श्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह से सहयोग देने का अनुरोध किया

Posted on 15 April 2012 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह से भेंट की

उन्होंने बुन्देलखण्ड क्षेत्र की विकट भौगोलिक परिस्थितियों एवं सामाजिक, आर्थिक पिछड़ेपन की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री से कहा कि पूरा बुन्देलखण्ड क्षेत्र, पर्वतीय एवं पठारी है, जहां आबादी बिखरी हुई है। 500 आबादी सीमा के मानक के चलते एक प्रकार से बुन्देलखण्ड क्षेत्र प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत लाभान्वित होने की स्थिति में नहीं है। इसलिए यहां की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थतियों को देखते हुए 500 तक के आबादी वाले मानक को शिथिल कर 250 तक की आबादी वाली बसावटों को योजना में शामिल किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भारत-नेपाल सीमा पर मार्ग निर्माण परियोजना के तहत लगभग 1621 करोड़ रूपये की लागत से 640 किलोमीटर सड़क का अनुमोदन सी0सी0एस0 द्वारा किया गया है। वर्तमान समय में शिड्यूल आफ रेट में 20 प्रतिशत की वृद्धि हो जाने के कारण डी0पी0आर0 की औसत लागत लगभग 04 करोड़ रूपये प्रति किलोमीटर हो गयी है। उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वर्णित परिस्थितियों में परियोजना की लम्बाई 640 किलोमीटर तथा लागत 1621 करोड़ रूपये के स्थान पर लम्बाई 670.01 किलोमीटर तथा लागत 2680.04 करोड़ रूपये किये जाने के लिए गृह मंत्रालय को आवश्यक निर्देश देने का कष्ट करें। इसके अलावा श्री यादव ने केन्द्रीय मार्ग निधि के अन्तर्गत 409 करोड़ रूपये की प्रतिपूर्ति धनराशि तथा राष्ट्रीय मार्गों के रख-रखाव के लिए अवशेष 226 करोड़ रूपये शीघ्र उपलब्ध कराने के लिए कहा। उन्होंने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 458 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए 836 करोड़ रूपये की वार्षिक योजना को मंजूरी देने का भी अनुरोध किया। कुम्भ मेला 2013 के आयोजन को दृष्टिगत जनपद इलाहाबाद से जुड़े राष्ट्रीय राजमार्गों के सुदृढ़ीकरण हेतु 383.11 करोड़ रूपये स्वीकृत करने तथा लखनऊ से इलाहाबाद के पूरे भाग को चार लेने के मार्ग में विकसित करने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के पिछड़े क्षेत्र बुन्देलखण्ड तथा पूर्वांचल के अन्तर्गत मार्गों के विकास के लिए 13वें वित्त आयोग के अन्तर्गत अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता का उल्लेख करते हुए कहा कि चार वर्षों के लिए प्रत्येक क्षेत्र हेतु 150 करोड़ रूपये की धनराशि इन इलाकों के पिछड़ेपन को देखते हुए अपर्याप्त है। इस धनराशि को कम से कम 300 करोड़ रूपये किये जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने इण्डो-नेपाल बार्डर के सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिवर्ष दी जाने वाली 62.50 करोड़ रूपये की धनराशि को भी बढ़ाकर कम से कम 500 करोड़ रूपये किये जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के राज्य में क्रियान्वयन की चर्चा करते हुए डा0 सिंह से राज्य सरकार द्वारा प्रेषित पेयजल से सम्बन्धित प्रस्तावों पर शीघ्र कार्रवाई के आवश्यक निर्देश सम्बन्धित मंत्रालय को देने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि केन्द्र द्वारा सन् 2022 तक सभी बसावटों को पाइप पेयजल से आच्छादित किये जाने के लक्ष्य को देखते हुए अगले 10 वर्षों में 60 हजार करोड़ रूपये की आवश्यकता होगी। इस लक्ष्य को पाना तभी संभव है, जब प्रतिवर्ष ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के मद में लगभग 6 हजार करोड़ रूपये की धनराशि व्यय की जाए। उन्होंने आग्रह किया कि चूंकि यह कार्यक्रम 50 प्रतिशत केन्द्र पोषित है, इसलिए केन्द्र द्वारा प्रतिवर्ष न्यूनतम 3 हजार करोड़ रूपये की धनराशि का आवंटन इस मद में किया जाए। मुख्यमंत्री ने प्रदेश को बाढ़ से बचाने हेतु 1100 करोड़ रूपए के आर्थिक पैकेज देने तथा 11वीं पंचवर्षीय योजना में बाढ़ प्रबन्धन हेतु केन्द्र पुरोनिधानित योजना के तहत स्वीकृत 26 परियोजनाओं के अवशेष 194.78 करोड़ रूपए को शीघ्र अवमुक्त करने का अनुरोध किया। उन्होंने शारदा नदी पर पंचेश्वर बांध, करनाली नदी पर करनाली बांध, राप्ती नदी पर नैमूरे बांध जैसी अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप की प्रस्तावित बहुउद्देशीय परियोजनाओं के निर्माण के लिए नेपाल सरकार से आवश्यक सहयोग प्राप्त किए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने सरयू नहर परियोजना तथा शारदा सहायक क्षमता पुनस्र्थापना परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना की औपचारिक स्वीकृति दिलाने की मांग करते हुए त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम में राज्य की चालू परियोजनाओं में पिछले 02 वित्तीय वर्षों के दौरान केन्द्रांश की अवशेष 387.53 करोड़ रूपए की धनराशि अवमुक्त कराने का अनुरोध किया। मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार द्वारा नगरीय क्षेत्रों में विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं के विकास हेतु संचालित जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूवल मिशन (जेएनएनयूआरएम) को और अधिक प्रभावी व जनोपयोगी बनाने के लिए प्रधानमंत्री के साथ विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के यू0आई0जी0 व यू0आई0डी0एस0एस0एम0टी0 कार्यांश में क्रमशः 2769.41 करोड़ व 947.92 करोड़ रूपए भारत सरकार से मार्च 2012 तक राज्य को प्राप्त होने थे, जिसके सापेक्ष क्रमशः 2010.51 करोड़ व 835.05 करोड़ रूपये ही प्राप्त हुए हैं। उन्होंने शेष केन्द्रांश शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया। उन्होंने जेएनएनयूआरएम कार्यक्रम में केन्द्र/राज्य तथा निकाय के मध्य वर्तमान फण्डिंग पैटर्न को बदलने का आग्रह करते हुए कहा कि अधिकांश नागर निकायों कि वित्तीय स्थित सुदृढ़ न होने के कारण वह अपने अंश को वहन करने में सक्षम नहीं है। मुख्यमंत्री ने एक्यूट इंसेफ्लाईटिस सिण्ड्रोम (ए0ई0एस0)/जापानीज इंसेफ्लाईटिस (जे0ई0) के प्रभावी नियंत्रण के लिये राज्य सरकार द्वारा मांगी गयी सहायता एवं प्रेषित योजनाओं पर शीघ्र विचार करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि संक्रमण काल के प्रारम्भ होने में मात्र दो माह ही शेष रह गये हैं। उन्होंने ए0ई0एस0/जे0ई0 की रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार के ग्रुप आफ मिनिस्टर्स (जी0ओ0एम0) की संस्तुतियों के शीघ्र क्रियान्वयन तथा जे0ई0 के टीकाकरण से आच्छादन के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रेषित प्रस्ताव पर शीघ्र निर्णय लेने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने ए0ई0एस0/जे0ई0 से प्रभावित 07 जिलों में सर्व शिक्षा अभियान के तहत ब्लाक संसाधन केन्द्रों में शैक्षणिक/व्यवसायिक पुनर्वासन केन्द्र की स्थापना हेतु 10181.64 लाख रूपए के प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने इन जनपदों में पेयजल की गुणवत्ता सुधारने हेतु प्रत्येक 50 परिवार पर 01 लाख 86 हजार सार्वजनिक डीप बोर इण्डिया मार्क-प्प् हैण्डपम्प स्थापित करने हेतु 580.42 करोड़ रूपये की एक विशेष परियोजना, पेयजल के नमूनों के विषाणु संक्रमण की जांच हेतु लखनऊ व गोरखपुर में एक-एक विषाणु जांच प्रयोगशाला स्थापित करने तथा पहले से स्थापित जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। इसके अलावा इन जनपदों में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत सभी ए0पी0एल0 परिवारों को वाटर सील्ड शौचालय योजना से आच्छादित करने के लिए अवशेष केन्द्रांश की 9444.39 लाख रूपए की धनराशि को अवमुक्त करने तथा ए0ई0एस0/जे0ई0 रोगों में सूकर पालन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 8908 लाख रूपये के प्रेषित प्रस्ताव को शीघ्र स्वीकृत कराने का भी अनुरोध किया है। श्री यादव ने राजकीय मेडिकल कालेजों के उच्चीकरण हेतु भारत सरकार के पास लम्बित दो प्रस्तावों को शीघ्र मंजूरी देने का अनुरोध भी किया है। इनमें राजकीय मेडिकल कालेज गोरखपुर तथा राजकीय मेडिकल कालेज झांसी के उच्चीकरण हेतु क्रमशः 150-150 करोड़ रूपये तथा छः राजकीय मेडिकल कालेजों में ट्रामा सेन्टर लेवल-2 स्थापित करने की योजना सम्मलित है। उन्हांेने नेशनल हाइवे एक्सीडेन्ट रिलीफ सर्विस स्कीम के तहत 12वीं पंचवर्षीय योजना में प्रदेश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को इस योजना से चरणबद्ध तरीके से आच्छादित करने के लिए 100 एम्बुलेंस तथा 65 क्रेन उपलब्ध कराने तथा योजना के संचालन के लिए आवश्यक धनराशि की मांग की। मुख्यमंत्री ने अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए पूर्वदशम् छात्रवृत्ति योजना, दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना तथा शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत केन्द्रांश की 3284.68 करोड़ रूपए की लम्बित धनराशि को शीघ्र अवमुक्त कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा इस कार्य हेतु वार्षिक बजट में जो व्यवस्था करायी जाती है, वह केन्द्र देयता की तुलना में अपर्याप्त है, जिसके कारण प्रत्येक वर्ष बकाया धनराशि लगातार बढ़ती जा रही है। यदि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का बजट कम है तो इसे बढ़ाया जाना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जाति के छात्र/छात्राओं हेतु छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति योजना को आगामी पंचवर्षीय योजना में भी केन्द्र पुरोनिधानित योजना के रूप में रखे जाने तथा इस पर होने वाले समस्त व्यय को केन्द्र सरकार द्वारा ही वहन किये जाने का अनुरोध किया। उल्लेखनीय है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तिम वर्ष 2011-12 में इस योजना का व्यय स्तर 803.81 करोड़ रूपए था, जो 12वीं पंचवर्षीय योजना के प्रथम वर्ष 2012-13 में राज्य सरकार की वचनबद्ध देयता बन गया है। परिणामस्वरूप भारत सरकार द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में मात्र 204 करोड़ रूपए की केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जाएगी। इस प्रकार योजना की 75 प्रतिशत धनराशि का व्यय भार राज्य सरकार को वहन करना पड़ेगा, जब कि यह शत-प्रतिशत केन्द्र पुरोनिधानित योजना है। श्री यादव ने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में 09 नये राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना किये जाने की मांग करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन अनुपात में बढ़ोत्तरी एवं शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रत्येक मण्डल में एक राज्य विश्वविद्यालय स्थापित किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि 09 विश्वविद्यालयों की स्थापना पर लगभग 3150 करोड़ रूपये का व्ययभार सम्भावित है। उन्होंने कहा कि इन विश्वविद्यालयों की स्थापना केन्द्र सरकार के वित्त पोषण से सम्भव हो सकती है। इसके अलावा उन्होंने विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को एरियर भुगतान हेतु 865 करोड़ रूपये की वांछित स्वीकृति देने का अनुरोध किया। उन्होंने सर्वशिक्षा अभियान के अन्तर्गत वर्ष 2011-12 में केन्द्र द्वारा स्वीकृत वार्षिक कार्य योजना के सापेक्ष धनराशि अवमुक्त न किये जाने की ओर प्रधानमंत्री का ध्यानाकर्षण किया। उन्होंने कहा कि केन्द्रांश अवमुक्त न होने के कारण 2937 नवीन विद्यालय भवनों का निर्माण प्रारम्भ नहीं कराया जा सका तथा शिक्षकों के वेतन की धनराशि की प्रतिपूर्ति नहीं हो सकी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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