लखनऊ - समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने एक बयान में कहा है कि प्रदेश की मायावती सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अन्तर है। जनता को बरगलाने के लिए एक जुलाई को मन्त्रिमण्डल की बैठक में पेड़ों की अवैध कटान पर दस हजार रूपए जुर्माने और प्रति हरे पेड़ की कटान के लिए आवेदन के साथ 100 रूपए का लाइसेंस शुल्क लगाने का निर्णय कर यह दिखाने की कोशिश की है कि उसे प्रदेश के पर्यावरण एवं हरित क्षेत्र की बहुत चिन्ता है जबकि हकीकत यह है कि इनका सर्वाधिक विनाश इसी सरकार में हुआ है। इससे ऋतु चक्र बदला है और लोगों की जिन्दगी बेहाल हुई है। समाजवादी पार्टी बसपा सरकार की पर्यावरण विरोधी नीति- रीति और उससे प्रदेश को हुई क्षति की महामहिम राज्यपाल से उच्च स्तरीय निष्पक्ष जॉच किए जाने की मांग करती है।
श्री चौधरी ने कहा है कि जुलाई में वन महोत्सव के तहत वृक्षारोपण का लम्बा चौड़ा कार्यक्रम जारी किया जाना औपचारिक कर्मकाण्ड बन गया है। इस वर्ष वन विभाग ने 3 करोड़ पौध लगाने का ऐलान किया है। कई अन्य विभागों के भी इसमें शामिल होने से इस वर्ष 8.5 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह सब कागजी खानापूरी के अलावा कुछ और नहीं है। दिखावे के ऐसे कार्यक्रमों की हकीकत फारेस्ट सर्वे आफ इण्डिया की रिपोर्ट से खुल जाती है जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश में हरित क्षेत्र में निरन्तर गिरावट आती जा रही है। वन से इतर हरियाली में हाल के वर्षो में गिरावट 9.6 प्रतिशत से नीचे 9.01 प्रतिशत आंकी गई है। राज्य में वर्ष 2005 में, जब श्री मुलायम सिंह यादव की सरकार थी, 3.40 प्रतिशत (8,203 वर्ग किलोमीटर) हरियाली वृद्धि आंकी गई थी, ताजा रिपोर्ट के अनुसार राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र में हरियाली अब 7,381 वर्ग किलोमीटर (3.06 प्रतिशत) रह गई है। श्री मुलायम सिंह यादव के समय लगाए गए लाखों पेड़ उजाड़ दिए गए जिससे यह गिरावट आई है।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में करोड़ों पेड़ मुख्यमन्त्री की निजी महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ा दिए गये हैं। राजधानी सहित पूरे प्रदेश में लगे हरे पेड़-पौधों को बेरहमी से काट डाला गया। पार्को,स्मारकों के निर्माण के नाम पर वृक्षविनाश कार्यक्रम पूरी गति से चलाया गया। सड़क किनारे लगे वृक्षों की अधाधुंध कटान के फलस्वरूप मीलों तक छाया का नाम नहीं रह गया है।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि प्रदेश में हरियाली का विनाश कार्यक्रम चूंकि मुख्यमन्त्री के इशारों पर हुआ है और अब वही घड़ियाली आंसू बहाती हुई वृक्ष कटान के लिए लाइसेंस फीस और जुर्मानें का प्राविधान कर रहीं है तो सर्वप्रथम उनको ही इन अवैध कार्यो के लिए नोटिस दिया जाना उचित होगा। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी सनक की भेंट चढ़े करोड़ों पेड़ों की अवैध कटान के लिए प्रति पेड़ उनसे हर्जाना लिया जाना चाहिए। महामहिम राज्यपाल को भी यह देखना चाहिए कि प्रदेश की वन सपन्दा और हरियाली के विनाश से पर्यावरण में पैदा असन्तुलन और उसके फलस्वरूप ऋतु चक्र बदलने से जो असामान्य जीवन स्थिति बनी है उसका आकलन एक स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष जॉच एजेंसी से कराया जाए और मुख्यमन्त्री ने जो क्षति पहुंचाई है उसके लिए उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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