समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने अपने बयान में कहा है कि उत्तर प्रदेश में बिजली संकट सत्तारूढ़ बसपा सरकार की देन है। इसकी गलत नीतियों के कारण बिजली की किल्लत से आम आदमी परेशान है और प्रदेश का औद्योगिक विकास ठप्प है। पावर कारपोरेशन सफेद हाथी बना हुआ है जिसमें ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार का परनाला बह रहा है। विभाग के मन्त्री और नौकरशाह मिलकर सीधे मुख्यमन्त्री के खजाने की देखभाल में लगे रहते है। इसकी तो उच्च स्तरीय न्यायिक जॉच होनी चाहिए कि उत्तर प्रदेश की बिजली का बसपा ने कितना दुरूपयोग किया है।
श्री चौधरी ने कहा कि मुख्यमन्त्री ने प्रदेशभर में अपनी कांस्ट्रक्शन कम्पनी का कामकाज चला रखा है। पाकोZ, स्मारकों और हाथी के साथ अपनी प्रतिमाओं के निर्माण में पत्थरों का अधाधुंध प्रयोग हो रहा है। इनकी कटान के काम में बिजली का जमकर दुरूपयोग हो रहा है। इसके साथ ही हैवी मशीनों में भी बिजली का धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है। सरकारी निर्माण कार्यो में ज्यादातर चोरी की बिजली इस्तेमाल की जाती है। खुद विभागीय मन्त्री बिजली चोरी की बात स्वीकार करते हैं पर उनकी हैसियत इसमें कार्यवाही के लिए हस्तक्षेप करने की नहीं है।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि पावर कारपोरेशन में भ्रष्टाचार एवं कुप्रबंधन के चलते उसका घाटा बढ़ता जा रहा है। जून के पहले पखवाड़े तक बिजली खरीद के एवज मेें 1873 करोड़ रूपए की रकम बकाया हो गई है। हर माह बिजली खरीद का बिल 1200 से 1500 करोड़ रूपए के बीच आ रहा है। इसके सापेक्ष राजस्व एक हजार करोड़ रूपए से ज्यादा नहीं मिल रहा है।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि सरकार बिजली के मामले में झूठी आशाएं दिलाकर जनता को भ्रमित कर रही है। उसकी तमाम घोषणाएं केवल कागज पर हैं। श्री मुलायम सिंह यादव ने जो योजनाएं अपने समय शुरू की थीं उनके सुचारू संचालन का काम भी ये सरकार नहीं कर सकी फलत: बिजली संकट से निजात नहीं मिल पा रही है। मुख्यमन्त्री सिर्फ अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति और संपत्ति की लूट में इस सरकार के सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर रही हैं और उनके रवैये से सरकारी खजाना कंगाल तथा प्रदेश की जनता बदहाल हो गई है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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