महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की करोड़ों की कोबाल्ट मशीन के गायब होने की खबर का मामला शासन के संज्ञान में आने ने मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया ,
मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2005 में कोबाल्ट मशीन को करोडो की लागत से खरीदा गया था ,कोबाल्ट मशीन से प्रतिदिन 40-50 मरीजों की सिंकाई होती हैं। जिससे इलाके के मरीजों को दूसरे शहर नहीं जाना पड़ता था मगर मेडिकल प्रशासन और रेडियोथैरेपी विभाग के एक डॉक्टर की मिलीभगत ने विभाग पूरी कोबाल्ट मशीन को एक कम्पनी की मदद से गायब करवा दिया, इतना ही नहीं उल्टा उस कम्पनी को मशीन को हटाने के लाखो रूपये भी दिए, जबकि नियमानुसार इसके किये शासन से अनुमति जरुरी है और निर्धारित कमेटी दुवारा टेण्डर प्रक्रिया को भी अपनाया जाना चाईये था जिससे विभाग को उससे राजस्व लाभ हो सके मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ , यदि उस मशीन को कबाड़ में भी बेचा जाता तो ही लाखो का राजस्व मिल जाता , मगर विभाग का भला ना चाहने वालो को तो मशीन विभाग से हटाकर कंही प्राइवेट हॉस्पिटल को लाभ पहुंचने की मंशा थी।
अब कैंसर विभाग में लाखों रुपए की महीना तनख्वाह पाने वाले डॉक्टर हाथ पर हाथ धरे बैठे , जिनमें उन्हें विशेषज्ञता हासिल है।
गौरतलब है कि इस काम में सहायक झाँसी मेडिकल कॉलेज के इसी विभाग के एक डॉक्टर वो भी शामिल है जिन पर मुख्यमंत्री रहत कोष से फर्जी बिलो के भुकतान के आरोप लग चुका है और आयुष्मान योजना में भी गड़बड़ी की अंदरूनी जांच चल रही है,
राजधानी से विशेष सचिव की तरफ से मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को भेजे गए पत्र में बताया गया था कि युनिट के आक्रियाशीलता की जांच के लिए समिति का गठन किया गया है। इसकी समिति कॉलेज में आकर जांच करेगी।
18 दिसम्बर को इस खबर के प्रमुखता से प्रकाशित होने से लखनऊ तक हलचल शुरु हो गई और शुक्रवार को आने वाली जांच समिति का अज्ञात कारणों से मेडिकल कॉलेज आना का दौरा टल गया। अब संभावना जताई जा रही है कि कागजी दुरुस्ती करण के लिए भी कॉलेज को आखरी मौका दिया गया हो वो वही यह भी उम्मीद है कि अब समिति जिम्मेदारों को लखनऊ बुलाकर जवाब तलब कर सकती है। वहीं, इस मामले में कुछ अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।