समूचा देश सियासी जमात के महाभ्रष्ट आचरण के व्यूह में फंसा आर्तनाद कर रहा है,ऐसे में पांच पाण्डव `इण्डिया अगेंस्ट करप्शन´ लक्ष्य बेध के लिए जंग-ए-ईमान में डटे हैं। यह जंग 21वीं सदी का महाभारत ही है। इसमें धर्मराज रूप जीवन्त गांधी की छवि रखने वाले अन्ना हजारे हैं जो स्वयमेव एक वैशिष्ट रखते हैं। अपरिमित शक्ति रखने वाले भीमसेन के रूप में पूर्व निर्वाचन आयुक्त जे.एम. लिंगदोह और लक्ष्यवेध में निपुण तीरन्दाज सव्यसाची अर्जुन के रूप में आरटीआई कार्मिक अरविन्द केरजीवाल हैं, विधि विशेषज्ञ शंाति भूषण व प्रशान्त भूषण `नकुल-सहदेव´ पूर्व आईपीएस किरणबेदी सहित देशभर के सदाचारी सेवानिवृत्त अधिकारी व मौजूदा अफसरों का संगठन सत्यमेव जयते आदि अन्यान्य जन इस पाण्डव `धर्मसेना´ के महारथी है। इस महासमर में `ईश्वरीय सत्ता´ अपना कार्य योगेश्वर कृष्ण के निर्गुणात्मक रूप में जो होना चाहिए वह सम्पादित कर रही है। जहां जिसे निमित्त मान रही है, वहां वही निमित्त बन रहा है। धर्म रूप अन्ना हजारे ने जनलोकपाल विधेयक के लिए नवसंवत्सर से आमरण अनशन करने का ऐलान किया है, ईश्वरीय सत्ता की प्रेरणा से यह कदम उठाया जा रहा है, इसीलिए जेएम लिंगदोह के नैमित्तिक प्रयास से भ्रष्ट व्यूह का प्रथम द्वार धराशाही हो गया है। यह `द्वार´ है सर्वोच्च न्यायालय का सीवीसी पद से पीजे थॉमस को बेदखल करना।
दक्षिणी राज्य केरल से ताल्लुक रखने वाले थॉमस एक घोटाले के आरोपी रहे और विवादों में भी रहे, उन्हें केन्द्र द्वारा सितम्बर 2010 में केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त बनाया गया था। भला `भ्रष्ट´ अधिकारी भ्रष्टाचार को कैसे रोक सकता हैर्षोर्षो थॉमस ने अपने शपथ पत्र में राजनीति के अपराधीकरण तथा सियासत की कदाचारी संस्कृति जे.एम. लिंगदोह की याचिका पर थॉमस की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया। सीवीसी पद पर थॉमस की नियुक्ति को भला कौन सही मान सकता थार्षोर्षो यह प्रकरण सभी की नज़रों के सामने हैं।
थॉमस की नियुक्ति रद्द होने से `जन लोकपाल बिल´ को लेकर 5 अपै्रल से दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर अन्ना हजारे के अनशन को बल मिला है, चैत्रीय नवरात्रि में `पाण्डवों´ द्वारा इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) के नाक्षत्रिक गणना केन्द्र (जन्तर मन्तर) से विज्ञान की कसौटी पर खरी उतरने वाली `महाशक्ति´ अर्जित करने का सिद्धदात्री अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है। जिस अनुष्ठान के निश्चय मात्र से `भ्रष्ट व्यूह´ का अहम द्वार टूट गया। यहां कौरवी सेना के रूप में सिर्फ कांग्रेस को ही हम नहीं मान सकते, बल्कि उस अपरिमित शक्ति सम्पन्न अधर्मी अनन्त अक्षौहिणी सेना में सभी ऐसे लोग हैं जो रिश्वत लेना-देना विवशता मानकर भ्रष्टाचार को पुिष्पत और पल्लवित करने वाले `भीष्म, द्रोण आदि विवश महारथी तथा आंखों पर पट्टी बांधकर अधर्म की मौन स्वीकृत देते हुए भ्रष्टता को प्रोत्साहित करने वाले नौकरशाह व न्यायपालिका के जिम्मेदार न्यायाधिकारी धृतराष्ट्र और गांधारी बने बैठे हैं। राष्ट्र को अराजकता की भींच में धकेलने वाला दुर्योधन कांग्रेस है तो दु:शासन रूपी भाजपा है साथ ही सभी सियासी पार्टियां, कर्ण-जयद्रथ तथा पुत्रमोहान्ध घृतराष्ट्र के 101 पुत्रों के रूप में शुमार रखती हैं। इस महाभारत में `सत्यमेवजयते´ वेदवाक्य सार्थकता सिद्ध करेगा। पाण्डवों के वनवास और अज्ञातवास की अवधि पूर्ण हो चुकी है। और `शक्ति-सिद्ध´ अनुष्ठान के बाद जंग-ए-ईमान रूपी महाभारत का शंखनाद हो जायेगा और पश्चिमी ओर से आ रही परिवर्तन की बयार `भारत वर्ष´ में कौरवी साम्राज्य का उड़ाकर सद्धर्म को स्थापित करेगी, यही `ईश्वरीय माया´ का शाश्वत सत्य है।
देवेश शास्त्री (इटावा) 9259119183
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सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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