2007 तक अनवरत पाशाण तरासी के कार्य में तत्पर रही। दिसम्बर 2007 में अपरिहार्य के कारण बन्द करनी पडी थी। 30 सितम्बर,2010 को उच्चन्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा आये निर्णय के बाद मंदिर आन्दोलन समर्थकों में उत्साह बढ़ा और यह संत-धर्माचार्यो ने महसूस किया कि षेश पत्थरों की तरासी का कार्य पुनः प्रारम्भ होना चाहिए। इस सन्दर्भ में दिल्ली तथा अयोध्या में संत-धर्माचार्यो व श्रीराम जन्मभूमि न्यास के पदाधिकारियों ने अयोध्या के वैदिक विद्वान पं0कमला कान्त षास्त्री से मुहूर्त निकलवाया जिसकी तिथि षारदीय नवरात्री के 1 अक्टूबर तय की गयी। जिसका विधिवत् हवन पूजन के साथ कार्य प्रारम्भ हुआ।
इस अवसर पर पत्रकारों के बीच श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष व मणिराम दास छावनी के महन्त नृत्यगोपाल दास महाराज ने कहा प्रभु श्रीराम साक्षात् धर्म के अवतार हैं। उन्होंने उत्तर से दक्षिण व पूरब से पष्चिम को जोडकर समरसता का भाव प्रकट किया। जिसके कारण सम्पूर्ण समाज एक सूत्र में बंधा। 1984 में प्रारम्भ हुआ श्रीराम जन्मभूमि का आन्दोलन भी विष्व के विभिन्न भाशा प्रान्त और सम्प्रदाय में विभाजित हिन्दुओं को एक मंच पर लाकर धर्म एवं सांस्कृतिक जीवन मूल्यों के प्रति संकल्पबद्ध किया। उन्होंने कहा राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण में रूकावट पैदा की जा रही है। लेकिन हिन्दू समाज का विष्वास है कि हनुमान जी की कृपा से मार्ग में आने वाली बाधायें अवष्य दूर होंगी। उन्होंने कहा उच्च न्यायालय का फैसला आ चुका है सर्वोच्च न्यायालय में न्यायिक प्रक्रियायें चल रही हैं। लेकिन सरकार की अदूरदर्षिता के कारण विलम्ब होता जा रहा है जो राश्ट्र एवं धर्म के हित में नहीं है इसलिए हम सबकी मांग है कि संसद में प्रस्ताव पारित कर मंदिर निर्माण का मार्ग सोमनाथ की तर्ज पर पूरा किया जाये। उन्होनंे एक प्रष्न के उत्तर में कहा मंदिर निर्माण का 65 प्रतिषत कार्य पूरा हो चुका है षेश पर आज से कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है।
विष्व हिन्दू परिशद के अन्तर्राश्ट्रीय संगठन महामंत्री दिनेष चन्द्र ने कहा संत धर्माचार्यो के मार्गदर्षन में श्रीरामजन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण का मार्ग अवष्य होगा। उन्होंने कहा तथाकथित सेक्यूलरवादी षक्तियाॅं मार्ग में चाहे जिस प्रकार का अवरोध उत्पन्न करें राश्ट्र के स्वाभिमान और हिन्दू समाज के सम्मान से जुडा हुआ यह विशय अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के बाद ही रूकेगा। संतों का मंत्र एवं विहिप का तंत्र सदैव समाज के साथ संकल्पबद्ध होकर इस ईष्वरीय कार्य को पूर्ण करने के लिए अपने जीवन का हर क्षण समर्पित कर चुका है। वसिश्ठ पीठाधीष्वर पूर्व सांसद डा.राम बिलास दास वेदान्ती ने कहा श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन पर हनुमान जी की सदैव कृपा रही है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास कार्यषाला का पुनः प्रारम्भ होना उन्हीं की कृपा का प्रसाद है।
इससे पूर्व कार्यषाला में याज्ञिक विधिविधान से पं.कमलाकान्त षास्त्री के मार्गदर्षन में हवन-पूजन हुआ तत्पष्चात् षिलाओं पर नक्काषी का कार्य प्रारम्भ किया गया।
इस अवसर पर गोलाघाट के महन्त सियाकिषोरी षरण, बडा भक्तमाल के महन्त कौषल किषोर दास, संत गोपाल दास, सनकादिक आश्रम के महन्त कन्हैया दास, महामंण्डलेष्वर सीताराम त्यागी, महामण्डलेष्वर प्रेम षंकर दास, महन्त कृश्णाचार्य, महन्त रामावतार दास, हनुमान गढी के महन्त राम कुमार दास, महन्त मनमोहन दास, महन्त विसम्भर दास, महन्त बृज मोहन दास, महन्त कमलादास, राम कृपाल दास, ष्याम सुन्दर दास, विहिप के संयुक्त महामंत्री चम्पत राय, केन्द्रीय मंत्री पुरूशोत्तम सिंह, कारसेवकपुरम् प्रभारी प्रकाष अवस्थी, रामसखा त्रिलोकी नाथ पांडेय, वेद विद्यालय के प्रधानाचार्य इन्द्रदेव मिश्र, आचार्य दुर्गा प्रसाद एवं नारद, स्थानीय विधायक लल्लू सिंह, कार्यषाला निरीक्षक अन्नूभाई सोमपुरा, सहायक गिरीषभाई सोमपुरा, धर्म प्रसार प्रमुख सुरन्दे सिंह, कमल बाबा सहित अनेक कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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