Archive | नई दिल्ली

MP Jayant Chaudhary seeks review of MPLAD scheme in Uttar Pradesh

Posted on 21 October 2011 by admin

Administration not implementing the scheme

Member of Parliament Shri Jayant Chaudhary has drawn the attention of the Minister of Statistics and Programme Implementation (MOSPI) Shri Srikant Kumar Jena to the “lackadaisical approach” of the Uttar Pradesh administration in implementing the MPLAD scheme in the state.
Supporting the call for social audit of the MPLAD scheme made by the Rural Development Minister, Shri Jairam Ramesh recently, Shri Chaudhary called for institutionalizing a third party / social review process. Drawing the attention of the MOSPI minister, Shri Chaudhary said the implementation of the scheme in U.P. and his constituency has been negatively affected by the poor approach of the implementing agencies and the district administration. “In several cases, there are delays in preparing the estimates of the proposals made by me, in other cases, delays in the tendering process and the work completion,” Shri Chaudhary said in the letter on Oct 19, 2011.
Despite Shri Chaudhary having raised the issue through letters to various authorities, the Mathura administration, highlighting the bottlenecks regularly in the District Vigilance and Monitoring Committee meetings and periodical review meetings for the MPLAD, the authorities are unmoved. “The district authorities and implementing agencies are impervious to all such reprimands, or do not have the resource capabilities to ensure the smooth and efficient implementation of the scheme at the ground level,” Shri Chaudhary said.
The Ministry of Statistics and Programme Implementation has worked with Nabard Consultancy Services (NABCONS) and has done audits of a few districts in three phases. Shri Chaudhary urged the minister to include Mathura in the next phase of the NABCONS survey, as the district was not included in the last three audits. While the NABCONS survey reports have been scrutinized by the Parliamentary Committees on the MPLAD scheme, Shri Chaudhary also demanded that the ministry put up detailed reports of the NABCONS survey on its website to enable access for all the stakeholders.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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बी.एस.पी. की केन्द्रीय कार्यकारिणी एवं अखिल भारतीय पार्टी पदाधिकारियों की महŸवपूर्ण बैठक नई दिल्ली में सम्पन्न

Posted on 15 October 2011 by admin

पार्टी संगठन को मज़बूत व जनाधार को बढ़ाकर नई चुनौतियों का सामना करने हेतु कार्यकर्ताओं को तैयार रहने का बी.एस.पी. राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीया सुश्री मायावती जी का आह्वान

बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की केन्द्रीय कार्यकारिणी एवं अखिल भारतीय पार्टी पदाधिकारियों की बैठक आज यहाँ पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय 4, गुरूद्वारा, रकाबगंज रोड, नई दिल्ली में सम्पन्न हुयी, जिसमें पूरे देश भर से विभिन्न राज्यों के ज़िम्मेदार पदाधिकारियों व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समस्त सदस्यों ने भाग लिया। इस महŸवपूर्ण बैठक को, पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उŸार प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति के साथ-साथ पार्टी संगठन की तैयारी व पार्टी के जनाधार को तेज़ी से आगे बढ़ाने के संदर्भ में सम्बोधित किया एवं आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
पार्टी की इस महŸवपूर्ण बैठक में अपने सम्बोधन से पहले बहन मायावती जी ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों से उन्हें सौंपी गयी पार्टी सम्बंधी ज़िम्मेदारियों के सम्बंध में विस्तार से लेखा-जोखा लिया। साथ ही, विभिन्न राज्यों से आये पार्टी की स्टेट यूनिट के अध्यक्षों व अन्य वरिष्ठ ज़िम्मेदार पदाधिकारियों से भी पार्टी संगठन की तैयारी एवं पार्टी के जनाधार को बढ़ाने सम्बंधी उनके राज्यों में चल रही गतिविधियों की सीधी रिपोर्ट लेकर उन्हें अपनी कमियों को सुधारने के लिये आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
माननीया बहन कुमारी मायावती जी ने आज की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सबसे पहले जिन-जिन राज्यों में आगामी एक वर्ष के भीतर आम चुनाव होने वाले हैं उन राज्यों के पार्टी पदाधिकारियों को पार्टी संगठन को मज़बूत बनाने के साथ-साथ पार्टी के जनाधार को बढ़ाने व व्यापक बनाने के लिये जी-जान से काम करने की हिदायत दी। साथ ही, “बी.एस.पी. मूवमेन्ट” के हित को ध्यान में रखकर तथा उसे आगे बढ़ाने के लिये, उसकी “सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय” की नीति के हिसाब से उन्हें अपने-अपने राज्यों में सर्वसमाज के लोगों को भाईचारा के आधार पर जोड़ने हेतु पूरी लगन व समर्पण भाव से काम करने का निर्देश दिया।
इसके साथ-साथ, उन्होंने पार्टी में उसकी विशिष्ट पहचान के मुताबिक़ अनुशासित होकर काम करते रहने तथा समय-समय पर जो दिशा-निर्देश उन्हें पार्टी द्वारा दिये जाते हैं, उन पर पूरा-पूरा अमल करने की अपील की। पार्टी की सदस्यता अभियान को निर्धारित समय पर पूरा करने का भी निर्देश उन्होंने दिया। इसके अलावा, चुनावों के दौरान पार्टी को चुनाव में मज़बूती के साथ लड़ा कर सŸाा की मास्टर चाभी हासिल करने हेतु पार्टी पदाधिकारियों से तन, मन, धन से सहयोग करने की अपील की।
इसके साथ ही, माननीया बहन कुमारी मायावती जी ने, विरोधी पार्टियों द्वारा “बी.एस.पी. मूवमेन्ट” को कमज़ोर करने के लिये लगातार साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों का जो इस्तेमाल किया जाता है, उससे सजग व सावधान रहने की अपील करते हुये कहाकि विरोधी पार्टियाँ ख़ासकर कांग्रेस पार्टी केन्द्र में अपनी सरकार की विफलताओं पर से लोगों का ध्यान हटाने के लिये लगातार हाथ-पांव मार रही है, परन्तु ऐसा लगता है कि जनता उसे माफ़ करने को तैयार नहीं है।
इतना ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार ख़ासतौर से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपने ही लोगों के बीच बुरी तरह से उलझी हुयी है और परेशान है। साथ ही, केन्द्र सरकार की ग़लत आर्थिक नीतियों के कारण देश भर में बढ़ती ग़रीबी, महँगाई व बेरोज़गारी ने लोगों का जीवन त्रस्त कर दिया है। जनता में काफी बेचैनी व आक्रोश है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा नहीं कर पायेगी और देश में मध्यावधि चुनाव हो जाये। ऐसी परिस्थिति को भी ध्यान में रखकर पार्टी की गतिविधियों को देश भर में तेज़ी से आगे बढ़ाना होगा।
अन्त में, बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन कुमारी मायावती जी ने देश भर से आये राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों एवं पार्टी के अखिल भारतीय पदाधिकारियों के प्रति इस महŸवपूर्ण बैठक में भाग लेने के लिये आभार व्यक्त किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सहारा इंडिया परिवार का फोर्स इंडिया फाॅर्मूला वन टीम में

Posted on 13 October 2011 by admin

डा0 विजय माल्या के साथ सह-स्वामित्व की घोषणा

भारत में खेलों के लीडिंग प्रमोटर और संरक्षक सहारा इंडिया परिवार ने आज भारत की एकमात्र एफ वन टीम फोर्स इंडिया फाॅर्मूला वन में अपने इक्यूटी निवेश करने की घोषणा की। नये शेयरों में अंशदान के बाद सहारा इंडिया परिवार फोर्स इंडिया फाॅर्मूला वन टीम में यू.बी. ग्रुप के चेयरमैन डा0 विजय माल्या के साथ बराबर का शेयरहोल्डर बन गया है।
pic-1एक विशेष समारोह में ‘सहाराश्री’ सुब्रत राॅय सहारा और डा0 विजय माल्या ने संयुक्त रूप से ‘सहारा फोर्स इंडिया एफ वन’ टीम के नये लोगो का अनावरण किया। टीम अब ‘सहारा फोर्स इंडिया एफ वन’ नाम से जानी जाएगी।
सहारा की संयुक्त साझेदारी फोर्स इंडिया एफ वन टीम को बेहतर प्रदर्शन व नयी ऊँचाई हासिल करने के लिए कटिंग एज टैक्नोलाॅजी में अधिक निवेश करने का मौका देगी।
इस अवसर पर ‘सहाराश्री’ सुब्रत राॅय सहारा, मैनेजिंग वर्कर एवं चेयरमैन, सहारा इंडिया परिवार ने कहा, ‘‘भारत खेलों के साथ सभी क्षेत्रों में नयी ऊँचाइयां हासिल कर रहा है। फाॅर्मूला वन कार रेसिंग सदैव से पश्चिमी जगत का गढ़ रहा है। भारत में इस आकर्षक खेल का आगमन हमारे सभी देशवासियों के लिए गौरव का विषय है। मुझे अत्यन्त गर्व है कि सहारा के पास अब भारत की एकमात्र एफ वन टीम का सह-स्वामित्व है और मुझे विश्वास है कि सहारा फोर्स इंडिया एफ वन टीम के माध्यम से हम साथ मिलकर अपने प्रिय राष्ट्र के लिए गौरव और सफलता हासिल कर सकेंगे।’’
यह निवेश इससे बेहतर अवसर पर नहीं आ सकता था, जबकि इंडियन ग्रैण्ड प्रिक्स का बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट, गे्रटर नोएडा में उद्घाटन के लिए तैयार है और जब करोड़ों प्रशंसक फाॅर्मूला वन के सपनों को भारत में साकार होते देखना चाहते हैं।
श्री सुब्रत राॅय सहारा ने प्रतिष्ठित फाॅर्मूला वन में भारतीय टीम शामिल करने और खासतौर पर टीम के विश्व में छठे (6वें) स्थान में लाने पर डा0 माल्या के प्रति अत्यधिक प्रशंसा व्यक्त की और हृदय से अपना आभार व्यक्त किया।
सहारा ग्रुप के साथ साझेदारी के विषय पर फोर्स इंडिया फाॅर्मूला वन टीम के प्रबंध निदेशक व टीम प्रिंसीपल डा0 विजय माल्या ने कहा कि मुझे सुब्रत राॅय सहारा ‘सहाराश्री’ का सहारा फोर्स इंडिया के अध्यक्ष के रूप में स्वागत करते हुए काफी प्रसन्नता हो रही है। मेरे लिए यह गर्व की बात रही है कि भारत को फोर्स इंडिया के साथ एफ वन के नक्शे पर रखा तथा टीम को इसके वर्तमान स्तर के प्रदर्शन से बेहतर बना सका। सहारा गु्रप ने देश में खेलों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और फाॅर्मूला वन वल्र्ड चैम्पियनशिप में फोर्स इंडिया एफ वन टीम को बेहतर सफलता हासिल करने के लिए आदर्श साझेदार है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Hon’ble Chief Minister ji strongly criticises Delhi bomb blast incident

Posted on 07 September 2011 by admin

The Uttar Pradesh Chief Minister Hon’ble Ms. Mayawati ji has strongly criticised bomb blast that took place in front of the gate of Hon’ble High Court, Delhi.
The Hon’ble Chief Minister ji expressed the hope that the central government would provide proper financial aid to the dependents of the deceased and also to the people suffering from injuries. She said that the central government should also ensure other necessary arrangements. Besides, she has conveyed deep sympathies and heartfelt condolences to the family members of the deceased and wished speedy recovery for those suffering from injuries.
Ms. Mayawati ji suggested that the central government should investigate the incident thoroughly and take necessary steps to ensure that such incidents were not repeated again.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Regulating illegal content

Posted on 06 September 2011 by admin

After vehemently supporting Anna Hazare’s Jan Lokpal Bill in Parliament, Jayant Choudhary, MP (Lok Sabha) and General Secretary, Rashtriya Lok Dal today stood up for the freedom of speech and expression on the internet. Raising the issue under Rule 377 in the Lok Sabha, Jayant questioned the Government’s intent in the recent notification of Information Technology Rules.  “The Google’s transparency report for Jul – Dec 2010 reports a 123% increase in demands for content removal by Indian Government and law enforcement. Google removed internet content on 22% of the Indian Government requests as opposed to 87% in USA, 100% in Turkey and so on. This indicates that a number of requests made by the Indian authorities were frivolous and aimed at propagating the ‘Government view’ rather than regulating illegal content” he stated.

The 2011 IT Rules discriminate against the medium of dispersion of information. The Intermediary Guidelines Rules prohibit sharing blasphemous, libelous, and disparaging information. These conditions are purely subjective in nature and they differ from the Press Council’s norms of journalistic conduct. A newspaper article considered ‘blasphemous’ is legal, but the same cannot be reproduced online. The Reasonable Security Practices Rules allow government agencies access to personal information from service providers through written complaints, whereas other crimes require warrants signed by magistrates.

Another draconian aspect of the rules on curbing freedom of speech is its very violation of the spirit of the IT Act, which had removed intermediary liability for content. Jayant Chaudhary stated that such expansive changes should have come through amendments in the main Act rather than being slipped through a subordinate legislation.

Though Internet users are less than 10% of India’s population, but the numbers are increasing significantly. The number of such users in the Media industry is perhaps the largest after the Infotech industry. It is important that the right of ordinary citizens to express themselves is not trampled upon by an over zealous regulatory environment. The new Indian regulations restrict Web content that, among other things, can be considered “disparaging,” “harassing,” “blasphemous” or “hateful.”

The new rules, quietly issued by the country’s Department of Information Technology in May, 2011, allow officials and private citizens to demand that Internet sites and service providers remove content they consider objectionable on the basis of a long list of criteria. The list of objectionable content is sweeping and includes anything that “threatens the unity, integrity, defense, security or sovereignty of India, friendly relations with foreign states or public order.” The rules highlight the ambivalence with which Indian officials have long treated freedom of expression.

Along with the new content regulations, the government also issued rules governing data security, Internet cafes and the electronic provision of government services. RLD’s National General Secretary and MP, Jayant’s stand brings out the lacunae in the subordinate legislation and points to the need for the government through its policy and legislative framework to enable an important medium like the internet to realize its potential and be accessible to the masses.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सरकार से तत्काल जनलोकपाल पारित करने की मांग

Posted on 25 August 2011 by admin

भ्रष्टाचार के विरुद्ध राष्ट्रीय अभियान (नेशनल कम्पेन अगेंस्ट करप्शन) के राष्ट्रीय समन्वयक श्री राम शास्त्री और अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने केन्द्र सरकार पर जानबूझकर जन लोकपाल बिल को पारित करने में आनाकानी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को अन्ना हजारे से बातचीत करके तुरन्त जनलोकपाल बिल को पारित करना चाहिए। ये दोनों आज यहां काॅफी हाउस में आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मलेन में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।
श्री शास्त्री ने बताया कि जन लोकपाल बिल पर राष्ट्रीय सहमति 1962 में ही बन गई थी जब देश के प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू की मौजूदगी में सभी राज्यों के विधि मंत्रियों, केन्द्रीय विधि मंत्री, राज्यों के एडवोकेट जनरल, केन्द्रीय विधि सचिव  समेत 1500 से अधिक विधि वेत्ताओं ने 12 अगस्त 1962 को आयोजित दिल्ली के एक सम्मेलन में एक सशक्त लोकपाल बनाने का प्रस्ताव पारित किया था। उसके कुछ दिनों के बाद ही भारत चीन का युद्ध प्रारंभ हो गया जिससे लोकपाल का मामला ठण्डे बस्ते में चला गया और सरकार अब किसी कीमत पर इसे जीवित नहीं होने देना चाहती है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री जीवीजी कृष्णमूर्ति के संरक्षण में चल रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध राष्ट्रीय अभियान का मानना है कि अगर सरकार ने स्वयं ही उक्त प्रस्ताव के आलोक में सशक्त जन लोकपाल बिल पारित कर दिया होता तो आज अन्ना हजारे को आंदोलन करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
श्री राम शास्त्री ने बताया कि 1962 में पारित लोकपाल के प्रस्ताव में कहा गया था कि लोकपाल को समाचार अथवा स्वयं भ्रष्टाचार पर कार्यवाई करने का अधिकार होगा। वह कार्यपालिका एवं विधायिका के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा सकेगा। वह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समकक्ष होगा। उसे विधायिका एवं कार्यपालिका से सूचनाएं प्राप्त करने का अधिकार होगा। राज्य के लोकायुक्तों के निर्णयों पर उसका निर्णय अंतिम होगा। वह अपनी रपट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करेगा और उसके क्रियाकलापों पर संसद में चर्चा नहीं हो सकेगी। वह नागरिक अधिकारों के प्रभावित होने की दशा में सरकार से जानकारी एवं सहयोग प्राप्त कर सकता है।
श्री राम शास्त्री एवं विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि जब कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारें चुनाव के पहले भ्रष्टाचार को समाप्त करने का नारा देती हैं तो अब उन्हें जनलोकपाल पर आपत्ति क्यों है। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए आपातकाल जैसी स्थिति है। जैसे युद्ध के दौरान तुरत निर्णय लेकर कार्यवाई की जाती है उसी तरह से जनलोकपाल को पारित करने के लिए भी तुरत निर्णय लेकर कार्यवाही की जाए।
दोनों  वक्ताओं ने कहा कि तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त श्री जीवीजी कृष्णमूर्ति ने 1996 में एक सर्वेक्षण कराया था जिसमें पता चला था कि 543 संसद सदस्यों में से 62 आपराधिक पृष्ठभूमि के  थे वर्ष 2009 में यह संख्या घटने के बजाए बढ़ गई और 543 में से 156 आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग संसद पहुंच गए। राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को मंत्री पद से नवाजने में भी शर्म नहीं महसूस करते हैं। आज विधानसभाओं में एक तिहाई आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग पहंुच गए हैं, जोकि लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। आज भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं की देशभर में हत्याएं हो रहीं हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत कदम उठाने के लिए जन लोकपाल ही एकमात्र रास्ता है। आज से 2300 वर्ष पहले कौटिल्य के काल में राजा से ऊपर जब दण्डाधिकारी की नियुक्ति की जा सकती है तो आज लोकतांत्रिक व्यवस्था में जन लोकपाल क्यों नहीं बनाया जा सकता। सरकार को चाहिए कि हठधर्मिता छोड़कर तत्काल जनलोकपाल बिल पारित करे और अन्ना हजारे की मांग को मानकर जनभावनाओं को सम्मान करे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Sahara India Power Corporation collaborates with Korea East-West Power Company to set up 6000 MW of Mega and Ultra Mega Power Plants in India

Posted on 18 August 2011 by admin

sahara-power-ewp-pic-1Sahara India Power Corporation Ltd. in association with Korea East-West Power Co., Ltd., a Government of Korea undertaking, will be setting up 6000 MW of power plants through mega projects in India. Mr. Ashok Bhargava, C.E.O., Sahara India Power Corporation Ltd. and Mr. Lee, Gil Gu, President & C.E.O., Korea East-West Power Co., Ltd. have signed a Memorandum of Agreement (MOA). The companies have entered into an agreement to jointly participate in tariff based bidding for Ultra mega Power Projects (UMPPs) and other opportunities in India to add upto a total capacity of 6000 MW. This is a further extension of an earlier tie-up between Sahara India Power Corporation Ltd. and Korea East-West Co. Ltd for setting up of 2X 660 MW (1320MW) Power Plant in Titlagarh based on Supercritical Technology, with investment of approx. Rs. 8000 Crores. In this context, a delegation led by Mr. Lee, Gil Gu, President & C.E.O., Korea East-West Power Co. Ltd. has come to India.
Sahara India Power Corporation and Korea East West Company are bringing to India new and innovative thermal power generation technologies. This can be achieved by optimizing the resources in terms of fuel consumption, heat recovery and waste water resources, recycling.  They will explore possibility of integrating power generation modes i.e., Thermal, Hydro, Solar at one location etc.  Environmentally the emission levels are expected to be lower than present Indian conditions. Their advisors and experts are working together to evolve innovative models by following these principles to suit Indian condition for environmentally friendly technology for thermal power generation.
Speaking on the occasion, Mr. Ashok Bhargava, C.E.O., Sahara India Power Corporation Ltd. said, “We are delighted to partner with Korea East - West Power Co., Ltd. in setting up 6,000 MW power projects in India. The association will bring in World class high end technological advancements in power generation and the establishment of 6000 MW of Power Plants through Mega and Ultra Mega Projects will help in reducing the power deficit of our nation. We hope that with this we will be able to contribute in the development of the nation.”
Mr. Lee, Gil Gu, President & C.E.O., Korea East-West Power Co. Ltd. said, “We are happy to associate with Sahara India Power Corporation Ltd. and bring in our international expertise in power generation. India is an important country for us as it is one of the emerging powers of the world and with Sahara India Power as our partner we are confident that our projects will serve the energy requirement in the all round integrated further development of India.”
Besides, as part of their visit, Mr. Lee, Gil Gu along with Mr. Ashok Bhargava had also met         Union Ministers of India Government including Hon’ble Minister of Power, Shri Sushil Kumar Shinde ji; Hon’ble Minister of Coal, Shri Sriprakash Jaiswal ji, Shri I. S. Jha Ji, Director (Projects), Power Grid Corporation of India, and Shri T.N. Thakur, Chairman & Managing Director, PTC India Ltd.

About Sahara India Power Corporation Ltd
Sahara India Power Corporation Ltd. is Sahara India Pariwar’s initial venture into power sector. The company has a vision to be an energy efficient major in generation, transmission & distribution of power and development of green energy infrastructure globally.

About Korea East-West Power Co. Ltd
Korea East-West Power Co., Ltd. is a power generation company. It is one of the five power producers spun off from Korea Electric Power Corporation (KEPCO). The company generates electrical power from 6 power plants with total installed capacity of 9,509 MW.

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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क्योसेरा मीता इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने किया किल्बर्न आॅफिस आॅटोमेषन लिमिटेड की फोटो काॅपियर डिवीजन का अधिग्रहण

Posted on 18 August 2011 by admin

भारत के आॅफिस आॅटोमेषन मार्केट में क्योसेरा मीता इंडिया को राश्ट्रीय स्तर का सषक्त सहभागी बनाने के लिए अधिग्रहण

12 अरब डाॅलर के कारोबार वाले जापान के क्योसेरा समूह की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुशंगी क्योसेरा मीता इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (केएमआईपीएल) ने आज किल्बर्न आॅफिस आॅटोमेषन लिमिटेड की फोटो काॅपियर डिवीजन के अधिग्रहण की घोशणा की। किल्बर्न आॅफिस आॅटोमेषन लिमिटेड भारत में क्योसेरा ब्रांड के नाम से फोटो काॅपियर की मार्केटिंग और सर्विसिंग, बहु-उद्देष्यीय उत्पादों और प्रिंटर्स के क्षेत्र की प्रसिद्ध कम्पनियों में से है। इस अधिग्रहण से क्योसेरा मीता इंडिया,  प्रत्यक्ष सेल्स टीम तथा चैनल पार्टनर्स के माध्यम से काॅर्पोरेट और सरकारी दोनों ही तरह के ग्राहकों को अत्याधुनिक उत्पाद और डाॅक्यूमेंट साॅल्यूषंस बहुत जल्द मुहैया कराने में सक्षम हो जाएगी।

सरकारी और काॅर्पोरेट जगत के प्रमुख ग्राहकों के साथ बरसों से किल्बर्न द्वारा निभाए जा रहे सम्बंधों से क्योसेरा मीता को फायदा मिलेगा।

क्योसेरा मीता इंडिया को किल्बर्न से देष भर में मौजूद उसके कार्यालय उपकरण बिक्री कारोबार, सर्विस सेंटर्स और उसके ग्राहक हासिल हुए हैं। इनके माध्यम से, क्योसेरा की बिक्री और सर्विस की सुविधा तकरीबन पूरे भारत में उपलब्ध कराई जा सकती है।

इस अवसर पर क्योसेरा मीता एषिया लिमिटेड के अध्यक्ष श्री एम. हिगुची ने कहा, ‘‘क्योसेरा की चीन, भारत, कोरिया और आसियान के सदस्य देषों में मार्च 2012 (वित्त वर्श 2011) में बिक्री से मिलने वाली राषि को मार्च 2014 (वित्त वर्श 2013)तक तिगुना करने की योजना है और इसमें कामयाबी पाने के लिए भारत की भूमिका अनिवार्य है। भारत में प्रिंटर्स और बहुउद्देष्यीय प्रिंटर्स उद्योग के क्षेत्र में षीर्श समूह बनने के क्योसेरा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए किल्बर्न का अधिग्रहण एक महत्वपूर्ण आधार है। उन्होंने यह भी कहा कि यह अधिग्रहण हमारे अंतिम लक्ष्य को तेजी से हासिल करने के लिए क्योसेरा मीता काॅर्पोरेषन की भारतीय बाजार में निवेष और विकास की प्रतिबद्धता को भी स्पश्ट रूप से दर्षाता है।‘‘

क्योसेरा मीता इंडिया की सम्पूर्ण रणनीति पर टिप्पणी करते हुए क्योसेरा मीता इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेषक श्री के. स्वेथारायन ने कहा, ‘‘ इस अधिग्रहण के साथ  किल्बर्न के 108 कर्मचारियों

और उसके 9000 से ज्यादा चैनल पार्टर्स में से अधिसंख्य, प्रत्यक्ष एमआईएफ तथा देष भर का विषाल ग्राहक आधार हमसे जुड़ जाएगा। इससे हमें 15 प्रमुख षहरों में प्रत्यक्ष उपस्थिति मिलेगी। क्योसेरा मीता अपने ग्राहकों की संतुश्टि बढ़ाने के लिए दोनों तरह के चैनल विस्तार, डीलर  विकास और तकनीकी कौषल में सुधार पर भारी निवेष करेगी। हम अपने ग्राहकों को विस्तृत कार्यक्षेत्र और तकनीकी रूप से उत्कृश्ट उत्पादों की दृश्टि से अनूठी सेवाएं प्रदान करने के लिए   सामूहिक ताकत और बेहतर पद्धतियों का लाभ उठाने के इच्छुक हैं। हमारे वर्तमान और भविश्य के उत्पादों की रेंज में आधुनिक डिजिटल मल्टीफंक्षनल उत्पाद, डिजिटल कलर प्रिंटर्स, लेज़र प्रिंटर्स, वाइड फार्मेट डिजिटल डिवाइसिज, मैनेजड डाक्यूमेंट सर्विसिज षामिल हैं।‘‘

क्योसेरा के बारे में
क्योसेरा की स्थापना जापान में 1948 में की गई थी। कम्पनी ने स्टील और प्लास्टिक के विकल्प के रूप में उत्कृश्ट सेरेमिक का इस्तेमाल करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। इसने सेमीकंडक्टर्स, टेलीकम्युनिकेषंस, आॅप्टिक्स, इलेक्ट्रिाॅनिक्स, मैटल प्रोसेसिंग, आॅटोमोटिव कम्पोनंेट्स, औशधि और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बाजार में अग्रणी स्थान बनाया है। 40 विर्निर्माण संयंत्रों, 213 कम्पनी समूहों के साथ दुनिया भर के 30 देषों में क्योसेरा के 65,000 से ज्यादा कर्मचारी हैं।

जनवरी 2000 में, क्योसेरा ने मीता काॅर्पोरेषन का अधिग्रहण कर लिया और इस तरह नई कम्पनी का नाम  क्योसेरा मीता काॅर्पोरेषन रखा गया। यह कम्पनी कलर एंड मोनोक्रोम प्रिंटर्स/काॅपियर/ मल्टीफंक्षनल प्राॅडक्स/ वाइड फाॅर्मेट मषींस/एमडीएस साॅल्यूषंस की पूरी रेंज की पेषकष करती है।

केएमआईपीएल गठन
क्योसेरा मीता इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का गठन 4 मार्च 2008 को क्योसेरा मीता काॅर्पोरेषन, जापान, की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुशंगी के रूप में किया गया। इससे क्योसेरा मीता इंडिया भारतीय ग्राहकों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ सकेगी और  भारतीय ग्राहकों को क्योसेरा मीता उत्पादों का इस्तेमाल करते हुए बेहतर साॅल्यूषंस और सेवाओं की पेषकष करने में सक्षम हो सकेगी। केएमआईपीएल का गठन दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक बाजार में हमारे कारोबारी चैनल सहभागियों की सहायता के लिए किया गया है।

क्योसेरा मीता इंडिया की अपने राजस्व में पांच वर्शों में (2016 तक) पांच गुणा वृद्धि किए जाने की योजना है और यह अधिग्रहण हमारे अंतिम लक्ष्यों को हासिल करने की दिषा में उठाये गए महत्वपूर्ण कदमों में से है।

क्योसेरा मीता इंडिया की वर्श 2016 तक भारत में आॅफिस आॅटोमेषन उद्योग की तीन षीर्श कम्पनियों में षुमार होने की योजना है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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बी0एस0पी0 सांसदों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार द्वारा संसद में भूमि अधिग्रहण विधेयक पेश न करने पर लोकसभा में जोरदार हंगामा मचाया, लोकसभा दिन भर के लिये स्थगित करनी पड़ी

Posted on 03 August 2011 by admin

कांग्रेस के नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिये भूमि अधिग्रहण बिल के मुद्दे पर किसानों और  खेतिहर मजदूरों के साथ वादा खिलाफी कर रहे हैं
यू0पी0ए0 सरकार अपने प्रस्तावित बिल में यदि बी0एस0पी0 सरकार द्वारा  लागू नई भूमि अधिग्रहण नीति का समावेश करती तो किसानों और  खेतिहर मजदूरों को ज्यादा लाभ होगा

बी0एस0पी0 सांसदों ने आज लोकसभा में भूमि अधिग्रहण विधेयक संसद में न पेश किये जाने पर जोरदार हंगामा करते हुए संसद की कार्यवाही नही चलने दी। जिसके वजह से लोकसभा की कार्यवाही एक बार पूर्वान्ह  11.00 तथा दोपहर 12.00 बजे दो बार बाधित हुई और फिर दिनभर के लिये लोकसभा को स्थगित करना पड़ा। बी0एस0पी0 सांसदों का कहना था कि यू0पी0ए0 सरकार ने मानसून सत्र में भूमि अधिग्रहण बिल पेश करने का वादा किया था, लेकिन अब वह बिल लाने से कतरा रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने चालू सत्र में बिल न लाकर देश के करोड़ों किसानों व खेतिहर मजदूरों को निराश किया है।
बी0एस0पी0 सांसदों ने कहा कि उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने किसानों की भूमि अधिग्रहण से जुड़े विभिन्न विवादों का स्थायी समाधान के लिये प्रदेशभर के किसानों को 02 जून, 2011 को लखनऊ में आमंत्रित कर किसान पंचायत किया और उनसे सीधे बातचीत करके उनके सुझावों के अनुरूप एक व्यापक, उदार तथा  किसान हितैषी भू-अधिग्रहण नीति की घोषणा करके उसे तुरन्त लागू किया। उत्तर प्रदेश की नई भूमि अधिग्रहण नीति पूरे देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे बेहतर है, जिसकी प्रदेश के किसानों ने खुले मन से सराहना की है। सांसदों का यह भी कहना था कि यदि यू0पी0ए0 सरकार को सर्वमान्य नीति बनाने में कोई परेशानी हो रही हो तो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गयी नीति को अपनी नयी नीति में समावेश करते हुए नये बिल का मसौदा तैयार करके कानून का रूप देना चाहिए।
मानसून सत्र के दूसरे दिन संसद की कार्यवाही शुरू होते ही बी0एस0पी0 सांसदों ने भूमि अधिग्रहण बिल पेश करने की मांग की। सांसदों ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे पर आम लोगों की राय जानने के लिये 31 अगस्त, 2011 तक का समय निर्धारित है। इसका सीधा अर्थ है कि यह विधेयक इस माह के अंत तक जब संसद का सत्र समाप्त होने लगेगा, तब सदन में पेश किया जायेगा। सांसदों ने कहा इससे साफ जाहिर है कि यह विधेयक मानसून सत्र में कानून का रूप नहीं ले सकेगा और भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन के लिये किसानों और खेतिहर मजदूरों को अगले सत्र की प्रतीक्षा करनी होगी। कांग्रेस के नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिये भूमि अधिग्रहण बिल के मुद्दे पर किसानों और खेतिहर मजदूरों के साथ वादा खिलाफी कर रहे हैं।
बी0एस0पी0 सांसदों ने हंगामें के बीच अपनी बात रखते हुए कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार बिल नहीं लाना चाहती और सिर्फ इस मुद्दे पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना चाहती है। सांसदों ने कहा कि यू0पी0ए0 सरकार का शुरू से रवैया किसान विरोधी रहा है, जिसके कारण आजादी के 63 वर्ष बाद भी पूरे देश के किसानों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। सांसदों ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के मसले पर किसानों के साथ वादा खिलाफी की है। कांग्रेस के नेता उत्तर प्रदेश में घूम-घूमकर किसानों को झूठा आश्वासन देकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे रहे और अब संसद में बिल पेश करने का समय आया है तो हीलाहवाली कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यू0पी0ए0 सरकार भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन लाने के बजाय राजनीति कर रही है।
सांसदों का यह भी कहना था कि भूमि अधिग्रहण के लिये यू0पी0ए0 सरकार द्वारा नया कानून न बनाने से देश के विभिन्न हिस्सों में विवाद उत्पन्न हो रहे हैं, और  राज्य सरकारों के समक्ष आये दिन कानून-व्यवस्था सम्बन्धी समस्यायें उत्पन्न हो रही है। इसके लिये कांग्रेस के नेतृत्व वाली यू0पी0ए0 सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। सांसदों ने यह भी कहा कि भूमि सम्बन्धी विवादों के चलते औद्योगिकरण के साथ-साथ विकास सम्बन्धी विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित कराने में बाधा उत्पन्न हो रही है। एक ओर तो कांग्रेस के नेता भूमि अधिग्रहण अधिनियम में बदलाव लाने के लिये गम्भीर नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर राज्यों में किसानों को भड़काने का भी काम कर रहे हैं।
सांसदों का यह भी कहना था कि बी0एस0पी0 की माननीया राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी ने यू0पी0ए0 सरकार को पहले ही सजग कर दिया था कि यदि केन्द्र सरकार भूमि अधिग्रहण पर एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए वर्तमान सत्र में विधेयक पेश नहीं करती है तो बी0एस0पी0 संसद नहीं चलने देगी और यदि यू0पी0ए0 सरकार मानसून सत्र में नया विधेयक लाने की पहल करती है तो बी0एस0पी0 उसको पूरा सहयोग प्रदान करेगी।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा था कि यदि केन्द्र सरकार को नई राष्ट्रीय नीति बनाने में कोई कठिनाई आ रही है तो उसे उत्तर प्रदेश की बी0एस0पी0 सरकार द्वारा लागू की गई नई भूमि अधिग्रहण नीति को समावेश करते हुए इसकी तर्ज पर अपनी नया बिल लाना चाहिए। प्रस्तावित नये बिल में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित नई भूमि अधिग्रहण नीति के प्राविधानों को पूरी तरह समावेश नहीं किया गया है, जिससे उत्तर प्रदेश के किसानों को काफी निराशा हुई है। इस प्रकार यू0पी0ए0 सरकार के प्रस्तावित विधेयक के प्राविधानों से स्पष्ट है कि इस अधिनियम से किसानों का भला होने वाला नहीं है।
सांसदों ने लोकसभा में यह भी मुद्दा उठाया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित नई नीति में भू-स्वामियों एवं अर्जन निकायों के मध्य आपसी समझौते के आधार पर सीधे भूमि क्रय करने की व्यवस्था की गई है। जबकि यू0पी0ए0 सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल में इस तरह की कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं की गई है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश द्वारा जारी नीति में अधिग्रहीत भूमि के प्रतिकर का निर्धारण आपसी सहमति से किये जाने का प्राविधान किया गया है, जबकि केन्द्र द्वारा तैयार किये गये बिल के मसौदे में शहरी क्षेत्र में बाजार मूल्य के दोगुना तथा ग्रामीण क्षेत्र में बाजार मूल्य का छः गुना दिये जाने की व्यवस्था प्रस्तावित है।
सांसदों ने उत्तर प्रदेश सरकार तथा केन्द्र सरकार की भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी नीतियों की तुलना करते हुए आगे कहा कि उत्तर प्रदेश की नीति में यदि कोई भू-स्वामी वार्षिकी नहीं लेना चाहता है तो उसे 2.76 लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान दिया जायेगा, जबकि केन्द्र की प्रस्तावित बिल में इस प्रकार का कोई प्राविधान नहीं है। इसी प्रकार प्रत्येक परियोजना प्रभावित परिवार जिसकी प्रभावित क्षेत्र में कृषि भूमि हो, और ऐसे परिवार की यदि पूरी भूमि अर्जित की गई हो तो उसको आजीविका की क्षतिपूर्ति के लिए 05 वर्षों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर एकमुश्त धनराधि वित्तीय सहायता के रूप में देने की व्यवस्था की गई है। इस तरह केन्द्र सरकार की नई भूमि अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित बिल किसान हितैषी नहीं है और किसानों के साथ छल करने का पूरा प्रयास किया गया है।
सांसदों ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को उनकी अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा केन्द्र सरकार की योजनाओं से ज्यादा दिया जा रहा है। इसके अलावा बी0एस0पी0 सरकार की पुनर्वास व पुनसर््थापन नीति कांग्रेस शासित हरियाणा व अन्य प्रदेशों से कहीं बेहतर है। इस तरह बी0एस0पी0 सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण को लेकर बनायी गई नीति देश की सबसे प्रगतिशील व किसान हितैषी नीति है।
इसके अलावा सांसदों ने यह भी मुद्दा उठाया कि बी0एस0पी0 सरकार द्वारा जारी नीति में अंतरित की गयी भूमि के कुल क्षेत्रफल का 16 प्रतिशत विकसित करके दी जाने वाली भूमि में से प्रभावित भूस्वामी अपनी स्वेच्छानुसार पारस्परिक समझौते के अनुसार कुछ प्रतिशत विकसित भूमि प्राप्त कर सकेगा। इस प्रकर राज्य सरकार ने विकास में किसानों की पूरी भागीदारी सुनिश्चित की है, जबकि केन्द्र सरकार प्रस्तावित विधेयक में कोई स्पष्ट प्राविधान नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त मुआवजे के रूप में भू-स्वामियों को दी जाने वाली विकसित भूमि के रजिस्ट्रेशन पर देय स्टैम्प ड्यूटी तथा रजिस्ट्रेशन शुल्क से उन्हें छूट प्रदान करने की भी व्यवस्था की गयी है, जबकि यू0पी0ए0 के प्रस्तावित मसौदे में कोई स्पष्ट प्राविधान नहीं है।

बी0एस0पी0 के राज्य सभा सांसदों ने सदन में यह भी आवाज उठायी कि केन्द्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश में गरीबी, बेरोजगारी एवं महंगाई लगातार बढ़ रही है। लम्बे समय तक केन्द एवं राज्यों की सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी ने हमेशा धन्नासेठों तथा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के हिसाब से अपनी आर्थिक नीतियां तैयार की। कांग्रेस पार्टी आज भी इसी रास्ते पर चल रही है जिससे आम आदमी का जीवन दूभर हो गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की किसान विरोधी नीतियों के कारण ही कांग्रेस शासित राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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एक पीढ़ी का नाम है मादव राव मुले

Posted on 03 August 2011 by admin

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