समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने एक बयान में कहा है कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था और प्रशासन से मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती का नियन्त्रण पूरी तरह समाप्त हो चुका है। नौकरशाही बेलगाम है। आला अधिकारियों की बैठकों में मुख्यमन्त्री जो हिदायतें देती है, उनकी कोई परवाह नहीं करता है। कानून व्यवस्था की समीक्षा के लिए कैबिनेट सचिव और मुख्य सचिव द्वारा बैठक में मुख्यमन्त्री की ओर से जेल और थानों की हालात पर असन्तोष जताया गया और सुधार की ताकीद की गई। हकीकत के आईने में यह कवायद महज एक नौंटंकी है और इसका मकसद जनता को गुमराह करना हैं। जो मुख्यमन्त्री स्वयं यह जानती हो कि उसके राज में थाने बिक रहे हैं वह आखिर थाना पुलिस और जेल के हालात में क्या सुधार कर पाएगी, प्रदेश में प्रशासनिक आतंकवाद के लिए मुख्यमन्त्री स्वयं सीधे-सीधे जिम्मेदार हैं।
श्री चौधरी ने कहा प्रदेश में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। पुलिस और जेल अधिकारी निरंकुश व्यवहार कर रहे हैं। कायदे-कानून और मानवता का उनके लिए कोई अर्थ नहीं है। राजधानी लखनऊ में पिछले दिनों पुलिस थाना-कोतवालियों में पीट-पीटकर आरोपित को मौत की नीन्द सुला देने के कई मामले हुए हैं। सआदतगंज पुलिस ने 29 जून को चोर होने के शक में एक टैम्पो चालक को तेज बुखार के बावजूद बेरहमी से पीटा। स्वयं मजिस्ट्रेट ने उसकी दशा देखकर पुलिस को फटकार लगाई और आरोपित बृजेश बाजपेयी को अस्पताल भेजा जहॉ जाते ही वह मर गया। लखनऊ के मदेयगंज में राजपाल की जान गई। श्रावस्ती के सोनया थाना क्षेत्र के मोहरनिया गॉव निवासी फेरूलाल की पिटाई से मौत हो गई। पुलिस वाले उसका शव छोड़कर भाग गये। हिरासत में मौतों का यह सिलसिला बन्द नहीं हो रहा है।
समाजवादी पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि जेलो में भ्रष्टाचार के चलते कैदियों के साथ निर्दयतापूर्ण व्यवहार थम नहीं रहा है। गाजीपुर की जेल में दो बन्दियों की मौत, कौशाम्बी में एक बन्दी की मौत तो ताजा घटनाएं हैं। जेलो में जहां जघन्य काण्डों में बन्द माफिया सभी सुख सुविधाएं उठा रहे हैं, वहीं सामान्य कैदियों से वसूली न होने पर उनको बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता है। जेल के आला अधिकारी यह सब जानते हुए भी चुप हैं।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि बसपा के राज में कमीशन, वसूली और लूट का भयंकर चक्र चल रहा है। भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे तक छाया हुआ है। जब मुख्यमन्त्री स्वयं येन-केन-प्रकरेण हर वर्ष अपनी करोड़ों की आय दुगनी चौगुनी करने के चक्कर में रहती है तो नीचे के अफसरों की लगाम कौन कस सकता है। संगठित स्वेच्छाचार से पूरे प्रदेश में अराजकता है और जनजीवन बुरी तरह सन्त्रस्त है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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