समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने प्रेस वक्तव्य में कहा है कि मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती उत्तर प्रदेश को तो सम्हाल नहीं पा रही हैं, बिहार में वे अपनी सरकार बनाने का ख्वाब देख रही हैं। प्रदेश में उनकी सत्ता जाना सुनिश्चित हैं, मगर वे दिल्ली पर कब्जा करने के लिए ललकार रही हैं। राजनीति में इतनी अवसरवादी, ढपोरशंखी और अनर्गल लन्तरानियों का इतिहास में कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता है। शायद बसपा मुखिया देशवासियों को भ्रमित करने के लिए अपने भाषणों में केन्द्र सरकार पर तोहमतें लगाती हैंं जबकि हकीकत में वे केन्द्र के साथ साठगंाठ किए हुए हैं। वे केन्द्र की कांग्रेस सरकार को बिन मांगे समर्थन दे रही हैं और संसद में हर मौके पर विपक्ष का साथ न देकर कांग्रेस से ही जुगलबन्दी करती रहती हैं। उधर कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश में हर मोर्चे पर विफल और भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी बसपा सरकार को संविधान विरोधी आचरण के बावजूद अभयदान दिए हुए है।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा केवल कांग्रेस ही नहीं, भाजपा के प्रति भी सुश्री मायावती दुहरा खेल खेल रही हैं। प्रदेश में तीन बार वह भाजपा के साथ मिलकर अपनी सरकार बना चुकी हैं। भाजपा के साथ अभी भी उनका भाई-बहिन वाला रिश्ता चल रहा है। भाजपा को खुश रखने के कारण ही वे अल्पसंख्यकों की तमाम समस्याओं की ओर से आंखें मून्दे हुए हैं। हजयात्री परेशान हैं। मुस्लिमों की ढोंगी भाईचारा कमेटी बनाने वाली बसपा मुखिया ने आंध्र प्रदेश की तरह अभी तक मुस्लिमों को आरक्षण नहीं दिया है। अल्पसंख्यकों की संस्थाओं से उन्होने मनमानी की है। उनके नियमों की धज्जियां उड़ाकर अपने चहेते सदस्य एवं अध्यक्ष, उपाध्यक्ष बनाए है।
समाजवादी पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि बसपा मुखिया, जो 87 करोड़ की संपत्ति की मालकिन आधे-अधूरे चार मुख्यमन्त्रित्वकाल में ही बन गई हैं, सर्वजन का नाम भी केवल जनता में भ्रम फैलाने के लिए लेती हैं। वे स्वयं घोषित कर चुकी हैं कि उनकी पार्टी का अगला मुखिया उनकी बिरादरी का ही होगा। सर्वजन वाले तो उनकी लूट माया के मोहरे भर हैं। वैसे भी पार्टी में वे स्वयं तथा उनके मनोनीत ही अधिकार सम्पन्न है। पार्टी बिना संविधान और घोषणा पत्र के चल रही है। इससे वे हर तरह की जवाबदेही से बची रहती हैं। वस्तुत: उन्होने राजनीति को व्यक्तिगत कमाई का धंधा तथा स्वार्थ पोषण का जरिया बना लिया है। उन्हें जनहित से कोई मतलब नहीं है। उनके शासन काल में प्रदेश की गाडी विकास की पटरी से उतरकर विनाश के रास्ते पर चल पड़ी है। यही उनकी उपलब्धि हैं जिसे वे अब दूसरे प्रदेशों में विस्तार देना चाहती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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