वी0पी0एल कार्ड न होने से गरीब परिवार के बच्चों की शिक्षा अधर में
सरकारी योजनाओं के क्रियान्यवन में बरती गई अनिमितताओं के चलते जिसकी लाठी उसी की भैंस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। ऐसे में पात्र की अपेक्षा अपात्र वर्ग के लोग सरकारी लाभ उठाने में अिधेक कारगर रहे, वहीं प्रशासन ऑख मून्दे मौन कागजी घोड़ा दौड़ाने तक ही सीमित रहा।
ग्रामीणों की दुर्दशा सुधारने की पहल में सरकारी मंसूबे पर पानी उस समय फिर गया जब जन कल्याणकारी विभिन्न योजनाओं का लाभ बिचौलिए व अपात्र वर्ग के दबंग लोग उठा लिए। सूत्रों अनुसार ग्राम पंचायत निसहिया ,प्रतापपुर, भ्ण्डरा, सोहगौली, गंजेहड़ी आदि ग्राम पंचायतों में सरकारी योजनाओं के लागू करने में भारी अनियमितताओं का बोलबाला रहा, जहॉ बिचौलिया व उूंची पकड़ के लोग, भ्रश्ठ कर्मी व अधिकारियों की सॉठ-गॉठ से सरकारी योजनाओं का लाभ उठानें में कामयाब रहे , वहीं पात्र व्यक्ति अपने गिरे दिन पर ऑसू बहाने को मजबूर हैं । बताते चले कि न्याय पंचायत भ्ॉण्डरा में तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी रही गायत्री पाण्डेय के समय राशन कार्ड आदि में भारी अनिमितताएं के चलते उन्हें निलम्बन की कार्यवाही झेलनी पड़ी। परन्तु उनके द्वारा बरती गई अनिमितताओं का सुधार न होने से कई गरीब परिवार सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित तथा विकास की मुख्य धारा से भी अछूते हैं। वीपीएल व अन्त्योदय राशन कार्ड 100रू0 से 200 रू0 सुविधा शुल्क लेकर अलग से ऐसे अपात्र व्यक्तियों को जारी कर दिया गया है जो संयुक्त परिवार में तो है ही , पिता एपीएल कार्ड धारक तथा कई बीघे भूमि का काश्तकार है या सरकारी कर्मचारी। वीपीएल व अन्त्योदय कार्ड जारी सूची में भारी अनिमितताएं आज भी मौजूद हैं, जो सत्यापन कर कभी भी दे खा जा सकता हैं नान्हू राम गौतम प्रतापपुर ने बताया कि नाम मेरा अन्त्योदय सूची में है परन्तु कार्ड नही मिला। पठखापुर निवासी बाबू लाल गुप्ता के अनुसार ग्राम पंचायत प्रतापपुर में एक- एक घर में तीन से चार कार्ड वीपीएल व अन्त्योदय कार्ड बनाया गया जो संयुक्त परिवार में वोटों को ध्यान में रख कर किया गया, जब कि हमस ब गरीहब हैं व माली स्थित अच्छी न होने से बच्चों को पढ़ाने में अस्मर्थ हैं, मेरा वीपीएल कार्ड ग्राम प्रधान पुत्र ने यह कर कटा दिया कि पिछड़े वर्ग को जिलतना कम से कम लाभ मिले उतना अच्छा हैं बच्चें भी ज्यादा पढ़ लिख न सके जिससे बराबरी न कर सकें यही यथा स्थित और ग्राम पंचायतों की है जहॉ सरकारी योजनाओं के बन्दर बॉट को लेकर मारा-मारी मची हुई हैं और प्रशासन ऑख मून्दे मौन साध रखा हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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