Archive | ललितपुर

मोहल्ला सरदारपुरा में जिला सरस साहित्य संगम की बैठक में संस्था का रजत जयन्ती समारोह माह नवम्बर में मनाये जाने का निर्णय लिया गया।

Posted on 30 September 2010 by admin

मोहल्ला सरदारपुरा में जिला सरस साहित्य संगम की बैठक में संस्था का रजत जयन्ती समारोह माह नवम्बर में मनाये जाने का निर्णय लिया गया। इस मौके पर बुन्देली काव्य कलस के सम्बन्ध में रचनाओं का सम्पादन एवं प्रकाशन आदि विषय पर भी चर्चा हुई। वरिष्ठ साहित्यकारों ने नई पीढ़ी को समाज के लिए अग्रसर करने वाले तथा व्यवस्था को लताड़ने वाले शब्दों का इस्तेमाल कर श्रेष्ठ साहित्य का सृजन करने की अपील की।

कार्यक्रम में वरिष्ठ कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नव साहित्यकारों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वह अपने आपको कम न समझें। कवि के मुंह से निकलने वाला एक-एक शब्द सुधार की चिंगारी बन कर निकलता है। युगों-युगों से काव्य प्रतिभाएं समाज का मार्ग निर्देशन करतीं चली आ रहीं हैं और आगे भी इस परम्परा को बनाये रखने की जरूरत है। कार्यक्रम में हिन्दी प्रवक्ता लाल चन्द्र सलज ने श्पूरब नहीं अब पूरब और पश्चिम भी नहीं रहा पश्चिम, दोनों को ही किसी बिन्दू पर करना एकाकार हमेंश् के माध्यम से विचारों की एकता का सन्देश दिया। वहीं वरिष्ठ कवि विजय नारायण रावत ने भी सच्चाई को बया करते हुए कहा कि श्सच कहना अगर गुनाह है मैं गुनाहगार हूं, कवि हूं शायर हूं सच कहने वाला खाकसार हूं ।श् इस दौरान बुन्देली कवि एम.एल.भटनागर ने अनेक रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को रसरक्त किया। उनके द्वारा प्रस्तुत श्गेंवरे कोयल कूक लगावे, मोए मन नेक न भावेश् रचना विशेष रूप से सराही गई। इसके पश्चात वरिष्ठ कवि शिखर चन्द्र मुफलिस द्वारा प्रस्तुत चौके-छक्के कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाते रहे। उन्होंने समसामयिक चौके में कहा श्कांग्रेस वट वृक्ष है या पीपल का पेड़, बूढे़ नर नारी जहां लटके कई अधेड़, लटके कई अधेड़ हमारा जिला ललितपुर खैरा और बुन्देला खुलकर बोले बेसुर।श् कार्यक्रम का संचालन कर रहे डा. गुलाब चन्द्र साहू सारग ने अपनी रचना के द्वारा नेता व जनता के सम्बन्ध में बेबाक टिप्पणी करते हुए कहा श्रक्षक भक्षक हो गए कर चोरों से प्रेम, बेबस जनता लुट रही नेता खेलें गेमश्।

इस अवसर पर यह भी जानकारी दी गई कि बुन्देली काव्य कलस प्रकाशित होने वाली —ति में जिले की बुन्देली व खड़ी बोली के कवियों की रचनाओं का चयन किया जाएगा। रचनाएं प्रकाशन के लिए समिति के पास 15 अक्टूबर तक प्राप्त हो जाना चाहिए। इस मौके पर सम्पादक मण्डल का गठन भी किया गया। इसमें कन्हैयालाल शास्त्री, लाल चन्द्र सलज, ड‚. हुकुम चन्द्र पवैया आदि के अलावा अन्य लोगों को सम्मिलित किया गया। प्रारम्भ में सरस्वती वन्दना तथा ईश वन्दना, बाल कवि अर्पित जैन व पूनम जैन द्वारा प्रस्तुत की गई। इस मौके पर शील चन्द्र मोदी, रूप सिंह ठाकुर, सुदेश सोनी, महेश नामदेव, गोकुल चन्द्र सरोज, अशोक क्रान्तिकारी, रमेश पाठक, राम—ष्ण कुशवाहा, वीरेन्द्र विद्रोही, अम्ब्रीस जैन आदि उपस्थित थे।किन्नरों को महिला आरक्षण का लाभ नहीं

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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ग्यारह वर्ष पूर्व घटित युका नेता अरुण कुमार सिंह उर्फ मज्जाू सिंह की हत्या के बहुचर्चित मामले में……….

Posted on 25 September 2010 by admin

ग्यारह वर्ष पूर्व घटित युका नेता अरुण कुमार सिंह उर्फ मज्जाू सिंह की हत्या के बहुचर्चित मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (दस्यु प्रभावित क्षेत्र) गुरू शरण श्रीवास्तव ने दोषी एक अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। साथ ही 26 हजार रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया। जुर्माना न देने पर उसे अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। बताते चलें कि इसमें नामजद दूसरे अभियुक्त पूर्व मन्त्री के पुत्र की कुछ वषोZ पूर्व हत्या हो गई थी।

इस बहुचर्चित हत्याकाण्ड की जानकारी देते हुए अपर जिला शासकीय अधिवक्ता खुशीलाल लोधी ने बताया कि 11 वर्ष पूर्व 16 नवम्बर 1999 की रात 9.30 बजे युवक काग्रेस के प्रातीय महासचिव अरुण कुमार सिंह उर्फ मज्जाू सिविल लाइन स्थित मकान पर अपने साथी संजय सिंह बुन्देला व जगपाल सिंह सिसोदिया के साथ आरमाडा जीप संख्या यू.पी.94-ए- 3777 से मुहल्ला रामनगर वाले मकान पर गए। जहां सभी ने पार्टी मनायी। इस दौरान मज्जाू से दोनों का विवाद हो गया। जिस पर मज्जाू की दूसरी पत्नी —ष्णा राजा ने हस्तक्षेप के बाद मामला शान्त कराया।

बाद में सभी वहां से चले गए। इसके बाद मज्जाू की पहली पत्नी सीमा सिंह व उसके भाइयों ने उसकी काफी खोजबीन की लेकिन उसका कोई पता नहीं चला था। बाद में सीमा सिंह के मुनीम की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने संजय सिंह व जगपाल सिसौदिया के खिलाफ धारा 342 के तहत मामला पंजी—त कर छानबीन शुरू कर दी थी। 17 नवम्बर 1999 को उक्त आरमाडा जीप मध्य प्रदेश के शिवपुरी में गुना रोड पर शिवहरे फार्म हाउस के पास पड़ी मिली थी। जिसमें मज्जाू की लाश पड़ी हुई थी। जिस पर 5 गोलियां मारे जाने के घाव थे।

इस घटना में परसू उर्फ पुरुषोत्तम परिहार पुत्र विन्द्रावन निवासी बंशीपुरा का नाम भी प्रकाश में आने पर पुलिस ने संजय सिंह, परसू व जगपाल सिसौदिया के खिलाफ धारा 364, 302, 392 व 201 के तहत मामला पंजी—त कर लिया था। बाद में पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

इस मामले की सुनवायी के दौरान 14 गवाह न्यायालय में पेश हुए थे। मामले की सुनवायी के दौरान अपर सत्र न्यायाधीश ने संजय सिंह व जगपाल को दोषी माना था। जबकि साक्ष्यों के अभाव में परसू को दोष मुक्त कर बरी कर दिया था। चूंकि संजय सिंह की कुछ वर्ष पूर्व हत्या हो गई थी। इसलिए शेष अभियुक्त जगपाल सिसौदिया को सजा सुनाने के लिए शुक्रवार का दिन निर्धारित कर लिया गया था।

आज न्यायाधीश ने जगपाल सिसौदिया को दोषी मानते हुए धारा 364 में 10 वर्ष की सजा व 2 हजार रुपये जुर्मा, 302 में आजीवन कारावास व 20 हजार रुपये जुर्माना, धारा 392 में 7 वर्ष की सजा व 1 हजार रुपये जुर्माना, धारा 201 में 7 वर्ष व 2 हजार जुर्माना तथा धारा 25 में 3 वर्ष की सजा व 1 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। इस प्रकार कुल 26 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना न देने पर कुल 21 माह की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। उपरोक्त सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

 

 

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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पुलिस क्षेत्राधिकारी अयोध्या राकेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि हर अयोध्या वासी को सुरक्षा प्रदान करना हमारा कर्तव्य है।

Posted on 23 September 2010 by admin

पुलिस क्षेत्राधिकारी अयोध्या राकेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि हर अयोध्या वासी को सुरक्षा प्रदान करना हमारा कर्तव्य है। इस –ष्टि से अयोध्या की सुरक्षा में करीब 20 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये हैं।

विकास खण्ड जखौरा अन्तर्गत ग्राम पंचायत बांसी के रोजगार सेवक को पुलिस ने गिर तार कर जेल भेज दिया है। उसने जिलाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर कर खण्ड विकास अधिकारी से मानदेय निर्गत कराने का प्रयास किया था। खण्ड विकास अधिकारी की सूचना पर पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला पंजी—त कर विवेचना शुरू कर दी है।

ग्राम बांसी निवासी दीपक त्रिपाठी पुत्र जगदीश प्रसाद ग्राम पंचायत में मनरेगा की देखरेख के लिए रोजगार सेवक के पद पर तैनात किया गया था। पिछले कई माह से उसका मानदेय नहीं मिला था, जिससे परेशान होकर उसने नयी तरकीब सोची जिसकी साधारण व्यक्ति कल्पना भी नहीं कर सकता। वैसे भी इस समय जिलाधिकारी की कार्यप्रणाली से जिले के हर अधिकारी में खौफ है और लीक से हटकर काम करने के लिए वह कई बार सोचते जरूर है। रोजगार सेवक ने कुछ दिन पहले जिलाधिकारी के नाम से एक प्रार्थना पत्र तैयार किया, जिसमें उसने मानदेय दिलाने की गुहार लगाई थी। इस प्रार्थना पत्र को उसने जिलाधिकारी को देने की बजाय उनके ही नाम से खण्ड विकास अधिकारी के लिए निर्देश लिखकर उनके हस्ताक्षर कर दिए, लेकिन वह एक जगह चूक कर गया। उसने खण्ड विकास अधिकारी के नाम के

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