समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने एक वक्तव्य में कहा है कि उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार संविधान के विरूद्व रागद्वेषपूर्ण आचरण करते हुए पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार के समय भर्ती यू0पी0 सैनिक स्कूल लखनऊ के कर्मचारियों के उत्पीड़न पर उतर आई है। वर्ष 2004-05 में भर्ती 32 कर्मचारियों को आज बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक सेवा बखाZस्तगी की नोटिस थमा दी गई। लेकिन इसके साथ ही 1 जून,2010 को भर्ती 19 लोगों को नियुक्ति दी जा रही है जिनमें कई वर्तमान प्राचार्य के रिश्तेदार बताये जाते हैं।
ज्ञातव्य है कि 29 कर्मचारियों की नियुक्ति 01 जनवरी,2005 में और 3 कर्मचारियों की नियुक्ति 26 मई,2004 को हुई थी। तब से अधिकांश चतुर्थ श्रेणी पद पर ये लोग काम कर रहे थे। अचानक 15 जून,2010 को सेवा निरस्तीकरण का कार्यालय आदेश सं0 यूपीएसएस/105/1/स्था0/2010 द्वारा बताया गया कि Þजिस भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से आपको नियुक्त किया गया, शासन द्वारा उक्त प्रक्रिया में अनेक अनियमितताएं पायी गई। नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताओं के दृष्टिगत शासन स्तर पर लिए गए निर्णयानुसार आपकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाती है।
सवाल यह है कि सरकार को 5-6 वर्ष बीत जाने के बाद चयन प्रक्रिया में अनियमितता का आभास हुआ। लेकिन इस बीच किसी कर्मचारी को नोटिस तक नहीं दी गई। अचानक सबको सेवा से हटाने का निर्णय हो गया जबकि वे सेवा में लगभग स्थायी पद के पात्र हो गए हैं।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यू0पी0 सैनिक स्कूल के प्रशासन ने ऊपरी दबाव में यह कार्यवाही की है। वैसे जिस तत्परता से 19 नए लोग भर्ती कर लिए गए हैं उससे दाल में काला ही लगता है। ऐसा पता चला है कि नए भर्ती शुदा में ऐसे हैं जिनके लिए दौड़ दूसरे लोगों ने लगाई है और नियुक्ति दूसरे को मिली है। प्राचार्य के कई रिश्तेदार नई सूची में रख लिए गए हैं। इनमें एक सगा रिश्तेदार भी है। इसके अलावा रूपयों के लेन देने की भी चर्चा है।
समाजवादी पार्टी सरकार के इस घोर पक्षपातपूर्ण कार्यवाही की निन्दा करती है और तत्काल उक्त कर्मचारियों को सेवा मेें बहाल किए जाने की मांग करती है। जून में भर्ती नए कर्मचारियों की जॉच स्वतन्त्र एजेंन्सी से कराई जानी चाहिए क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार की बू आती है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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