झाँसी -कोरोना काल में कहीं अधिक कीमतों पर ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर व अन्य चिकित्सकीय उपकरण कई गुना अधिक कीमत पर खरीद का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और खबर झाँसी मेडिकल कॉलेज से सामने आ गई
झांसी का महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज बुंदेलखंड का एक एकमात्र मेडिकल कॉलेज है जहां बुंदेलखंड क्षेत्र के कैंसर पीड़ित लोग इलाज कराने आते हैं। अब कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज से बुरी खबर, झांसी मेडिकल कॉलेज से कैंसर की कोशिकाओं को सिकाई के द्वारा नष्ट करने वाली कोबाल्ट मशीन रातों-रात मेडिकल कॉलेज से गायब हो गई ।
वर्ष 2005 -2006 में मेडिकल कॉलेज में कैंसर विभाग बनाया गया जिसमें कैंसर पीड़ित मरीजों का इलाज किया जाता रहा है विभाग में कैंसर की सिकाई के लिए “कोबाल्ट” मशीन लगभग 3 करोड रुपए की लागत की लगाई गई ताकि पीड़ित रोगियों को सिकाई के लिए प्राइवेट अस्पतालों में ना जाना पड़े और उनका अधिक पैसा खर्च ना हो ऐसी सरकार की मंशा थी मगर विभाग के संबंधित लोगों की मिलीभगत सुनियोजित षड्यंत्र के तहत सिकाई मशीन को एक हफ्ते पहले गायब कर दिया गया.
कोबाल्ट मशीन से कैंसर के रोगियों का इलाज होता है आज इस मशीन की कीमत लगभग 3 से 4 करोड रुपए है इस मशीन के माध्यम से सिकाई करने से कैंसर की कोशिकाएं ही नष्ट होती है
यह मशीन मेडिकल कॉलेज के लिए और यहां आने वाले कैंसर रोगियों के लिए बड़ी उपयोगी साबित हो रही थी मगर वर्ष 2018 में मशीन का सोर्स खत्म हो जाने से यह मशीन दुवारा इलाज नहीं हो पा रहा था, मगर मशीन में फिर से सोर्स डलवा कर और मशीन की सर्विस के बाद यही मशीन को महज लगभग 50 से 60 लाख रुपए में चालू किया जा सकता था, मगर योगी सरकार के राजस्व के दुश्मन बड़ी लागत की इस मशीन को अपने व्यक्तिगत हित को देखते हुए कॉलेज के संबंधित लोगों ने एक हफ्ते में ही मशीन को गायब करा दिया जो पूरे मेडिकल कॉलेज में चर्चा का विषय बन गई कॉलेज के मेडिकल प्रशासन और कैंसर विभाग के डॉ अंशुल गोयल ने गुमराहक पत्राचार के जरिए मशीन को अन्य की मदद से विभाग से उठवा दिया जबकि इससे पूर्व मशीन को कंडम साबित करना होता है और इसके लिए शासन की अनुमति भी ली जाती है मगर यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ कंडम की प्रक्रिया को नजरअंदाज कर बिना शासन की अनुमति के बिना ही एक कंपनी के माध्यम से मशीन को गायब करा दिया गया अब 18 दिसंबर को लखनऊ से स्वास्थ्य विभाग की एक टीम झांसी आकर विभाग की जांच करने वाली है जिसमें यह मुद्दा मेडिकल कॉलेज के लिए गले की हड्डी बन सकता है।
जहां एक ओर सरकार खर्चों में कमी करने की बात कर रही है तो वही झांसी मेडिकल कॉलेज करोड़ों रुपए की लागत की मशीन को ठीक कराने के बजाय गायब करा कर सरकार करोड़ों रुपए की राजस्व हानि पहुंचाने की फिराक में है।