लखनऊ - समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि बाबा साहब डा0 भीमराव अम्बेडकर ने दलित समाज के उत्थान के लिए शिक्षा को सर्वाधिक महत्व दिया था। उत्तर प्रदेश में उनके मिशन की दुहाई देने वाली मुख्यमन्त्री मायावती ने शिक्षा को ही सर्वाधिक उपेक्षित करने का इरादा कर लिया है। वह माध्यमिक स्कूलों की फीस बढ़ाकर वे गरीबों के बेटे-बेटियों को शिक्षा के प्रकाश से अज्ञान के अंधेरे में ढकेल देने का काम करने जा रही है।
प्रदेश के राजकीय और सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में कक्षा 6 से 12 तक नए सत्र से 18 मदों में दोगुने से लेकर दस गुना तक शुल्क वृद्धि का सरकारी निर्णय एक तरह से प्रदेश की युवा शक्ति को बेकारी, अज्ञान और अंधकार के रास्ते पर असहाय छोड़ देने की साजिश है। यह कल्याणकारी राज्य की कल्पना का उपहास है। शिक्षा के पवित्र क्षेत्र में नफा-नुकसान की बातें करके माध्यमिक शिक्षामन्त्री इसको व्यापार बनाए दे रहे हैं। उनकी यह सोच घोर निन्दनीय है। इसका प्रबल विरोध किया जाएगा।
श्री राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि विधान मण्डल के पिछले सत्र में भी जब फीस वृद्धि का प्रस्ताव आया था, उसका विपक्षी दलों ने विरोध किया था। अब बसपा सरकार फिर यह प्रस्ताव ले आई है। यह मुख्यमन्त्री का अजीब लोकतन्त्र विरोधी रवैया है कि वे मंहगाई बढ़ाने वाले निर्णय अपरोक्ष ढंग से लादने का काम करती हैं। बिजली की दरों में वृद्धि, परिवहन किराये में वृद्धि, जमीन की रजिस्ट्री की फीस में वृद्धि आदि के द्वारा वे लोगों का जीना मुहाल किए हुए हैं।
स्मरणीय है, समाजवादी पार्टी का खुला दाखिला, सस्ती शिक्षा, लोकतन्त्र की यही परीक्षा यह पुराना नारा रहा है। वह शिक्षा के निजीकरण तथा व्यवसायीकरण की विरोधी रही हैं। उसकी मांग रही है कि सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया जाना चाहिए। श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमन्त्रित्वकाल में सन् 2003 मेें सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों की फीस घटाई थी। गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के छात्रों पर इस फीस वृद्धि से सबसे ज्यादा मार पड़ेगी। उनकी प्रगति के रास्ते अवरूद्व होगें। शिक्षा को केवल पैसेवालों की बंधक बनाने की साजिश की जा रही है। समाजवादी पार्टी की मांग है कि इस अनुचित फीस वृद्धि को तत्काल वापस लिया जाए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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