भारत के नौजवान राश्ट्र है देश की 60 प्रतिशत आबादी नौजवान है परन्तु युवा राजनीति से दूर रहना चाहते है ऐसा क्या कारण है कि एक विकसित होने और विश्व पटल पर अपनी ताकतवर हैं सही मायने में युवाअों में ही नई सोच नई विचारधारा नई उर्जा और कुछ नया करने की चाहत होती है। ऐसे नौजवानों को राजनीति में लाने की जरूरत होती होगी जो देा के बारे में पहले से सोचते हो और अपने बारे बाद मे वे नौजवान जो इस देश को नई दिशा नई सोच नई विचार धारा देने की आवश्यकता है आज भारत वशZ दुनिया को नई दिशा देने के लिए तैयार है तो वह मात्र अपनी युवा शक्ति के आधार पर ऐसा नेतृत्व दिल्ली में अलावा छोटे शहरों, कस्बों और गॉवों को भी चाहिए। नौजवानों को अपने क्षेत्र के बारे में सोचना होगा जरूरत है कि दूरी सोच बदली जाए गॉव से लेकर दिल्ली तक जो भी नौजवान निर्णयात्मक भूमिका निभा सके। अअब इस कार्य में जुट जाना चाहिए। हमारे पीछे रह जाने का मुख्य कारण है कि हम दिशा परिवर्तित करने वाली सोच को अमल में नही ला पाते है हम सब सिस्टम कारगर तरीके से बदला जा सकता है। यह हमें ज्यादा कारगर तरीके से बदला जा सकता है। यह मुमकिन तभी होगा जब हम नौजवान नई सोच के साथ आगे बढ़े कहीं न कही अभी भी हमारी कार्य प्रणाली धीमी और पुरानी सोच पर चल रही है। इस कारण अवरोध ज्यादा है किसी भी सामान्य व्यक्ति को अपनो कार्य करवाने के लिए शासन और प्रशासन के बीच फुटबाल बनना पड़ता है यहॉ तक जन प्रतिनिधियों को भी इसे बदलना होगा अफसर शाही के अंकुश कम करने होगे। यह तभी सम्भव होगा जब नई सोच, नई विचार धारा, नई उम्मीद आगे आए और मोर्चा सम्भाले यानी नौजवान मोर्चा संभलो। नौजवानों को रास्ता देना होगा। इस देश में संभावनाए अनेक है। यह वह देश है जहॉ नौजवानों की एक बड़ी और रचनात्मक सोच रखने वाली फौज है बस जरूरत है तेा नौजवानों को मौका देने की ताकि देश को 21वीं सदी को बड़ी तातक के रूप में जिसमें कि क्रान्तिकारी-योजनाओं को अमली जामा पहना सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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