जनस्वाभिमान यात्रा के नायक, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र ने यात्रा के द्वितीय चरण में आज तीसरे दिन इटावा रात्रि विश्राम के बाद प्रातः 10ः00 बजे पत्रकार वार्ता की। वार्ता के मुख्य अंश प्रकाशनार्थ प्रेषित है।
ऽ आज समाचार पत्रों में मुख्यमंत्री की ओर से विज्ञापन छपा है कि ‘‘उ0प्र0 में जो 60 सालों में नहीं हुआ उसे साढे़ चार वर्ष में कर दिखाया’’। व्यंग करते हुए कहा कि जो काम अन्य लोग 60 वर्ष मंे नहीं कर पाये इन्होंने और इनके मंत्रियों ने साढे़ चार वर्ष मंे ही करके दिखा दिया।
ऽ जनसमस्याओं को लेकर शुरू हुई चिट्ठी की राजनीति अब नौनिहालों पर भारी पड़ रही है। शिक्षा दिवस के अवसर पर किसका पत्र पढ़ा जाय मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री का इसको भी लेकर राजनीति शुरू हो गई है।
ऽ उ0प्र0 के पिछड़ेपन के लिए राज्य की सपा बसपा पूरी तौर से दोषी है। उ0प्र0 में आठ वर्षों से अपरोक्ष रूप से शासन कर रही कांग्रेस बराबर की हिस्सेदार है। तीनों एक दूसरे से मिले हुए है। खास बात यह है कि तीनों एक दूसरे का जनता के बीच विरोध भी करते है।
ऽ सपा कांग्रेस का साथ नया नहीं है दरअसल उ0प्र0 में अपरोक्ष रूप से सत्ता का साथ कांग्रेस सपा के माध्यम से चख रही है। हर समय बिना मांगे समर्थन देने को तैयार बैठी सपा परमाणु करार मुददे पर केन्द्र सरकार के साथ जिस मुस्तैदी के साथ खड़ी हुई उसको आप भी जानते है। अभी टू जी स्प्रेक्ट्रम मामले पर सरकार पर संकट आने की चर्चा भर हुई, सपा समर्थन देने को आतुर दिखी। यूपीए वन से जारी हुआ समर्थन का सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है।
ऽ देश व प्रदेश में बढ़ रही मंहगाई के लिए यूपीए सरकार का सहयोगी दल समाजवादी पार्टी उसको समर्थन दे रही बसपा बराबर की हिस्सेदार है। मंहगाई के समय संसद में आये अविश्वास प्रस्ताव पर जहाँ बसपा ने समर्थन किया वहीं सपा ने बहिष्कार किया। हर बार मंहगाई बढ़ने पर सपा बसपा दोनों बयानबाजी और प्रदर्शन करते है। स्पष्ट हो क्या बढ़ी मंहगाई के विरोध में यदि अविश्वास प्रस्ताव सदन में आता है तो ये कहां खड़े रहेंगे।
ऽ बसपा प्रमुख ने सार्वजनिक रूप से सपा प्रमुख को जेल भेजने की बात क्या कि लोगों को लगा कि मुँह मांगी मुराद मिल गई। सपा से सत्ता छिन कर बसपा के हाथों में प्रदेश की बागडौर चली गई। हुआ क्या? इस बात का जवाब जनता चाहती है बसपा प्रमुख अपना वादा निभायें। जिन मामलों को लेकर जेल भेजने की बात कही थी क्या हुआ ?
ऽ अब सपा के लोग बसपा प्रमुख को जेल भेजने की बात कर रहे है। अपराधी अपराधी को सजा नहीं देता। हमें यह विचार करना पड़ेगा कि आखिर वो कौन सी परिस्थितियां थी कि सपा के शासन काल में बसपा प्रमुख के मात्र इस कथन से उन्हें सत्ता मिल गई।
ऽ सपा और बसपा दोनों आर्थिक अपराधी है। दोनों के मुखिया आये से अधिक सम्पत्ति के मामले में जांच के दायरे में है। सीबीआई की तलवावर लटक रही है। दोनों के शासन में लोकतंत्र कंलकित हुआ। त्रिस्तरीय पंचायत का संगठित गिरोह की तरह उपयोग कर ग्राम प्रधान से लेकर स्थानीय निकाय चुनाव, विधान परिषद, जिला पंचायत में लोकतंत्र की सारी मर्यादायें तोड़ी गई। सवैधानिक संस्थाओें के अपने हितों के बेजा इस्तेमाल करने के लिए कोई किसी से पीछे नहीं रहा ।
ऽ राज्य के प्रशासनिक तंत्र को हत्तोसाहित एवं दुरपयोग करने में कोई किसी से पीछे नहीं रहा। सपा शासन काल में जहां में फिरोजाबाद में पुलिस अधीक्षक पिटा। लखनऊ में सीओ को बोनट पर बैठ कर घुमाया गया। वहीं बसपा शासन काल में पुलिस चैराहों पर पिटी। तानाशाही का ये आलम है कि सच कहने वालों को पागल तक करार दे दिया जाता है चाहे डी.डी. मिश्रा हो या विकलिक्स खुलासे के बाद असांजे।
ऽ बसपा शासन काल में सफाई कर्मी से लेकर हर पायदान पर बगैर पैसा दिये कोई नियुक्ति नहीं हो रही है। जरा याद करें सपा शासन की पुलिस भर्ती जिसे बसपा ने रद्द कर दिया था मेरी जानकरी के अनुसार कई परिवारों ने खेत बेंच कर रिश्वत दी थी।
ऽ सपा-बसपा किसान विरोधी है। सपा ने दादरी प्रोजेक्ट के लिए जहां किसानों की जमीन अधिग्रहण की वहीं बसपा ने पूंजीपतियों के लिए किसानों की जमीनों को औने-पौने दामों में बेच दिया और विरोध करने पर किसानों को गोलियां मिली।
ऽ बसपा ने जहां बसूली के लिए हत्या, मां-बहनों की इज्जत से खिलवाड़ करने में रिकार्ड बनाया। वहीं सपा ने अपहरण को उद्योग का दर्जा दिया।
ऽ बसपा में जिसतरह तानाशाही और व्यक्तिवाद है उसी तरह सपा में परिवारवाद है। दोंनों दल पार्टी नहीं प्रापर्टी है और दोनों प्रोपराइटरशिप फर्म की तरह काम करते है। क्रोध में जहर नहीं खाया जाता जनता परिवर्तन का मन बना चुकी है। अपराध मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन के लिए भाजपा का साथ देने का आवाहन करता हूँ।
ऽ इटावा, आगरा, फर्रूखाबाद, मैनपुरी आलू उत्पादन का सबसे बड़ा केन्द्र है। किन्तु पर्याप्त मात्रा में भण्डारण वितरण की व्यवस्था न होने के कारण किसान को उसकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता। कई बार तो उसको आलू फेंकना पड़ता है। अगर हमें इस बार अवसर मिलता है तो इस क्षेत्र को आलू उत्पादक जोन घोषित किया जायेगा। उसके लिए भण्डारण, वितरण की सरकार व्यवस्था करेगी।
ऽ आलू निर्यात को प्रोत्साहन देने के हर संभव प्रयास किये जायेगे जिससे बेराजगारी भी दूर होगी और आलू किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य भी मिल जायेगा। आलू पर आधारित उद्योग को कर मुक्त करके यहां उद्योग स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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