Categorized | लखनऊ

अखिलेश यादव ने महामहिम राज्यपाल को पत्र लिखा

Posted on 10 June 2010 by admin

महामहिम राज्यपाल जी ,   राजभवन, उत्तर प्रदेश, लखनऊ

मान्यवर

हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास विभाग (1) द्वारा जारी उस, अधिसूचना संख्या 418/9-01-10-1, सा/10 दिनांक- 11 मई, 2010 की ओर आकृष्ट करना चाहते हैं, जिसको 11 मई, 2010 को जारी करना दर्शाकर प्रदेश के किसी भी राजनैतिक दल तथा आम लोगों को इसकी भनक भी नहीं लगने दी गई। 11 मई 2010 को जारी अधिसूचना की प्रति समाजवादी पार्टी को उपलब्ध नहीं कराई गई और सरकार की ओर से कोई बयान भी 11 मई, को जारी नहीं किया गया, जिससे यह जानकारी हो सकती कि राज्य सरकार ने नगर पालिका नियमावली में संशोधन हेतु आपत्तियॉ तथा सुझाव मॉगे हैं।  प्रदेश सरकार द्वारा साजिश करके इस अत्यन्त महत्वपूर्ण अधिसूचना को इस कारण छिपा कर रखा गया ताकि 30 दिन तक आपत्तियों व सुझावों के आमन्त्रित करने की अवधि  10 जून 2010 को समाप्त हो जाय और सरकार यह मान ले कि निर्धारित 30 दिन की अवधि के अन्दर कोई आपत्ति अथवा सुझाव प्राप्त ही नहीं हुआ।

2- वास्तव में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जालसाजी करके सम्पूर्ण मामले को छिपाने का घोर अपराध किया गया है। मीडिया के माध्यम से केवल 9 जून, 2010 को जानकारी में यह बात आई कि सरकार द्वारा नगरपालिका नियमावली में अमूल परिवर्तन करते हुये राजनैतिक दलों को पार्टी के चुनाव चिन्ह पर निर्वाचन लड़ने से वंचित किया जा रहा है। सत्तारूढ़ दल का राजनीतिक चरित्र ही तानाशाही प्रवृत्ति का है। उनकी लोकतािन्त्रक प्रक्रिया में आस्था नहीं है। यह भी कि बसपा द्वारा भ्रष्ट तरीका अपना कर अप्रत्यक्ष चुनावों के जरिए सम्बन्धित निकायों में खरीद फरोख्त करके अपने दल के समर्थकों की संख्या बढ़ाने का छद्म उद्देश्य है। यह न सिर्फ लोकतन्त्र के साथ धोखा धड़ी, बल्कि चुनावों की पवित्रता नष्ट करने और लोकतन्त्र की अवमानना की साजिश है।

3- उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार द्वारा इस प्रकार का अलोकतान्त्रिक अधिनियम केवल इस उद्देश्य से लाया गया है ताकि नगर पालिका निगमों सभासदों/पार्षदो के आगामी चुनाव बिना राजनैतिक आधार पर कराने के पश्चात बसपा के लोगों को सरकार की ओर से नामित  करके अपनी पार्टी का वर्चस्व बना लें, जबकि बसपा सरकार को ज्ञात है कि उसके भ्रष्टाचारी, तानाशाही आचरण से प्रदेश की जनता महंगाई, बिजली, पानी न मिलने, ध्वस्त कानून व्यवस्था से त्राहि-त्राहि कर रही है। सरकार जान चुकी है कि अब प्रदेश की जनता इससे मुक्ति चाहती है। इस कारण यह सरकार इस संशोधित अधिनियम के प्राविधानों के माध्यम से बसपा के लोगों को नगर पालिकाओ ंके सभापतियों तथा महापौरों के पदों पर येन-केन-प्रकारेण पदास्थापित करने की कूट संरचना में जुटी हुई है।

4-  इस पूरे प्रकरण में प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग की संलिप्तता भी जॉच का विषय है। 11 मई, 2010 को जारी अधिसूचना के बारे में वे कोई भी जानकारी देने से बराबर इंकार करते रहे। इस सार्वजनिक की जाने वाली सूचना को छुपाकर उन्होंने लोकसेवक के अपने कर्तव्य के निर्वहन के बजाए सत्तारूढ़ दल के सहकारी की भूमिका निभाई है। इस पर संज्ञान लेकर तत्काल आपके स्तर से कार्यवाही अपेक्षित है।

आपसे आग्रह है कि कृपापूर्वक इस जारी 11 मई, 2010 की अधिसूचना को निरस्त करने के आदेश देने का कष्ट करें। साथ ही अनुरोध है कि उत्तर प्रदेश नगर पालिका नियमावली में किसी प्रकार के परिवर्तन न किये जाने के आदेश भी सरकार को देने का कष्ट करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in